Due Date Calculator

To calculate the expected date of delivery use any of the options mentioned below:

  1. First day of last menstruation
  2. Date of conception.
  3. Date of first ultrasound.

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First day of your last period

10/06/2023

Average cycle length

Our calculator will help you find your gestational period, end of first and second trimester, due date and all other important dates that you need to know during pregnancy.

Calculate my Due-date

एक्सपेक्टेड डेट ऑफ डिलीवरी क्या होती है और कैसे पता करें की आप कितने हफ्ते प्रेग्नेंट हैं?

What is expected date of delivery : How to calculate pregnancy : how many weeks am I pregnant?in hindi

Delivery date ya due date kya hoti hai aur main kaise pata kare ki main kitne din pregnant huin


Introduction

एक्सपेक्टेड_डेट_ऑफ_डिलीवरी_क्या_होती_है_और_कैसे_पता_करें_की_आप_कितने_हफ्ते_प्रेग्नेंट_हैं

बच्चे के जन्म लेने की संभावित तारीख़ (expected date of delivery) वह तारीख़ है जिसके आस-पास महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हो सकती है। इस तारीख़ के आस-पास के दो हफ्ते पहले या दो हफ्ते बाद बच्चे के जन्म होने की सम्भावना सबसे अधिक होती है।

हालांकि यह सिर्फ एक अनुमान होता है और आंकड़ों की मानें तो 20 में से सिर्फ 1 महिला (5%) ही नियत तारीख पर बच्चे को जन्म देती है। मगर होने वाली माँ प्रसव की अनुमानित तिथि जानने की हमेशा कोशिश करती है।

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि भले ही गर्भावस्था कैलकुलेटर का सप्ताह आपके बच्चे की निश्चित डिलीवरी डेट ना बता पाएँ मगर प्रसव की अनुमानित तिथि बताने में जरूर मददगार है।

बच्चे की एक्सपेक्टेड डिलीवरी जानने के दौरान महिला के मन में कई तरह के सवाल आ सकते हैं जैसे - डिलीवरी डेट कैसे निकालते हैं, गर्भावस्था की गणना कैसे करें आदि। आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं डिलीवरी डेट कैसे निकालते हैं।

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In this article

  1. 1.बच्चे के जन्म की नियत तारीख जानना क्यों ज़रूरी है?
  2. 2.गर्भकालीन आयु क्या होती है?
  3. 3.बच्चे के जन्म लेने की संभावित तारीख़ का अनुमान आखिरी माहवारी के पहले दिन से कैस
  4. 4.बच्चे के जन्म लेने की संभावित तारीख़ का अनुमान गर्भधारण करने की तारीख़ से कैसे ल
  5. 5.बच्चे के जन्म लेने की संभावित तारीख़ का अनुमान अल्ट्रासाउंड के माध्यम से कैसे ल
  6. 6.क्या आपकी प्रसव की नियत तिथि बदल सकती है?
  7. 7.निष्कर्ष
  8. 8.FAQs
 

बच्चे के जन्म की नियत तारीख जानना क्यों ज़रूरी है?

Why it is necessary to know due date for pregnancy or delivery date? in hindi

Bacche ke janam ki sambhavit tareekh jaan lena kyon hai zaroori

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आप डिलीवरी डेट कैलकुलेटर (Pregnancy date calculator) से आने वाले नन्हें मेहमान के आगमन की नियत तारीख़ को जान सकते हैं और उसी के अनुसार अपने व आस-पास के वातावरण को तैयार कर सकते हैं। इसके लिए आप प्रेगनेंसी डेट कैलकुलेटर या प्रेगनेंसी मंथ कैलकुलेटर की मदद ले सकती हैं।

इस तारीख़ को पता करना कुछ कारणों से महत्वपूर्ण है:

