गर्भावस्था के दौरान एचआईवी/एड्स

HIV/AIDS in pregnancy hindiin hindi

Garbhavastha ke dauran HIV aids in hindi


Introduction

Garbhavastha_ke_dauran_HIV_aids_in_hindi

किसी भी महिला के लिए प्रेगनेंसी के नौ महीने, जीवन के सबसे अनमोल पल होते हैं। इस दौरान गर्भ में पल रहे शिशु को स्वस्थ व सुरक्षित रखने के लिए गर्भावस्था आरंभ होते ही विभिन्न प्रकार के टीके लगाए जाते हैं।

गर्भावस्था में लगाए जाने वाले विभिन्न टीकों से गर्भवती महिला और गर्भ के शिशु को अन्य रोगों के साथ-साथ, सेक्सयूली ट्रांसमीटिड डिसिज (Sexually Transmitted Disease) से बचाने का भी प्रयास किया जाता है।

एसटीडी रोग के मामले में एड्स या एचआईवी सबसे अधिक जटिल रोग माना जाता है। इस लेख में जानिए गर्भावस्था में एचआईवी/एड्स से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी!

loading image

इस लेख़ में

  1. 1.एचआईवी/एड्स क्या होता है?
  2. 2.एचआईवी/एड्स कैसे फैलता है?
  3. 3.प्रेग्नेंसी में एचआईवी और एड्स के लक्षण क्या हो सकते हैं?
  4. 4.मेरे एचआईवी इन्फेक्शन से ग्रसित होने पर मेरे गर्भ के शिशु को क्या जोखिम हो सकत
  5. 5.मेरे साथी को एचआईवी इन्फेक्शन है, क्या इस स्थिति में मैं बिना एचआईवी इन्फेक्शन
  6. 6.गर्भवती महिला में एचआईवी टेस्ट के निदान के लिए कौन-से परीक्षण किए जा सकते हैं?
  7. 7.मुझे एचआईवी का संक्रमण है तो मुझे गर्भधारण करने से पहले क्या करना चाहिए जिससे
  8. 8.माँ से गर्भस्थ शिशु को एचआईवी संक्रमण होने पर क्या जोखिम हो सकते हैं?
  9. 9.प्रेग्नेंसी में एचआईवी का उपचार किया जाना क्यों ज़रूरी है?
  10. 10.क्या मैं प्रेग्नेंसी में एचआईवी की दवाओं को ले सकती हूँ?
  11. 11.क्या प्रेग्नेंसी में एचआईवी दवाओं का कोई साइड-इफेक्ट हो सकता है?
  12. 12.अगर मैं एचआईवी पॉज़िटिव और प्रेग्नेंट हूँ, तब मुझे क्या प्रसव के लिए सिजेरियन व
  13. 13.प्रसव के बाद मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरा नवजात शिशु एचआईवी से पीड़ित है?
  14. 14.अगर मुझे एचआईवी का संक्रमण है तो इस स्थिति में क्या मेरे नवजात शिशु को कोई अति
  15. 15.प्रेगनेंसी में एचआईवी संक्रमण होने पर, प्रसव के बाद मेरे नवजात शिशु को वही वैक
  16. 16.मेरे गर्भस्थ शिशु को मेरा एचआईवी का संक्रमण फैलने की संभावना न्यूनतम हो इसके ल
 

एचआईवी/एड्स क्या होता है?

What is HIV/AIDS in hindi

HIV/Aids kya hota hai in hindi

loading image

पिछले कई वर्षों में एचआईवी/एड्स के बारे में बहुत कुछ कहा व सुना गया है। लेकिन एचआईवी के बारे में पूरी जानकारी न होने के अभाव में अधिकतर महिलाएं प्रेगनेंसी में एचआईवी के बारे में भी जान नहीं पाती हैं।

दरअसल, एचआईवी एक प्रकार का वायरस है जिसका पूरा नाम ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (human immunodeficiency virus) है।

इस वायरस का यदि समय पर उपचार न किया जाये तब यह एड्स यानि अकूयार्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (acquired immunodeficiency syndrome) में बदल जाता है ।

इसके कारण महिला या पुरुष की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर हो जाती है और कुछ समय बाद बिलकुल समाप्त हो जाती है। इस कारण शरीर में विभिन्न प्रकार के इन्फेक्शन आसानी से होने लगते हैं।

इसके अतिरिक्त एड्स एक ऐसी बीमारी है जिसका उपचार किया जाना जरुरी है अन्यथा संक्रमित व्यक्ति, काफी लंबे समय तक बीमार रह सकता है और अंत में उसकी मृत्यु भी हो सकती है।

गर्भवती महिला के इस रोग से प्रभावित होने पर यह रोग उसके गर्भ में पल रहे शिशु को भी हो जाता है।

अगर समय से इस बीमारी का इलाज न करवाया जाये तब यह इन्फेक्शन गंभीर रूप में एड्स का रूप ले लेता है जो एक लाइलाज बीमारी है मेडिकल जगत में इसे एचआईवी इन्फेक्शन का अंतिम व गंभीर रूप माना जाता है।

इस प्रकार कहा जा सकता है कि एड्स, अनूपचारित एचआईवी का अंतिम चरण होता है जो प्रभावित व्यक्ति के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।

loading image
 

एचआईवी/एड्स कैसे फैलता है?

