थाइराइड क्या है - थायराइड के लक्षण, कारण, इलाज और घरेलू उपचार
Causes, symptoms, treatments and home remedies of thyroid in hindi
thyroid ke lakshan in hindi, thyroid treatment in hindi aur thyroid kya hai
Introduction

आजकल थायराइड (thyroid in hindi) से जुड़ी समस्या लोगों के बीच बहुत आम हो गयी है।
हमारे देश भारत में इस समस्या ने अपने पांव पसार लिए हैं और सिर्फ भारत में लगभग 4 करोड़ लोग इससे ग्रसित हैं, जो परेशानी की वजह है।
थायराइड (thyroid meaning in hindi) एक छोटी, तितली के आकार की ग्लैंड होती है, जो गर्दन में बिल्कुल सामने की तरफ स्थित होती है।
एक स्वस्थ थायराइड आमतौर पर एक औंस के बराबर होती है। थायराइड का कार्य थायराइड हार्मोन का उत्पादन करना है, जो आपके शरीर के सभी कार्यों के लिए आवश्यक है।
आपके शरीर में सब कुछ थायराइड हार्मोन (thyroid hormone) पर निर्भर करता है - जिसमें पाचन, आपके बालों और नाखूनों की वृद्धि, आपकी सेक्स ड्राइव और आपके अंगों और ग्रंथियों का कार्य शामिल है।
थायराइड जिन दो प्रमुख हार्मोन को रिलीज़ करता है, वो है थायरोक्सिन (thyroxine) जिसे T4 के रूप में जाना जाता है और ट्राईआयोडोथायरोनिन (triiodothyronine) जिसे T3 के रूप में जाना जाता है।
इन हार्मोन का हमारी हृदय गति, सांस, शरीर के तापमान और पाचन तंत्र पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
ये हार्मोन मांसपेशियों, हड्डियों और कोलेस्ट्रॉल को भी कंट्रोल करते हैं। जब ये हार्मोन असंतुलित होने लगते हैं तो वज़न बढ़ने या घटने लगता है जिससे थायराइड की समस्या उत्पन्न होने लगती है।
पुरुषों की तुलना में महिलाओं को थाइराइड की समस्या ज़्यादा होती है और वो भी 60 से अधिक उम्र की महिलाओं को थायराइड होने की आशंका अधिक होती है।
इसके अलावा अगर आपके परिवार में पहले ये समस्या रही हो तो इससे भी सदस्यों में होने की संभावना बढ़ जाती है।
ऐसे में हम आपको इस लेख की मदद से ये जानकारी देने जा रहे हैं कि आखिर थाइरोइड क्या है, थाइरोइड कैसे होता है और क्या थाइराइड का इलाज संभव है।
इस लेख़ में
थायराइड के प्रकार कितने हैं?
Types of thyroid in hindi
Thyroid ke prakar, thyroid kaise hota hai in hindi
मुख्य तौर पर थाइराइड के 6 प्रकार होते हैं, जो इस प्रकार हैं:
1. हाइपोथायरॉइडज्म (Hypothyroidism in hindi)
इस स्थिति में थायराइड ग्लैंड आवश्यकता से कम मात्रा में हार्मोंस बनाने लगती है।
2. हाइपरथायरॉइडज्म (Hyperthyroidism)
हाइपरथायरॉइडज्म तब होता है, जब थायराइड ग्लैंड आवश्यकता से अधिक हार्मोंस रिलीज़ करती है।
3. गॉइटर (Goiter)
जब थाइराइड ग्लैंड की असामान्य रूप से वृद्धि होने लगती है तो उससे गॉइटर जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
4. थायराइडिटिस (Thyroiditis)
थायराइडाइटिस एक सामान्य शब्द है जो "थायरॉयड ग्रंथि की सूजन" को संदर्भित करता है।
5. थायराइड नोड्यूल (Thyroid nodules)
इस प्रकार का थायराइड होने पर थायराइड ग्लैंड में गांठ बनने लगती है।
6. थायराइड कैंसर (Thyroid cancer)
एक प्रकार का कैंसर है जो थायरॉयड ग्रंथि में शुरू होता है।
कैंसर तब शुरू होता है जब कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर होने लगती हैं।
थायराइड के लक्षण क्या हैं?
