क्या है इंट्रायूटेरिन इनसेमीनेशन (आईयूआई)?

What is intrauterine insemination (IUI)? in hindi

IUI kya hai in hindi


Introduction

Intrauterine_insemination_or_IUI___Zealthy

हर महिला का सपना होता है कि उसकी कोख से एक बच्चा जन्म ले और फिर वह उस बच्चे के साथ अपना पूरा जीवन बिताए।

लेकिन जब किन्हीं कारणों की वजह से ऐसा नहीं हो पाता है तो लोग विज्ञानी तकनीकों का सहारा लेते हैं।

ऐसी ही एक तकनीक है इंट्रायूटेरिन इनसेमीनेशन (IUI -Intrauterine insemination) जिसे आईयूआई भी कहते हैं।

यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें पुरुष शुक्राणुओं को प्लास्टिक की पतली कैथेटर ट्यूब के जरिए महिला की ओवेरी में इन्जेक्ट किया जाता है।

इस प्रक्रिया को करते वक्त डॉक्टर इस बात का विशेष ध्यान रखते हैं कि इसे महिला के ओव्यूलेशन के समय पर किया जाए।

डॉक्टर्स इस प्रक्रिया में शुक्राणुओं को अंडे तक कृत्रिम तरीके से पहुंचाते हैं।

यह तकनीक सिर्फ उन्हीं महिलाओं के लिए सफल है जिनकी फैलोपियन ट्यूब (fallopian tubes) सामान्य होती है।

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इस लेख़ में

 

किन लोगों के लिए है आईयूआई का उपचार?

For whom IUI is recommended? in hindi

Kin logo ke liye hai IUI ka upchar in hindi

निम्न स्थितियों में आईयूआई उपचार कराने की सलाह दी जा सकती है : -

  • पुरुष बांझपन
  • प्रतिकूल ग्रीवा बलगम
  • अस्पष्टीकृत बांझपन
  • यदि प्रजनन दवाओं के साथ उपचार सफल नहीं है edit
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किन लोगों के लिए उचित नहीं है आईयूआई का उपचार?

For whom IUI is not recommended? in hindi

Kin logo ke liye uchit nahi hai IUI ka upchar in hindi

निम्न स्थितियों में आईयूआई उपचार कराने की सलाह नहीं दी जा सकती है : -

  • फैलोपियन ट्यूब में किसी तरह की रुकावट का होना
  • गंभीर एंडोमेट्रियोसिस (endometriosis)
  • यदि पहले कभी पेडू का संक्रमण हुआ हो
 

आईयूआई की प्रक्रिया क्या है?

What is IUI process?in hindi

IUI ki prakriya kya hai in hindi?

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आईयूआई प्रक्रिया वैसे तो काफी आसान होती है लेकिन डॉक्टर्स इसे संवेदनशील भी जरूरत कहते हैं।

इस प्रक्रिया में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि शुक्राणुओं की लैब में सही तरह से जांच हो।

क्योंकि इस प्रक्रिया में शुक्राणुओं को साफ कर गर्भाश्य छिद्र (utetrine cavity) में इंजेक्ट करना होता है।

आईयूआई प्रक्रिया में डॉक्टर पुरुष के सीमेन का सैंपल लेते हैं।

इसके बाद इस सीमेन को लैब में ले जाकर साफ किया जाता है।

यदि आपके पार्टनर आईयूआई वाले दिन आपके साथ नहीं रह सकते तो वह एक दिन पहले भी डॉक्टर को सीमेन दे सकते हैं।

इस स्थिति में डॉक्टर सीमन को इस तरह फ्रिज़ रखते हैं जिससे शुक्राणु अगले एक दिन तक एक्टिव रहें।

हालांकि यह तरीका डॉक्टर पर निर्भर करता है, क्योंकि इसके लिए जिस तकनीक की ज़रूरत होती उसका डॉक्टर के पास होना जरूरी है।

यदि किसी कारणवश आपके पति के स्पर्म उस गुणवत्ता के नहीं है जो गर्भधारण के लिए आवश्यक है तो ऐसी स्थिति में आप स्पर्म डोनर की भी मदद ले सकते हैं।

स्पर्म डोनर के साथ भी वही प्रक्रिया होती है। यानि कि डोनर शुक्राणुओं को भी लैब में पहले साफ किया जाता है।

फिर शुक्रणुओं को गर्भाश्य छिद्र (यूटीरिन कैविटी) में इंजेक्ट किया जाता है।

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आईयूआई के फायदे क्या हैं?