How does HIV spread in hindi

HIV kaise failta hai in hindi

loading image

एचआईवी एक प्रकार का संक्रमित रोग है जो एक व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति के साथ शारीरिक संपर्क से संबंध से फैलता है।

इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति का शारीरिक फ़्ल्यूड जैसे ब्लड, वीर्य (semen), पुरुष जननांग की प्राकृतिक चिकनाई बनाने वाला द्रव (pre-seminal fluids), मलाशय का तरल पदार्थ (rectal fluids), महिला योनि की प्राकृतिक चिकनाई व नरमाहट बनाने वाला द्रव (vaginal fluids) और स्तन का दूध (breast milk) अगर दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता है, तो भी एचआईवी/एड्स फैलता है।

इसको दूसरे शब्दों में कहें कि एचआईवी कैसे होता है तो इसका जवाब है कि निम्न कार्यों के माध्यम से एचआईवी वायरस एक प्रभावित व्यक्ति से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता है।

एचआईवी/एड्स निम्न रूप से फैलता है : -

1. संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने से एचआईवी युक्त रक्त, वीर्य या योनि स्त्राव का दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करने से;

2. संक्रमित व्यक्ति के साथ गुदा, मौखिक या योनि संबंध बनाने से;

3. प्रभावित व्यक्ति के रक्त को स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कराने या संक्रमित सुई व उपकरणों का प्रयोग करने से;

4. एचआईवी प्रभावित महिला के गर्भधारण और स्तनपान के द्वारा, शिशु तक इस रोग का संचारण होने से;

5. ऐसे व्यक्ति से अंगदान प्राप्त करने से जो स्वयं एचआईवी रोग से ग्रस्त हो;

इसका अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि अगर कोई स्वस्थ व्यक्ति एचआईवी ग्रस्त व्यक्ति से हाथ मिलाता है या गले लगता है तो वह इस रोग के प्रभाव में आ जाएगा।

और पढ़ें:अस्थानिक गर्भावस्था के लक्षण, कारण और उपचार
 

प्रेग्नेंसी में एचआईवी और एड्स के लक्षण क्या हो सकते हैं?

What are the symptoms of HIV and AIDS in pregnancy hindiin hindi

HIV aur Aids ke lakshan kya hote hain in hindi

loading image

एचआईवी और एड्स के लक्षण किसी भी व्यक्ति में एकदम नहीं दिखाई देते हैं। लेकिन देखा यह गया है कि प्रारंभिक लक्षणों के नज़र आने बाद भी यदि उपचार न किया जाये तब यह लक्षण समय के साथ गंभीर होते जाते हैं और अंत में प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) को नष्ट कर देते हैं।

प्रेग्नेंसी में एचआईवी के लक्षण निम्न प्रकार से तीन स्तरों पर दिखाई दे सकते हैं : -

1. प्रारंभिक एचआईवी लक्षण (Early HIV Symptoms)

अधिकतर लोग एचआईवी वायरस के शरीर में प्रवेश करने के बाद भी लंबे समय तक स्वस्थ दिखाई देते हैं।

चिकित्सकों के अनुसार एक बार इस वायरस के शरीर में प्रवेश कर लेने के बाद 2-6 हफ्ते के अंदर ही प्रभावित व्यक्ति को जो लक्षण दिखाई देते हैं वो सामान्य रूप से वायरल या फ्लू जैसे होते हैं।

ये लक्षण इनमें से कोई भी हो सकते हैं : -

  1. सिर का दर्द
  2. थकान
  3. मांसपेशियों का दर्द
  4. गला खराब
  5. लिम्फ़ नोड्स या लासिका ग्रंथि में सूजन
  6. गर्दन और छाती के हिस्सों में खुजली
  7. बुखार

इस समय एक बाहरी वायरस के शरीर में प्रवेश करने पर शरीर कि रोग प्रतिरोधक क्षमता क्रियाशील हो जाती है। इसके क्रिया के कारण फ्लू जैसे लक्षण नज़र आते हैं।

इन लक्षणों को एक्यूट रेट्रोवायरल सिंड्रोम (acute retroviral syndrome) या प्रारंभिक एचआईवी लक्षण कहा जाता है।