What are the symptoms of thyroid in hindi
Thyroid ke lakshan
ऐसा देखा जाता है कि अधिकांश लोग शुरुआत में थाइराइड के लक्षण (thyroid ke lakshan in hindi) को समझ नहीं पाते हैं और इसे अनदेखा कर देते हैं।
हालांकि, अगर हम इस ओर ध्यान नहीं देते हैं तो हाइपरथाइरॉइड या हाइपोथाइरॉइड जैसी समस्या तक हो सकती है।
ऐसे में लक्षणों (thyroid symptoms in hindi) को समझकर हमे इस ओर जल्द-से-जल्द ध्यान देने की आवश्यकता है।
थाइराइड के लक्षण निम्नलिखित हैं : -
- कब्ज़ की समस्या
- थकावट का अनुभव करना
- महिलाओं में पीरियड का असामान्य होना
- तनाव
- ब्लड प्रेशर बढ़ना
- हृदय गति कम हो जाना
- जॉइंट्स में दर्द या सूजन होना
- वज़न का अचानक बढ़ना या कम हो जाना
- यादाश्त में कमी आना
- स्किन का ड्राई हो जाना
- समय से बालों का सफ़ेद पड़ना
- बालों का अत्यधिक झड़ना
- भूख में कमी आना
अगर आपको उपयुक्त लक्षणों में किसी का भी अनुभव हो तो डॉक्टर से ज़रूर मिले और सही उपचार की ओर रुख करें।
थायराइड होने के कारण और जोखिम कारक
What are the causes of thyroid and its risk factors in hindi
Thyroid ke karan or jokhim karak (thyroid bimari)
हाइपरथायरायडिज़्म के मामले में, थायराइड, थायराइड हार्मोन को ओवरप्रोड्यूस करता है।
ये थायराइड में सूजन के कारण हो सकता है, जिसे सबस्यूट थायरॉइडाइटिस (subacute thyroiditis) कहा जाता है, जो थायराइड को अतिरिक्त हार्मोन बनाने का कारण बनता है।
हाइपरथायरायडिज़्म भी विषाक्त ग्रंथियों के रूप में जाना जाने वाले नोड्यूल्स (nodules) के कारण हो सकता है, जो ग्रंथि (gland) पर विकसित होते हैं और थायराइड द्वारा उत्पादित हार्मोन के अलावा हार्मोन को स्रावित करना शुरू करते हैं।
दुर्लभ मामलों में, हाइपरथायरायडिज़्म पिट्यूटरी ग्लैंड (pituary gland) की शिथिलता या थायरॉयड पर कैंसर की वृद्धि के कारण हो सकता है, जो हार्मोनल संतुलन और टी 3 और टी 4 के उत्पादन को बाधित कर सकता है।
ऑटोइम्यून विकार (autoimmune disorder), जैसे कि ग्रेव्स रोग (Graves' disease) भी हाइपरथायरायडिज़्म का कारण बन सकता है।
हाइपोथायरायडिज़्म और इससे जुड़ी बीमारियों के लिए, थायराइड पर्याप्त मात्रा में थायराइड हार्मोन का उत्पादन नहीं करता है, जिसके परिणामस्वरूप ऊर्जा की कमी होती है।
ऑटोइम्यून डिसऑर्डर के कारण हाइपोथायरायडिज़्म होता है, जैसे हाशिमोटो का रोग (Hashimoto’s disease)।
ये एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर थायराइड को प्रभावित करता है और इसके कारण कम थायराइड हार्मोन का उत्पादन होता है।
हाइपोथायरायडिज़्म सिर और गर्दन में कैंसर का इलाज करने के लिए उपयोग की जाने वाली रेडिएशन थेरेपी (radiation therapy) का एक साइड इफेक्ट भी हो सकता है।
गर्भावस्था भी हाइपोथायरायडिज़्म का कारण बन सकती है, साथ ही एक जन्मजात दोष (congenital defect),जिसमें थायराइड ठीक से विकसित नहीं होता है।
इन उपयुक्त कारणों के अलावा कई ऐसे जोखिम कारक भी होते हैं जो थाइराइड का कारण बन सकते हैं।
थाइराइड से जुड़े जोखिम कारक इस प्रकार हैं : -
- अनुवांशिक
- अगर उम्र 30 साल से अधिक हो
- टाइप-2 डायबिटीज़ हो
- अगर पूर्व में थाइराइड हुआ हो
- बाँझपन
- गर्भपात
- प्री-मैच्योर डिलीवरी
- जंक फूड का अधिक सेवन करना
- वज़न में वृद्धि
- महिलाओं में थाइराइड होने का ख़तरा अधिक होता है
अगर आप में उपयुक्त में ऐसी कोई भी स्थिति है जो आपको थायराइड रोग के लिए उच्च जोखिम में डालती है, तो आपको अपने थायराइड की समय-समय पर डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए।
थायराइड का इलाज क्या है?
