गर्भावस्था में हेपेटाईटिस बी की पूरी जानकारी

Hepatitis B during pregnancy in hindi

Garbhavastha mein hepatitis b ki jankari


Introduction

Introduction

गर्भावस्था का समय किसी भी महिला के लिए खुशी और चिंता की भावनाओं से भरा होता है। वैसे तो इस अवस्था में किसी भी प्रकार की बीमारी या रोग का होना, गर्भवती महिला के साथ-साथ गर्भ में पल रहे शिशु के लिए भी परेशानी का कारण बन सकता है।

लेकिन गर्भावस्था में संक्रमण विशेष रूप से चिंता का कारण हो सकते हैं। गर्भावस्था में होने वाले फ्लू जैसे सामान्य संक्रमण केवल कुछ समय के लिए ही गर्भवती महिला को परेशान कर सकते हैं। लेकिन कुछ ऐसे संक्रमण भी होते हैं जिनसे गर्भवती महिला और उसके गर्भस्थ शिशु के प्राणों पर भी संकट आ सकता है।

गर्भावस्था में हेपिटाइटिस बी का संक्रमण ऐसी ही एक परेशानी है जिससे गर्भवती महिला और उसके शिशु के प्राणों पर भी संकट आ सकता है। एचबीवी या हेपिटाइटिस बी प्रसवकालीन समय में, पर्कुटेनियस से (percutaneous - त्वचा से फैलने वाला) और यौन जोखिम के माध्यम से संचारित होता है।इस लेख में गर्भावस्था में हेपिटाइटिस बी और इससे जुड़ी प्रत्येक जानकारी के बारे में बताया गया है।

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इस लेख़ में

  1. 1.गर्भावस्था में होने वाला हेपेटाईटिस बी क्या हो सकता है?
  2. 2.गर्भावस्था में होने वाला हेपेटाईटिस बी का संक्रमण कैसे फैल सकता है?
  3. 3.प्रेग्नेंसी में हेपेटाईटिस बी होने पर कैसे पता चलेगा?
  4. 4.प्रेग्नेंसी में हेपेटाईटिस बी का संक्रमण शिशु को कैसे हो सकता है?
  5. 5.प्रेग्नेंसी में होने वाला हेपेटाईटिस बी का निदान कैसे हो सकता है?
  6. 6.गर्भवती महिला को हेपेटाईटिस बी होने पर शिशु पर इसका क्या प्रभाव हो सकता है?
  7. 7.मुझे प्रेग्नेंसी में हेपेटाईटिस बी पॉज़िटिव होने पर क्या जोखिम हो सकता है?
  8. 8.प्रेग्नेंसी में हेपेटाईटिस बी होने पर इसका क्या उपचार हो सकता है?
  9. 9.प्रेग्नेंसी में हेपेटाईटिस बी होने पर डिलीवरी के बाद क्या उपचार हो सकता है?
  10. 10.अगर मुझे प्रेग्नेंसी में हेपेटाईटिस बी हो तब क्या मैं सामान्य प्रसव का विकल्प
  11. 11.अगर मुझे प्रेग्नेंसी में हेपेटाईटिस बी हो तब प्रसव के बाद मेरे शिशु पर इसका क्
  12. 12.अगर मुझे प्रेग्नेंसी में हेपेटाईटिस बी का रोग हो तब मैं प्रसव के बाद अपने शिशु
  13. 13.मैं प्रेग्नेंसी में हेपेटाईटिस बी के संक्रमण से कैसे बचाव कर सकती हूँ?
  14. 14.प्रेग्नेंसी में किन स्थितियों में महिलाओं की हेपेटाईटिस बी के संक्रमण के लिए ज
 

गर्भावस्था में होने वाला हेपेटाईटिस बी क्या हो सकता है?

