दाढ़ गर्भावस्था या मोलर प्रेग्नेंसी की जानकारी
All about molar pregnancy in hindi
Dhadh garbhawastha ya molar pregnancy in hindi, दाढ़ गर्भावस्था परिभाषा
Introduction

गर्भकाल में बिताया प्रत्येक पल किसी भी महिला के लिए मिश्रित भावनाओं वाले पल होता है।
गर्भवती महिला पूरी गर्भविधि में आने वाले शिशु के स्वास्थ्य, और उसके उज्ज्वल भविष्य की योजनाएँ बनाती हुई कभी प्रसन्न तो कभी चिंतित होती रहती है।
लेकिन कभी-कभी कुछ विषम परिस्थितियों के कारण गर्भकाल में महिलाओं को कुछ ऐसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिनके लिए वो तैयार नहीं होती हैं।
दाढ़ गर्भावस्था जिसे अँग्रेजी में मोलर प्रेग्नेंसी (molar pregnancy) कहते हैं, ऐसी ही एक अवस्था है जो गर्भवती ही नहीं पूरे परिवार को बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है।
आइये इस लेख के माध्यम से कि मोलर प्रेग्नेंसी अथवा दाढ़ गर्भवस्था और इससे जुड़ी शेष जानकारी के बारे में जानते हैं।
इस लेख़ में
- 1.दाढ़ गर्भावस्था क्या होती है
- 2.मोलर प्रेग्नेंसी कितने प्रकार की हो सकती है?
- 3.दाढ़ गर्भावस्था किस कारण से होती है?
- 4.मोलर प्रेग्नेंसी किन स्थितियों में हो सकती है?
- 5.दाढ़ गर्भावस्था के लक्षण क्या होते हैं?
- 6.मोलर प्रेग्नेंसी में किस तरह की परेशानी हो सकती है?
- 7.दाढ़ गर्भावस्था का निदान कैसे हो सकता है?
- 8.दाढ़ गर्भावस्था का उपचार क्या हो सकता है?
- 9.मोलर प्रेग्नेंसी के बाद गर्भधारण कब हो सकता है?
- 10.मोलर प्रेग्नेंसी के बाद दोबारा दाढ़ गर्भधारण की क्या संभावनाएँ हो सकती हैं?
दाढ़ गर्भावस्था क्या होती है
What is a molar pregnancy in hindi
Molar Pregnancy kya hoti hai in hindi

सामान्य गर्भावस्था में महिला के अंडकोश से निकला अंडाणु (egg) पुरुष के शुक्राणु (sperm) के साथ निषेचित (fertilisation) होने के बाद गर्भाशय में भ्रूण (fetus) के रूप में ठहर जाता है। इसके बाद यह विकसित होकर नौ माह बाद एक शिशु के रूप में जन्म लेता है।
इस गर्भविधि में भ्रूण और गर्भाशय का संबंध गर्भनाल (placenta) के माध्यम से जुड़ा होता है। इसी गर्भनाल (umblical cord) के माध्यम से गर्भ में शिशु को पोषण मिलता है।
लेकिन मोलर प्रेगनेंसी की स्थिति में निषेचन की प्रक्रिया सही ढंग से नहीं हो पाती है। अंडाणु जो ठीक से निषेचित नहीं हो पाता, असामान्य क्रोमोजोम के कारण ठीक से विकास भी नहीं कर पाता है। यह एक मांस के टुकड़े में परिवर्तित हो जाता है, जिसका आकार लगातार बढ़ता रहता है। इसके कारण बेटा एचसीजी का स्तर बढ़ जाता है जो ब्लड टेस्ट या होम प्रेगनेंसी टेस्ट में गर्भधारण का सकारात्मक संकेत देता है।
चिकित्सीय भाषा में मोलर प्रेग्नेंसी एक प्रकार जेस्टेटेश्नल ट्रोफोब्लास्टिक बीमारी (Gestational trophoblastic disease -GTD) है जिसमें गर्भधारण में गर्भाशय के अंदर विभिन्न प्रकार के ऐसे ट्यूमर बन जाते हैं जो आपस में जुड़े होते हैं। इसके कारण प्लेसेन्टा का असामान्य विकास होता है।
यदि गर्भाशय में मोलर प्रेग्नेंसी के रूप में गांठ बड़ी होती है जिसे आसानी से निकाला नहीं जा सकता है तब इसे दवा के माध्यम से, योनि के रास्ते बाहर निकाला जा सकता है।
मोलर प्रेग्नेंसी कितने प्रकार की हो सकती है?
