गर्भावस्था के सातवें महीने की सम्पूर्ण जानकारी
All about 7 month of pregnancy in hindi
Seventh month pregnancy se judi sabhi important batin in hindi
एक नज़र
- गर्भावस्था का 25वां सप्ताह के शुरू होने के साथ ही गर्भकाल का सातवाँ महीना शुरू हो जाता है।
- गर्भाशय के सातवें महीने में पेल्विक में दर्द होने का कारण गर्भवती महिला के कूल्हों के जोड़ों में बनी मांसपेशियों नरम होने लगती है।
- शिशु का गर्भावस्था के सातवें महीने में शारीरिक वजन और लंबाई पहले की तुलना में काफी बढ़ जाती है।
Introduction

गर्भकाल का पूरा समय खुशी, चिंता और परेशानी से भरी भावनाओं का मिश्रण कहलाता है।
इस समय जहां एक ओर महिला को अपने साथ जुड़ी एक नन्ही जिंदगी का एहसास होता है, वहीं आने वाले समय में उस खुशी के कारण मिलने वाली, दूसरी ख़ुशियों का भी इंतज़ार होता है।
इन्हीं मिली-जुली भावनाओं के साथ एक-एक महीने का पड़ाव पार करती हुई गर्भवती महिला, जब गर्भकाल के सातवें महीने में प्रवेश करती है तब उसकी उत्सुकता और उत्कंठा भी पहले से कहीं अधिक हो जाती है।
आइये जानते हैं गर्भावस्था के सातवें महीने (seventh month of pregnancy in hindi) के लक्षण क्या हो सकते हैं, गर्भवस्था के सातवें महीने में गर्भवती महिला को क्या खाना चाहिए और किन खाद्य पदार्थों से दूर रहना चाहिए!
इस लेख़ में
- 1.गर्भावस्था के सातवें महीना के लक्षण क्या हो सकते हैं?
- 2.गर्भावस्था के सातवें महीने में बच्चे का विकास कैसे होता है?
- 3.गर्भावस्था के सातवें महीने में शारीरिक परिवर्तन क्या हो सकते हैं?
- 4.गर्भावस्था के सातवें महीने में महिला को क्या खाना चाहिए?
- 5.गर्भावस्था के सातवें महीने में किन खाद्य पदार्थों से परहेज करें?
- 6.गर्भावस्था के सातवें महीने में सेक्स कब और कैसे करें?
- 7.गर्भावस्था के सातवें महीने में डॉक्टर से अपॉइंटमेंट कब लेना चाहिए?
- 8.गर्भावस्था के सातवें महीने में कब बिना अपॉइंटमेंट डॉक्टर से मिल लेना चाहिए?
- 9.गर्भावस्था के सातवें महीने के दौरान अल्ट्रासाउंड या अन्य परीक्षण कब और कौन से
- 10.गर्भावस्था के सातवें महीने में पिता के लिए टिप्स क्या हो सकते हैं?
- 11.गर्भावस्था के सातवें महीने में आपको क्या-क्या करना चाहिए?
- 12.प्रेग्नेंसी के सातवें महीने में किस प्रकार की सावधानी रखनी चाहिए?
गर्भावस्था के सातवें महीना के लक्षण क्या हो सकते हैं?
What are the symptoms of pregnancy in the seventh month of pregnancy in hindi
Pregnancy ke saatvaan mahine ke Lakshan kya ho sakte hain in hindi
गर्भावस्था का 25वां सप्ताह के शुरू होने के साथ ही गर्भकाल का सातवाँ महीना शुरू हो जाता है।
तकनीकी रूप से इस समय को गर्भकाल की तीसरी तिमाही भी कहा जाता है।
सामान्य रूप से गर्भकाल का सातवाँ महीना 25-28 हफ्ते के समय को कहा जाता है।
इस समय गर्भवती के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक परिवर्तन तो होते ही हैं, साथ ही गर्भ के शिशु में भी अनेक प्रकार के परिवर्तन होते हैं।
फिर भी गर्भकाल के सातवें महीने के लक्षण क्या होते हैं यह प्रश्न अगर आपके मन में भी है तब आप अपने शरीर में होने वाले इन लक्षणों की ओर देखें।
गर्भावस्था के सातवें सप्ताह के लक्षण निम्न हैं : -
1.कब्ज़ (Constipation in seventh month of pregnancy in hindi)
गर्भाशय के सातवें महीने में कब्ज़ की परेशानी एक आम परेशानी मानी जाती है।
इसका मुख्य कारण, गर्भाशय के बढ़ते आकार के कारण पाचन तंत्र का धीमा होना होता है।
इसके अलावा प्रेग्नेंसी हार्मोन प्रोजेस्ट्रोन (progesterone) का अधिक मात्रा में बनना भी इस अवस्था का कारण माना जाता है।
