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भारत में आईवीएफ ट्रीटमेंट से गर्भधारण

भारत में आईवीएफ गर्भधारण से जुड़ी जानकारी। यहाँ जानें, आईवीएफ उपचार से जुड़े फायदे, जोखिम, सावधानियां, डाइट टिप्स, योग व व्यायाम टिप्स आदि।

प्रक्रिया का प्रकार : गर्भधारण के लिए फर्टिलिटी उपचार

फुल फॉर्म : In Vitro Fertilization (IVF)

सफलता दर : 50% - 70%

सर्जरी : मामूली सर्जिकल प्रक्रिया (आधे दिन का समय)

मेडिकल लोन : Zealthy द्वारा 0% इंटरेस्ट ईएमआई लोन

उपचार के अन्य विकल्प : IUI

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भारत में आईवीएफ के बारे में अधिक जानें


आईवीएफ क्या है?

What is IVF/In vitro fertilisation in hindi

IVF/In vitro fertilisation kya hain in hindi

आईवीएफ ट्रीटमेंट यानि इन-विट्रो-फर्टिलाइज़ेशन, गर्भधारण की एक आर्टिफिशयल (artificial) सहायक प्रजनन प्रक्रिया है। आईवीएफ प्रक्रिया एक प्रकार का फर्टिलिटी ट्रीटमेंट है।

जिन दम्पत्तियों को प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण करने में समस्या आती है उनके लिए आईवीएफ यानि टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया से गर्भधारण सबसे कारगर उपाय है। इसके अलावा ये सिंगल मदर, सिंगल फ़ादर या समलैंगिक जोड़ों (जिन्हें बच्चे की चाह है) के लिए भी सहायक है।

आईवीएफ उपचार के दौरान परिपक्व अंडे (एग), ओवरी से एकत्र किए जाते हैं। इसके बाद प्रयोगशाला में फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया के लिए अंडे और शुक्राणु (स्पर्म) को एक साथ रख दिया जाता है।

फिर फर्टिलाइज्ड अंडे यानि भ्रूण (embryo) को गर्भाशय में गर्भधारण के लिए ट्रांसप्लांट किया जाता है। आईवीएफ के उपचार के दौरान प्रक्रिया का चक्र पूरा होने में तीन सप्ताह लगते हैं। कुछ मामलों में आईवीएफ के एक चक्र में अधिक समय भी लग सकता है।

आईवीएफ उपचार असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (assisted reproductive technology-ART) का सबसे प्रभावी रूप है। आईवीएफ तकनीक की मदद से कपल अपने ख़ुद के एग और स्पर्म के जरिये बच्चे को जन्म दे सकते हैं।

इसके अलावा आईवीएफ की प्रक्रिया में डोनर के एग, स्पर्म या एम्ब्र्यो की मदद से भी गर्भधारण किया जा सकता है। कुछ मामलों में, एक गर्भावधि वाहक यानि सरोगेट मदर (surrogate mother) भी आईवीएफ उपचार में सहायक होती है।

आईवीएफ की ज़रूरत किन परिस्थितियों में पड़ती है?

In what conditions ivf is needed in hindi

kin dampattiyon ko hoti hai ivf ki jaroorat in hindi

आईवीएफ ट्रीटमेंट की जरूरत उन कपल्स को होती है जो बहुत प्रयासों के बाद भी सामान्य तरीके से संतान को जन्म नहीं दे पा रहे हों। इसके साथ-साथ जब सामान्य उपचार कारगर ना हो तब आईवीएफ ट्रीटमेंट लेने की सलाह दी जाती है। आईवीएफ उपचार की जरूरत कई परिस्थितियों में पड़ती है।

आईवीएफ की जरूरत निम्न परिस्थितियों में पड़ती है :

1. फैलोपियन ट्यूब डैमेज या ब्लॉकेज (Fallopian tube damage or blockage)

फैलोपियन ट्यूब डैमेज या ब्लॉकेज होने के कारण अंडे का फर्टिलाइज होना या भ्रूण का गर्भाशय में सर्वाइव (survive) करना मुश्किल हो जाता है। जिसके कारण गर्भधारण संभव नहीं हो पाता है और ऐसी परिस्थिति में आईवीएफ उपचार की जरूरत पड़ती है।

2. ओवुलेशन विकार (Ovulation disorders)

अगर एक महिला का ओव्यूलेशन समय पर नहीं होता है या फिर अस्थिर रहता है तो अंडे की संख्या में कमी आ जाती है।

ओवुलेशन विकार में शामिल है - एनोव्यूलेशन (anovulation) और पॉलीसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम (polycystic ovarian syndrome) आदि!