What is Hepatitis B during pregnancy in hindi

Hepatitis B infection kyaa ho sakta hai in hindi

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दरअसल, हेपेटाईटिस बी, एचबीवी वायरस के कारण होने वाला एक इन्फेक्शन है जो मुख्य रूप से व्यक्ति के लीवर को प्रभावित करता है।

गर्भावस्था में हेपिटाइटिस बी होने पर महिला के लीवर में सूजन आ जाती है।

विभिन्न प्रकार के हेपेटाईटिस में ‘हेपेटाईटिस बी’ प्रमुख रूप से गंभीर और अत्यंत संक्रामक प्रवृति का माना जाता है।

इसके लक्षण बच्चों की तुलना में व्यसकों में अधिक तेज़ी से पनपते हैं।

अगर समय पर इस रोग का उपचार न किए जाये तब यह सिरोसिस (cirrhosis) और लीवर कैंसर (liver cancer) के रूप में भी बदल सकता है।

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गर्भावस्था में होने वाला हेपेटाईटिस बी का संक्रमण कैसे फैल सकता है?

How does Hepatitis B spread in hindi

pregnancy mein hepatitis kaise feil sakta hai in hindi

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हेपेटाईटिस बी एक गंभीर प्रकार का संक्रामक रोग माना जाता है।

हालाँकि, एक स्वस्थ व्यक्ति इस संक्रमण से प्रभावित होने के कुछ ही समय बाद यह स्वयं ठीक भी हो जाता है।

लेकिन कभी-कभी यह वायरस एक बार शरीर में प्रवेश करने के बाद शरीर से पूरी तरह निकलता नहीं है।

इस स्थिति में यह एक क्रोनिक रोग या पुराना रोग हो जाता है जो किसी भी समय में फिर से उभर सकता है।

ऐसे व्यक्तियों के संपर्क में आने से स्वस्थ व्यक्ति भी इस रोग के शिकार हो सकते हैं।

सामान्य रूप से गर्भवती महिला यदि किसी हेपेटाईटिस बी रोग से प्रभावित व्यक्ति के संपर्क में आती है तब इस रोग के विषाणु उस महिला के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।

यह संपर्क, रोग प्रभावित व्यक्ति के रक्त व अन्य प्रकार के तरल पदार्थ जैसे लार, वीर्य या योनि की तरलता के संपर्क में आने से हो सकता है।

हेपेटाईटिस बी छींकने से, खांसने से, गले लगने से या स्तनपान से नहीं फैलता।

हालाँकि, यह वायरस लार में भी मौजूद हो सकता है लेकिन माना जाता है कि यह चूमने से या बर्तन साझा करने से नहीं फैलता है।

गर्भावस्था में हेपिटाइटिस बी इनमें से किसी भी अवस्था में हो सकता है : -

  • हेपेटाईटिस बी प्रभावित व्यक्ति के शरीर का रक्त चढ़ाने से
  • एचबीवी वायरस (HBV virus) से प्रभावित गर्भवती माँ के प्रसव के समय, यह संक्रमण शिशु में आ सकता है
  • इस रोग से संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल की गई इंजेक्शन नीडल का इस्तेमाल
  • एचबीवी संक्रमित व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करना
  • ऐसे व्यक्ति के साथ मौखिक, योनि या गुदा संबंध स्थापित करना
  • हेपेटाईटिस बी संक्रमित व्यक्ति की इस्तेमाल की हुई कोई ऐसी वस्तु जिसपर उस व्यक्ति के शरीर का कोई भी तरल भाग लगा रह गया हो।
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प्रेग्नेंसी में हेपेटाईटिस बी होने पर कैसे पता चलेगा?

How do you identify hepatitis B in pregnancy in hindi

agar pregnancy mein hepatitis b ho tab kaise pata lagega in hindi, Symptoms of Hepatitis in Pregnancy

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प्रेगनेंसी के दौरान प्रत्येक महिला का हेपेटाईटिस इन्फेक्शन की जाँच के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है।

सामान्य रूप से इन टेस्ट के माध्यम से इस संक्रमण के होने या न होने का पता चल जाता है।

हेपेटाईटिस बी के सामान्य लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं : -

  • 7-10 दिन तक बुख़ार और जोड़ों में दर्द, थकान, मांसपेशियों में दर्द
  • भूख कम लगना या बिल्कुल न लगना
  • हल्के चक्कर के साथ उल्टी आना
  • पेट में दर्द रहना
  • हल्के रंग या पीले रंग का मल (stool) त्याग करना
  • गहरे रंग या चाय के रंग जैसे पेशाब का आना

हेपेटाईटिस बी के गंभीर लक्षण जिनके होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह जरूरी है : -

  • सिर का हर समय चकराना और साथ में गंभीर रूप से उल्टी होना
  • 20 दिन से अधिक आँखों और स्किन का पीला होना (जिसे पीलिया या जौंडिस भी कहते हैं)
  • पेट का हर समय फूला हुआ महसूस होना
  • स्किन में खुजली का बने रहना
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प्रेग्नेंसी में हेपेटाईटिस बी का संक्रमण शिशु को कैसे हो सकता है?

Transmission of hepatitis B during pregnancy in hindi

Pregnancy mein hone wale hepatitis ka shishu ke andar kaise transmit ho sakta hai in hindi

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गर्भवती माँ से उसके शिशु को होने वाले हेपेटाईटिस संक्रमण को पेरिनियल इन्फेक्शन (perinatal Infection) या मदर टू चाइल्ड ट्रांसमिशन (mother to child trasnmission) के रूप में जाना जाता है।

पूरी गर्भावधि यानि गर्भावस्था के किसी भी में अगर माँ को यह हेपेटाईटिस इन्फेक्शन होता है तो तब उनके शिशु को इस संक्रमण से प्रभावित होने की संभावना अधिक होती है।

शिशु को हेपेटाईटिस बी का संक्रमण निम्न रूप से फ़ैल सकता है : [1]

  • गर्भ में प्लेसेन्टा के माध्यम से संक्रमण का प्रवाह होना
  • योनि माध्यम से प्रसव के समय योनि-तरल के संपर्क में आने पर
  • प्रसव के बाद की देखभाल करते समय या स्तनपान के द्वारा
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प्रेग्नेंसी में होने वाला हेपेटाईटिस बी का निदान कैसे हो सकता है?

How is hepatitis B diagnosed during pregnancy in hindi

pregnancy mein hone vale hepatitis b diagnose kaise ho sakta hai in hindi

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गर्भवती महिला को हेपेटाईटिस संक्रमण है या नहीं इसके निदान के लिए रक्त जांच की जाती है जिसे हेपेटाईटिस बी सरफेस एंटीजेन टेस्ट (hepatitis B surface antigen test) कहा जाता है।

इस टेस्ट के माध्यम से महिला के संक्रमित होने या न होने का पता लगता है।

यदि परिणाम नेगेटिव है तब इसका अर्थ है कि वर्तमान में गर्भवती महिला को हेपेटाईटिस संक्रमण नहीं है।

लेकिन इस टेस्ट के परिणाम पॉज़िटिव आते हैं तब महिला के हेपेटाईटिस बी संक्रमण से प्रभावित होने की पुष्टि हो जाती है।

इस समय प्रेग्नेंसी डॉक्टर इसके अलावा अन्य टेस्टों के माध्यम से इस संक्रमण की तीव्रता मालूम करने का प्रयास करते हैं।

यह टेस्ट इस प्रकार होते हैं :

  • हेपेटाईटिस बी सर्फेस एंटीबॉडी (HBsAb or Anti-HBs )
  • हेपेटाईटिस बी कोर एंटीबॉडी (HBcAb or Anti-HBc)

लेकिन इनमें से कोई भी टेस्ट इस संक्रमण के गंभीर या क्रोनिक होने की पुष्टि नहीं करते हैं।

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गर्भवती महिला को हेपेटाईटिस बी होने पर शिशु पर इसका क्या प्रभाव हो सकता है?