What are the treatments of thyroid in hindi
Thyroid ka ilaj, thyroid ki dawa, thyroid treatment in homeopathy
थायराइड का इलाज (thyroid ka ilaj) मरीज़ की स्थिति पर निर्भर करने के साथ-साथ कई और चीज़ों पर भी निर्भर करती है।
जैसे कि थायराइड से पीड़ित मरीज़ की उम्र कितनी है, थायराइड के मरीज़ की मेडिकल कंडीशन कैसे है और साथ ही थायराइड ग्लैंड कितने हार्मोन का निर्माण कर रही है।
अब हम आपको ऊपर पहले बताए गए थायराइड के प्रकार के आधार पर उपचार (thyroid treatments in hindi) के बारे में बताने जा रहे हैं।
थायराइड के प्रकार के आधार पर थायराइड का इलाज निम्न लिखित हैं : -
1. हाइपरथायराइड
आपके डॉक्टर इस रोग के लक्षणों को जानकर और कारणों को समझने के आधार पर हाइपरथायराइड का उपचार कर सकते हैं।
हाइपरथायराइड का इलाज डॉक्टर निम्नलिखित प्रकार कर सकते हैं:।
2. एंटीथायराइड
डॉक्टर एंटीथायराइड दवा प्रेस्क्राइब कर सकते हैं।
इस दवा के सेवन से थायराइड ग्लैंड नए हार्मोन बनाना बंद कर सकती है।
3. बीटा-ब्लॉकर दवा
इस दवा के स्वेन से शरीर में थायराइड हार्मोन का प्रभाव पड़ना बंद हो सकता है।
इतना ही नहीं इस दवा की मदद से ह्रदय गति को भी नियंत्रित किया जा सकता है।
इस दवा की अच्छी बात ये है कि इसके सेवन से आवश्यक थायराइड हार्मोन के निर्माण में किसी तरह की कमी या रूकावट नहीं नहीं आती।
4. रेडियोआयोडीन
ये उपचार थायराइड हार्मोंस का निर्माण करने वाले थायराइड सेल को ख़त्म करने में मदद कर सकता है।
हालांकि हाइपोथायराइड की वजह बन सकता है।
5. सर्जरी
सर्जरी आवश्यकता उस स्थिति में पड़ती है जब मरीज़ को सांस लेने में तकलीफ़ महसूस होने लगे या फिर कुछ निगलने में परेशानी होने लगे।
सर्जरी के दौरान में थायराइड के कुछ या पूरे हिस्से को निकाला जा सकता है।
6. हाइपोथायराइड
इस तरह के थायराइड का इलाज दवा से किया जा सकता है।
दवा (थायराइड की दवा)लेने से आवश्यक हार्मोन्स शरीर को मिलने लगते हैं।
डॉक्टर सिंथेटिक थायराइड हार्मोन टी-4 प्रेस्क्राइब करते हैं, जिससे शरीर में हार्मोन बनने शुरू हो सकते हैं।
जो मरीज़ हाइपोथायराइड से पीड़ित होते हैं उन्हें ये दवा जीवन भर लेनी पड़ सकती है।
7. गॉइटर
अगर आप इस प्रकार के थायराइड से ग्रसित हैं और इसके बावजूद थायराइड ग्लैंड सही तरह से फंक्शन कर रही है, तो इसमें आपको किसी तरह के इलाज की आवश्यकता नहीं हो सकती है।
समय के साथ ये अपने आप ठीक होने लग सकता है।
अगर दवा की ज़रूरत पड़ती भी है तो डॉक्टर ऐसे दवा प्रेस्क्राइब करते हैं जिससे थायराइड खुद-बी-खुद श्रिंक होकर सामान्य आकार में आ जाता है।
अगर गॉइटर की स्थिति बहुत गंभीर होती है तब ही सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है।
8. थायराइडिटिस
एक रिपोर्ट के अनुसार नियमित रूप से 20 मिलीग्राम प्रेडनिसोलोन (prednisolone-एक स्टेरॉयड दवा) का सेवन करने से थायराइडिटिस का प्रभाव कुछ हद तक कम हो सकता है।
9. थायराइड नोड्यूल
इसका प्रकार के थायराइड का इलाज मरीज़ की ग्लैंड की स्थिति की प्रकार पर निर्भर करता है।
यह इलाज इस प्रकार से किया जा सकता है :।
- अगर ग्लैंड कैंसर का रूप ले लेता है, तो डॉक्टर इस स्थिति में मरीज़ की कंडीशन को मॉनिटर करेंगे।
इसके लिए मरीज़ की नियमित रूप से जांच और साथ ही थायराइड अल्ट्रासाउंड टेस्ट और ब्लड टेस्ट किए जा सकते हैं।
