"एक बच्चे के जन्म के साथ ही माँ की ज़िम्मेदारियां बढ़ जाती है। बच्चा जैसे-जैसे बढ़ता है, वैसे-वैसे माँ को उसके खान-पान को लेकर और सतर्क हो जाना चाहिए ताकि बच्चे को परेशानी न हो।"
बच्चे के जन्म के साथ परिवार में ख़ुशियाँ आ जाती है। हर ओर ख़ुशी भरा माहौल बन जाता है। माता-पिता के साथ-साथ उनके रिश्तेदार भी उनकी इस उत्साह से भरपूर पल का हिस्सा बनते हैं। लेकिन, ख़ुशियों के साथ-साथ एक दंपत्ति के लिए ज़िम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं, खासकर माँ के लिए। चूंकि बच्चा माँ से सबसे करीब होता है और एक माँ अपने बच्चे की हर एक हरकत को समझ जाती है, इसलिए बच्चे के प्रति माँ की ज़िम्मेदारी अधिक होती है। चाहे स्तनपान कराना हो या बच्चे की मालिश करनी हो, नवजात शिशु का पालन पूरी तरह से माँ के हिस्से में आता है। पहले के ज़माने में लोग जॉयंट फैमिली में रहते है और उस स्थिति में बच्चे की देखरेख हर कोई कर लेता था। लेकिन, आज के परिवेश में जहां एकल परिवार देखने को अधिक मिलते हैं, वहां पर बच्चे के जन्म के साथ पूरी ज़िम्मेदारी माँ बन आ जाती है। हालांकि, ऐसे में नयी-नयी माँ बनी महिला को ये समझ नहीं आता कि कैसे शिशु को पालना चाहिए और कैसे उसका ख्याल रखना चाहिए। कई बार महिलाएं बच्चे के जन्म से पहले ये सब सोचकर भी घबरा जाती हैं।
अगर आप भी जल्द बच्चे को जन्म देने वाली हैं या फिर आपने अभी-अभी बच्चे को जन्म दिया और आपको समझ नहीं आ रहा है कि बच्चे की देखभाल कैसे करनी है तो आपको परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। हमारे शिशु रोग विशेषज्ञ और डॉक्टर से शिशु स्वास्थ्य पर कुछ लेख लिखे हैं, जिन्हें समझना काफी सरल और वो फैक्ट्स के आधार पर लिखे गए हैं। ब्लॉग की मदद से आपको नवजात बच्चे से जुड़ी हर समस्या की जानकरी मिलेगी।
शिशु का स्वास्थ्य
कई बार ऐसा होता है कि नवजात बच्चे को दस्त की शिकायत हो जाती है। ऐसे में माँ ये समझ नहीं पाती कि ऐसी स्थिति में बच्चे की देखभाल वो कैसे करे और उसे इस स्थिति में क्या देना चाहिए। कुछ मामलों में ये भी देखा जाता है कि अचानक बच्चे को हिचकी आने लगती है, पेट में गैस की समस्या हो जाती है या फिर जब बच्चे के दांत निकल रहे होते हैं तो वो बहुत अधिक परेशान हो जाता है। ऐसे में आपको हमारे शिशु स्वास्थ्य सेक्शन के अंदर ओआरएस और ग्राइप वाटर की जानकरी मिलेगी। जहां आप जानेंगे कि कब बच्चे को ओआरएस का घोल देना चाहिए, कितनी मात्रा में देना चाहिए और किस तरह से पिलाना चाहिए। इसके अलावा आपको यहां ग्राइप वाटर की भी पूरी जानकरी मिलेगी। ब्लॉग की मदद आपको पता चलेगा कि ग्राइप वाटर आखिर होता क्या, कब बच्चे को देना चाहिए, इसके फायदे और नुकसान क्या हैं और इसे देते समय किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए।
शिशु का आहार और पोषण
छह महीने तक माँ बच्चे को सिर्फ तरल पदार्थ देती है, लेकिन इसके बाद डॉक्टर की सलाह पर बच्चे को संपूर्ण आहार दिया जाता है। हालांकि, बच्चे को क्या खिलाना चाहिए और कितनी मात्रा में और कितनी बार खिलाना चाहिए, इसकी पूरी जानकारी माँ को नहीं होती। जानें छह महीने को बच्चे को क्या खिलाना चाहिए और क्या नहीं खिलाना चाहिए, ठोस आहार बच्चे को खाने की आदत कैसे डालनी चाहिए और कब और कितनी मात्रा में खिलाना चाहिए। इसके अलावा, आपको इस खंड में शिशु को स्वस्थ्य बनाने की जानकारी भी मिलेगी।
स्वास्थ्य अवस्था
नए-नए माता-पिता बने दंपत्ति अक्सर बच्चे की पॉटी और डायपर चेंज करने की समस्या से परेशान रहते हैं। हमसे जानें कि कैसे समझे कि बेबी का पॉटी सामान्य है या नहीं, कैसे करें इसकी पहचान, पॉटी करते समय बच्चे के रोने पर क्या करें और एक बच्चा कितनी बार पॉटी करता है और अगर लंबे समय से पॉटी नहीं करना नार्मल है या नहीं।