Types of molar pregnancy in hindi
Molar Pregnancy ke prakar in hindi

दाढ़ गर्भावस्था (molar pregnancy) एक प्रकार की जीटीडी मानी जाती है जिसमें अंडाणु का निषेशन एक असामान्य गर्भावस्था के रूप में परिवर्तित हो जाती है।
चिकित्सक दो प्रकार की दाढ़ गर्भावस्था मानते हैं जिसे पूर्ण दाढ़ गर्भावस्था और आंशिक गर्भावस्था के रूप में जाना जाता है। गर्भावस्था में मोलर प्रेग्नेंसी एक असामान्य और दुर्लभ अवस्था मानी जाती है। इससे गर्भनाल के विकास में होने वाली परेशानी ट्रोफोब्लास्टिक डिसऑर्डर (trophoblastic) कहलाती है।
मोलर प्रेगनेंसी दो प्रकार की होती है : -
1. पूर्ण मोलर गर्भावस्था (Complete mole in hindi)
गर्भावस्था में जब महिला के निषेचित अंडाणु में आनुवंशिक गुण (chromosome) नहीं होते हैं तब गर्भाशय में भ्रूण के स्थान पर एक गांठ बन जाती है।
यह गांठ नर्म कोशिकाओं (cells) से बनी होती है जिसमें तरल पदार्थ (fluid) भरा होता है।
इस स्थिति में भ्रूण में केवल पुरुष के क्रोमोज़ोम होने के कारण उनकी संख्या दोगुनी हो जाती हैं।
इस कारण भ्रूण का विकास ठीक से हो नहीं पाता है और गर्भपात की पूर्ण संभावना बन जाती है।
इसी अवस्था को . पूर्ण मोलर गर्भावस्था (complete mole) कहा जाता है।
2. आंशिक मोलर गर्भावस्था (partial mole in hindi)
जब एक अंडाणु के साथ एक से अधिक स्वस्थ स्पर्म का निषेचन हो जाता है जब यह अवस्था आंशिक मोलर गर्भावस्था (partial molar pregnancy) बन जाती है। इसमें प्लेसेन्टा और भ्रूण दोनों का ही विकास असामान्य होता है।
इस गर्भावस्था को आंशिक मोलर इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस अवस्था में प्लेसेन्टा में दोनों प्रकार के टिश्यू मौजूद होते हैं - यानि स्वस्थ और अंगूर जैसे सिस्ट जो सम्पूर्ण दाढ़ गर्भावस्था में भी होते हैं।
आंशिक दाढ़ गर्भावस्था में एक सामान्य अंडे को दो सामान्य शुक्राणु निषेचित करते हैं, जिससे उसमें बहुत ज्यादा गुणसूत्र आ जाते हैं, इस स्थिति में निषेचित अंडा व प्लेसेंटा दोनों ही असामान्य या विकृत होते हैं।
आंशिक दाढ़ गर्भावस्था (partial molar pregnancy in hindi) में भ्रूण का विकास होता है, लेकिन दुर्भाग्यवश वह शिशु के रूप में विकसित नहीं हो पाता।
जब गर्भावस्था शुरू होने के समय महिला के अंडाणु के साथ पुरुष के शुक्राणुओं की संख्या दो या उससे अधिक हो जाती है तब गर्भ में भ्रूण और गर्भनाल दोनों के ही विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इस अवस्था में शिशु का विकास पूर्ण नहीं होता है। यह अवस्था आंशिक मोलर गर्भावस्था (partial mole) की कहलाती है।
यह देखा गया है कि लगभग 80% दाढ़ गर्भावस्था नरम और मुलायम होती है और एक बार गर्भाशय से निकाल देने के बाद महिला को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होती है।
लेकिन लगभग 20% सम्पूर्ण दाढ़ गर्भावस्था और 1%-4% आंशिक दाढ़ गर्भावस्था में या तो भ्रूण के रूप में विकसित न हो पाने वाले टिश्यू शरीर के दूसरे हिस्सों में, विशेषकर फेफड़ों (lungs) में फैल जाते हैं जिसका इलाज किया जाना जरूरी होता है, क्योंकि यह काफी जोखिम भरा होता है।
दाढ़ गर्भावस्था किस कारण से होती है?