यदि किसी व्यक्ति को इस प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं और वह पिछले 2-6 हफ्ते के अंदर ही किसी एचआईवी रोग से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आया/आई है, तब उसे तुरंत ही डॉक्टर के पास जाकर एचआईवी टेस्ट कराना चाहिए।

यदि किसी व्यक्ति को एचआईवी पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने का संदेह है तब वह इन लक्षणों के बिना भी एचआईवी का टेस्ट करा सकता है।

इस टेस्ट का जल्दी से जल्दी करा लेने का सबसे बड़ा लाभ यह होता है कि इसका समय उपचार शुरू करने पर रोग-प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर होने से बचाया जा सकता है।

2. दूसरी अवस्था: बिना लक्षण वाली या क्रोनिक एचआईवी इन्फेक्शन (Asymptomatic HIV infection or chronic HIV infection)

जैसे ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता एचआईवी वायरस से हार जाती है तब फ्लू से मिलते जुलते लक्षण दिखाई देने बंद हो जाते हैं।

लेकिन इसके बावजूद शरीर में बहुत हलचल रहती है।

डॉक्टर इस अवस्था को बिना लक्षण वाला समय या गंभीर एचआईवी इन्फेक्शन बताते हैं।

इस अवस्था में शरीर में मौजूद एचआईवी वायरस, शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूती प्रदान करने वाली कोशिकाओं को नष्ट कर देते हैं।

परिणामस्वरूप इमम्यून सिस्टम पूरी तरह से खत्म हो जाता है।

इस समय डॉक्टर ब्लड टेस्ट के माध्यम से उन कोशिकाओं की संख्या बता सकते हैं जिनपर एचआईवी वायरस का हमला नहीं हुआ है।

अगर इस अवस्था तक उपचार नहीं शुरू किया जाता है तब इन स्वस्थ कोशिकाओं की संख्या भी नष्ट हो सकती है।

इसके कारण एचआईवी संक्रमित व्यक्ति अनजाने में, इस संक्रमण को अन्य स्वस्थ व्यक्तियों में हस्तांतरित (spread) कर सकता है।

3. तीसरी अवस्था : एड्स के लक्षण (Symptoms of Aids)

एचआईवी बीमारी की सबसे गंभीर अवस्था एड्स होती है।

इस अवस्था में शरीर में स्वस्थ रक्त कोशिकाओं की संख्या 200 से कम हो जाती है और इमम्यून सिस्टम पूरी तरह से नष्ट हो चुका होता है।

इस अवस्था में व्यक्ति उन सभी बीमारियों का शिकार हो सकता है जो कमजोर इमम्यून सिस्टम में किसी भी व्यक्ति को हो सकती हैं।

इनमें स्किन कैंसर, फेफड़ों में बीमारी आदि हो सकती हैं, जिन्हें एड्स संबंधी बीमारी भी कहा जाता है।

कई बार निम्न लक्षणों के सामने आने के बाद ही एचआईवी बीमारी का एहसास होता है :

  1. हर समय थकान महसूस होना
  2. गर्दन या धड़ में लिंफ नोड्स (lymph nodes) में सूजन आना
  3. 10 दिन से अधिक बुख़ार का रहना
  4. रात को पसीना आना
  5. बिना किसी कारण, वज़न कम आना
  6. शरीर पर जामुनी रंग के चकत्ते आना
  7. सांस फूलना
  8. लंबे समय तक दस्त रहना
  9. मुंह, गले या योनि में यीस्ट इन्फेक्शन होना
  10. बिना किसी कारण के चोट लगना या खून निकालना

ऐसे व्यक्ति जो बिना किसी दवाई के एड्स की बीमारी के साथ लगभग 3 साल या इससे कम समय तक रहते हैं, उन्हें इसके साथ कोई दूसरा इन्फेक्शन भी हो सकता है। हालांकि, इस अवस्था में भी यदि दवा ले ली जाये तब एचआईवी का उपचार हो सकता है।

loading image
 

मेरे एचआईवी इन्फेक्शन से ग्रसित होने पर मेरे गर्भ के शिशु को क्या जोखिम हो सकता है?

What are the risk factors for transmitting HIV to my baby during pregnancy in hindi

Pregnancy mein maa ko HIV hone se shishu ko kyaa jokhim ho sakta hai hindi

loading image

गर्भवती महिला यदि एचआईवी वायरस से ग्रस्त है, तब इस स्थिति में यह वायरस गर्भ के शिशु तक भी पहुँच सकता है।

गर्भस्थ शिशु, एचआईवी वायरस से पीड़ित माँ के रक्त व अन्य द्रव्यों के संपर्क में आकर, इसके संक्रमण से प्रभावित हो जाता है।

इसके अतिरिक्त, गर्भावस्था के पूरे होने पर प्रसव के समय जब एमनियोटिक सैक (amniotic sac) फट जाता है, तब इस स्थिति में शिशु का एचआईवी माँ के माध्यम से वायरस के संपर्क में आने का जोखिम और अधिक बढ़ जाता है।

अधिकतर नवजात शिशु, एचआईवी वायरस से पीड़ित गर्भवती माँ के द्वारा, प्रसव के समय ही इस वायरस के संपर्क में आते हैं।

इसके अतिरिक्त प्रसव के बाद भी स्तनपान के समय एचआईवी का वायरस माँ के शरीर से नवजात शिशु के शरीर में पहुँच जाता है।

और पढ़ें:कोरोना वायरस के बारे में क्या जानना जरुरी है?
 