  1. बच्चे के जन्म का संभावित समय जान लेने से चिकित्सक को यह जानने में मदद मिलती है कि माँ और बच्चे का विकास और स्वास्थ्य सही है या नहीं।
  2. इस तारीख़ को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर सही समय पर गर्भावस्था के दौरान सही चिकित्सीय परीक्षण करवा सकते हैं और दवाई दे सकते हैं ताकि जच्चा-बच्चा दोनों ही स्वस्थ रहें।
  3. तारीख़ का पता करने से आपके साथ-साथ आपका परिवार और आपके चिकित्सक भी अपनी तरफ से पूरी तरह तैयार रहते हैं।

जैसा कि कहा जाता है कि बच्चे के जन्म लेने की संभावित तारीख़ के दो हफ्ते पहले एवं बाद में बच्चे का जन्म लेना सामान्य है, लेकिन बच्चे का जन्म काफी पहले या समय के बाद होने कि संभावना लगती है तो चिकित्सक पहले ही तैयारी कर सकते हैं।

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गर्भकालीन आयु क्या होती है?

What is gestational age? in hindi

gestational age ya garbh ki umar kya hoti hai

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गर्भधारण की तारीख़ और जन्म के बीच का समय या आप कितने महीनों की गर्भवती हैं गर्भकाल कहलाता है। गर्भकालीन आयु की गणना आखिरी मासिक धर्म से वर्तमान तिथि तक हफ्तों में की जाती है।

सामान्य रूप में, गर्भ अधिकतर गर्भावस्था के 38वें हफ्ते से 42वें सप्ताह तक रहता है। 38वें से 42वें हफ्ते में ही बच्चे की डिलीवरी एक्सपेक्टेड होती है। [1]यदि किसी बच्चे का जन्म गर्भावस्था के 37वे हफ़्ते से पहले हो जाता है तो उसे समय से पहले (premature) बच्चा कहा जाता है।

 

बच्चे के जन्म लेने की संभावित तारीख़ का अनुमान आखिरी माहवारी के पहले दिन से कैसे लगाया जाता है?

How do due date of pregnancy calculated from first day of last month period (LMP)? in hindi

Due date ka anumaan periods ke akhri mahine se kaise lagaya jata hai

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एक सामान्य गर्भ को 38 (या 266 दिन) – 40 (या 280 दिन) हफ़्तों बाद पूर्ण रूप से स्वस्थ माना जाता है।

इसलिए प्रसव पीड़ा या बच्चे के जन्म की दिनांक का अनुमान लगाने का सबसे अच्छा तरीका है गर्भवती होने से पहले आखिरी बार माहवारी आने के पहले दिन से 40 हफ्ते (280 दिन) गिन लेना। [2]

स्त्री रोग विशेषज्ञ भी इसी तरह से अनुमान लगाते हैं और उसी अनुसार दवाएं और परीक्षणों के बारे में बताते हैं।

आखिरी माहवारी के पहले दिन से डिलीवरी डेट या डिलीवरी की अनुमानित तिथि का अंदाज़ा लगाने की कई अनेक विधियाँ हैं:

1. नैगेले सूत्र (Naegele Rule)
अपने आखिरी मासिक धर्म के पहले दिन की तारीख में 280 जोड़ कर नियत दिनांक निकालने की इस विधि को नेगेले सूत्र (Naegele rule) कहा जाता है।
अनुमानित देय तिथि की गणना कैलकुलेट करने का तरीका:

आखिरी मासिक धर्म के पहले दिन की तारीख (20-45 दिन संभावित पीरियड्स अवधि) + 280 दिन
लेकिन यह जानना भी ज़रूरी है कि इस विधि में यह माना जाता है कि हर महिला का मासिक चक्र 28 दिन का ही होता है।
इसलिए इस विधि का बिलकुल सही होना महिला के नियमित माहवारी के होने पर निर्भर करता है।
इसी को ध्यान में रखते हुए नेगेले सूत्र के अलावा कुछ और तरीकों का भी प्रयोग किया जाता है। [3]