What causes a molar pregnancy in hindi
Molar Pregnancy ke karan kya hote hain in hindi

यूँ तो दाढ़ गर्भावस्था के सटीक कारण को ठीक से परिभाषित नहीं किया जा सकता है।
फिर भी मोलर प्रेगनेंसी या दाढ़ गर्भावस्था के कारण निम्न हो सकते हैं : -
1. भ्रूण में गुणसूत्रों का विकार होना (Chromosomal defect in embryo)
सामान्य स्थितियों में भ्रूण में आने वाले गुणसूत्र आधे-आधे यानि 23 माता और 23 पिता की ओर से आते हैं।
लेकिन कभी-कभी पिता की ओर से आने वाले गुणसूत्रों की संख्या अधिक हो जाती है।
ऐसे में निषेचित भ्रूण (fertilised embryo) जीवित नहीं रह पाता है।
आमतौर पर यह स्थिति गर्भावस्था की प्रारंभिक स्तर पर होती है।
इसके अतिरिक्त यदि निषेचित अंडाणु में केवल एक ही व्यक्ति अथार्थ महिला या पुरुष के गुणसूत्र (chromosomes) होते हैं तब भी भ्रूण शिशु के रूप में नहीं बल्कि गांठ के रूप में विकसित हो जाता है।
2. गर्भ में निषेचन का असामान्य होना ( Abnormal Fertilization)
गर्भ में निषेचन की प्रक्रिया निम्न प्रकार से असामान्य हो सकती है : -
(1) कभी-कभी निषेचित भ्रूण में गंभीर जन्मजात विकृति (congenital birth defects) होती है तब इस स्थिति में भ्रूण एक शिशु के रूप में विकसित न होकर एक मांस के टुकड़े के रूप में विकसित हो जाता है। ऐसा प्रायः तब होता है जब महिला का अंडाणु अस्वस्थ हो और पुरुष का शुक्राणु स्वस्थ हो या फिर विपरीत स्थिति में भी आंशिक मोलर प्रेग्नेंसी हो सकती है।
(2) एक बहुत दुर्लभ स्थिति भी हो सकती है जब गर्भ में जुड़वा भ्रूण विकसित होने की शुरुआत हो और एक भ्रूण सामान्य व दूसरा असामान्य हो। ऐसे में जल्द ही सामान्य भ्रूण भी असामान्य भ्रूण में परिवर्तित हो जाता है।
मोलर प्रेग्नेंसी किन स्थितियों में हो सकती है?
What are the risk factors for molar pregnancy in hindi
Molar Pregnancy ke jokhim kya ho sakte hain in hindi

सामान्य रूप में चिकित्सकों का मानना है कि 1000 गर्भवती महिलाओं में से केवल 1 गर्भवती महिला को मोलर प्रेग्नेंसी होने का जोखिम होता है।
फिर भी गर्भकाल में महिला को मोलर प्रेग्नेंसी होने का जोखिम निम्न कारकों से हो सकता है : -
1. यदि गर्भधारण करते समय महिला की आयु या तो 20 वर्ष से कम या फिर 35 वर्ष से अधिक हो, तब इसकी संभावना अधिक हो जाती है।
वैसे चिकित्सकों का मानना है कि यह स्थिति किसी को भी हो सकती है।
2. यदि महिला के पहले गर्भकाल में या फिर परिवार में मोलर प्रेग्नेंसी का इतिहास रहा हो तब दोबारा भी इस स्थिति के होने का जोखिम हो सकता है।
(लेकिन ऐसा होना जरूरी नहीं है)।
3. यदि गर्भवती महिला के पोषण में विटामिन ए या कैरोटोन और फोलिक एसिड के साथ शरीर के लिए ज़रूरी फैट की मात्रा काफी कम हो गई है।
4. गर्भवती महिला को यदि अंडोत्सर्ग विकृति (ovulatory disorder) जैसे पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (polycystic ovary syndrome) या (PCOS) आदि की परेशानी हो;
6. यदि किसी महिला को इतिहास में एक से अधिक गर्भपात हो चुके हैं तब भी मोलर प्रेग्नेंसी के जोखिम अधिक हो जाते हैं।
7. यदि महिला को पहली गर्भावस्था में ट्रोफोब्लास्टिक नाम की परेशानी हो गई हो।
8. गर्भवती महिला के द्वारा अधिक मात्रा में गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन किया गया हो।
दाढ़ गर्भावस्था के लक्षण क्या होते हैं?