मेरे साथी को एचआईवी इन्फेक्शन है, क्या इस स्थिति में मैं बिना एचआईवी इन्फेक्शन के गर्भवती हो सकती हूँ?

I do not have HIV, but my partner does, can I get pregnant without getting HIV in hindi

HIV/Aids in hindi

loading image

दरअसल, सेक्स करते समय, पुरुष की तुलना में महिला को एचआईवी इन्फेक्शन का संक्रमण होने की संभावना अधिक होती है।

इस स्थिति में यदि केवल पुरुष को एचआईवी संक्रमण है और महिला पूर्णतया स्वस्थ है तो गर्भवती होने पर महिला को एचआईवी संक्रमण होने की संभावना होती है।

इसलिए यदि आपको एचआईवी का संक्रमण नहीं है और आपके पार्टनर को है तो सेक्स के माध्यम से यह एचआईवी संक्रमण, महिला को भी संक्रमित कर सकता है।

loading image
 

गर्भवती महिला में एचआईवी टेस्ट के निदान के लिए कौन-से परीक्षण किए जा सकते हैं?

What tests need to be done to diagnose HIV in pregnancy in hindi

HIV/Aids in hindi

loading image

गर्भवती महिला में एचआईवी इन्फेक्शन का निदान करने के लिए सबसे प्रमुख रूप से रक्त जांच (blood test) किया जाता है।

जैसा कि हमने देखा है कि एचआईवी संक्रमण को ब्लड टेस्ट में पॉज़िटिव आने में समय लगता है, इसलिए गर्भवती महिला के कुछ ब्लड टेस्ट नेगेटिव आ सकते हैं। हालाँकि, फिर भी शुरुआत में इसके निदान के लिए कुछ टेस्ट किये जाते हैं।

गर्भवती महिला में एचआईवी टेस्ट के निदान के लिए किये जाने वाले टेस्ट निम्न हैं : -

  • एलिसा टेस्ट (Alisa Test)

यह ब्लड टेस्ट एचआईवी संक्रमण को पता करने के लिए किया जाता है।

इस टेस्ट का पूरा नाम एंजाइम-लिंक्ड इम्म्युनोंसोरबेंट (Enzyme-linked immunosorbent) है।

इस टेस्ट के माध्यम से पता लगाया जाता है कि शरीर का इम्म्युन सिस्टम, माइक्रो बैक्टीरिया के प्रति क्या प्रतिक्रिया कर रहा है।

इसके साथ ही इस टेस्ट में शरीर में मौजूद एंटीबोडीज की जांच की जाती है।

इस टेस्ट के पॉज़िटिव आने की स्थिति में आगे की जांच के लिए वेस्ट्रन ब्लॉट (western blot test) टेस्ट किया जाता है।

  • वेस्ट्रन ब्लॉट टेस्ट (Western Blot Test)

यह टेस्ट एलिसा टेस्ट के पॉज़िटिव आने की स्थिति में किया जाता है जिसका उद्देश्य ब्लड में एचआईवी एंटीबॉडी का पता लगाना है।

  • स्लाइवा टेस्ट (Saliva Test)

इस टेस्ट में महिला के गाल के अंदर से लार लेकर, उसका लैब में टेस्ट करवाया जाता है।

इसके लिए इस लार को एक कॉटन पैड में सुरक्षित रूप से लिया जाता है।

यदि इस टेस्ट के परिणाम पॉज़िटिव आते हैं तब इसकी पुष्टि ब्लड टेस्ट से कारवाई जाती है।

इस टेस्ट को गर्भवती महिला अगर संभव हो तब घर पर भी कर सकती है।

इसलिए इस टेस्ट को होम टेस्ट (Home Test) के नाम से भी जाना जाता है।

  • पॉलीमेरेजे चेन रिएक्शन टेस्ट (Polymerase Chain Reaction - PCR)

पॉलीमेरेजे चेन रिएक्शन टेस्ट, दरअसल वह टेस्ट है जिसके माध्यम से एचआईवी के जेनेटिक मैटीरियल को जांचा जाता है, जिसे आरएनए (RNA) कहा जाता है ।

