गर्भपात के लक्षण, कारण और उपचार क्या हैं

What are the symptoms, causes and treatment of miscarriage in hindi

Garbhpat (आधे गर्भपात) ke lakshan, karan or upchar


Introduction

Introduction

गर्भधारण के पहले 20 सप्ताह में भ्रूण की क्षति गर्भपात कहलाती है। गर्भपात आमतौर पर प्रेगनेंसी की पहली तिमाही के दौरान होता है।

हालांकि, कुछ मामलों में प्रेगनेंसी के 12 से 24 हफ्ते के बीच में भी गर्भपात होने की संभावना होती है।

अगर गर्भावस्था के पहले 12 हफ्तों में गर्भपात होता है, तो इसे प्रारंभिक गर्भपात (early miscarriage) कहा जाता है।

अगर इसके बाद ऐसा होता है, तो इसे देर से गर्भपात (late miscarriage) कहा जाता है।

ज्यादातर मामलों में, गर्भपात को रोका नहीं जा सकता है क्योंकि ये भ्रूण के विकास के साथ गुणसूत्र असामान्यता (chromosomal abnormalities) या समस्या का परिणाम होता है।

फिर भी, कुछ कारक - जैसे कि माँ की उम्र, धूम्रपान, अल्कोहल का सेवन और गर्भपात से जुड़ा इतिहास, गर्भपात की संभावना को बढ़ा सकते हैं।

अक्सर लोग मिसकैरेज को एबॉर्शन समझने की गलती करते हैं, लेकिन वास्तव में ऐसा होता नहीं है।

गर्भपात, गर्भावस्था की प्राकृतिक शब्दावली (natural terminology) है जबकि एबॉर्शन तब होता है, जब गर्भावस्था को समाप्त करने के उद्देश्य से मेडिकल प्रक्रिया की जाती है।

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इस लेख़ में

  1. 1.गर्भपात (miscarriage), एबॉर्शन और स्टिलबर्थ के बीच अंतर क्या है?
  2. 2.गर्भपात के कारण क्या हैं?
  3. 3.गर्भपात के संकेत और लक्षण क्या हैं?
  4. 4.गर्भपात के खतरे को बढ़ाने वाले कारक क्या हैं?
  5. 5.गर्भपात के प्रकार क्या हैं?
  6. 6.गर्भपात होने की संभावना क्या है?
  7. 7.गर्भपात का निदान कैसे किया जाता है?
  8. 8.गर्भपात का इलाज क्या है?
  9. 9.गर्भपात के बाद उबरने में कितना समय लगता है?
  10. 10.गर्भपात के बाद आप कब गर्भवती हो सकती हैं?
  11. 11.क्या गर्भपात से बचाव किया जा सकता है?
 

गर्भपात (miscarriage), एबॉर्शन और स्टिलबर्थ के बीच अंतर क्या है?

What are the differences between miscarriage, abortion and stillbirth? in hindi

Miscarriage, abortion (आधे गर्भपात) or stillbirth mei kya antar hai

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गर्भपात, गर्भावस्था की समाप्ति को दर्शाता है, जो कुछ कारणों से अपने आप प्राकृतिक रूप से हो जाता है।

इसमें किसी तरह के दवा या सर्जरी प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

वहीं एबॉर्शन तब होता है, जब गर्भावस्था को समाप्त करने के उद्देश्य से सर्जरी प्रक्रिया की मदद ली जाती है या मेडिसीन की मदद से एबॉर्शन कराया जाता है।

मिसकैरेज (miscarriage) और स्टिलबर्थ (stillbirth) दोनों गर्भावस्था के नुकसान को दर्शाते हैं, लेकिन दोनों स्थितियों के नुकसान अलग-अलग चरणों में होते हैं।

गर्भावस्था के 20वें सप्ताह से पहले होने वाले नुकसान को आमतौर पर गर्भपात माना जाता है।

वहीं अगर बच्चे की मृत्यु 20वें हफ्ते के बाद गर्भ में हो जाती है तो उसे स्टिलबर्थ (stillbirth) कहा जाता है।

स्टिलबर्थ की स्थिति में बच्चा पैदा होने से पहले ही मर जाता है।

 

गर्भपात के कारण क्या हैं?

