तनाव के कारण, लक्षण, प्रकार, बचाव और उपचार

Stress in hindi

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Introduction

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तनाव हमारे जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने की क्षमता रखता है। यह शारीरिक स्थिति, जैसे सिरदर्द, पाचन संबंधी समस्याएं और नींद में गड़बड़ी पैदा कर सकता है।यह मनोवैज्ञानिक (psychological) और भावनात्मक तनाव (emotional strain) भी पैदा कर सकता है, जिसमें भ्रम, चिंता और अवसाद शामिल हैं।

आप अपने आसपास के वातावरण, अपने शरीर की क्रियाओं से और अपने विचारों से तनाव का अनुभव कर सकते हैं। हर किसी के मन में कई तरह के विचार और चिंताएं चलती रहती हैं।

कुछ चिंताएं ऐसी भी होती हैं जो हर किसी के साथ बांटी भी नहीं जा सकती हैं। ये चिंताएं परिवार को लेकर, आर्थिक तंगी को लेकर, स्वास्थ्य को लेकर या आपसी संबंधों को लेकर भी हो सकती हैं।

चिंता होना स्वाभाविक हैं मगर जब ये चिंताएं ज्यादा बढ़ जाती है तो तनाव का रूप ले लेती हैं। आज के समय में तनाव मानव जीवन का सामान्य हिस्सा बन गया है। लेकिन बहुत दिनों तक तनाव में रहने से आपके शरीर को बहुत नुकसान पँहुच सकता है। तनाव मानसिक विकारों को भी जन्म देता है।

अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन (American Psychological Association) के अनुसार अधिक दिनों तक तनाव में रहने से उच्च रक्तचाप के संभावना बढ़ जाती है और साथ ही प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) कमजोर हो जाता है।

अगर विज्ञान की भाषा में बात करें तो ‘तनाव (stress)' किसी भी बदलाव के साथ सामंजस्य (adjustment) बिठाने के लिए शरीर द्वारा की गई एक प्राकृतिक प्रतिक्रिया है।हम इस लेख के माध्यम से आपको तनाव के प्रकार, तनाव के कारण और इससे शारीरिक लक्षणों मे हो रहे बदलाव को भी समझेंगे

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इस लेख़ में

 

तनाव क्या है और तनाव से शरीर पर क्या असर पड़ता हैं ?

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तनाव एक ऐसी स्थिति है जो एक विशेष जैविक प्रतिक्रिया को ट्रिगर करती है। जब आप एक खतरे या एक बड़ी चुनौती का अनुभव करते हैं, तो रसायन और हार्मोन आपके पूरे शरीर में बढ़ने लगते हैं।

जब हमें एक चुनौती का सामना करना पड़ता है, तो शरीर अपने आप उन चुनौतियों से लड़ने के लिए हार्मोन और केमिकल रिलीज करने लगता है। मेडिकल भाषा में कहा जाये तो शरीर फाइट या फ्लाइट रीसपोंस (fight and flight response) के लिए खुद को तैयार करता हैं. यानि, शरीर में उन रसायनों को बढ़ता है जो आपको या तो उस पारिस्थि से भागने में सहायता करे या फिर मुकाबला करने का सहस दे.

इसलिए शरीर बड़ी मात्रा में रसायनों कोर्टिसोल(cortisol), एड्रेनालाईन (adrenaline), और नॉरएड्रेनालाईन (noradrenaline)का उत्पादन करता है। ये सभी कारक खतरनाक या चुनौतीपूर्ण स्थिति में प्रतिक्रिया करने की क्षमता में सुधार करते हैं। हमारा शरीर, मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से इन बाहरी बदलावों पर रिएक्ट करता है।

तनाव से घबराने की आवश्यकता नहीं है, ये हमारे जीवन का ही एक हिस्सा है। तनाव होना हमेशा बुरा नहीं होता है, तनाव होने के कई सकारात्मक फायदे भी हैं। ये तनाव ही हैं जिसकी वज़ह से हम निर्धारित समय पर कामों को पूरा कर पाते हैं, कम्पटीशन या एग्जाम में सफल हो पाते हैं, नौकरी में प्रोमोशन पाते हैं और विपरीत परिस्थितियों का सामना कर पाते हैं।

मगर जब तनाव एक लिमिट से ज्यादा हो जाता है तो इसके मानसिक और शारीरिक प्रभाव भी पड़ने लगते हैं। ऐसे में तनाव का उपचार करना बहुत जरूरी हो जाता है। तनाव के उपचार समझने से पहले आइये जानते हैं की तनाव के प्रकार क्या हैं और तनाव की पहचान कैसे करे