इस टेस्ट के द्वारा इन्फेक्शन को शुरुआत में ही यानि एंटीबॉडी के विकसित होने से पहले ही जाँचा जाता है, इसके लिए रक्तदान किए हुए रक्त का परीक्षण किया जाता है।

आमतौर पर यह टेस्ट एचआईवी के संक्रमण से प्रभावित होने के कुछ समय बाद ही कर लिया जाता है।

  • प्रतिरोध टेस्ट (Resistance Test)

इस टेस्ट के माध्यम से यह पता लगाने का प्रयास किया जाता है कि क्या एचआईवी वायरस, इस बीमारी के इलाज के लिए बनी दवाओं का प्रतिरोध तो नहीं करेगा।

और पढ़ें:गर्भकालीन मधुमेह के कारण, लक्षण और उपचार
 

मुझे एचआईवी का संक्रमण है तो मुझे गर्भधारण करने से पहले क्या करना चाहिए जिससे मेरे शिशु तक यह संक्रमण न पंहुचें?

What can I do before getting pregnant to lower my risk of passing HIV to my baby during pregnancy in hindi

HIV and aids in hindi

loading image

यदि एचआईवी विषाणु से संक्रमित महिला गर्भधारण का निर्णय लेती है तब उसे तुरंत ही अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

आपके डॉक्टर आपको इस संबंध में पूरी जानकारी देंगे कि एचआईवी का संक्रमण प्रेगनेंसी में आपको व आपके शिशु को किस प्रकार प्रभावित कर सकता है।

इस संबंध में प्रेग्नेंसी डॉक्टर वो सारे उपाय और सावधानी रख सकते हैं, जो आपकी प्रेग्नेंसी को स्वस्थ व सुरक्षित रखने के लिए ज़रूरी हो सकते हैं।

यह एक सर्वमान्य तथ्य है कि यदि कोई भी व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित है तो उसे स्वस्थ रहने के लिए एचआईवी से संबंधी दवाएं लेनी चाहिए।

इसलिए यदि आप एचआईवी विषाणु से संक्रमित महिला हैं और गर्भधारण का निर्णय ले रही हैं, लेकिन अभी आपने एचआईवी दवाओं कि शुरुआत नहीं की है तो अच्छा होगा कि आप इन्हें लेना तुरंत शुरू कर दें। क्योंकि केवल यही एक उपाय है जिसके द्वारा आप अपने शिशु के एचआईवी संक्रमण के जोखिम को न्यूनतम कर सकती हैं।

इस संबंध में आप अपने चिकित्सक से नियमित रूप से परामर्श करती रहें।

और पढ़ें:गर्भपात के लक्षण, कारण और उपचार क्या हैं
 

माँ से गर्भस्थ शिशु को एचआईवी संक्रमण होने पर क्या जोखिम हो सकते हैं?

What are the risk factors for transmitting HIV during pregnancy in hindi

Pregnancy mein hiv ke transmit hone mein kya risk ho sakta hai in hindi

loading image

यदि एक गर्भवती महिला यथासंभव स्वस्थ रहने का प्रयत्न करे तब वह अपना एचआईवी संक्रमण, गर्भ के शिशु को प्रवाहित होने के जोखिम को कम कर सकती है।

यह देखा गया है कि एचआईवी संक्रमण संबंधी आधुनिक उपचार व दवाओं के कारण गर्भस्थ शिशु को माँ का एचआईवी संक्रमण प्रवाहित होने की संभावना केवल 2% या इससे भी कम होती है।

इसके अलावा यदि गर्भवती महिला प्रेग्नेंसी में स्वस्थ जीवनशैली जीते हुए, कुछ सावधानियां बरतें, तब भी गर्भस्थ शिशु को एचआईवी संक्रमण का जोखिम कम हो सकता है!

गर्भस्थ शिशु को माँ का संक्रमण न फैले, इसके लिए निम्न सावधानियां बरतें : -

  1. धूम्रपान न करें
  2. मादक दवाओं का सेवन न करें
  3. विटामिन ए की कमी न होने दें
  4. कुपोषण की स्थिति से बचें
  5. यौन जनित रोग से बचने का प्रयास करें
  6. नवजात को स्तनपान न कराएं
और पढ़ें:गर्भवस्था के दौरान आयरन की कमी (एनीमिया) होने के कारण, लक्षण और उपचार
 

प्रेग्नेंसी में एचआईवी का उपचार किया जाना क्यों ज़रूरी है?