अधिकतर डॉक्टर गर्भवती महिला को गर्भावस्था में विभिन्न प्रकार के सप्लिमेंट्स के साथ आयरन के सप्लिमेंट्स भी देते हैं।
यह भी कब्ज़ का कारण माना जाता है।
2. हल्का रक्त्स्त्राव या धब्बा (Mild bleeding or spotting in seventh month of pregnancy in hindi)
कुछ महिलाओं को गर्भाशय के सातवें महीने में हल्का रक्त्स्त्राव या धब्बा आने की शिकायत भी हो सकती है।
हालांकि, इस अवस्था में यह एक सामान्य बात मानी जाती है, फिर भी आप इस बात को अपनी प्रेग्नेंसी डॉक्टर के साथ शेयर करके सलाह ज़रूर लें।
कभी-कभी यह किसी गंभीर परिस्थिति की पूर्व सूचना भी हो सकती है।
3. कमर के निचले हिस्से में दर्द (Lower back pain in seventh month of pregnancy in hindi)
गर्भावस्था के सातवें पड़ाव में, गर्भ का आकार पेट और कमर के आस-पास के क्षेत्र में दबाव बनाने लगता है।
इसके कारण गर्भाशय के सातवें महीने में कमर के निचले हिस्से में दर्द भी होने लगता है।
लेकिन यह दर्द अगर कूल्हे से लेकर पैरों तक जा रहा है तब यह श्याइटिका नर्व (sciatica nerve) पर दबाव पड़ने के कारण हो सकता है।
क्योंकि यह नर्व शरीर के इसी हिस्से में होती है और हो सकता है गर्भ का बढ़ता हुआ आकार इस नस को भी दबा रहा हो।
यह दर्द प्रसव के बाद आमतौर पर ठीक हो जाता है।
4. पेट में हल्की जकड़न (Slight tightening in abdomen in seventh month of pregnancy in hindi)
कभी-कभी गर्भवती महिला गर्भाशय के सातवें महीने में पेट में हल्की जकड़न महसूस कर सकती है, जो पोजीशन बदलने से या हिलने से ठीक भी हो जाती है।
इसे ब्रेकस्टन हिक्स कोण्ट्रेक्षंस (Braxton Hicks contractions) भी कहा जाता है।
आमतौर पर ये या तो रात के समय या फिर सेक्स करने के बाद महसूस हो सकते हैं।
5. थकान (Extreme fatigue in seventh month of pregnancy in hindi)
कुछ गर्भवती महिलाएं दूसरी तिमाही यानि गर्भावस्था के चौथे से छठे महीने तक चुस्त बनी रहती हैं, लेकिन सातवें महीने में उनपर थकान होने लगती है।
इसका प्रमुख कारण इस अवस्था में बढ़े हुए पेट के कारण चलने में तकलीफ़ होती है।
इस वजह से रात को ठीक से नींद भी नहीं आती है।
इन सभी कारणों से गर्भाशय के सातवें महीने में थकान होना एक सामान्य बात होती है।
6. पेल्विक में दर्द (Pelvic pain in seventh month of pregnancy in hindi)
गर्भाशय के सातवें महीने में पेल्विक में दर्द होने का कारण गर्भवती महिला के कूल्हों के जोड़ों में बनी मांसपेशियों नरम होने लगती है।
इस अवस्था में प्रेग्नेंसी हार्मोन शरीर को प्रसव के लिए तैयार करना शुरू कर देते हैं और इसके लिए दोनों कूल्हे को जोड़ने वाली मांसपेशियों को ढीला कर देते हैं।
इसके कारण कूल्हे के जोड़ ढीले हो जाते हैं और इसी कारण गर्भवती महिला को दर्द महसूस हो सकता है।
7. प्रसव पीड़ा वाले संकुचन (Frequent contractions in seventh month of pregnancy in hindi)
अक्सर महिलाओं को गर्भाशय के सातवें महीने में प्रसव पीड़ा वाले संकुचन आने लगते हैं।
इन संकुचनों के बार-बार आने से महिलाएं घबरा जाती हैं, लेकिन जब तक कोई अन्य गंभीर कारण न हो, इसे एक सामान्य बात की ही तरह लें।
8. सांस फूलना (Shortness of breath in seventh month of pregnancy in hindi)
सामान्य तौर पर इस समय महिलाओं के शरीर में स्वाभाविक रूप से गर्मी लगने लगती है।
इसका कारण है कि गर्भावस्था के सातवें महीने में पाचन तंत्र स्वाभाविक रूप से तेज़ हो जाता है और इस कारण शरीर में गर्मी उत्पन्न होने लगती है।
इसके कारण कुछ महिलाओं को सर्दी में भी तेज़ गर्मी का एहसास होने लगता है और पसीने के साथ सांस फूलने की शिकायत भी हो सकती है।
गर्भावस्था के सातवें महीने में बच्चे का विकास कैसे होता है?