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तनाव के प्रकार

Types of Stress in hindi

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तनाव का उपचार करने के लिए ये बेहद ज़रूरी है उसके प्रकारों के बारे में जाना जाये। मेडिकल जगत में तनाव के प्रकार को तीन मुख्य श्रेणियों में बांटा गया है - तीव्र तनाव, एपिसोडिक तीव्र तनाव और दिर्द्कालीन तनाव।

तनाव के तीन प्रकार : -

1. तीव्र तनाव (Acute stress)

ये तनाव बहुत सामान्य और बहुत कम समय के लिए होने वाला तनाव हैं। इस तनाव की तीव्रता अधिक होती है, मगर सामान्य रूप से ये नुकसानदायक नहीं होता हैं।

एक्यूट स्ट्रेस अक्सर हाल में हुई घटनाओं या निकट भविष्य में होने वाली समस्याओं के बारे में सोचने के कारण होता है। हालाँकि इन समस्याओं के समाधान हो जाने पर ये तनाव भी कम या दूर हो जाता है।

2. एपिसोडिक तीव्र तनाव (Episodic acute stress)

कुछ लोग अपने जीवन में बार बार समस्याओं को लेकर चिंतित होते रहते हैं और अक्सर थोड़े थोड़े समय में तीव्र तनाव का अनुभव करते हैं। जब काम को लेकर बहुत ज्यादा प्रतिबद्धता (commitment) रहती है तो एपिसोडिक तीव्र तनाव होता है।

अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं के तैयारी करने वाले और मंथली टारगेट पूरा करने वाली नौकरी वाले (बैंकिंग, इंश्योरेंस क्षेत्र) लोग एपिसोडिक तीव्र तनाव के शिकार होते हैं। इस तरह के तनाव से उच्च हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग भी हो सकते हैं।

3. चिर - दीर्घकालिक तनाव (Chronic stress)

जब तनाव के कारण दीर्घकालिक (गरीबी, बेरोज़गारी, शादीशुदा संबंध) हो और उनका समाधान जल्दी न हो सके तो वो क्रोनिक स्ट्रेस होता है। ये तनाव अक्सर इससे ग्रसित व्यक्ति के व्यक्तित्व का ही हिस्सा बन सकता है। ये तनाव सबसे नुकसानदायक तनाव है और यह लंबे समय तक रहता है।

क्रोनिक तनाव (chronic stress) मनुष्य शरीर के लगभग हर प्रणाली को बाधित करता है। यह मनुष्य की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) को दबा सकता है,पाचन और प्रजनन प्रणाली को परेशान कर सकता है, दिल के दौरे और स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज़ कर सकता है।

तनाव मन को चिंता, अवसाद (depression) और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता हैं। इससे ग्रसित लोगों में आत्महत्या करने, दूसरों के साथ हिंसक व्यवहार करने या दिल के दौरे पड़ने की आशंका बनी रहती है।

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तनाव के लक्षण

Symptoms of Stress in hindi

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तनाव हमें कई तरह से प्रभावित करता हैं। इसके लक्षण इससे ग्रसित व्यक्ति में ना केवल शारीरिक रूप से नज़र आते हैं बल्कि उसके व्यवहार और प्रतिक्रिया में भी नज़र आते हैं।विभिन्न व्यक्तियों में तनाव के लक्षण काफी भिन्न होते हैं। ऐसे ही लक्षण नीचे बताये गये हैं।

तनाव के लक्षण : -

1. तनाव के शारीरिक लक्षण

  1. सिरदर्द होना
  2. मांसपेशियों में जकड़न महसूस होना
  3. हाई ब्लड प्रेशर होना
  4. बार बार पसीना आना
  5. सीने में दर्द होना
  6. हाथ पैरों में सुन्नता होना
  7. पूरी नींद ना आना
  8. सेक्स करने की इच्छा में कमी होना
  9. बार बार चक्कर आना
  10. हाँथ कांपना
  11. अचानक से वज़न का बढ़ना या कम होना
  12. दांत पीसना
  13. पेट खराब रहना

2. तनाव के भावनात्मक लक्षण

  1. बार बार गुस्सा आना
  2. याद्दाश्त कमजोर होना
  3. मन उदास रहना
  4. मन घबराना
  5. नकारात्मक विचार आना
  6. अत्यधिक चिंता और बेचैनी रहना
  7. किसी काम में ध्यान ना लगना
  8. अवसाद होना
  9. थकान और कमजोरी महसूस होना
  10. चिड़चिड़ापन रहना
  11. असुरक्षित महसूस करना

3. व्यवहार से जुड़े तनाव के लक्षण

  1. बहुत ज्यादा या कम भूख लगना
  2. अपने साथ वालो पर अचानक गुस्सा करना
  3. सिगरेट, तम्बाकू या शराब का अचानक अधिक सेवन करना
  4. सार्वजनिक कार्यक्रमों में ना जाना
  5. परेशान होकर बार बार रोना
  6. सामान्य बातचीत में अचानक से एग्ग्रेसिवे (aggressive) हो जाना
  7. हिंसक व्यवहार करना
  8. आत्महत्या की कोशिश करना
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तनाव के कारण