What are the benefits of IUI? in hindi

IUI ke fayde kya hain in hindi

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आईयूआई के फ़ायदे इस प्रकार हैं :

  • कम जोखिम (Less drawbacks)
    आईयूआई की प्रक्रिया प्राकृतिक और कम जोखिम वाली होती है।
  • आसान प्रक्रिया (Easy process)
    आईयूआई प्रक्रिया में शुक्राणुओं को सीधे गर्भाशय में डाला जाता है।
    इससे शुक्राणुओं का अंडे तक पहुँचना बहुत ज्यादा आसान हो जाता है।
  • कम ख़र्चीला (Less expensive)
    आईयूआई अन्य तकनीकों के मुकाबले कम ख़र्चीला और दर्दरहित है।
  • क्लीनिक्स के विकल्प (Options of clinic)
    पहले आईयूआई के क्लिनिक मिलना बहुत मुश्किल होता था।
    जबकि आज इस प्रक्रिया को कराना बहुत आसान और सरल हो गया है।
    भारत में आईयूआई उपचार के लिए कई क्लीनिक्स खुल चुके हैं।
 

आईयूआई की सावधानियां

Risk, complications and drawbacks of IUI in hindi

IUI ke dauran barti jaane waali savdhaniya kaunsi hai in hindi

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आईयूआई प्रकिया वैसे तो काफी सुरक्षित और प्राकृतिक है, लेकिन फिर भी कई बार कुछ महिलाओं को डॉक्टर्स सावधानी बरतने की हिदायत देते हैं।

आईयूआई प्रकिया की सावधानियाँ इस प्रकार हैं : -

  • पेट दर्द (Stomach pain)

    इस प्रकिया में डॉक्टर कैथेटर यानी प्लास्टिक की ट्यूब को वैजाइना के रास्ते गर्भाशय तक ले जाते हैं।
    इस प्रक्रिया के कारण आपको मासिक धर्म की तरह पेट में दर्द हो सकता है, हालांकि यह दर्द सिर्फ एक या दो दिन का होता है।
  • हाइपर स्टिमुलेशन (Hyper stimulation)

    आईयूआई में डॉक्टर्स आपके ओव्यूलेशन को उत्तेजित करने के लिए दवा दे सकते हैं।
    जिससे कभी कभार अधिक उत्तेजना की संभावना हो सकती है।
  • इन्फेक्शन (Infection)

    यूटेरस में सीमेन के इनसेमिनेशन के दौरान इन्फेक्शन की समस्या हो सकती है।
    हालांकि स्टेराइल तकनीक (sterile equipment) की मदद से इससे बचाव संभव है।
  • अधिक व भारी काम करने से बचें (Do not do so much of physical work)

    आईयूआई प्रक्रिया के बाद 48 घंटे तक कुछ बातों का काफी ध्यान रखना पड़ता है।
    जैसे कि शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए, स्विमिंग करने से बचना चाहिए और भारी भरकम सामान उठाने से भी परहेज करना चाहिए।
    ऐसा करने से आईयूआई उपचार को नुकसान पहुँचने की संभावना होती है।
  • हार्मोनल बदलाव (Hormonal Change)

    आईयूआई के बाद हार्मोंस में भी बदलाव आता है जिसकी वजह से हाथ पैरों में सूजन और हल्का दर्द भी हो सकता है।
    इन सब सावधानियों के बावजूद आप गर्भवती नहीं होती हैं तो अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं और आईयूआई का फिर से सहारा ले सकते हैं।
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आईयूआई उपचार के दौरान उपयोग की जाने वाली दवाएं

Drugs used during iui treatment in hindi

IUI upchar ke dauran upyog ki jane wali dawa in hindi

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आमतौर पर मासिक धर्म की शुरुआत के साथ जब शरीर में हार्मोनल बदलाव आते हैं तब डॉक्टर कुछ दवाओं के साथ आईयूआई की शुरुआत करते हैं।

आईयूआई तकनीक को लेने वाली महिला किस प्रकार की दवाओं का प्रयोग कर सकती है, यह केवल डॉक्टर तय करते हैं।

जिन महिलाओं के एग्स हेल्दी होते हैं उन्हें किसी भी तरह की दवा नहीं लेनी पड़ती है।

जबकि कुछ महिलाओं के एग्स को एक्टिव रखने के लिए डॉक्टर डोज लेने की सिफारिश करते हैं।

कुछ महिलाओं को आईयूआई प्रक्रिया से पहले इंजेक्शन लेने की भी सलाह दी जाती है।

हालांकि किसी भी तरह का इंजेक्शन लगाने से पहले डॉक्टर महिला को बेसलाइन अल्ट्रासाउंड और खून की जांच कराने की सलाह देते हैं।