इन परिस्थितियों में ओव्यूलेशन प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है और प्रेग्नेंट होना मुश्किल हो जाता है, ऐसे में आईवीएफ उपचार काफी मददगार साबित होता है।

3. एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis)

एंडोमेट्रियोसिस एक मेडिकल कंडीशन है जब यूटेरस की लाइनिंग जिसे एंडोमेट्रियम कहा जाता है, असामान्य तरीके से दूसरे अंगों की तरफ बढ़ने लगती है जैसे फैलोपियन ट्यूब्स (fallopian tubes), ओवरी, पेलविस आदि।

एंडोमेट्रियोसिस के कारण गर्भधारण में बाधा आती है, ऐसी परिस्थिति में बांझपन के उपचार के लिए आईवीएफ की तकनीक का सहारा लेना मददगार हो सकता है।

4. गर्भाशय फाइब्रॉयड (Uterine fibroids)

यूटेरियन फाइब्रॉयड, 30 से 40 की उम्र में महिलाओं में उत्पन्न होने वाली ऐसी स्थिति है जब उनका गर्भाशय असामान्य रूप से बढ़ने लगता है।

आमतौर पर इस स्थिति में कैंसर नहीं होता है, मगर फाइब्रॉयड, निषेचित अंडे (fertilized egg) के आरोपण में हस्तक्षेप कर सकता है, जिससे इंफर्टिलिटी की समस्या होती है।

इस कारण से बांझपन का सामना कर रहीं महिलाओं के लिए आईवीएफ एक बेहतर विकल्प है।

5. प्रीवियस ट्युबल स्टरलाइजेशन या निष्कासन (Previous tubal sterilization or removal)

ट्यूबल लिगेशन (tubal ligation) या महिला नसबंदी, एक प्रकार की नसबंदी है, जिसमें गर्भधारण की प्रक्रिया को रोकने के लिए फैलोपियन ट्यूब को काट दिया जाता है या अवरुद्ध कर दिया जाता है।

ऐसी स्थिति में गर्भधारण के लिए आपके पास आईवीएफ ट्यूबल लिगेशन रिवर्सल का विकल्प होता है या आप आईवीएफ का सहारा ले सकती हैं।

6. खराब शुक्राणु उत्पादन या कार्य (Impaired sperm production or function)

बिलो एवरेज स्पर्म कंसन्ट्रेशन (Below-average sperm concentration), शुक्राणु की संख्या कम होना, शुक्राणु की खराब गतिशीलता (weak movement of sperm) या शुक्राणु के आकार व आकृति में विकार शुक्राणु और अंडे के फर्टिलाइज़ेशन को मुश्किल बना सकता है।

इसके कारण बांझपन की समस्या उत्पन्न हो सकती है, ऐसे में आईवीएफ का विकल्प मददगार है।

7. अस्पष्टीकृत इंफर्टिलिटी (Unexplained infertility)

अनएक्सप्लेंड इंफर्टिलिटी यानि बांझपन के कारण का पता नहीं चल पाना। इस स्थिति में कपल आईवीएफ उपचार का विकल्प चुन सकते हैं।

8. जेनेटिक डिसीज/प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक स्क्रीनिंग या डायग्नोसिस - पीजीएस या पीजीडी (Genetic disease / preimplantation genetic screening or diagnosis - PGS or PGD)

यदि आपको या आपके साथी के कारण आपके बच्चे के आनुवंशिक विकार से गुजरने का ख़तरा है तो आप प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग (preimplantation genetic testing) के उम्मीदवार हो सकते हैं। इस प्रक्रिया में आईवीएफ शामिल होता है।

अंडे के फर्टिलाइज्ड होने के बाद उसमें कुछ आनुवंशिक समस्याओं की जांच की जाती है। जिस भ्रूण में आनुवंशिक समस्याएँ नहीं होती, उन्हें गर्भाशय में स्थानांतरित किया जा सकता है। हालांकि, इससे सभी आनुवंशिक समस्याओं को नहीं खोजा जा सकता है।

9. कैंसर या अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के लिए प्रजनन संरक्षण (Fertility preservation for cancer or other health conditions)

यदि आप कैंसर उपचार शुरू करने वाले हैं - जैसे कि रेडिएशन या कीमोथेरेपी - जो आपकी प्रजनन क्षमता को नुकसान पहुंचा सकती है, तो प्रजनन संरक्षण के लिए आईवीएफ एक विकल्प हो सकता है। महिलाओं के गर्भाश्या से हार्वेस्ट अंडों को फ्रीज किया जाता है। इन फ्रीज्ड एग्स को भविष्य में फर्टिलाइजेशन के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

10. सरोगेसी (Surrogacy)

जिन महिलाओं के पास एक फंक्शनल यूट्रेस (functional uterus) नहीं होता है यानि यूट्रेस अपना काम नहीं सही तरह से नहीं कर पाता है या जिन्हें गर्भावस्था में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं।