2. मिटनडोर्फ़-विलियम सूत्र (Mittendorf-Wiiliam rule)
जो महिला पहली बार माँ बन रही हैं उनके लिए अनुमानित दिनांक के लिए आखिरी मासिक धर्म के पहले दिन की तारीख में से 3 महीनों को घटा कर उसमें 15 दिन जोड़ें और दूसरी बार मातृत्व का सुख ले रही महिला 15 की जगह 10 जोड़े {जोडें-जोड़े}। [4]

3. पारिख सूत्र (Parikh rule)
पारिख सूत्र का इस्तेमाल उन महिलाओं की डिलीवरी की संभावित तिथि का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है जिनको अनियमित पीरियड्स होते हैं।
इस सूत्र के अनुसार, आखिरी मासिक धर्म के पहले दिन की तारीख़ में 9 महीने जोडें {जोडें-जोड़े}, फिर इसमें से 21 दिन घटाकर उसमें पहले के माहवारी चक्र की औसत अवधि को जोड़ें। इससे डिलीवरी की संभावित तारीख़ निकाली जा सकती है। [5]

आपका नन्हा मेहमान इस दुनिया में कब पहली सांस लेगा या बच्चे की डिलीवरी कितने दिन में होती है यह जानने के और भी तरीके हैं लेकिन कोई भी तरीका 100 प्रतिशत सही नहीं होता है।

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बच्चे के जन्म लेने की संभावित तारीख़ का अनुमान गर्भधारण करने की तारीख़ से कैसे लगाया जाता है?

How do due date of pregnancy calculates from the date of conception? in hindi

delivery ki date ka anumaan conception date se kaise lagaya jata hai

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कई महिलाओं को यह याद होता है कि गर्भवती होने से पहले उन्होंने आखिरी बार सेक्स (sex) कब किया था, इसलिए गर्भाधान कैलकुलेटर या डिलीवरी डेट कैलकुलेटर का उपयोग कर उसी दिन को गर्भधारण की तारीख़ मान कर वह आसानी से अपने गर्भ पूरा होने का दिन अनुमानित कर सकती हैं।

लेकिन यह इतना सरल नहीं होता क्योंकि विज्ञान के अनुसार पुरुष का शुक्राणु (male sperm) एक स्त्री के शरीर में पाँच दिनों तक रह सकता है और अंडाशय (ovary) से निकला अंडाणु (ovum) 24 घंटों तक शरीर में बना रहता है। [6]

इसलिए इसकी संभावना काफी ज्यादा होती है कि आपके यौन क्रिया के कई दिनों बाद आपने गर्भधारण किया हो।

 

बच्चे के जन्म लेने की संभावित तारीख़ का अनुमान अल्ट्रासाउंड के माध्यम से कैसे लगाया जाता है?

How do ultrasound calculate delivery due date in pregnancy? in hindi

delivery ki date ka anumaan ultrasound ki madad se kaise lagaya jata hai

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अल्ट्रासाउंड (ultrasound) या सोनोग्राम (or sonogram) स्कैन शरीर के अंदर के किसी भी हिस्से की एक छवि प्राप्त करने का पूरी तरह से दर्द रहित और सुरक्षित तरीका है। गर्भवती महिला में इस प्रक्रिया से भ्रूण के विकास (fetal development) और गर्भावस्था की प्रगति का मूल्यांकन किया जाता है।

सामान्य स्थिति में गर्भावस्था के 6 हफ्ते से प्रेगनेंसी के 10वें हफ्ते के बीच पहला अल्ट्रासाउंड किया जाता है जिसे आपके बच्चे के जन्म की तारीख़ का अनुमान लगाने का सबसे सटीक तरीका माना जाता है। [7]

गर्भावस्था के आगे के समय में किये गये अल्ट्रासाउंड सटीक रूप से अनुमानित देय तिथि की गणना नहीं कर पाते हैं, इसलिए यदि आपकी डिलीवरी डेट पहली तिमाही में अनुमानित कर दी गयी है तो उसे बदलना सही नहीं है।

यदि आपके आखिरी मासिक धर्म के पहले दिन और अल्ट्रासाउंड से पता किए गए दिनों में फर्क होता है तो चिकित्सक अल्ट्रासाउंड से निकाली गयी तारीख को ही सही मानते हैं।

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क्या आपकी प्रसव की नियत तिथि बदल सकती है?