What are the symptoms of a molar pregnancy in hindi
molar pregnancy symptoms kya hote hain in hindi

अक्सर गर्भकाल में मोलर प्रेग्नेंसी होने का पता नहीं चल पाता है। महिला के गर्भवती होने पर किये गए परीक्षण (pregnancy tests) में दाढ़ गर्भावस्था के लक्षण आमतौर पता नहीं लगा पाते हैं।
बल्कि वास्तविकता तो यह है कि गर्भावस्था की पहली तिमाही और चौथे महीने तक गर्भवती महिला को कोई विशेष लक्षण या संकेत महसूस नहीं होते हैं।
लेकिन कुछ समय बाद निम्न में से कुछ लक्षण मोलर गर्भावस्था के लक्षण के रूप में दिखाई दे सकते हैं:
- गर्भाशय के आकार में तेज़ी से असामान्य वृद्धि दिखाई देना।
- पेट में बहुत अधिक सूजन (abdominal bloating) महसूस होना;
- गर्भावस्था की शुरुआत में योनि से गहरे रंग का स्त्राव होना।
- गंभीर रूप से चक्कर आना या उल्टी होना।
- योनि से अंगूर जैसे कोशिकाओं या टुकड़ों (tissues) का निकलना।
- गर्भाशय में भ्रूण की हरकत या दिल की धड़कन का न सुनाई देना
- रक्तचाप का बहुत अधिक ऊंचा रहना।
- हाइपरथाइरोडिज्म (hyperthyroidism) की परेशानी जिसमें थॉयरॉड हार्मोन अधिक बनने लगते हैं जिससे भूख बढ़ जाती है और वज़न में तेज़ी से कमी आती है।
- कूल्हों (pelvic) और कमर में अत्याधिक दर्द होना।
- गर्भवती महिला के शरीर में ख़ून की कमी (anemia) होना।
- थकान, सांस फूलना और शक्तिहीन महसूस होना जैसे शरीर से बहुत अधिक रक्त निकल गया हो
- थाईरॉड ग्रंथि का बहुत अधिक सक्रिय होना जिसमें हृदय की धड़कनों का बहुत तेज़ होना, स्किन में गर्माहट महसूस होना। इसके अतिरिक्त कभी-कभी महिला को कपकपी जैसा भी महसूस हो सकता है, आमतौर पर यह तब हो सकता है जब गर्भ में पूर्ण दाढ़ गर्भवस्था हो।
- प्री-एक्लेम्पसिया (preeclampsia) के कारण उच्च रक्तचाप रहना जिसे टोक्सोमिया प्रेग्नेंसी भी कहा जाता है। आमतौर पर यह स्थिति मोलर प्रेग्नेंसी के 12 हफ्ते से ऊपर हो जाने पर उत्पन्न होती है।
- प्री-एक्लेम्पसिया की स्थिति जिसके कारण गर्भावस्था के पाँच महीने बाद ब्लडप्रेशर और यूरिन में प्रोटीन की मात्रा बहुत बढ़ जाती है।
मोलर प्रेग्नेंसी में किस तरह की परेशानी हो सकती है?
What are the complications of a molar pregnancy in hindi
Molar Pregnancy mein kya pareshani ho sakti hain in hindi

गर्भवती महिला को मोलर प्रेग्नेंसी में होने वाली परेशानियाँ इस प्रकार की हो सकती हैं: -
1. प्लेसेंटा टिशु (placenta tissues) में होने वाली नियमित रूप से असामान्य वृद्धि
2. इंवेसिव मोल (invasive mole) जो दरअसल एक ट्यूमर के रूप में गर्भाशय की दीवारों में फैल जाता है।
3. मेटेस्टेक्तिक मोल (metastatic mole) जिसमें मोलर सेल्स, शरीर के दूसरे भागों में भी फैल जाते हैं और दूसरे ट्यूमर का कारण बन जाते हैं। अधिकतर यह परेशानी फेफड़ों में अपना घर बन लेती हैं।
4. जेस्टेटिशिनल कोरियोकारिनोमा (gestational choriocarcinoma) एक गंभीर प्रकार का कैंसर है जो शरीर में रक्त वाहिनियों (blood vessels) की मदद से पूरे शरीर में फैल सकता है।
दाढ़ गर्भावस्था का निदान कैसे हो सकता है?