What are the causes of miscarriage? in hindi

Garbhpat ke karan kya hain

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मिसकैरेज होने के कई कारण होते हैं लेकिन अधिकांश मामलों में कारण की पहचान नहीं की जा सकती है।

हालांकि, शुरुआती तीन महीनों के दौरान, गर्भपात होने का सबसे आम कारण गुणसूत्रीय असामान्यता (chromosomal abnormalities) होता है - जिसका अर्थ है कि बच्चे के क्रोमोज़ोम्स से संबंधित कोई समस्या होना।

आइए इस पहलू यानि मिसकैरेज क्यों होता है इसे विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं।

गर्भपात होने के कारण इस प्रकार हैं :

आनुवंशिक या गुणसूत्र समस्याएं (Genetic or chromosome issues)

पहली तिमाही में कई गर्भपात क्रोमोसोमल विकारों (chromosomal disorders) के कारण होते हैं।

क्रोमोज़ोम्स मानव शरीर में मौजूद छोटी-छोटी संरचनाओं को कहते हैं, जिनमें जीन (gene) समाहित होते हैं।

अंडा और शुक्राणु दोनों ही भ्रूण में 23-23 गुणसूत्र (23 chromosomes) लाते हैं और अगर कोई क्रोमोज़ोम्स दोष पूर्ण (faulty) हो जाता है, तो ये आनुवंशिक असामान्यता (genetic abnormality) का कारण बनता है और भ्रूण के विकास को प्रभावित कर सकता है।

वहीं अगर गर्भवती महिला की उम्र 35 या उससे अधिक होती है, तो गुणसूत्र संबंधी समस्याओं और गर्भपात का ख़तरा बढ़ जाता है।

हार्मोनल असामान्यताएं (Hormonal abnormalities)

हार्मोनल स्तर में असंतुलन, जैसे प्रोजेस्टेरोन हार्मोन (progesterone hormone) का कम होता स्तर, निषेचित अंडे (fertilized eggs) को गर्भाशय में प्रत्यारोपित (implant) होने से रोकती है।

इसके अलावा, हार्मोनल समस्याएं, जैसे कि पीसीओएस (PCOS), गर्भपात के जोखिम को बढ़ा सकती हैं।

गर्भाशय या गर्भाशय ग्रीवा की समस्याएं (Uterine or cervical problems)

कुछ महिलाओं में जन्म से ही है गर्भाशय का आकार असामान्य होता है, जिस कारण गर्भावस्था को बनाए रखने में परेशानी आती है।

सर्वाइकल से जुड़ी समस्या के कारण भ्रूण यूटेरस में इम्प्लांट होने में समर्थ नहीं हो पाता है और गर्भपात का कारण बन जाता है।

वहीं इन्कॉमपिटेंट सर्विक्स (incompetent cervix) होने पर सर्विक्स गर्भावस्था के दौरान बहुत जल्दी खुल जाती है जो गर्भपात का कारण बन सकती है।

पुरानी बीमारियां (Chronic ailments)

अनुपचारित या अनियंत्रित मधुमेह, थायराइड की समस्याएं, हृदय रोग, किडनी और लिवर रोग और ऑटोइम्यून रोग (autoimmune diseases) जैसे - ल्यूपस (lupus), भ्रूण के विकास को प्रभावित करते हैं और गर्भपात का कारण बनते हैं।

तेज़ बुखार (High fever)

अगर गर्भावस्था की शुरुआत में आपके शरीर का तापमान 102 डिग्री से अधिक है, तो ये भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकता है जिससे गर्भपात हो सकता है।

जीवनशैली कारक (Lifestyle factors)

गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने से या शराब का सेवन करने से या फिर अवैध दवाओं का उपयोग करने से भी गर्भपात हो सकता है।

ये तमाम कारक गर्भ में बच्चे के मरने के कारण हो सकते हैं, जो माँ को भावनात्मक रूप से प्रभावित कर देते हैं।

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गर्भपात के संकेत और लक्षण क्या हैं?