Can your due or delivery date may vary or change? in hindi

kya meri delivery date badal sakti hai

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जी हाँ, आपकी अनुमानित देय तिथि या एक्सपेक्टेड डेट ऑफ डिलीवरी बदल सकती है लेकिन यह आपके लिए चिंता का विषय नहीं होना चाहिए।

यह कई कारणों की वजह से हो सकता है जैसे आपके पीरियड्स अनियमित थे, प्रथम अल्ट्रासाउंड करवाने की तारीख़ निकल गयी या पहला अल्ट्रासाउंड दूसरी तिमाही में करवाया गया।

डिलीवरी डेट कैलकुलेटर का प्रयोग कर अपनी डिलीवरी की तारीख़ का पता करके माँ बनने वाली महिलाएं अपने जीवन में आने वाले बदलावों और नए मेहमान के लिए खुद को समय से तैयार कर सकती हैं।

इस बात का ध्यान रखें कि आपकी एक्सपेक्टेड डेट ऑफ डिलीवरी आपके गर्भावस्था समय के साथ बदल सकती है जो चिकित्सीय परीक्षणों (medical checkups) के दौरान देखे गये बदलावों पर निर्भर करती है। लेकिन, Zealthy के डिलीवरी डेट कैलकुलेटर से आपको यह अनुमान ज़रूर लग सकता है कि आपको प्रसव पीड़ा कब होगी।

 

निष्कर्ष

Conclusionin hindi

Nishkarsh

हम कह सकते हैं कि बच्चे के जन्म की सटीक डेट किसी भी विधि से नहीं जान सकते हैं पर संभावित तारीख़ अवश्य जानी जा सकती है जिसे जानना माँ ही नहीं परिवार के लिए भी जरूरी होता है ताकि वे उसके अनुसार आवश्यक तैयारी कर सकें ताकि माँ व नवजात शिशु की देखभाल ठीक से हो सके।

इसलिए हर माँ को अपना गर्भावस्था कैलेंडर ज़रूर बनाना चाहिए ताकि वह अनुमानित देय तिथि की गणना कर सके।

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FAQ

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ड्यू डेट (due date) या नियत तिथि क्या होती है?

वह तिथि जिस दिन आपके बच्चे के जन्म की संभावना होती है ड्यू डेट या निर्धारित तिथि कहलाती है। इसे एस्टिमेटेड ड्यू डेट यानि इडीडी (EDD -estimated due date) भी कहते हैं।

गर्भावस्था की स्थिति जानने और भ्रूण के विकास की निगरानी करने में इडीडी मददगार है।

ड्यू डेट आपके लास्ट मेंसट्रूअल पीरियड (LMP - last mestural period) के पहले दिन से कैलकुलेट की जाती है।

ड्यू डेट कैसे निर्धारित की जाती है?

ड्यू डेट को निर्धारित करने के लिए अक्सर अल्ट्रासाउंड परीक्षण किया जाता है।

आपकी गायेनेकॉलोजिस्ट या ओबस्टेट्रिशियन (obstetrician or gynecologist - ob-gyn) अल्ट्रासाउंड तिथि का मूल्यांकन करती हैं और उस तिथि की आपके लास्ट मेंसट्रूअल पीरियड (LMP - last mestural period) के पहले दिन से तुलना करती हैं।

मूल्यांकन और तुलना के आधार पर एक तिथि निर्धारित की जाती है। इसके बाद प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले अन्य अल्ट्रासाउंड के बाद भी चुनी गयी तिथि बदली नहीं जाती है।

ड्यू डेट का अनुमान कितने सही होते हैं?