How does baby grow during the seventh month of pregnancy in hindi
Pregnancy ke saatvaan mahine mein baby ka vikas kaise hota hai in hindi
महिलाएं सातवें महीने में गर्भ में पल रहे शिशु के विकास को लेकर काफी उत्साहित होती हैं।
उन्हें अब अपने पेट में एक नन्ही जान के होने का अहसास शुरू हो चुका है और अब वे उसके वर्तमान रूप के बारे में जानना चाहती हैं।
गर्भावस्था के सातवें महीने के लक्षण निम्न हो सकते हैं : -
1. शारीरिक वज़न (Body length and weight of baby in seventh month of pregnancy in hindi)
शिशु का गर्भावस्था के सातवें महीने में शारीरिक वजन और लंबाई पहले की तुलना में काफी बढ़ जाती है।
इस समय गर्भ में शिशु की लंबाई लगभग 46 सेमी और वज़न भी पहले से बढ़कर 900-1000 ग्राम के बराबर हो सकता है।
2. बाहरी शारीरिक अंग (Body parts of baby in seventh month of pregnancy in hindi)
गर्भकाल के सातवें महीने में शिशु के शारीरिक अंग अब पूर्णतः विकसित हो चुके हैं।
इसके साथ ही अब वह अपनी आँखें खोलने और बंद करने लगता है।
अब शिशु अंधेरे और प्रकाश में अंतर कर सकता है।
शिशु की हड्डियों का विकास पूरा होकर उनमें कठोरता आ जाती है।
लेकिन अभी सिर का ऊपरी भाग अभी कमजोर और नरम होता है।
3. आंतरिक अंग (Internal parts of baby in seventh month of pregnancy in hindi)
गर्भावस्था के सातवें महीने में शिशु के आंतरिक अंग जैसे मस्तिष्क, फेफड़े और पाचन तंत्र आदि पूरी तरह से विकसित हो चुके हैं।
इसी कारण अब शिशु माँ के माध्यम से बाहर से आने वाली आवाज़ें, संगीत और गंध के प्रति पूरी तरह जागरूक होकर प्रतिक्रिया व्यक्त करने लगता है।
अब वह अपने फेफड़ों से सांस लेने लगता है और उसका पाचनतंत्र काम करने लायक हो गया है।
शिशु की जीभ में स्वाद महसूस करने की क्षमता (taste buds) बढ़ जाती है।
वह अब विभिन्न प्रकारों के स्वादों में अंतर महसूस कर सकता है।
4. दिनचर्या (Daily routine of baby in seven months of pregnancy in hindi)
स्त्री के गर्भकाल के सातवें महीने में शिशु की दिनचर्या अब लगभग तय हो जाती है।
उसके सोने और जागने का समय और रूटीन तय हो जाता है, लेकिन अब उसके सोने का समय जागने की तुलना में अधिक हो जाता है।
इसके साथ ही वह हाथ पैर चलाकर एक तरह से चलने का अभ्यास करता है।
इन सब बातों का अहसास माँ को जाने अंजाने में होता रहता है।
5. त्वचा (Skin of baby in seven months of pregnancy in hindi)
गर्भवस्था के सातवें महीने में शिशु की त्वचा का रंग लाल या गुलाबी जैसा हो जाता है।
शिशु की स्किन पर थोड़ी-थोड़ी झुर्रियां जैसी आ जाती हैं, जो प्रसव के बाद जल्द ही ठीक भी हो जाती हैं।
इस समय उसकी स्किन के नीचे वसा या फैट जमा होने लगती है।
इस समय शिशु के शरीर के ऊपर वाले नरम बाल गायब होने लगते हैं, जिन्हें लनूगों (lanugo) भी कहा जाता है।
शिशु के शारीरिक विकास के कारण वह स्वयं को गर्भ में व्यवस्थित करने का प्रयास करता है, जिसके कारण उसकी गर्भ में पोजीशन में थोड़ा अंतर आ जाता है।
गर्भावस्था के सातवें महीने में शारीरिक परिवर्तन क्या हो सकते हैं?
What would be physical changes in the seventh month of pregnancy in hindi
Pregnancy ke Seventh month mein kya physical changes ho sakte hain in hindi
स्त्री जब गर्भकाल के सातवें महीने में में पहुँचती है, तब उसके शरीर में होने वाले परिवर्तन गर्भावस्था के छठे महीने से अधिक भिन्न नहीं होते हैं।
फिर भी सामान्य रूप से आने वाले गर्भकाल के सातवें महीने में शारीरिक परिवर्तन नीचे बताए गये हैं!