What are the signs and symptoms of miscarriage? in hindi

Miscarriage ke lakshan or sanket kya hain in hindi

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मिसकैरेज होने के लक्षण में सबसे आम लक्षण है योनि से ब्लीडिंग होना और पेट में ऐंठन होना।

हालांकि, लक्षण गर्भावधि उम्र (gestational age), और कारक (factors) के आधार पर भिन्न होते हैं।

कुछ मामलों में, गर्भावस्था की शुरुआत में आपको पता भी नहीं चलेगा कि आपका गर्भपात हो गया है और सिर्फ पीरियड जैसा अनुभव होगा।

ये पहले महीने में गर्भपात के लक्षण होते हैं या यूं कहें कि ये लक्षण प्रेगनेंसी के 13वें हफ्ते में दिखाई देते हैं।

मिसकैरेज होने के लक्षण निम्नलिखित हैं :

  • रक्तस्राव (bleeding) जो हल्के से अधिक होने लगे
  • कमर दर्द का गंभीर रुप से बढ़ते जाना (अक्सर सामान्य मासिक धर्म ऐंठन से भी अधिक)
  • आपकी योनि से ऊतक (tissues) या तरल पदार्थ (fluid) का निकलना
  • गंभीर पेट दर्द या हर 5-20 मिनट में संकुचन होना
  • गर्भावस्था के लक्षणों में कमी आना, जैसे मतली और उल्टी

अगर आपको गर्भावस्था के दौरान इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

कुछ मामलों में मिस्कैरेज न भी हुआ हो, तब भी प्रेगनेंसी के दौरान उपयुक्त लक्षणों का अनुभव करना संभव है।

ऐसे में डॉक्टर कुछ टेस्ट करके सही कारण का पता लगाने की कोशिश करेंगे।

 

गर्भपात के खतरे को बढ़ाने वाले कारक क्या हैं?

What are the factors that increases the risk of miscarriage? in hindi

Aese kauns se karak hain jo miscarriage ke khatre ko badhate hain पेट में बच्चा कैसे ख़राब होता है

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ऐसे कई मामलों में माँ की उम्र और जीवनशैली की आदतें भ्रूण के विकास में रुकावट पैदा कर सकती हैं, जिससे मिस्कैरेज का ख़तरा बढ़ जाता है।

कुछ जोखिम कारक गर्भपात होने की संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं, इसमें शामिल है:

  • अगर महिला की उम्र 35 वर्ष से अधिक हो
  • पहले भी गर्भपात हुआ हो
  • धूम्रपान, अल्कोहल का सेवन और नशीली दवाओं का उपयोग
  • कम वज़न या अधिक वज़न होना
  • खान-पान सही न होना या कुपोषित होना
  • मधुमेह जैसी पुरानी, ​​अनियंत्रित स्थिति
  • हादसे के कारण हुए घाव
  • कुछ दवाएं जैसे (non-steroidal anti-inflammatory drugs-NSAIDs)

इसके अलावा अगर आप एक बच्चे को जन्म देने के तुरंत बाद या तीन महीने बाद फिर से प्रेग्नेंट हो जाती हैं तो मिस्कैरेज होने की संभावना भी अधिक हो जाती है।

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गर्भपात के प्रकार क्या हैं?

What are the types of miscarriage? in hindi

Miscarriage ke prakar kya hain

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गर्भपात के कई प्रकार हैं।

आपके लक्षणों और प्रेगनेंसी की स्टेज के आधार पर, डॉक्टर आपकी स्थिति का निदान निम्न में से एक के रूप में करेंगे:।

डर बनाने वाला गर्भपात (Threatened miscarriage)

पहली तिमाही के दौरान हल्के धब्बे या रक्तस्राव हो सकते हैं और कभी-कभी पेट में ऐंठन होती है, लेकिन गर्भावस्था जारी रहती है।

पूर्ण गर्भपात (Complete miscarriage)

भ्रूण और प्लेसेंटा सहित पूरे गर्भावस्था के टिश्यू ब्लीडिंग के ज़रिए निकल जाते हैं और इस दौरान दर्द का भी अनुभव होता है।

अपूर्ण गर्भपात (Incomplete miscarriage)

केवल ऊतक (tissue) का एक हिस्सा ब्लीडिंग के माध्यम से शरीर से निकल जाता है, जबकि दूसरा हिस्सा अभी भी गर्भाशय में रहता है। इस दौरान गंभीर ऐंठन और भारी रक्स्राव की भी समस्या होती है।

मिस्ड या साइलेंट गर्भपात (Missed or silent miscarriage)