कोई भी विधि 100% निश्चितता के साथ आपके बच्चे की नियत तारीख की भविष्यवाणी नहीं कर सकती है! सभी शिशुओं में से केवल 5% ही वास्तव में अपने जन्म की अनुमानित तारीख पर जन्म लेते हैं।

यह ज्यादातर इसलिए होता है क्योंकि गर्भावस्था 38वें से 42वें सप्ताह की भी हो सकती है, इसलिए शिशु अनुमानित नियत तारीख से 2 सप्ताह पहले और 2 सप्ताह बाद के बीच कभी भी पैदा हो सकते हैं।

ड्यू डेट जानने के अन्य तरीके क्या हैं?

नियत तारीख की गणना के लिए कई अन्य तरीकों को नियोजित किया जा सकता है जैसे कि अल्ट्रासाउंड स्कैन,

श्रोणि की क्लिनिकल परीक्षा (आपके मासिक धर्म के बारे में सही जानकारी के साथ मूल्यांकन), डॉपलर अल्ट्रासोनोग्राफी (जिसका उपयोग गर्भावस्था के 10 से 12 सप्ताह के बाद किया जा सकता है), मानव कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) गर्भावस्था परीक्षण।

पोस्टटर्म और लेटटर्म प्रेगनेंसी (postterm and lateterm pregnancy) क्या होती है?

गर्भावस्था की औसत अवधि 280 या 40 हफ्ते होती है जिसकी गणना आपके लास्ट मेंसट्रूअल पीरियड (LMP - last mestural period) के पहले दिन से की जाती है।

41 हफ़्तों से लेकर 42 हफ़्तों की गर्भावस्था को लेटटर्म प्रेगनेंसी कहते हैं वहीं 42 हफ़्तों से अधिक अवधि की गर्भावस्था को पोस्टटर्म प्रेगनेंसी कहते हैं।

पोस्टटर्म प्रेगनेंसी (postterm pregnancy) के कारण क्या हैं?

पोस्टटर्म प्रेगनेंसी का मूल कारण अभी अज्ञात है, मगर कुछ कारक पोस्टटर्म प्रेगनेंसी होने की संभावना को बढ़ा सकते हैं।

पोस्टटर्म प्रेगनेंसी की संभावना को बढ़ाने वाले कारक निम्न हैं :

  • अगर यह आपका पहला बच्चा है।
  • अगर आपके गर्भ में मेल फिटस (male fetus) हो।
  • अगर आपकी पहले भी पोस्टटर्म प्रेगनेंसी हुई हो।
  • अगर आपका वजन अधिक है।

पोस्टटर्म प्रेगनेंसी के जोखिम क्या हैं?

आपकी पोस्टटर्म प्रेगनेंसी हो या लेटटर्म प्रेगनेंसी, दोनों ही स्थितियों में माँ और भ्रूण के लिए ख़तरा होता है। हालाँकि, पोस्टटर्म प्रेगनेंसी के जोखिम बेहद कम मामलों में होते हैं, ड्यू डेट के बाद बच्चे को जन्म देने वाली ज्यादातर माँओं को लेबर पेन में कोई जटिलता का सामना नहीं करना पड़ता और वे स्वस्थ शिशु को जन्म देती हैं।

पोस्टटर्म प्रेगनेंसी से जुड़े संभावित ख़तरे निम्न हैं :

  • स्टिलबर्थ (stillbirth)
  • मैक्रोसोमिया (macrosomia)
  • पोस्टमैच्योरिटी सिंड्रोम (postmaturity)
  • भ्रूण के फेफड़ों में मेकोनियम (meconium) होना, जिससे जन्म के बाद शिशु को सांस लेने में गंभीर परेशानी हो सकती है
  • अमनियोटिक द्रव (amniotic fluid) का कम स्तर, जिससे गर्भनाल सिकुड़ सकती है और भ्रूण तक ऑक्सीजन पहुँचने में बाधा आ सकती है