How is molar pregnancy diagnosed in hindi
Molar Pregnancy ka pata kaise chalta hai in hindi

यदि गर्भवती महिला निम्न स्थितियों से गुज़र चुकी है तब दाढ़ गर्भावस्था की जांच करना थोड़ा कठिन हो जाता है:-
1. यदि गर्भवती महिला का गर्भपात हो जाता है और तो तब तक वह मोलर प्रेग्नेंसी के बारे में नहीं जान सकती जब तक वह मृत भ्रूण की प्रयोगशाला में जांच न करवा ले।
2. यदि गर्भवती महिला की पिछली प्रेग्नेंसी और प्रसव सामान्य रही हो तब, जब तक महिला की प्रेग्नेंसी में मोलर प्रेग्नेंसी के लक्षण न हो, इसकी उपस्थिति का शक नहीं हो सकता है।
सामान्य रूप से दाढ़ गर्भावस्था का निदान पहले से तब तक नहीं हो सकता जब तक डॉक्टर इसके लक्षणों को पहचान न कर ले।
गर्भावस्था में मोलर प्रेगनेंसी के लक्षणों का अनुभव होने पर डॉक्टर निम्न जांच की सलाह दे सकते हैं : -
- ब्लड टेस्ट (Blood Test)
ब्लड टेस्ट के माध्यम से प्रेग्नेंसी हॉरमोन या ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (human chorionic gonadotropin (HCG) की जांच की जा सकती है।
इस टेस्ट में प्रेग्नेंसी हॉरमोन के काफी अधिक आने पर मोलर प्रेग्नेंसी का शक हो सकता है।
- अल्ट्रासाउंड (Ultrasound)
प्रेग्नेंसी डॉक्टर मोलर प्रेग्नेंसी को सुनिश्चित करने के लिए गर्भवती महिला को अल्ट्रासाउंड जांच कराने के लिए भी कह सकते हैं।
अल्ट्रासाउंड की हाई-फ्रिक्वेक्सी तंरगे, गर्भ और पेल्वीक क्षेत्र के कोमल टिश्यू की जांच करती हैं, क्योंकि प्रेग्नेंसी की शुरुआत में गर्भाशय और फैलोपिन ट्यूब (fallopian tubes), योनि के नज़दीक ही होते हैं इसलिए इस समय अल्ट्रासाउंड की तरंगों को योनि के आस-पास ही घुमाकर मोलर प्रेग्नेंसी का पता लगाने का प्रयास किया जाता है।
इस तकनीक के माध्यम से गर्भावस्था की पहली तिमाही या प्रेग्नेंसी के आठवें/नवें हफ्ते में ही दाढ़ गर्भावस्था का पता लगाना संभव होता है।
इस जांच के परिणाम निम्न रूप में आ सकते हैं: -
1. भ्रूण का न होना
2. गर्भाशय फ़्ल्यूड (amniotic fluid) का न होना
3. गर्भाशय में सिस्टिक प्लेसेन्टा (cystic placenta) का होना
4. अंडाशय (ovarian) में गांठ (cyst) होना
सामान्य रूप से इनमें से अधिकतम स्थितियाँ आंशिक दाढ़ गर्भावस्था (partial molar pregnancy) की ओर इशारा करती हैं।
यदि डॉक्टर को अल्ट्रासाउंड की जांच में मोलर प्रेग्नेंसी (molar pregnancy in hindi) होने के संकेत मिल जाते हैं तब वे इसे और अधिक सुनिश्चित करने के लिए या इससे जुड़ी परेशानी की जांच करने की सलाह दे सकते हैं।
मोलर प्रेगनेंसी से जुड़ी परेशानी निम्न हो सकती है : -
1. प्रिक्लेम्पसिया (Preeclampsia)
2. हाइपोथाइरोयड (Hyperthyroidism)
3. खून की कमी होना (Anemia)
दाढ़ गर्भावस्था का उपचार क्या हो सकता है?