भ्रूण की मृत्यु हो जाती है लेकिन न टिश्यू निकलते हैं और न ही ब्लीडिंग होती है और आपको कुछ पता भी नहीं चल पाता है।

अपरिहार्य गर्भपात (Inevitable miscarriage)

एक अपरिहार्य गर्भपात तब होता है, जब गर्भाशय ग्रीवा (cervix) पहले से ही पतला हो गया है, लेकिन भ्रूण को अभी तक बाहर नहीं निकाला गया है। इस समय हेवी ब्लीडिंग और तेज़ ऐंठन का अनुभव होता है।

सेप्टिक गर्भपात (Septic miscarriage)

गर्भपात संक्रमित हो जाता है। एक दुर्गंध के साथ पेट में दर्द, ब्लीडिंग और डिस्चार्ज हो सकता है।

इस स्थिति से गर्भाशय में संक्रमण फैलने का ख़तरा, पैल्विक संक्रमण (pelvic infection) का कारण बनता है और सेप्सिस (sepsis) हो सकता है।

 

गर्भपात होने की संभावना क्या है?

What are the chances of having a miscarriage? in hindi

Miscarriage hone ki sambhavna kya hai

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माँ बनने की उम्र के दौरान महिलाओं के लिए, गर्भपात होने की संभावना 10-25% तक हो सकती है, और अधिकांश स्वस्थ महिलाओं में औसतन लगभग 15-20% संभावना होती है।

  • माँ की आयु में वृद्धि गर्भपात की संभावना को प्रभावित करती है
  • 35 साल से कम उम्र की महिलाओं में गर्भपात की संभावना लगभग 15% होती है
  • जो महिलाएं 35-45 वर्ष की होती हैं, उनके गर्भपात की संभावना 20-35% होती है
  • 45 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में गर्भपात की संभावना 50% तक हो सकती है
  • एक महिला जिसका पहले गर्भपात हुआ था, उसके साथ दोबारा ऐसा होने की संभावना 25% होती है।
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गर्भपात का निदान कैसे किया जाता है?

How is miscarriage diagnosed? in hindi

Garbhpat ka nidan kaise kiya jata hai

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एक बार जब गर्भवती महिला को मिस्कैरेज के लक्षणों का अनुभव होता है, तो उसे जल्द-से-जल्द डॉक्टर से मिलना चाहिए क्योंकि डॉक्टर टेस्ट की मदद से इसका निदान कर सकते हैं।

अगर गर्भपात का सही समय पर निदान नहीं किया जाता है, तो ये महिला के लिए इन्फेक्शन का कारण भी बन सकता है और आगे चलकर ख़तरा बढ़ा सकता है।

इसलिए सही समय पर निदान किया जाना आवश्यक हो जाता है।

निम्न तरीकों से मिस्कैरेज का निदान किया जा सकता है:

पेल्विक जाँच (Pelvic test)

इसके अंतर्गत आपके डॉक्टर ये देखने की कोशिश करेंगे कि आपके सर्विस का फैलाव हुआ है की नहीं।

अल्ट्रासाउंड (Ultrasound)

अल्ट्रासाउंड की मदद से डॉक्टर भ्रूण के दिल की धड़कन को चेक करेंगे और ये पता लगाएंगे कि गर्भ में भ्रूण का विकास सामान्य रूप से हो रहा है या की नहीं।

अगर निदान नहीं किया जा सकता है, तो आपको लगभग एक हफ्ते के अंदर एक और अल्ट्रासाउंड कराने की आवश्यकता हो सकती है।

रक्त परीक्षण (Blood test)

ब्लड टेस्ट की मदद से डॉक्टर आपके रक्त में गर्भावस्था हार्मोन (preganncy hromone), ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (human chorionic gonadotropin - HCG) के स्तर की जांच कर सकते हैं और पिछले लेवल से तुलना कर सकते हैं।

अगर आपके एचसीजी स्तर में बदलाव दिखता है, तो ये समस्या की ओर इशारा कर सकता है।

ऐसे में आपके डॉक्टर ये देखने के लिए जाँच कर सकते हैं कि क्या आप एनीमिक हैं - जो तब हो सकता है, अगर आपने महत्वपूर्ण रक्तस्राव का अनुभव किया हो - और आपके रक्त के प्रकार की भी जाँच कर सकते हैं।