कहने का मतलब यह है कि वह माँ नहीं बन सकती हैं, वह किसी अन्य महिला को आईवीएफ के लिए चुन सकती हैं। इसे "किराए की कोख" या सरोगेसी के नाम से भी जाना जाता है।

इस मामले में महिला के अंडों को शुक्राणु के साथ निषेचित किया जाता है, लेकिन परिणामस्वरूप भ्रूण को गर्भकालीन वाहक यानि सेरोगेट मदर के गर्भाशय में रखा जाता है।

आईवीएफ ट्रीटमेंट की प्रक्रिया से पहले किए जाने वाले टेस्ट या जांच क्या बताते हैं?

What do the diagnosis or tests before ivf treatment say about your fertility conditions? in hindi

IVF treatment se pahle test ya janch kya batata hai in hindi

आईवीएफ ट्रीटमेंट से पहले महिला और पुरुष दोनों की अलग-अलग जांच की जाती है और कई तरह के टेस्ट करवाए जाते हैं।

बांझपन का निदान करने के लिए किए गए परीक्षणों को आमतौर पर प्री-स्क्रीनिंग परीक्षणों के रूप में जाना जाता है।

इन परीक्षणों के परिणामों से डॉक्टर निम्न पांच स्थितियों का निदान कर सकते हैं:

  • क्या किसी तरह का संक्रमण (infections) , आनुवंशिक (genetic) या ऑटोइम्यून समस्या (autoimmune) हैं?
  • क्या आप ओव्युलेट कर रही हैं?
  • क्या आपके फैलोपियन ट्यूब्स (fallopian tubes) सामान्य अवस्था में है या सही तरह से काम कर रहें हैं?
  • क्या आपका गर्भाशय आरोपण के लिए तैयार है?
  • क्या शुक्राणु संख्या और फंक्शन सामान्य हैं?

आपकी शारीरिक समस्या के बारे में पता चल जाने के बाद उसके आधार पर उपचार की योजना बनाई जाती है।

अनुशंसित दृष्टिकोण (recommended approach) आपकी उम्र, डायग्नोसिस, बांझपन की अवधि, पिछले उपचार और आपकी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं पर निर्भर करेगा।

वैसे तो सभी मरीज़ों को सभी डायग्नोस्टिक टेस्ट (diagnostic test) की आवश्यकता नहीं होती है, मगर एक आइडियल ट्रीटमेंट प्लान को निर्धारित करने और गर्भावस्था के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने में, एक संपूर्ण नैदानिक ​​मूल्यांकन (thorough diagnostic evaluation) महत्वपूर्ण होता है।

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भारत में टेस्ट ट्यूब बेबी (आईवीएफ) का खर्च

भारत में टेस्ट ट्यूब बेबी (आईवीएफ) के खर्च की पूरी जानकारी व प्रभावित करने वाले कारक। IVF ट्रीटमेंट की लागत का करें आकलन और पाएं उपचार का उचित मूल्य।

आईवीएफ उपचार का भारत में खर्च

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70,0002,00,000

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भारत में आईवीएफ उपचार व गर्भावस्था से जुड़े सवाल

क्या टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया दर्दनाक है? आईवीएफ उपचार में क्या होता है? आईवीएफ ट्रीटमेंट से गर्भधारण व आईवीएफ गर्भावस्था की पूरी प्रक्रिया से जुड़े सवाल व जवाब

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आईवीएफ़ क्या है और इसकी प्रक्रिया कैसे होती है ?

आईवीएफ़ गर्भधारण के लिए की जाने एक मेडिकल और सर्जिकल प्रकिया है जिसके तहत कृत्रिम तरीके से एग, स्पर्म के साथ फर्टिलाइज होते हैं। इसके बाद फर्टिलाइज्ड एग यानि एम्ब्र्यो को महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है ताकि वह विकास कर सके और शिशु का रूप ले सके।

क्या IVF में गर्भावस्था की संभावना उम्र पर निर्भर करती है ?

आईवीएफ़ साइकल में उम्र सबसे महत्वपूर्ण कारक है। आईवीएफ़ प्रक्रिया से गर्भधारण की संभावना 35 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में अधिक होती है। वहीं 35 वर्ष से अधिक उम्र के बाद गर्भधारण की संभावना बेहद कम होती चली जाती है।

क्या सिंगल एम्ब्र्यो ट्रांसफर से प्रेगनेंसी की संभावना अधिक होती है ?

जहां सिंगल-एम्ब्र्यो ट्रांसफर में गर्भधारण की संभावना 28% होती है वहीं डबल-एम्ब्र्यो ट्रांसफर में गर्भधारण की संभावना 48% होती है।

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