Why is HIV treatment recommended during pregnancy in hindi

Pregnancy mein hiv ka treatment lenaa kyon jaruri hota hai in hindi

loading image

प्रेग्नेंसी में एचआईवी संक्रमण का उपचार किया जाना निम्न कारणों से जरुरी है : -

1. इससे गर्भवती महिला के स्वास्थ्य की सुरक्षा होती है

2. उपचार के मदद से गर्भवती माँ से एचआईवी संक्रमण, गर्भस्थ शिशु को प्रवाहित होने से रोका जा सकता है

उपचार में एचआईवी संक्रमण के लिए विभिन्न प्रकार की दवाओं के मिश्रण का उपयोग किया जाता है।

इसे ड्रग रीज़न (drug regimen) कहा जाता है। इन दवाओं से ब्लड में एचआईवी किटाणुओं की मात्रा कम होने लगती है।

और पढ़ें:गर्भावस्था के दौरान खुजली हो सकती है कोलेस्टेसिस
 

क्या मैं प्रेग्नेंसी में एचआईवी की दवाओं को ले सकती हूँ?

Can I take HIV medicine during pregnancy in hindi

kya main pregnancy mein hiv ke liye medicine le sakti hoon in hindi

loading image

जी हाँ, प्रत्येक गर्भवती महिला जो एचआईवी संक्रमण से प्रभावित है, उन्हें इससे संबंधित दवा अवश्य लेनी चाहिए।

आइवीएफ संक्रमण से संबंधित स्थितियों में दवाओं का सेवन इस प्रकार करना चाहिए : -

  • स्थिति 1 (First Situation)

पहली स्थिति तब होती है जब आपने गर्भवती होने से पहले एचआईवी संक्रमण के लिए किसी प्रकार का उपचार नहीं किया है और आप अपने गर्भ की पहली तिमाही में हैं।

इस अवस्था में आपके प्रेग्नेंसी डॉक्टर आपको एचआईवी संक्रमण के उपचार संबंध में सही सलाह दे सकते हैं।

इस स्थिति में उपचार को शुरू करते समय निम्न परेशानियों को ध्यान में रखना होगा :-

  1. प्रेग्नेंसी के शुरुआती लक्षण जैसे - सिर चकराना या उल्टी होने की स्थिति में एचआईवी की दवा का सेवन थोड़ा मुश्किल हो सकता है;
  2. इन दवाओं का आपके गर्भस्थ शिशु पर भी प्रभाव हो सकता है, इसलिए यह अच्छा होगा कि आप केवल अपने डॉक्टर के द्वारा बताई गई दवाओं का ही प्रयोग करें

गर्भवती माँ के एचआईवी इन्फेक्शन का शिशु की ओर प्रवाह या तो गर्भावस्था के अंतिम पड़ाव में होता है या फिर प्रसव के समय हो सकता है।

गर्भावस्था की शुरुआत में यह इन्फेक्शन उसी समय प्रवाहित होता है जब गर्भवती महिला में वायरल लोड (viral load) हो।

वायरल लोड यानि संक्रमित महिला में वायरस की अधिक मात्रा! वायरल लोड टेस्ट (viral load test) के द्वारा, ब्लड में मौजूद एचआईवी वायरस की मात्रा का पता लगाया जाता है।

विभिन्न शोध से यह स्पष्ट हो गया है कि यदि गर्भकाल शुरू होने से पहले ही एचआईवी इन्फेक्शन का उपचार कर लिया जाता है, तब होने वाले शिशु को इस इन्फेक्शन से बचाया जा सकता है।

  • स्थिति 2 (Situation 2)

यदि आप एचआईवी दवा ले रही हैं और आपको गर्भकाल की पहली तिमाही में अपने गर्भवती होने का पता चलता है तब अपने प्रेग्नेंसी डॉक्टर को तत्काल में चल रहे उपचार की सूचना दें।

आपको डॉक्टर से इस संबंध में कुछ बातें स्पष्ट करनी होंगी जिनमें निम्न भी शामिल है:

  1. क्या गर्भकाल की पहली तिमाही में आपको अपने पहले से चल रहे एचआईवी उपचार को जारी रखना होगा या रोक देना होगा?
  2. अगर आप इस उपचार को रोक देती हैं तब आपके शरीर में एचआईवी वायरस की मात्रा भी बढ़ सकती है। इसका आपके गर्भस्थ शिशु पर विपरीत प्रभाव हो सकता है। इसलिए इस गंभीर निर्णय को अपने डॉक्टर की मदद से बहुत सावधानी से ही लेना होगा।
और पढ़ें:गर्भावस्था के दौरान पेट दर्द के कारण - सामान्य और गंभीर
 

क्या प्रेग्नेंसी में एचआईवी दवाओं का कोई साइड-इफेक्ट हो सकता है?