परीक्षण पूरे होने के बाद ही इंजेक्शन लगाने वाली दवाएं शुरू की जाती हैं।

आईयूआई उपचार के दौरान उपयोग की जाने वाली दवाएं निम्न हैं : -

  • सबक्यूटेनियस इंजेक्शन (Subcutaneous injection)
    ये एक सामान्य हार्मोनल फर्टिलिटी ड्रग्स हैं जो त्वचा के नीचे फैटी टिशू (ऊतक) में दिए जाते हैं जो त्वचा और मांसपेशियों के बीच स्थित होते हैं।
    ये इंजेक्शन शरीर को चोट पहुंचाने वाले नहीं होते हैं, हालांकि इससे कभी-कभी खुजली, खरोंच या सूजन आने जैसी दिक्कत हो सकती है।
  • इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन (Intramuscular injection)
    इस प्रकार के इंजेक्शन को सीधे मांसपेशी में दिया जाता है।
    इन्फर्टिलिटी (बांझपन) उपचार से पहले मरीज़ों को इस इंजेक्शन को लेने की आवश्यकता हो सकती है।
    महिलाएं नर्स की मदद से इन इंजेक्शनों को लेती हैं।
 

आईयूआई उपचार के दौरान मॉनिटरिंग

Monitoring performance during IUI treatment in hindi

IUI upchar ke dauran monitoring in hindi

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आईयूआई प्रक्रिया ठीक तरह से हो रही है या नहीं, इसके लिए डॉक्टर को कई बार मॉनिटरिंग की आवश्यकता पड़ती है।

जब डॉक्टर मॉनिटरिंग करते हैं तो महिलाओं को कोई भी ऐसा काम करने की सलाह नहीं दी जाती है जिससे पेट पर जोर पड़े या गर्भ को किसी भी तरह का नुकसान पहुंचे।

यदि मॉनिटरिंग के दौरान डॉक्टर किसी भी तरह की गड़बड़ी पाते हैं तो मरीज़ को तुरंत संबंधित कार्य और संबंधित डॉक्टर से मिलने की सलाह दी जाती है।

मॉनिटरिंग के दौरान डॉक्टर महिलाओं के हॉर्मोन्स की भी जांच करते हैं।

अंडों के आकार की पुष्टि करने के लिए ट्रांसवजाइनल नामक अल्ट्रासाउंड भी किया जाता है।

इस दिन, रोगी को ओवुलेशन सुनिश्चित करने के लिए विशेष इंजेक्शन दिया जाता है ताकि अगले दिन आईयूआई उपचार शुरू हो सके।

 

भारत में आईयूआई की लागत कितनी है?

IUI cost in India in hindi

Bharat mein IUI ki lagat kitni hai in hindi

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भारत में आईयूआई की लागत : -

  • विदेशों की तुलना में भारत में आईयूआई की लागत काफी कम है।
  • पश्चिमी देशों में जहां इसके लिए लोगों को लाखों रुपये खर्च करने पड़ते हैं वहीं हमारे देश में इसका खर्च 10 से 12 हजार तक आता है।
  • इसके अलावा आईयूआई का चार्ज अलग अलग शहरों पर भी निर्भर करता है। दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे शहरों में आईयूआई की 1 सिटिंग का ख़र्च लगभग 8 से 10 हजार तक आता है।
  • जबकि नागपुर, झांसी और हिमाचल जैसी जगहों पर आईयूआई की 1 सिटिंग का ख़र्च लगभग 5 से 6 हजार रुपये का आता है।
  • आईयूआई की प्रक्रिया से पहले डॉक्टर कुछ टेस्ट और अल्ट्रासाउंड कराने को भी कहते हैं, उनका ख़र्च अलग होता है। कुल मिलाकर भारत में आईयूआई का ख़र्च शहर, क्लिनिक और आपकी मेडिकल हिस्ट्री पर निर्भर करता है।
 

निष्कर्ष

Conclusionin hindi

Nishkarsh

अंतत: यह कहना गलत नहीं होगा कि आईयूआई प्रक्रिया बहुत आसान और सुरक्षित है।

मरीज़ को सिर्फ इस बात का ख्याल रखना होता है कि डॉक्टर की सलाह का सख्ती से पालन किया जाए और समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श लिया जाए।

क्योंकि आईयूआई की प्रकिया के बाद और पहले जो सावधानियां होती हैं उनमें जरा सी भी लापरवाही बरती गई तो परिणाम आशाहीन हो सकते हैं।

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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 30 Oct 2020

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