पोस्टटर्म प्रेगनेंसी से जुड़े अन्य जटिलताओं में सहायक वेजाइनल डिलीवरी (assisted vaginal delivery) और सिजेरियन डिलीवरी (cesarean delivery) भी शामिल हैं। इसके अलावा, ड्यू डेट के बाद डिलीवरी होने से इन्फेक्शन और पोस्टपार्टम हैमरेज़ (postpartum hemorrhage) होने का भी ख़तरा होता है।

पोस्टटर्म प्रेगनेंसी की स्थिति में मुझे कब टेस्ट कराना चाहिए?

40 सप्ताह से 41 सप्ताह की गर्भावस्था के लिए परीक्षण की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन 41 सप्ताह में आपके गायेनेकॉलोजिस्ट या ओबस्टेट्रिशियन (obstetrician or gynecologist - ob-gyn) परीक्षण की सिफारिश कर सकते हैं। ये परीक्षण सप्ताह में एक बार या दो बार किए जा सकते हैं। इस दौरान एक ही परीक्षण को दोहराया जा सकता है या अलग परीक्षण भी करने पड़ सकते हैं। कुछ मामलों में, डिलीवरी की सिफारिश भी की जा सकती है।

लेबर इन्डक्शन क्या है?

41 सप्ताह की गर्भावस्था में लेबर इंडक्शन की सिफारिश की जा सकती है। दवाओं या अन्य तरीकों का उपयोग करके इन्डक्शन शुरू किया जाता है।

प्रसव को प्रेरित करने के लिए, आपके गर्भाशय ग्रीवा को नर्म होने की आवश्यकता होती है। इसे सर्विकल राइपिंग कहते हैं। इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए दवाओं या अन्य तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

लेबर इन्डक्शन के जोखिम क्या हैं?

लेबर इन्डक्शन के जोखिमों में भ्रूण की हृदय गति में बदलाव, संक्रमण और गर्भाशय में गंभीर संकुचन शामिल हैं। प्रक्रिया के दौरान आप पर और भ्रूण पर नजर रखी जाएगी।

हालाँकि, लेबर इन्डक्शन के नाकाम होने की संभावना हो सकती है। ऐसे में लेबर इन्डक्शन की प्रकिया को दोहराया जा सकता है। कुछ मामलों में, आपको सहायक वेजाइनल डिलीवरी (assisted vaginal delivery) या सिजेरियन डिलीवरी (cesarean delivery) कराने की आवश्यकता हो सकती है।

ड्यू डेट (due date) या नियत तिथि क्या होती है?

वह तिथि जिस दिन आपके बच्चे के जन्म की संभावना होती है ड्यू डेट या निर्धारित तिथि कहलाती है। इसे एस्टिमेटेड ड्यू डेट यानि इडीडी (EDD -estimated due date) भी कहते हैं।

गर्भावस्था की स्थिति जानने और भ्रूण के विकास की निगरानी करने में इडीडी मददगार है।

ड्यू डेट आपके लास्ट मेंसट्रूअल पीरियड (LMP - last mestural period) के पहले दिन से कैलकुलेट की जाती है।

ड्यू डेट कैसे निर्धारित की जाती है?

ड्यू डेट को निर्धारित करने के लिए अक्सर अल्ट्रासाउंड परीक्षण किया जाता है।

आपकी गायेनेकॉलोजिस्ट या ओबस्टेट्रिशियन (obstetrician or gynecologist - ob-gyn) अल्ट्रासाउंड तिथि का मूल्यांकन करती हैं और उस तिथि की आपके लास्ट मेंसट्रूअल पीरियड (LMP - last mestural period) के पहले दिन से तुलना करती हैं।

मूल्यांकन और तुलना के आधार पर एक तिथि निर्धारित की जाती है। इसके बाद प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले अन्य अल्ट्रासाउंड के बाद भी चुनी गयी तिथि बदली नहीं जाती है।

ड्यू डेट का अनुमान कितने सही होते हैं?