गर्भावस्था के सातवें महीने में नज़र आने वाले लक्षण निम्न हैं : -
1. पेट के आकार में वृद्धि (Increase in size of belly in seventh month of pregnancy in hindi)
गर्भकाल के सातवें महीने में महिला के गर्भ का आकार बढ़ने के कारण पेट का आकार भी काफी तेज़ी से बढ़ता है।
इस कारण महिला को नीचे झुकने, चलने, सीढ़ियां चढ़ने और उतरने में कठिनाई हो सकती है।
इसी कारण गर्भवती महिला को थकान, बहुत पसीना आना और सांस फूलने की परेशानी भी हो सकती है।
2. पेशाब जाने में वृद्धि (Frequent urination in seventh month of pregnancy in hindi)
जब महिला गर्भावस्था के सातवें महीने में पहुँचती हैं, तब उसके गर्भ का दबाव मूत्राशय (urethra) पर बढ़ जाता है।
इस कारण सातवें महीने में पेशाब में वृद्धि होना एक सामान्य बात मानी जाती है।
लेकिन अगर इसके साथ कोई अन्य परेशानी भी हो तब तुरंत प्रेग्नेंसी डॉक्टर से मिलना चाहिए।
3. स्तनों की बनावट और निप्पल के रंग में बदलाव (Change in nippal’s colour in seventh month of pregnancy in hindi)
सातवें महीने की गर्भावस्था में गर्भवती महिला के स्तनों की बनावट और निप्पल के रंग में बदलाव आने लगता है।
इस समय स्तन पहले की तुलना में बहुत कठोर, बड़े और भारी हो जाते हैं।
इसके साथ ही निप्पल के आस-पास के क्षेत्र का रंग भी बदल कर गहरा हो जाता है।
इस बदली हुई स्थिति का कारण स्तनों में दूध का बनना होता है, जो कभी-कभी रिसने भी लगता है।
इस समय महिला को स्तनों को सहारा देने के लिए आरामदायक ब्रा का उपयोग करना चाहिए।
4. शारीरिक वज़न में तेज़ी से वृद्धि (Rapid growth in physical weight in seventh month of pregnancy in hindi)
गर्भवती महिला गर्भकाल के 7 महीने में शारीरिक वज़न में तेज़ी से वृद्धि महसूस कर सकती है।
इस समय महिला के शारीरिक वजन में 1-2 किलो के लगभग वजन में वृद्धि हो जाती है।
इसी कारण महिला को अधिक चलने और खड़े होने में तकलीफ़ हो सकती है।
इसके साथ ही शरीर का पूरा भार पैरों पर पड़ने के कारण, पैरों की नसों में ब्लड सप्लाई बढ़ जाने के कारण वैरिकोस वेंस (varicose veins) भी उभर आती हैं।
5. हीमोग्लोबिन लेवल में कमी (Dropping level of hemoglobin in seventh month of pregnancy in hindi)
सामान्य रूप से गर्भवती महिला के गर्भकाल के सातवें महीने में हीमोग्लोबिन लेवल में कमी होना एक सामान्य कारण माना जाता है।
इसी कारण अधिकतर प्रेग्नेंसी डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को आयरन और विटामिन सी सप्लिमेंट्स देने के साथ गर्भकाल में आयरन और विटामिन सी युक्त भोजन लेने की सलाह भी देती हैं।
6. भ्रमित प्रसव संकुचन में तेज़ी (Increasing fake contractions in seventh month of pregnancy in hindi)
जब महिला प्रेग्नेंसी के सातवें महीने में पहुँचती है, तब वह भ्रमित प्रसव संकुचन में तेज़ी महसूस होती है।
लेकिन, कभी-कभी यह भ्रम सत्य भी हो जाता है, अथार्थ प्रसव सातवें महीने में भी हो सकता है।
7. भावनात्मक उतारचड़ाव (Emotional fluctuations in seventh month of pregnancy in hindi)
गर्भकाल का सातवाँ महीना महिला के लिए विभिन्न प्रकार की भावनाओं से भरा होता है।
इस समय जहां एक ओर महिला अपने गर्भ के शिशु के साथ भावनात्मक जुड़ाव महसूस करती है, वहीं दूसरी ओर विभिन्न प्रकार की परेशानियों जैसे रात को ठीक से न सो पाना, कमर में हर समय दर्द बना रहना, चलने और हिलने में तकलीफ़ होना आदि के कारण चिड़चिड़ाहट भी बढ़ जाती है।
दूसरे शब्दों में कहें तो गर्भकाल का सातवाँ महीना भावनात्मक उतारचड़ाव से परिपूर्ण होता है।
गर्भावस्था के सातवें महीने में महिला को क्या खाना चाहिए?