अगर ग्लैंड में किसी भी तरह का बदलाव नहीं दिखता है, तो हो सकता है कि उपचार की ओर रूख न किया जाए। - अगर ग्लैंड के आकार में वृद्धि होने लगती है या कैंसर का रूप लेने लगता है, तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह दे सकते हैं।
दरअसल ग्रंथि के आकार में वृद्धि होने से खाने के निगलने में समस्या आ सकती है या फिर सांस लेने में परेशानी हो सकती है। - अगर ग्लैंड आवश्यकता से अधिक हार्मोन बनाने लगती है, तो रेडियोआयोडीन की मदद ली जा सकती है।
रेडियोआयोडीन ग्लैंड को सिकोड़ने में मदद कर सकता है जिससे थायराइड हार्मोन के निर्माण में कमी आ सकती।
10. थायराइड कैंसर
अगर मरीज़ थायराइड कैंसर से पीड़ित होता है तो ऐसी स्थिति में सर्जरी की ही मदद ली जा सकती है।
सर्जरी की मदद से थायराइड ग्लैंड को पूरी तरह से निकाल लिया जा सकता है या फिर जितने हिस्से में कैंसर रहता है उतने ही हिस्से को निकाला जा सकता है।
थायराइड के घरेलू उपाय क्या हैं?
What are the home remedies of thyroid in hindi
Thyroid ke gharelu upchar
घरेलू उपायों से मरीज़ों को फायदा होगा या नहीं ये थायराइड से पीड़ित (थायराइड बीमारी) मरीज़ की शारीरिक क्षमता और थायराइड की स्थिति पर निर्भर करता है।
ऐसे में कुछ उपायों लोगों पर हो सकता है और कुछ पर नहीं भी हो सकता है।
हालांकि इन नुस्खों को आज़माने से पूर्व से डॉक्टर से बात ज़रूर कर लें।
थायराइड के घरेलू उपचार निम्नलिखित हो सकते हैं :-
1. थाइराइड बीमारी के लिए करें गुग्गुल का इस्तेमाल
- गुग्गुल में मौजूद गुग्गुलुस्टेरोन एंटी-इन्फ्लेमेटरी और कोलेस्ट्रॉल को कम करने के साथ-साथ थाइराइड हार्मोन के फंक्शन को सामान्य करने में मदद करता है।
- एक शोध, जो जानवरों पर किया गया था उसमें पाया गया है कि गुग्गुल के इस्तेमाल से हायपोथायरॉडिज्म की स्थिति में में सुधार हो सकता है।
थाइराइड बीमारी के लिए कैसे करें गुग्गुल का इस्तेमाल
- इसके लिए 25 एमजी का गुग्गुल की खुराक लें और नियमित रूप से इसका सेवन करें।
- ध्यान रखें - इसे लेने से पूर्व डॉक्टर की राय ज़रूर लें।
3. थाइराइड बीमारी के लिए करें अश्वगंधा का इस्तेमाल
- अश्वगंधा आपके एंडोक्राइन सिस्टम को उत्तेजित करने में मदद करता है, कोर्टिसोल को कम करके थायराइड हार्मोन के स्तर को बढ़ाता है।
- वहीं एक शोध के मुताबिक अश्वगंधा हाइपोथायराइड से ग्रसित मरीज़ों के इलाज में भी सहायक साबित हो सकता है।
थाइराइड बीमारी के लिए कैसे करें अश्वगंधा का इस्तेमाल
- इसके लिए आपको 500 एमजी के अश्वगंधा के कैप्सूल
- आप प्रतिदिन एक या दो कैप्सूल खा सकते हैं
- ध्यान रखें - इसके सेवन और डोज़ संबंध में डॉक्टर से बात ज़रूर कर लें।
5. थाइराइड बीमारी के लिए करें रोज़मेरी एसेंशियल ऑयल का इस्तेमाल
- रोजमेरी में मौजूद रोजमेरिक एसिड हायपरथायरॉडिज्म के लिए फायदेमंद हो सकता है।
- इसका असर थाइराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन पर होता है जिससे थाइराइड की समस्या से राहत मिल सकती है।
थाइराइड बीमारी के लिए कैसे करें रोज़मेरी एसेंशियल ऑयल का इस्तेमाल
- इसके लिए सबसे पहले रोज़मेरी एसेंशियल ऑयल की 2-3 बूँदें लें और एक चमच्च नारियल तेल लें
- फिर इन दोनों तेल को अच्छे से मिलाकर थायराइड के एक्यूप्रेशर की जगह पर लगाएँ और दो-तीन मिनट तक मसाज करें