Potential causes of stress in hindi

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हर व्यक्ति तनाव के लिए अलग अलग तरह से प्रतिक्रिया देता हैं। किसी के लिए कोई एक तनाव की परिस्थिति उसे सकारात्मक रूप से प्रेरित करती है, तो अन्य व्यक्ति उन्ही परिस्थितियों में अवसाद में जा सकता है।

तनाव के कारण : -

1. कार्य संबंधित तनाव (Work related stress)

  1. पढ़ाई में अव्वल आने का दबाव
  2. समय पर नौकरी ना लगना
  3. प्रतियोगी परीक्षाओं में असफलता
  4. नौकरी में समय पर प्रोमोशन ना मिलना
  5. नौकरी में वर्क लोड (workload) या बहुत अधिक ज़िम्मेदारी होना
  6. काम पर भेदभाव या उत्पीड़न (discrimination or harassment) का सामना करना, खासकर अगर आपकी कंपनी इसबारे में आपको सहायता नहीं कर रही हो
  7. नौकरी में घर से दूर ट्रान्सफर होना

2. व्यक्तिगत जीवन से संबंधित तनाव (Personal life related stress)

  1. आर्थिक तंगी होना
  2. प्रेम में धोखा या विफलता मिलना
  3. अपनी शारीरिक संरचना को लेकर हीनता महसूस करना
  4. नींद ना आना
  5. पारिवारिक समस्याएं होना
  6. गलत खान पान की आदत होना
  7. सिगरेट, तम्बाकू या शराब की आदत
  8. घरेलू हिंसा का शिकार होना
  9. बेटी का जन्म होने पर परिवार द्वारा बेटा पैदा करने के लिए दबाव बनाना
  10. किसी लंबी बीमारी से ग्रसित होना
  11. पति पत्नी के वैवाहिक संबंध ठीक ना होना
  12. सेक्स लाइफ ठीक ना होना
  13. बच्चों की जिम्मेदारियां आना
  14. अनचाहे गर्भ होना
  15. गर्भपात हो जाना
  16. दर्दनाक घटना का होना, जैसे कि एक प्राकृतिक आपदा, चोरी, बलात्कार, आपके या आपके किसी प्रियजन खिलाफ हिंसा का होना
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तनाव का पता कैसे लगाये

How to diagnose stress in hindi

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सामान्य रूप से तनाव की पहचान करने का कोई विशेष टेस्ट नहीं है। जब तनाव से ग्रसित मरीज डॉक्टर के पास जाता है तो तनाव के लक्षणों और मरीज की ज़िन्दगी से जुड़े सवालों के जवाब के आधार पर ही तय किया जाता है कि मरीज तनाव में है या नहीं।

मगर तनाव के जो लक्षण होते हैं वो डिप्रेशन या एंग्जायटी डिसऑर्डर (depression or anxiety disorder) के भी हो सकते हैं। इसलिए आमतौर पर डॉक्टर मरीज की सही मेडिकल कंडीशन्स का पता लगाने के लिए कई तरह के टेस्ट करता है।

तनाव का पता लगाने के उपाय : -

1. डॉक्टर द्वारा मरीज के साथ सवाल जवाब करना

डॉक्टर का मरीज के साथ साक्षात्कार बेहद महत्वपूर्ण होता है। मरीज द्वारा शारीरिक और भावनात्मक रूप से जो भी महसूस किया जाता है उसकी जानकारी ली जाती है। मरीज ऐसी किसी भी स्थिति का वर्णन करते हैं जो तनाव का कारण बन सकती है या उसे और बदतर बना सकती है।

डॉक्टर मरीज से जुड़े सवाल करते हैं, जैसे कि : -

  1. क्या मरीज पहले कभी अवसाद ग्रस्त रहा है?
  2. क्या मरीज के माता पिता से कोई कभी अवसाद से ग्रसित रहा है
  3. क्या मरीज महिला को कभी गर्भपात हुआ है?
  4. क्या उस पर बेटी के बजे बेटे को जन्म देने का दबाव है?
  5. क्या अपनी नौकरी और सफलता से खुश है?
  6. सेक्स लाइफ कैसी चल रही है?
  7. क्या आत्महत्या के ख्याल आते हैं?
  8. क्या बार बार गुस्सा आता है?