Diet Plan in seventh month of pregnancy in hindi
Pregnancy ke saatvaan mahine mein lady ko kya khana chahiye in hindi
गर्भवस्था का सातवाँ महीना कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जाता है।
इस समय तक महिला के गर्भ में शिशु का विकास पूर्ण हो चुकता है, इसलिए प्रेग्नेंसी के सातवें महीने में महिला की डाइट में ओमेगा 3 फ़ैटि एसिड का होना भी ज़रूरी होता है।
दरअसल, ओमेगा 3 से शिशु के सर्वांगीण और सम्पूर्ण विकास में मदद मिलती है।
इसके अतिरिक्त पोषण युक्त भोजन को समय पर लेना भी इस समय की सबसे बड़ी जरूरत होती है।
इसलिए हर प्रकार की हरी पत्तेदार ताज़ी सब्जी, सभी मौसमी फल, अंकुरित अनाज आदि के सेवन से महिला को प्राकृतिक आयरन के साथ विटामिन सी भी सरलता से मिल जाता है।
गर्भावस्था के सातवें महीने में किन खाद्य पदार्थों से परहेज करें?
What foods to be avoided in the seventh month of pregnancy in hindi
Pregnancy ke Seventh month mein kya nahin khana chahiye in hindi
गर्भकाल का सातवाँ महीना वह समय है, जब गर्भ का शिशु एक विकसित मानव के रूप में महिला के गर्भ में होता है।
इस समय गर्भवती महिला का खान-पान ऐसा होना चाहिए, जिससे इस शिशु को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान न हो।
इसके लिए महिला को गर्भावस्था के सातवें महीने में किन खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए आइये जानते हैं!
गर्भावस्था के सातवें महीने में गर्भवती महिला को निम्न खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए : -
1. समुद्री भोजन (sea foods) का सेवन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि उसमें मरकरी या पारे की मात्रा नहीं होनी चाहिए।
2. कोई भी ऐसा भोजन न करें जिसको पचने में कठिनाई हो और गैस बनने का भय हो।
3. मांसाहार भोजन करते समय इस बात को देख लें कि वह अच्छी तरह से पका हुआ हो, कच्चा या अधपका मांसाहारी भोजन गर्भवती महिला को नुकसान पहुंचा सकता है।
4. सातवें महीने की गर्भवती महिला को अधिक फैट और अधिक सोडियम वाली खाने की चीजों से परहेज करना चाहिए।
इन चीजों के सेवन से न केवल शारीरिक वज़न बढ़ता है बल्कि पाचन क्रिया में भी परेशानी होती है।
5. हर माह की भांति गर्भकाल के सातवें माह में भी गर्भवती महिला को धूम्रपान, मदिरापन से पूरी तरह से परहेज रखने के साथ ही चाय-काफी की मात्रा को सीमित कर देना चाहिए।
6. इसके अलावा बाज़ार में मिलने वाला जंक फूड भी यथा संभव नहीं खाना चाहिए।
गर्भावस्था के सातवें महीने में सेक्स कब और कैसे करें?
Does Sex allowed in seventh month of pregnancy or not in hindi
kya pregnancy ke seventh month mein sex kar sakte hain in hindi
जब सातवें महीने की गर्भावस्था में महिला को या पति को संभोग की इच्छा होती है, तब यह इच्छा स्वाभाविक ही होती है।
लेकिन उस समय उनके मन में यह प्रश्न उठना भी स्वाभाविक है कि गर्भावस्था के सातवें महीने में सेक्स करना चाहिए या नहीं?
इस संबंध में यही कहा जा सकता है कि यदि गर्भवती महिला को गर्भावस्था में अब तक कोई परेशानी नहीं हुई ,है तब आप अपनी सुविधानुसार सेक्स क्रिया कर सकती हैं।
सातवें महीने की गर्भावस्था में जब पति-पत्नी सेक्स करने की स्थिति में होते हैं, उस समय उनके मन में गर्भावस्था के सातवें महीने में सेक्स किस प्रकार कर सकते हैं जैसी दुविधा हो सकती है।
इस संबंध में चिकित्सकों का यही मानना है कि इस समय महिला के पेट का आकार बहुत बड़ा होने के कारण उसे लेटने में परेशानी हो सकती है।
इसलिए जिस अवस्था में महिला के पेट पर अधिक भार न पड़े उसी अवस्था में सेक्स क्रिया की जा सकती है।
गर्भावस्था के सातवें महीने में डॉक्टर से अपॉइंटमेंट कब लेना चाहिए?