Will my baby be affected by my hepatitis B in hindi

pregnancy mein hepatitis b hone par kya iska asar mere shishu par ho sakta hai in hindi

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प्रेग्नेंसी में हेपेटाईटिस बी होने पर शिशु पर इसका प्रभाव विपरीत हो सकता है।

संक्रमण के गंभीर होने की स्थिति में यह शिशु के लिए जानलेवा भी सिद्ध हो सकता है।

जो बच्चे इस संक्रमण के साथ जन्म लेते हैं उनका हेपेटाईटिस बी संक्रमण के वाहक (carrier of hepatitis) बनने का 90% जोखिम हो सकता है।

इस प्रकार वो इस संक्रमण को दूसरे व्यक्तियों को फैलाने वाले सिद्ध हो सकते हैं।

ऐसे 25% शिशु की वयस्क होने पर लीवर कैंसर या लीवर की ख़राबी के कारण मृत्यु भी हो सकती है।

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मुझे प्रेग्नेंसी में हेपेटाईटिस बी पॉज़िटिव होने पर क्या जोखिम हो सकता है?

What will happen when I test positive for hepatitis B when pregnant in hindi

agar pregnancy mein main hepatitis b positive hoon tab kya ho sakta hai in hindi

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यदि गर्भावस्था में महिला की रक्त जांच (blood test in pregnancy) में हेपेटाईटिस बी पॉज़िटिव आता है तब महिला और गर्भस्थ शिशु को कई जोखिम का सामना करना पड़ सकता है।

माँ और शिशु के लिए हेपेटाईटिस बी के जोखिम निम्न हो सकते हैं : -

  • समय से पूर्व प्रसव होना
  • नवजात शिशु का शारीरिक वजन सामान्य से बहुत कम होना
  • नवजात शिशु को जौंडिस (jaundice) होना
  • गर्भावस्था में मधुमेह की परेशानी होना
  • गर्भपात होना
  • प्रेग्नेंसी की आखिरी तिमाही में किसी भी समय रक्त्स्त्राव शुरू हो जाना
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प्रेग्नेंसी में हेपेटाईटिस बी होने पर इसका क्या उपचार हो सकता है?

What are the treatments for hepatitis B during pregnancy in hindi

pregnant mahila ko hepatitis b hone par kya treatment ho sakta hai in hindi

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यदि प्रेग्नेंसी में महिला हेपेटाईटिस बी पॉज़िटिव होती है तब प्रेग्नेंसी डॉक्टर एक अन्य टेस्ट को कराने के लिए कह सकती हैं।

इस टेस्ट के माध्यम से हेपेटाईटिस संक्रमण के स्तर को मालूम करने का प्रयास किया जाता है।

इस स्तर को वायरल लोड (viral load) भी कहा जाता है।

संक्रमण के स्तर या वायरल लोड के अधिक होने पर इस संक्रमण को शिशु के शरीर में प्रवेश करने से रोकना बहुत जरूरी हो जाता है।

इसलिए इसका उपचार करने का प्रयास किया जाता है।

सामान्य रूप से प्रेग्नेंसी में महिला के हेपेटाईटिस बी के उपचार की प्रक्रिया गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में 28वें सप्ताह से शुरू की जाती है और प्रसव के एक महीने बाद तक जारी रहती है।

लेकिन यह निर्णय वायरल लोड टेस्ट के परिणाम के आधार पर लिया जाता है।

अगर वायरल लोड टेस्ट के परिणाम में संक्रमण का स्तर अधिक नहीं है तब डॉक्टर प्रसव के बाद उपचार शुरू करने के बाद निर्णय ले सकती हैं।

इस स्थिति में प्रसव के बाद डॉक्टर से मिलकर संक्रमण के होने या न होने के बारे में पुष्टि कर सकती हैं।

गर्भावस्था के दौरान उपचार में दी जाने वाली दवाएं सुरक्षित होती हैं सुरक्षित होती हैं लेकिन अगर आप गर्भवती नहीं है या गर्भधारण के प्रयास में लगी हैं तो आपको खुद से एंटीवायरल दवाएं नहीं लेनी चाहिए।

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प्रेग्नेंसी में हेपेटाईटिस बी होने पर डिलीवरी के बाद क्या उपचार हो सकता है?