What are the treatment options for molar pregnancy in hindi
Molar Pregnancy ka treatment kya hota hai in hindi

आमतौर पर मोलर प्रेग्नेंसी का विकास, सामान्य प्रेग्नेंसी के रूप में नहीं होता है। इस अवस्था में परेशानियों को गंभीर होने से बचाने के लिए यह जरूरी है कि असामान्य प्लेसेन्टा के उत्तकों को गर्भ में से हटा दिया जाये।
इस प्रकार दाढ़ गर्भावस्था के उपचार के रूप में आवश्यकतानुसार निम्न में से किसी एक या सभी विकल्पों को अपनाया जा सकता है:
1. डाइलेशन और क्यूरेटेज (Dilation and Curettage in hindi)
मोलर प्रेग्नेंसी के उपचार की तकनीक को बोलचाल की भाषा में या संक्षिप्त रूप डी एंड सी (D&C) के नाम से भी जाना जाता है।
इस तकनीक के अंतर्गत गर्भवती महिला के कूल्हे वाले हिस्से हो जनरल एनेस्थेशिया से सुन्न कर कर दिया जाता है।
इससे इलाज प्रक्रिया के दौरान महिला के शरीर का निचला हिस्सा हिलने-डुलने में असमर्थ हो जाता है।
इसके बाद एक पतली ट्यूब की सहायता से महिला की गर्भाशय ग्रीवा (cervix) को फैलाया जाता है।
इससे बाद डॉक्टर के पास मौजूद दूसरे उपकरण की मदद से गर्भाशय के अंदर के उत्तक (tissues) निकाल दिये जाते हैं।
यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके बाद महिला को अस्पताल से घर भेजा जा सकता है।
अगर ये टिशु आकार में काफी बड़े होते हैं, तो आपकी योनि से इसे खुद-ब-खुद बाहर आने के लिए, आपको दवाएं दी जा सकती हैं।
3. हिस्टरेक्टमी (Hysterectomy in Hindi)
जब मोलर प्रेग्नेंसी की स्थिति में महिला भविष्य में गर्भाधान करने की इच्छुक न हो तब उनका प्रभावित गर्भाशय सर्जरी के माध्यम से निकाल दिया जाता है।
इसके लिए जिस प्रक्रिया का सहारा लिया जा सकता है उसे हिस्टरेक्टमी (hysterectomy) कहा जाता है।
दाढ़ गर्भवस्था के उपचार के रूप में जब इनमें से किसी भी एक तकनीक का प्रयोग किया जाता है तब प्रभावित महिला का लगभग एक वर्ष तक उनके प्रेग्नेंसी हार्मोन यानि एचसीजी के निर्माण एवं विकास को नियमित रूप से जांचा जाता है।
यदि इस जांच में कोई अंतर पाया जाता है तब इसका अर्थ है कि महिला के शरीर में प्रभावित उत्तक अभी भी हैं।
इस स्थिति में दाढ़ गर्भावस्था के उपचार के लिए अन्य विकल्पों का सहारा लिया जाता है।
इसके अतिरिक्त यह भी हो सकता है कि महिला पुनः गर्भवती हो गई हो जो नहीं होना चाहिए, क्योंकि चिकित्सक इन उपचार पद्धतियों के प्रयोग के बाद महिला को पुनः गर्भधारण के लिए छह महीने से लेकर एक वर्ष तक का इंतज़ार करने कि सलाह देते हैं।
इसलिए गर्भधारण रोकने के लिए डॉक्टर कुछ गर्भनिरोधक दवाओं का इस्तेमाल करने का सुझाव भी दे सकते हैं।
मोलर प्रेग्नेंसी के बाद गर्भधारण कब हो सकता है?
When can you conceive after a molar pregnancy is treated in hindi
Molar Pregnancy ke baad next pregnancy kab ho sakti hai in hindi

महिला का एक बार दाढ़ गर्भवस्था के उपचार होने के बाद पुनः गर्भधारण के लिए, चिकित्सक उन्हें कम से कम छह महीने से लेकर एक वर्ष तक के समय का अंतर रखने की सलाह दे सकते हैं।
इसके अतिरिक्त समय-समय पर की जाने वाली एचसीजी की जांच करके भी गर्भाशय में होने वाली अतिरक्ति उत्तकों की वृद्धि की संभावना की भी जांच की जाती है।
इस जांच का परिणाम नेगेटिव आने पर ही दाढ़ गर्भावस्था के बाद पुनः गर्भधारण के लिए महिला को तैयार माना जा सकता है।
मोलर प्रेग्नेंसी के बाद दोबारा दाढ़ गर्भधारण की क्या संभावनाएँ हो सकती हैं?
What are the chances of having a recurring molar pregnancy in hindi
Molar Pregnancy ke dobara hone ke kya chance hote hain in hindi
यदि कोई महिला की गर्भावस्था, दाढ़ गर्भवस्था के रूप में परिवर्तित हो जाती है तब उपचार के बाद मोलर प्रेग्नेंसी के दोबारा होने की संभावना केवल 1-2 % ही होती है। इसका कारण है कि दाढ़ गर्भवस्था के उपचार की सफलता दर 90-95% तक आँकी जाती है।
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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 02 Jun 2020
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