When should I seek an appointment with a doctor in the seventh month of pregnancy in hindi
Pregnancy ke Seventh mahine mein doctor se kab milna chahiye in hindi
गर्भवस्था का सातवाँ महीना गर्भकाल की अंतिम तिमाही का पहला महीना होता है, इसलिए इसे प्रेग्नेंसी की अग्रिम अवस्था भी कहा जाता है।
इस अवस्था में प्रेग्नेंसी डॉक्टर हर पिछली विजिट पर स्थितिनुसार अगली विजिट की तारीख दे देते हैं।
गर्भावस्था के सातवें महीने में सामान्य रूप से डॉक्टर हर पंद्रह दिन के अंतराल पर बुलाते हैं।
इसलिए यदि सब कुछ सामान्य है तब डॉक्टर की बताई तारीख पर जाना चाहिए।
प्रेगनेंसी के 26 से 29 सप्ताह के बीच प्रेग्नेंट महिला की डॉक्टर से पांचवी मुलाकात होती है।
इस प्रसव पूर्व दौरे के दौरान आपकी शारीरिक जाँच के अंतर्गत डॉक्टर वज़न (weight) की जाँच, रक्तचाप (blood pressure) और फंडल हाइट (fundal height) की जाँच की जाएगी।
गर्भावस्था के इस समय के दौरान डॉक्टर निम्न सलाह दे सकते हैं : -
- कॉर्टिकोस्टेरॉइड इंजेक्शन (Corticosteroids injection)
अगर प्रीटर्म लेबर या प्रीटर्म बर्थ से जुड़ा आपको जोखिम है, तो आपकी डॉक्टर आपको इस सप्ताह कॉर्टिकोस्टेरॉइड इंजेक्शन (corticosteroids injection) दे सकती हैं।
कॉर्टिकोस्टेरॉइड बच्चे के फेफड़े, पाचन तंत्र और मस्तिष्क के विकास को गति देने में मदद करते हैं।
अधिकतर ये इंजेक्शन प्रेगनेंसी के 24वें और 34वें सप्ताह के बीच दिया जाता है।
- टेटनस / डिप्थीरिया / पर्टुसिस (Tetanus/Diphtheria/Pertussis - Tdap)
गर्भावस्था के दौरान, शिशु को खांसी से बचाने के लिए 28 से 36 सप्ताह के गर्भधारण के बीच टीडीएपी की सिफारिश की जाती है।
अगर गर्भावस्था के दौरान दवा नहीं दी जाती है, तो आपके बच्चे के जन्म के तुरंत बाद ये दिया जाना चाहिए।
गर्भावस्था के सातवें महीने में कब बिना अपॉइंटमेंट डॉक्टर से मिल लेना चाहिए?
Emergency appointment with doctor in seventh month of pregnancy in hindi
Pregnancy ke Seventh mahine mein kin situations mein doctor se turant milna chahiye in hindi
गर्भावस्था के सातवें महीने में गर्भवती महिला को अगर नीचे बताये गये किसी भी परेशानी का सामना करना पड़े तब बिना अपॉइंटमेंट डॉक्टर से मिल लेना चाहिए!
निम्न स्थितियों में डॉक्टर से जल्द-से-जल्द मिलें : -
1. रक्त्स्त्राव (Bleeding in seventh month of pregnancy in hindi)
सातवें महीने में रक्त्स्त्राव होना किसी गंभीर संकट की निशानी हो सकता है।
इस रक्त्स्त्राव के साथ अगर पेट में दर्द है, चाहे वो दर्द हल्का, थोड़ा या फिर बहुत तेज़ है तब कुछ ख़ास स्थिति हो भी सकती है।
ये स्थितियां निम्न हो सकती है : -
- प्लेसेन्टा प्रिविया (Placenta previa in seventh month of pregnancy in hindi)
इस स्थिति में प्लेसेन्टा या गर्भनाल, गर्भाशय की दीवार से हटकर गर्भाशय ग्रीवा (cervix) के खुलने के मार्ग को बंद कर देती है।
अधिकतर स्थितियों में प्लेसेन्टा प्रिविया का पता चौथे या पांचवे माह में होने वाले अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट में पता लग जाता है।
इसका पता लगने पर प्रेग्नेंसी डॉक्टर समय पर सही रूप से उपचार व सावधानी बरतने का सुझाव/निर्देश दे सकती हैं।
- गर्भाशय में टूट का होना (Rupture of the uterus in seventh month of pregnancy in hindi)
इस स्थिति में गर्भाशय में टूटने की शुरुआत हो जाती है।
यह तब होता है जब गर्भाशय की किसी मांसपेशी में क्रैक आ जाती है।
यदि मल-मूत्र त्याग के समय या साफ करने पर आपको हल्का धब्बा दिखाई दे या फिर गर्भावस्था के सातवें महीने में पेट दर्द महसूस हो, तब तुरंत बिना कोई देर किए अपने प्रेग्नेंसी डॉक्टर से संपर्क करें।
2. समयपूर्व प्रसव वेदना शुरू होना (Premature labour in seventh month of pregnancy in hindi)
प्रेग्नेंसी के सातवें महीने में अगर गर्भवती महिला को कुछ ख़ास लक्षण दिखाई देते हैं, तब इन्हें गर्भावस्था के सातवें महीने में समय-पूर्व प्रसव दर्द शुरू होना माना जा सकता है!