ऊतक परीक्षण (Tissue test)

अगर सर्विक्स (cervix) से टिश्यू निकलना शुरू हो गए हैं, तो इसका पता लगाने के लिए टिश्यू के सैंपल को लैब में भेजा जा सकता है कि ताकि गर्भपात का पता लगाया जा सके। साथ ही ये भी पता चल सके कि ये लक्षण किसी और समस्या से जुड़े हुए तो नहीं है।

क्रोमोज़ोमल परीक्षण (Chromosomal test)

अगर आपके पहले दो या अधिक गर्भपात हो चुके हैं, तो आपके डॉक्टर क्रोमोज़ोम से जुड़ी समस्या का पता लगाने के लिए आपके और आपके साथी दोनों का ब्लड टेस्ट कर सकते हैं।

और पढ़ें:गर्भपात के लक्षण, कारण और उपचार क्या हैं
 

गर्भपात का इलाज क्या है?

What is the treatment for miscarriage? in hindi

Miscarriage ka ilaj kya hai

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गर्भपात के उपचार दरअसल गर्भपात के प्रकार पर निर्भर करते हैं। अगर गर्भपात के बाद शरीर में कोई गर्भावस्था के टिश्यू बचे हुए नहीं हैं, तो आपको किसी भी उपचार की आवश्यकता नहीं है। हालांकि अगर कुछ टिश्यू अभी भी शरीर में मौजूद हैं, तो आपको उपचार की आवश्यकता है।

अगर आपके शरीर में अभी भी कुछ टिश्यू मौजूद हैं, तो उपचार के कुछ अलग विकल्प हैं:

एक्सपेक्टेंट मैनेजमेंट (Expectant management)

इसमें ये देखने के लिए बार-बार चेक-अप किया जाएगा कि क्या बचे हुए टिश्यू स्वाभाविक रूप से बाहर निकल गए हैं या नहीं।

चिकित्सा प्रबंधन (Medical management)

गर्भावस्था के टिश्यू को शरीर से बाहर निकालने में मदद करने के लिए दवा (जैसे मिसोप्रोस्टोल) दी जाती है। ये मुख्य रूप से गर्भाशय को सिकोड़ता है और टिश्यू को बाहर निकालने में मदद करता है।

सर्जिकल प्रबंधन (Surgical management)

शरीर में बचे हुए प्रेगनेंसी टिश्यू को डायलेशन एंड क्यूरेटेज (dilation and curettage (D&C) सर्जरी का उपयोग करके हटा दिया जाता है।

इस दौरान गर्भाशय ग्रीवा खोला जाता है और गर्भाशय से गर्भावस्था के ऊतक को हटाने के लिए या तो सक्शन या एक मूत्रवर्धक साधन (curette instrument) का उपयोग किया जाता है। सर्जरी तभी की जाती है जब टिश्यू खुद बाहर नहीं निकलते हैं।

इन उपयुक्त विकल्पों से जटिलताएं बहुत कम है। ऐसे में आप अपने डॉक्टर के साथ विचार करके, अपने लिए सबसे अच्छे उपचार विकल्प का चयन कर सकते हैं।

और पढ़ें:गर्भवस्था के दौरान आयरन की कमी (एनीमिया) होने के कारण, लक्षण और उपचार
 

गर्भपात के बाद उबरने में कितना समय लगता है?

How long does it take to recover from miscarriage (pregnancy loss)? in hindi

Miscarriage ke baad ubarne mei kitna samay lagta hai

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शारीरिक रूप से, गर्भपात के बाद आपके शरीर को ठीक होने में कुछ हफ्ते या महीनों तक का समय लग सकता है।

हालांकि, ये इस बात पर निर्भर करता है कि गर्भपात गर्भावस्था के कितने हफ्ते बाद हुआ है।

गर्भपात के बाद गर्भावस्था के हार्मोन कुछ महीनों तक ब्लड में रह सकते हैं, लेकिन गर्भपात के बाद पीरियड चार से छह सप्ताह बाद सामान्य रूप से शुरू हो जाते हैं।

आपको गर्भपात के बाद लगभग दो सप्ताह तक टैम्पोन का उपयोग करने या यौन संबंध बनाने से बचना चाहिए।