What are the treatments for hepatitis B after pregnancy in hindi

delivery ke baad mahilao ka hepatitis b ka treatment kaise ho sakta hai in hindi

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यदि गर्भावस्था में हेपेटाईटिस बी के उपचार के रूप में एंटी-वायरल दवाएं दी गई हैं तब एल्ट - एसजीपीटी (ALT- SGPT) के स्तर की जांच हर तीन माह में करवानी जरूरी है।

यह एक प्रकार का टेस्ट है जिसमें लीवर के स्वास्थ्य की जांच की जाती है।

यह टेस्ट एंटी-वायरल दवाओं के सेवन बंद हो जाने के छह महीने के बाद तक कराना जरूरी होता है।

इस टेस्ट के बाद ही, प्रसव के बाद भी एंटी-वायरल दवाओं को जारी रखने या न रखने का निर्णय लिया जाता है।

यदि इस टेस्ट में किसी प्रकार का पॉज़िटिव रिजल्ट नहीं आता है तब भी प्रेग्नेंसी डॉक्टर प्रसव के बाद महिला को हेपेटाईटिस बी का स्तर को मालूम करने के लिए लीवर स्पेशलिस्ट के पास जाने की सलाह दे सकते हैं।

इसके अतिरिक्त प्रेग्नेंसी डॉक्टर को गर्भवती महिला के हेपेटाईटिस बी के स्तर की जानकारी होने पर वह नवजात शिशु को सही वैक्सीनेशन दे सकते हैं।

इस टीके के माध्यम से नवजात को जीवन भर हेपेटाईटिस बी के संक्रमण के जोखिम से बचाया जा सकता है।

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अगर मुझे प्रेग्नेंसी में हेपेटाईटिस बी हो तब क्या मैं सामान्य प्रसव का विकल्प ले सकती हूँ?

Can I have a normal delivery if I have hepatitis B in hindi

agar mujhe pregnancy mein hepatitis b hota hai to kya main normal delivery karvaa sakti hoon in hindi

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कई स्टडी के अनुसार, सिजेरियन डिलीवरी का विकल्प हेपेटाईटिस बी संक्रमण को माँ से बच्चे में फैलने की संभावना को कम करता है।

हालाँकि, जिस डॉक्टर से आप अपना इलाज करा रही हैं वे आपकी स्थिति को देखते हुए आपको उचित सलाह दे सकते हैं कि अगर आप हेपेटाईटिस बी से संक्रमित हैं तो आपके लिए प्रसव का कौन-सा तरीका सही होगा - नॉर्मल डिलीवरी या सिजेरियन डिलीवरी!

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अगर मुझे प्रेग्नेंसी में हेपेटाईटिस बी हो तब प्रसव के बाद मेरे शिशु पर इसका क्या प्रभाव हो सकता है?

What will happen to my baby after birth if I am suffering with hepatitis b in pregnancy in hindi

hepatitis b in hindi

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जब गर्भवती महिला हेपेटाईटिस बी के संक्रमण से प्रभावित हो तब प्रसव के बाद शिशु को हेपेटाईटिस बी के उपचार के लिए टीका लगा कर किया जाता है।

इस टीके से नवजात शिशु में यह संक्रमण रक्त में प्रवाहित होने से रोका जा सकता है।

यह अनुशंसा की जाती है कि क्रॉनिक एचबी से संक्रमित माँओं के द्वारा जन्म लेने वाले शिशुओं को जन्म के 12 घंटे के भीतर 0.5 एमएल इंट्रामस्क्युलर (ml intramuscular) और एचबीवी वैक्सीन (HBV vaccine) की पहली खुराक मिलनी चाहिए।

इसके अतिरिक्त शिशु को इस संक्रमण से रोकने वाले इंजेक्शन की पहली डोज़ जन्म के 24 घंटों के अंदर ही दी जाएगी।

इसके बाद जैसे-जैसे शिशु का विकास होता है, उसे जन्म के बाद छह, दस और चौदह हफ्ते तक समय पर दवा दिलवाने के लिए अस्पताल लाना होगा जिससे उसे हमेशा इस संक्रमण से बचाया जा सके।