ये लक्षण निम्न हो सकते हैं : -
1. प्रति घंटे में पाँच बार से अधिक प्रसव दर्द होना;
2. योनि से चटक लाल रंग का रक्तस्त्राव होना;
3. हाथों और चेहरे पर सूजन दिखाई देना;
4. मूत्र त्याग करते समय दर्द होना;
5. पेट में तीखा और देर तक रहने वाला दर्द होना;
6. लगातार देर तक उल्टियाँ होना;
7. योनि से अचानक साफ और पानी जैसा स्त्राव होना;
8. कमर के निचले हिस्से में थोड़ा दर्द होना;
9. जांघों में बहुत अधिक दबाव महसूस होना।
3. अन्य परेशानियाँ (Concerns in seventh month of pregnancy in hindi)
गर्भावस्था के सातवें महीने में कुछ अन्य परेशानियाँ भी महसूस हो सकती हैं : -
1. मसूड़ों से खून आना
2. बहुत अधिक बलगम और लार का बनना
3. गैस बनना और कब्ज़ होना
4. तेज़ सिर दर्द होना, थकान और चक्कर आना
5. बार-बार बातें भूल जाना
6. छाती में जलन और
7. बवासीर की शिकायत होना
इन परेशानियों के अलावा यदि कुछ भी असाधारण महसूस होता है, तब आप तुरंत अपने प्रेग्नेंसी डॉक्टर से संपर्क करें।
गर्भावस्था के सातवें महीने के दौरान अल्ट्रासाउंड या अन्य परीक्षण कब और कौन से होते हैं?
Ultrasound and other tests in seventh month of pregnancy in hindi
Pregnancy ke Seventh month mein kis tarah ke tests aur ultrasound ho sakte hain in hindi
सामान्य रूप से गर्भावस्था के सातवें महीने में निम्न प्रकार के टेस्ट और परीक्षण किए जाते हैं : -
1. गर्भवती महिला के शारीरिक वज़न की जांच
2. महिला के रक्तचाप की जांच
3. गर्भवती के पेशाब की जांच
4. गर्भाशय के आकार की जांच के लिए पेट की ऊंचाई (fundus) का माप लेना
5. गर्भाशय का आकार और प्रकार की जांच
6. गर्भ के शिशु की स्थिति की जांच
गर्भावस्था के सातवें महीने में पिता के लिए टिप्स क्या हो सकते हैं?
Tips for father in seventh month of pregnancy in hindi
Pregnancy ke seventh month mein father ke liye kya tips ho sakte hain in hindi
गर्भवस्था का सातवां महीना न केवल गर्भवती महिला के लिए बल्कि भावी पिता के लिए भी महत्वपूर्ण होता है।
अगर भावी पिता यह सोचकर परेशान है कि गर्भावस्था के सातवें महीने में पिता के लिए टिप्स क्या हो सकते हैं, तब यहाँ दिये जा रहे सुझाव आपकी मदद कर सकते हैं!
प्रेगनेंसी के सातवें महीने में पिता के लिए टिप्स : -
1. इस समय भावी पिता को गर्भवती महिला के साथ मिलकर आने वाले शिशु के लिए ज़रूरी सामान की लिस्ट बनानी शुरू कर देनी चाहिए।
2. आने वाले शिशु के लिए सही स्थान जो अलग कमरा या वर्तमान कमरे में उचित स्थान का निर्धारण किया जा सकता है।
3. गर्भवती स्त्री को साथ लेकर योगा क्लासेज में साथ जाएँ, जिससे उनके मन में प्रसन्नता का अनुभव हर समय बना रहे।
4. प्रसव पूर्व तैयारी में गर्भवती महिला और उसके साथ शिशु की चीजों के लिए एक ज़रूरी बैग बना कर उसमें चीज़ें रखनी शुरू कर सकते हैं।
5. प्रसव से पहले न केवल गर्भवती महिला बल्कि भावी पिता के मन में भी अनेक प्रकार के संशय और संदेह जन्म लेते हैं।
इन्हें अपने मन से दूर करने के लिए आप अपने पिता, बड़े भाई या फिर दोस्तों से बात कर सकते हैं।
गर्भावस्था के सातवें महीने में आपको क्या-क्या करना चाहिए?