कोई भी विधि 100% निश्चितता के साथ आपके बच्चे की नियत तारीख की भविष्यवाणी नहीं कर सकती है! सभी शिशुओं में से केवल 5% ही वास्तव में अपने जन्म की अनुमानित तारीख पर जन्म लेते हैं।

यह ज्यादातर इसलिए होता है क्योंकि गर्भावस्था 38वें से 42वें सप्ताह की भी हो सकती है, इसलिए शिशु अनुमानित नियत तारीख से 2 सप्ताह पहले और 2 सप्ताह बाद के बीच कभी भी पैदा हो सकते हैं।

ड्यू डेट जानने के अन्य तरीके क्या हैं?

नियत तारीख की गणना के लिए कई अन्य तरीकों को नियोजित किया जा सकता है जैसे कि अल्ट्रासाउंड स्कैन,

श्रोणि की क्लिनिकल परीक्षा (आपके मासिक धर्म के बारे में सही जानकारी के साथ मूल्यांकन), डॉपलर अल्ट्रासोनोग्राफी (जिसका उपयोग गर्भावस्था के 10 से 12 सप्ताह के बाद किया जा सकता है), मानव कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) गर्भावस्था परीक्षण।

पोस्टटर्म और लेटटर्म प्रेगनेंसी (postterm and lateterm pregnancy) क्या होती है?

गर्भावस्था की औसत अवधि 280 या 40 हफ्ते होती है जिसकी गणना आपके लास्ट मेंसट्रूअल पीरियड (LMP - last mestural period) के पहले दिन से की जाती है।

41 हफ़्तों से लेकर 42 हफ़्तों की गर्भावस्था को लेटटर्म प्रेगनेंसी कहते हैं वहीं 42 हफ़्तों से अधिक अवधि की गर्भावस्था को पोस्टटर्म प्रेगनेंसी कहते हैं।

पोस्टटर्म प्रेगनेंसी (postterm pregnancy) के कारण क्या हैं?

पोस्टटर्म प्रेगनेंसी का मूल कारण अभी अज्ञात है, मगर कुछ कारक पोस्टटर्म प्रेगनेंसी होने की संभावना को बढ़ा सकते हैं।

पोस्टटर्म प्रेगनेंसी की संभावना को बढ़ाने वाले कारक निम्न हैं :

  • अगर यह आपका पहला बच्चा है।
  • अगर आपके गर्भ में मेल फिटस (male fetus) हो।
  • अगर आपकी पहले भी पोस्टटर्म प्रेगनेंसी हुई हो।
  • अगर आपका वजन अधिक है।

पोस्टटर्म प्रेगनेंसी के जोखिम क्या हैं?

आपकी पोस्टटर्म प्रेगनेंसी हो या लेटटर्म प्रेगनेंसी, दोनों ही स्थितियों में माँ और भ्रूण के लिए ख़तरा होता है। हालाँकि, पोस्टटर्म प्रेगनेंसी के जोखिम बेहद कम मामलों में होते हैं, ड्यू डेट के बाद बच्चे को जन्म देने वाली ज्यादातर माँओं को लेबर पेन में कोई जटिलता का सामना नहीं करना पड़ता और वे स्वस्थ शिशु को जन्म देती हैं।

पोस्टटर्म प्रेगनेंसी से जुड़े संभावित ख़तरे निम्न हैं :

  • स्टिलबर्थ (stillbirth)
  • मैक्रोसोमिया (macrosomia)
  • पोस्टमैच्योरिटी सिंड्रोम (postmaturity)
  • भ्रूण के फेफड़ों में मेकोनियम (meconium) होना, जिससे जन्म के बाद शिशु को सांस लेने में गंभीर परेशानी हो सकती है
  • अमनियोटिक द्रव (amniotic fluid) का कम स्तर, जिससे गर्भनाल सिकुड़ सकती है और भ्रूण तक ऑक्सीजन पहुँचने में बाधा आ सकती है