वहीं भावनात्मक रूप से, मिस्कैरेज के बाद महिला को उबरने में अधिक समय लग सकता है।

गर्भपात से जुड़ा अनुभव आपको परेशान कर सकता है।

आपको अपने साथी, परिवार और दोस्तों की मदद की आवश्यकता हो सकती है।

ऐसे इस दौरान अकेले रहने से बचें और खुद को व्यस्त रखें ताकि आपको मिस्कैरेज के अनुभव को भूलने में मदद मिल सके।

और पढ़ें:गर्भावस्था के दौरान एचआईवी/एड्स
 

गर्भपात के बाद आप कब गर्भवती हो सकती हैं?

When can you get pregnant after miscarriage? in hindi

Garbhpat ke baad aap kab garbhwati ho sakti hain

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गर्भपात के बाद, एक महिला को पहले शारीरिक और भावनात्मक रूप से मज़बूत होना चाहिए और उसके बाद फिर से गर्भ धारण करने की कोशिश करनी चाहिए।

हालांकि, इससे पहले कि आप मिस्कैरेज के बाद प्रेग्नेंट होने की कोशिश करें आपको अपने डॉक्टर से ज़रूर मिलना चाहिए और उनसे इस विषय पर राय लेने के बाद ही आगे बढ़ना चाहिए। गर्भपात, आमतौर पर केवल एक बार होने वाली घटना है।

हालांकि, अगर आपके दो या अधिक लगातार गर्भपात हुए हैं, तो आपके डॉक्टर ये पता लगाने के लिए परीक्षण की सिफारिश करेंगे कि आपके पिछले गर्भपात होने के कारण क्या थे।

इनमें शामिल हो सकते हैं:

  • हार्मोन के असंतुलन का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट
  • गुणसूत्र परीक्षण (chromosomes test)
  • श्रोणि और गर्भाशय परीक्षा (pelvic and uterine test)
  • अल्ट्रासाउंड (ultrasound)
और पढ़ें:गर्भावस्था के दौरान खुजली हो सकती है कोलेस्टेसिस
 

क्या गर्भपात से बचाव किया जा सकता है?

Can a miscarriage be prevented? in hindi

Kya garbhpat ko roka ja sakta hai

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मिस्कैरेज अधिकांश मामलों में क्रोमोज़ोम के कारण होते हैं, इसलिए आप इससे अपना बचाव करने के लिए कुछ नहीं कर सकते हैं।

हालांकि अपनी गर्भावस्था को स्वस्थ्य बनाए रखने के लिए कुछ उपायों का पालन आप ज़रूर कर सकती हैं।

आइए जानते हैं मिस्कैरेज से बचाव कैसे कर सकते हैं:

  • स्वस्थ और संतुलित आहार लें, और उन खाद्य पदार्थों के सेवन से भी बचें जो गर्भावस्था के लिए हानिकारक हैं।
  • धूम्रपान और अल्कोहल का सेवन करने से बचें।
  • गर्भाधान से पहले स्वस्थ वज़न बनाए रखें।
  • कैफीनयुक्त पेय के अधिक सेवन से बचें।
  • गहरी श्वास, योग या ध्यान तकनीकों का अभ्यास करके अपने तनाव के स्तर को कंट्रोल करें।
  • गर्भावस्था के पहले और या उसके दौरान फोलिक एसिड सप्लीमेंट या प्रीनेटल विटामिन लें।
  • अपनी गर्भावस्था के दौरान नियमित प्रसव पूर्व देखभाल के लिए डॉक्टर से मिले।
  • संक्रमण से बचने के लिए हाथों की सफाई बहुत ज़रूरी है और साथ ही जिन लोगों को पहले से कोई बीमारी है उनसे दूर रहने की कोशिश करें।

याद रखें कि गर्भपात होने का मतलब यह नहीं है कि आप भविष्य में दोबारा गर्भ धारण नहीं कर सकती हैं। ज्यादातर महिलाएं जिनका गर्भपात हो जाता है वो आगे चलकर स्वस्थ गर्भधारण करती हैं। गर्भपात को रोकने के तरीकों के बारे में डॉक्टर से अतिरिक्त जानकारी ।

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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 09 Sep 2020

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