Are there any side effects of HIV drugs in hindi

kya hiv drugs ka koi side effect hota hai in hindi

loading image

किसी भी अवस्था में एचआईवी दवाइयाँ अपना साइड-इफेक्ट छोड़ती ही हैं। अधिकतर इन दवाइयों को लेने से सिर चकराना, दस्त लगना, सिर में दर और मांसपेशियों में दर्द जैसी शिकायत हो सकती है।

इसके अलावा खून की कमी, लीवर में ख़राबी और हड्डियों की बीमारी जैसे - ओस्टियोप्रोसिस जैसी शिकायतें भी कभी-कभी देखने को मिल सकती हैं।

इसके अलावा प्रेग्नेंसी में इन दवाओं के कारण कभी-कभी गर्भस्थ शिशु के विकास पर भी विपरीत प्रभाव हो सकता है।

लेकिन अगर इन सबके डर के कारण प्रेग्नेंसी में एचआईवी की दवा न ली जाये तब माँ का एचआईवी का संक्रमण शिशु को हस्तांतरित होने की संभावनाएँ बहुत अधिक हो जाती हैं।

और पढ़ें:गर्भावस्था के दौरान राउंड लिगामेंट पेन के कारण, लक्षण और उपचार
 

अगर मैं एचआईवी पॉज़िटिव और प्रेग्नेंट हूँ, तब मुझे क्या प्रसव के लिए सिजेरियन विधि अपनानी चाहिए?

If I am HIV Positive and pregnant, should I go for cesarean section in hindi

agar main HIV positive hoon tab mujhe kya c-section method se delivery karwana chahiye in hindi

loading image

अगर प्रेग्नेंसी में एचआईवी संक्रमण के इलाज के लिए जीडोव्यूडीन (zidovudine - ZDV) के अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार की दवा नहीं ले रही हैं तब आपको प्रसव के लिए नॉर्मल डिलीवरी की बजाय सिजेरियन सेक्शन अपनाना चाहिए। ऐसा न करने पर शिशु को आपके द्वारा एचआईवी संक्रमण हो सकता है।

यदि आप इस संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए और इस वायरस को अपने ब्लड में न्यूनतम मात्रा में रखने के लिए कुछ दवाओं का इस्तेमाल कर रही हैं, तब आप प्रसव के लिए योनि प्रसव का तरीका अपना सकती हैं। इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से सही सलाह के लिए मिल सकती है।

और पढ़ें:गर्भावस्था के दौरान सेक्स के बाद रक्तस्राव
 

प्रसव के बाद मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरा नवजात शिशु एचआईवी से पीड़ित है?

After I give birth, how will I know if my baby is infected with HIV in hindi

meri delivery ke baad mujhe kab pata chalega ki mera baby hiv se infected hai in hindi

loading image

जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी में एचआईवी इन्फेक्शन होता है, प्रसव के बाद उनके नवजात शिशु का पहले कुछ हफ्तों तक एचआईवी टेस्ट किये जाते हैं।

इन टेस्ट के माध्यम से नवजात शिशु के ब्लड में एचआईवी वायरस की उपस्थिति का पता लगाने का प्रयास किया जाता है।

यदि इन सभी टेस्ट में से किसी दो टेस्ट में एचआईवी का पॉज़िटिव परिणाम आता है तब यह माँ लिया जाता है कि नवजात शिशु भी इस वायरस से प्रभावित है।

लेकिन इन टेस्ट में यदि इस वायरस के होने का नहीं पता लगता है तब शिशु को पूरी तरह से स्वस्थ माना जाता है।

इसके अलावा जब शिशु 12-18 महीने का हो जाता है तब एक बार फिर एचआईवी वायरस के होने या न होने के संबंध में टेस्ट किए जाते हैं।

और पढ़ें:गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप के कारण, लक्षण और उपचार
 

अगर मुझे एचआईवी का संक्रमण है तो इस स्थिति में क्या मेरे नवजात शिशु को कोई अतिरिक्त दवाएं दी जाएंगी?

If I am HIV positive, will my baby need any extra medicine in hindi

HIV in hindi

loading image

प्रेग्नेंसी में यदि महिला एचआईवी संक्रमण से प्रभावित होती है तब उसके नवजात शिशु को 6 हफ्तों तक एचआईवी संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करने के लिए एआरवी दवाएं (ARV medicines) दी जाती हैं। दवाओं की इन थेरैपी को आर्ट (ART) कहा जाता है।

इसके अलावा जब तक शिशु के एचआईवी संक्रमण के होने या न होने का निश्चित पता नहीं लग जाता है तब चिकित्सक कुछ एंटीबोटिक दवा देने की सलाह दे सकते हैं।

इस दवा के माध्यम से नवजात शिशु को एचआईवी संक्रमण के कारण होने वाले निमोनिया से बचाने का प्रयास किया जाता है।

यह ध्यान रहे कि इन सभी दवाओं का शिशु के शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव भी हो सकता है, इसलिए यहाँ बताई गई किसी भी दवा को बिना चिकित्सक की सलाह के अपने आप न लिया जाये।

और पढ़ें:गर्भावस्था में रक्तस्त्राव (ब्लीडिंग) और स्पॉटइंग (रक्त के थक्के)
 

प्रेगनेंसी में एचआईवी संक्रमण होने पर, प्रसव के बाद मेरे नवजात शिशु को वही वैक्सीन या दवाएं दी जाएंगी जो दूसरे बच्चों को दी जाती हैं?