पोस्टटर्म प्रेगनेंसी से जुड़े अन्य जटिलताओं में सहायक वेजाइनल डिलीवरी (assisted vaginal delivery) और सिजेरियन डिलीवरी (cesarean delivery) भी शामिल हैं। इसके अलावा, ड्यू डेट के बाद डिलीवरी होने से इन्फेक्शन और पोस्टपार्टम हैमरेज़ (postpartum hemorrhage) होने का भी ख़तरा होता है।

पोस्टटर्म प्रेगनेंसी की स्थिति में मुझे कब टेस्ट कराना चाहिए?

40 सप्ताह से 41 सप्ताह की गर्भावस्था के लिए परीक्षण की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन 41 सप्ताह में आपके गायेनेकॉलोजिस्ट या ओबस्टेट्रिशियन (obstetrician or gynecologist - ob-gyn) परीक्षण की सिफारिश कर सकते हैं। ये परीक्षण सप्ताह में एक बार या दो बार किए जा सकते हैं। इस दौरान एक ही परीक्षण को दोहराया जा सकता है या अलग परीक्षण भी करने पड़ सकते हैं। कुछ मामलों में, डिलीवरी की सिफारिश भी की जा सकती है।

लेबर इन्डक्शन क्या है?

41 सप्ताह की गर्भावस्था में लेबर इंडक्शन की सिफारिश की जा सकती है। दवाओं या अन्य तरीकों का उपयोग करके इन्डक्शन शुरू किया जाता है।

प्रसव को प्रेरित करने के लिए, आपके गर्भाशय ग्रीवा को नर्म होने की आवश्यकता होती है। इसे सर्विकल राइपिंग कहते हैं। इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए दवाओं या अन्य तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

लेबर इन्डक्शन के जोखिम क्या हैं?

लेबर इन्डक्शन के जोखिमों में भ्रूण की हृदय गति में बदलाव, संक्रमण और गर्भाशय में गंभीर संकुचन शामिल हैं। प्रक्रिया के दौरान आप पर और भ्रूण पर नजर रखी जाएगी।

हालाँकि, लेबर इन्डक्शन के नाकाम होने की संभावना हो सकती है। ऐसे में लेबर इन्डक्शन की प्रकिया को दोहराया जा सकता है। कुछ मामलों में, आपको सहायक वेजाइनल डिलीवरी (assisted vaginal delivery) या सिजेरियन डिलीवरी (cesarean delivery) कराने की आवश्यकता हो सकती है।

references

List of ReferencesHide

1 .

KidsHealth."A Week-by-Week Pregnancy Calendar". KidsHealth, Accessed 12 Feb 2020.

2 .

Kenia I. Edwards et al. "Estimated Date of Delivery (EDD)". Treasure Island (FL): StatPearls Publishing; 2020 Jan-, 18 September 2018.

3 .

Mittendorf, Williams MA, et al. "The length of uncomplicated human gestation". Obstet Gynecol. 1990 Jun;75(6):929-32, PMID: 2342739.

4 .

Kenia I. Edwards, et al." Estimated Date of Delivery (EDD)". Treasure Island (FL): StatPearls Publishing; 2020 Jan, PMID: 30725671.

5 .

American Pregnancy Association. "Fetal Development". American Pregnancy Association, 15 October 2019.

6 .

NCBI Bookshelf. "Initial advice to people concerned about delays in conception". NICE Clinical Guidelines, No. 156.National Collaborating Centre for Women’s and Children’s Health (UK). London: Royal College of Obstetricians & Gynaecologists; 2013 Feb, Bookshelf ID: NBK327786 .

7 .

NCBI Bookshelf. "Pregnancy and birth: Ultrasound scans in pregnancy". Cologne, Germany: Institute for Quality and Efficiency in Health Care (IQWiG); 2006, 25 March 2015, Bookshelf ID: NBK343308.

Last updated on: : 08 Sep 2020

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