What you can do in the seventh month of pregnancy in hindi
Pregnancy ke Sixth month mein main kya kar sakti hoon in hindi
समय का चक्र किसी के लिए नहीं रुकता है और इसी नियम का पालन करते हुए गर्भावस्था का सातवाँ महीना या कहें तो गर्भावस्था की तीसरी तिमाही शुरू हो जाती है।
अब प्रसव का समय नज़दीक आ रहा है, इसलिए गर्भवती महिला को गर्भावस्था के सातवें महीने में क्या-क्या करना चाहिए जैसे प्रश्न मन में उठने स्वाभाविक ही है।
इन प्रश्नों के जवाब में आप नीचे दिए गये सुझावों को देख सकती हैं!।
गर्भावस्था के सातवें महीने में निम्न चीजें करें : -
1. गर्भावस्था की अग्रिम अवस्था होने के कारण आपको चलते समय थोड़ा ध्यान रखना होगा।
अगर आपको किसी कारण से लंबा चलना पड़े तो छोटे-छोटे अंतराल पर आराम करके ही आगे चलें।
2. अधिक देर तक खड़े होने या एक ही अवस्था में बैठने की परेशानी से बचने की कोशिश करें।
3. अपने शरीर को जहां तक हो सके एक्टिव और लचीला बनाए रखें।
4. डॉक्टर की सलाह से योगा व व्यायाम नियमित रूप से करती रहें।
इसके साथ ही शरीर को एक्टिव रखने के लिए नियमित वॉक करें।
एक्टिव रहने से प्रसव क्रिया में आसानी हो सकती है।
5. मानसिक अवसाद से बचने के लिए किसी हॉबी में अपना मन लगाए रखें।
इससे तन और मन दोनों में किसी भी प्रकार का तनाव नहीं होगा।
6. जहां तक हो सके आराम के लिए भी समय निकालें और कम से कम 7-8 घंटों की नींद अवश्य लें।
7. अगर मौसम गर्मी का हो तब जहां तक हो सके कॉटन के ढीले कपड़े ही पहनें।
8. डॉक्टर के पास नियमित जांच के लिए जाएँ और अगर आपका ब्लड ग्रुप आर-एच नेगेटिव है तब तो डॉक्टर की सलाह का पालन करने में कोई कोताही न करें।
9. रात को सोते समय पीठ की बल सोना कठिन हो सकता है इसलिए दायीं ओर की करवट लेकर सोएँ और पेट को सहारा देने के लिए कुशन लगा लें।
प्रेग्नेंसी के सातवें महीने में किस प्रकार की सावधानी रखनी चाहिए?
What you should not do in seventh month of pregnancy in hindi
Pregnancy ke Sixth month mein mujhe kya nahi karna chahiye in hindi
गर्भावस्था का सातवाँ महीना गर्भवती स्त्री और शिशु दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, इसलिए इस समय कुछ ऐसे काम भी होते हैं, जिन्हें करने से बचना चाहिए!
प्रेगनेंसी के सातवें महीने में निम्न सावधानियां बरतें : -
1. गर्भवती स्त्री को अपनी जीवनशैली में से धूम्रपान और मदिरापान जैसी बुरी आदतों को पूरी तरह से छोड़ना होगा।
इसके साथ ही आपको अपने को पूरी तरह से धूम्रपान मुक्त वातावरण में ही रखना होगा, क्योंकि अप्रत्यक्ष धूम्रपान भी प्रत्यक्ष की ही भांति नुक़सानदेह हो सकता है।
2. इस अवस्था में झुककर काम करने या कुछ भी उठाने की कोशिश न करें।
इसलिए उठते और बैठते समय शरीर की सही अवस्था का ही ध्यान रखें।
3. गर्भावस्था के सातवें महीने की अवस्था में कोई भारी सामान या वस्तु उठाने की कोशिश न करें, क्योंकि इससे भ्रूण को नुकसान होने की संभावना हो सकती है।
4. तेज़ संगीत या आवाज़ वाले वातावरण से बचें।
इसका कारण यह है कि गर्भावस्था के सातवें महीने में भ्रूण लगभग पूर्ण विकसित शरीर हो चुका है और किसी भी प्रकार की तेज़ आवाज़ शिशु को नागावर हो सकती है।
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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 02 Jun 2020
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