Will my baby get the same vaccines (needles or shots) as other babies in hindi

HIV in hindi

loading image

जी हाँ, आपके प्रग्नेंसी में एचआईवी संक्रमण के होने की स्थिति में प्रसव के बाद आपके नवजात शिशु को भी अन्य शिशुओं को दी जाने वाली सभी दवाएं व वैक्सीन नियमानुसार दी जाएंगी।

और पढ़ें:गर्भावस्था में हेपेटाईटिस बी की पूरी जानकारी
 

मेरे गर्भस्थ शिशु को मेरा एचआईवी का संक्रमण फैलने की संभावना न्यूनतम हो इसके लिए मैं क्या कर सकती हूँ?

What can I do to lower my risk of passing HIV to my baby in hindi

pregnancy mein mere baby ko mera hiv ka risk na transfer ho sake, iske liye mujhe kya karna hoga in hindi

loading image

गर्भवती महिला यदि समय पर अपने एचआईवी संक्रमण का इलाज शुरू करा ले तब यह बीमारी उनके शिशु को होने की संभावना कम हो जाती है।

इसके अतिरिक्त यदि महिला स्वस्थ है और उनके साथी को यह संक्रमण है तब गर्भधारण करने से पूर्व चिकित्सक से मिलकर और कुछ सावधानियाँ बरतकर भी महिला अपने शिशु को इस संक्रमण से बचा सकती है।

निम्न उपायों से गर्भवती महिला अपने शिशु को खुद का एचआईवी संक्रमण फैलने से रोक सकती हैं : -

1. गर्भवती महिला, अपने एचआईवी संक्रमण से अपने गर्भस्थ शिशु को बचाने के लिए समय पर अपना उपचार शुरू करा सकती हैं।

इसके साथ ही उपचार शुरू करने से पहले महिला को, डॉक्टर से उपचार और दवाइयों के साइड-इफेक्ट के बारे में पूरी जानकारी ले लेनी चाहिए।

ऐसा करने से इन होने वाले साइड-इफेक्ट को रोका जा सकता है।

2. एचआईवी संक्रमण होने पर महिला को शिशु को स्तनपान नहीं कराना चाहिए क्योंकि स्तन का दूध इस संक्रमण का एक अच्छा वाहक (carrier) हो सकता है।

3. इस बात को सुनिश्चित करें कि आपके प्रसव के बाद नवजात शिशु का एचआईवी टेस्ट जरूर हो।

इसके साथ ही अपने डॉक्टर से आने वाले समय में समय-समय पर किए जाने वाले टेस्ट के बारे में भी पूरी जानकारी ले लें।

4. नवजात शिशु के जन्म लेने के बाद यह पता करने से साथ-साथ कि उसे एचआईवी संक्रमण है या नहीं , यह भी पता करें कि क्या उसे एंटी-एचआईवी मेडिसीन देना उचित होगा या नहीं।

क्या यह लेख सहायक था? हां कहने के लिए दिल पर क्लिक करें

आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 11 May 2020

हमारे ब्लॉग के भीतर और अधिक अन्वेषण करें

लेटेस्ट

श्रेणियाँ

प्रसवोत्तर रक्तस्राव के लक्षण, कारण, उपचार, निदान, और जोखिम

प्रसवोत्तर रक्तस्राव के लक्षण, कारण, उपचार, निदान, और जोखिम

गर्भावस्था के दौरान राउंड लिगामेंट पेन के कारण, लक्षण और उपचार

गर्भावस्था के दौरान राउंड लिगामेंट पेन के कारण, लक्षण और उपचार

सबकोरियोनिक हिमाटोमा क्या है और आपकी गर्भावस्था को ये कैसे नुकसान पहुँचाता है

सबकोरियोनिक हिमाटोमा क्या है और आपकी गर्भावस्था को ये कैसे नुकसान पहुँचाता है

प्रसव के दौरान बच्चे से पहले गर्भनाल का बाहर आना - अम्ब्लिकल कॉर्ड प्रोलैप्स: कारण, निदान और प्रबंधन

प्रसव के दौरान बच्चे से पहले गर्भनाल का बाहर आना - अम्ब्लिकल कॉर्ड प्रोलैप्स: कारण, निदान और प्रबंधन

गर्भपात के लक्षण, कारण और उपचार क्या हैं

गर्भपात के लक्षण, कारण और उपचार क्या हैं
balance
article lazy ad