- अगर थायराइड की वजह से बाल गिर रहे हैं तो रोज़मेरी ऑयल से सर पर मसाज भी कर सकते हैं।
थायराइड चार्ट
Thyroid chart in hindi
Thyroid diet chart in hindi
आपको थायराइड की समस्या है या नहीं इसका का पता लगाने के लिए थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) के लेवल की जांच की जाती है।
आइए जानते हैं थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) के स्तर के बारे में:
- अगर टीएसएच (TSH) का स्तर 0.45 से – 5.0 mIU/L के बीच होता है तो इसे सामान्य माना जाता है।
- अगर टीएसएच का स्तर सामान्य से अधिक होता है, तो ये कम हार्मोंस के निर्माण की ओर इंगित करता है, जिसे हाइपोथायरॉइडज़्म कहते हैं।
- जब टीएसएच का स्तर सामान्य से कम हो जाता है, तो ये ज़रूरत से अधिक हार्मोंस के निर्माण की ओर इंगित करता है, जिसे हाइपरथायरॉइडज़्म कहा जाता है।
थायराइड में क्या खाएं, क्या न खाएं
Diet for thyroid in hindi
Thyroid mein kya khana chahiye or kya nahi (थाइराइड का इलाज)
खान-पान में सुधार करने से कई बिमारियों पर कुछ हद तक आप नियंत्रण पा सकते हैं।
ऐसे में थायराइड का इलाज कराने के साथ-साथ अगर आप खान-पान में भी बदलाव करें तो आपको फायदा मिल सकता है।
इसलिए अब हम आपको बताने जा रहे हैं कि थायराइड होने पर आपको अपने डाइट में किन खाद्य-पदार्थों को शामिल करना चाहिए और किन चीज़ों के सेवन से बचना चाहिए।
थायराइड होने पर निम्नलिखित चीज़ों का सेवन करना चाहिए:
- पोषक तत्व से भरपूर फलों, हरी सब्जियों या फिर फलों के जूस का सेवन करना चाहिए।
- नट्स खाना भी अच्छा होता है।
- खाना पकाने के लिए वर्जिन कोकोनट ऑयल या ओलिव ऑयल का इस्तेमाल करें।
- बीन्स और मछली के माध्यम से प्रोटीन का सेवन करे।
थायराइड होने पर निम्नलिखित चीज़ों के सेवन से बचना चाहिए:
- कार्बोहाइड्रेट रिच डाइट से बचना चाहिए या सीमित या कम मात्रा में सेवन करें।
- चीज़ के प्रोडक्ट और मीट से मिलने वाले सैचुरेटेड फैट न खाएं।
- जिन लोगों को लैक्टोज इनटॉलेरेंस से जुड़ी समस्या हो उन्हें दूध का सेवन नहीं करना चाहिए।
- जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक का भी सेवन नहीं करना चाहिए।
थायराइड से बचाव
Thyroid prevention tips in hindi
Thyroid se bachav
आपके थायराइड रोग के प्रकार के आधार पर, शारीरिक लक्षण अचानक वज़न बढ़ने या घटने, कब्ज़, थकान, पसीना आना, अनियमित दिल की धड़कन, उच्च या निम्न तापमान के प्रति संवेदनशीलता, शुष्क त्वचा, बालों का झड़ना, और मिस्ड या अनियमित पीरियड तक हो सकते हैं।
हालांकि कुछ चीज़ों में बदलाव करके हम इससे अपना बचाव कर सकते हैं।
थायराइड से बचाव के तरीके:
- नियमित रूप से व्यायाम को जीवनशैली का हिस्सा बनाये और दिन में औसतन 30 मिनट तक व्यायाम करें।
- आयोडीन से समृद्ध नमक खाए।
- समय-समय पर वज़न चेक करते रहें।
- धूम्रपान न करें और अल्कोहल का सेवन भी करने से बचे।
- ज़्यादा ऑयली चीज़ों के सेवन से बचे।
- पांच साल में एक बार थायराइड की जाँच ज़रुर कराए।
अगर शुरूआत से ही हम अपनी दिनचर्या को नियमित बनाकर रखें और संतुलित आहार का पालन करें तो थायराइड क्या, किसी तरह की बीमारी हमें परेशान नहीं कर सकती है।
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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 28 Sep 2020
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