अगर इनमे से किसी भी सवाल का जवाब ‘हाँ’ होता है तो मरीज के तनाव में होने की पुष्टि हो जाती है।

2. शारीरिक परीक्षण (Physical examination)

मरीज के तनाव से जुड़े लक्षणों की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर द्वारा मरीज का फिजिकल एग्जामिनेशन किया जाता है।

3. इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG)

इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG) टेस्ट किया जाता है ताकि तनाव की वजह से ह्रदय पर पड़ने वाले प्रभावों का जाना जा सके।

4. अन्य टेस्ट (Other tests)

ब्लड और यूरिन टेस्ट (blood and urine tests) किये जाते है ताकि कुछ विशेष हारमोंस के स्तर का पता लगा कर तनाव का पता लगाया जा सके।

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तनाव कम करने के उपाय

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आप तनाव को मैनेज करना सीख सकते हैं और खुशहाल, स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। आप निम्नलिखित उपायों के साथ शुरुआत कर सकते हैं।

तनाव कम करने के उपाय : -

  • अपने जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण रखें
  • स्वीकार करें की कुछ घटनाओं पे आप नियंत्रित नहीं कर सकते।
  • आक्रामक के बजाय आत्मविश्वासु बने और तनाव (stress) से दूर रहे।
  • क्रोध, रक्षात्मक या निष्क्रिय बनने के बजाय अपनी भावनाओं, विचारों, या विश्वासों पर भरोसा रखे और उन पर जोर दे। आपको तनाव से छुटकारा पाने इसकी मदद होगी।
  • रिलैक्सेशन टेक्निक्स (relaxation techniques) सीखेऔर उनकी प्रैक्टिस करें; जैसे की ध्यान और योग जो आपको तनाव से छुटकारा पाने में फ़ायदेमंद है।
  • नियमित रूप से व्यायाम करें। फिट रहने पर आपका शरीर तनाव से बेहतर तरीके से लड़ सकता है। और आपको तनाव से दूर रहने में मदद मिल सकती है।
  • स्वस्थ, संतुलित भोजन करें।
  • अपने समय को अधिक प्रभावी ढंग से मैनेज करना सीखें।
  • अपने जीवन में उचित रूप से सीमाएं निर्धारित करें और उन अनुरोधों को या उन कामों को करने से बचे जो आपके जीवन में अत्यधिक तनाव पैदा करेंगे।
  • अपने शौक और रुचि के लिए समय बनाएं।
  • पर्याप्त आराम करें और सोएं।
  • तनावपूर्ण घटनाओं से उबरने के लिए आपके शरीर को समय की आवश्यकता होती है। तो अपने आपको कुछ समय दे तनाव से उभरने में।
  • तनाव को कम करने के लिए शराब, ड्रग्स का उपयोग न करें।
  • ये तनाव से छुटकारा पाने में मदद नहीं करते है इसके सेवन से बस कुछ समय तक आपको अच्छा महसूस हो सकता है पर ये आपके शरीर पे नकारात्मक प्रभाव डालती है ये जरूर ध्यान में रखे।
  • उन लोगों के साथ पर्याप्त समय बिताऐं जिन्हें आप प्यार करते हैं।
  • अपने जीवन में तनाव से निपटने के लिए मनोवैज्ञानिक या अन्य मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर जैसे साइकोलॉजिस्ट (psychologist) डॉक्टर से उपचार लें। जो तनाव प्रबंधन या बायोफीडबैक (biofeedback techniques) तकनीकों में प्रशिक्षित होते है ।
  • स्ट्रेस को मैनेज करने के लिए बायोफीडबैक तकनीक अत्यधिक लाभकारी है। यह लोगों को अपने तनाव की प्रतिक्रिया को नियंत्रित करने में मदद करता है, इसमें गहरी सांस लेने, और ध्यान जैसी तकनीकों को अच्छी तरह से उपयोग करके आपके तनाव को शांत करता है। बायो फीडबैक टेक्नोलॉजी के माध्यम से व्यक्ति के स्ट्रेस लेवल का पता लगा कर उसको विभिन्न एक्सरसाइज के माध्यम से तनाव कम करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
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निष्कर्ष

Conclusionin hindi

Nishkarsh

तनाव से आजकल हर कोई ग्रसित है। सभी शारीरिक और मानसिक परेशानियों की जड़ तनाव ही है। एक सामान्य सा लगने वाला तनाव भी कई बीमारियों को जन्म देता है, जिनसे छुटकारा पाना आसान नहीं होता है। इसलियें छोटी-छोटी बातों को मन पर हावी न होने दें।

किसी घटना को लेकर अपने मन में स्वयं ही कोई परिणाम न बनने दें। हो सकता है कि आज जिस घटना से आपको तनाव हो रहा है, भविष्य में वो ही घटना किसी बड़ी सफलता का कारण बने।

हमेशा याद रखें कि जो होता है, अच्छे के लिए होता है। अगर तनाव अधिक बढ़ जाएं तो किसी मनोचिकित्सक (psychiatrist) से तुरंत परामर्श लें।

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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 15 Dec 2020

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