इसके साथ ही शिशु के जन्म के छह माह पूरे होने पर लगने वाला टीका भी इस संबंध में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

इसके बाद शिशु के नौ माह और 18 महीने पूरे होने के बाद ब्लड टेस्ट कराया जाता है जिसमें हैपीटाइट्स बी के होने की स्थिति में, उसके स्तर की जांच करवाई जाती है।

गर्भवती महिला को हेपेटाईटिस संक्रमण होने की स्थिति में प्रसव के बाद शिशु को सभी प्रकार के टीके और ब्लड टेस्ट का काम समय पर करवाना जरूरी होता है।

अधिकतर यह देखा गया है कि यदि नवजात शिशु को हैइपिटाइटिस बी के जोखिम से रोकने के लिए सभी प्रकार के टीकों को समय पर लगाया जाना जरुरी होता है।

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अगर मुझे प्रेग्नेंसी में हेपेटाईटिस बी का रोग हो तब मैं प्रसव के बाद अपने शिशु को स्तनपान करवा सकती हूँ या नहीं?

Will I be able to breastfeed my baby if I have hepatitis B in hindi

agar mujhe hepatitis b hai to kya main apne baby ko breastfeed karvaa sakti hoon in hindi

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संक्रमित माताओं के स्तन के दूध में HBsAg, HBeAg और HBV DNA उत्सर्जित (निकलते हैं) होते हैं।

वर्तमान विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, स्तनपान के माध्यम से HBV संचरण का कोई अतिरिक्त जोखिम नहीं है, यहां तक ​​कि टीकाकरण की अनुपस्थिति में भी।

हालांकि, अगर निप्पल में क्रैक हो या निप्पल से खून आ रहा हो स्तनपान नहीं कराना चाहिए क्योंकि इससे स्तन के साथ गंभीर उत्सर्जित पदार्थ (निकलने वाले) दूध में मिल जायेंगे, हेपेटाईटिस बी बच्चे को फ़ैल सकता है।

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मैं प्रेग्नेंसी में हेपेटाईटिस बी के संक्रमण से कैसे बचाव कर सकती हूँ?

How can you prevent hepatitis B during or before pregnancy in hindi

pregnancy se pahle ya dauran main hepatitis se bachav kaise kar sakti hoon in hindi

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प्रेग्नेंसी में हेपेटाईटिस के संक्रमण से बचाव का सबसे अच्छा तरीका समय पर व उचित टीकाकरण का उपयोग माना जाता है।

हेपेटाइटिस बी का टीका, पहला कैंसर रोधी टीका है क्योंकि यह लिवर कैंसर को रोकने में मदद कर सकता है।

दुनिया भर में, क्रोनिक हेपेटाइटिस बी और सी 80% लिवर कैंसर का कारण बनता है, जो कैंसर से होने वाली मृत्यु का दूसरा सबसे आम कारण है।

इसलिए, एक वैक्सीन जो हेपेटाइटिस बी संक्रमण से बचाती है, लिवर कैंसर को रोकने में भी मदद कर सकती है।

इसके लिए यह भी ज़रूरी है कि प्रेग्नेंसी की शुरुआत होते ही, प्रत्येक गर्भवती महिला को हेपेटाईटिस संक्रमण की जांच भी करा लेनी चाहिए।

इसके लिए विभिन्न प्रकार के ब्लड टेस्ट होते हैं जिनके आधार पर यह पता लगाया जा सकता है कि क्या महिला को गर्भधारण करने से पहले हेपेटाईटिस का संक्रमण हुआ था या नहीं।

इसके साथ ही इस संक्रमण के लिए टीका लगाकर, संक्रमण का उपचार किया गया था कि नहीं।

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प्रेग्नेंसी में किन स्थितियों में महिलाओं की हेपेटाईटिस बी के संक्रमण के लिए जांच जरूरी है?

Under what situation a pregnant woman should be tested for hepatitis B during pregnancy in hindi

hepatitis infection ki janch is prakar ki pregnant ladies ki karni chahiye in hindi

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निम्न स्थितियों में हेपेटाईटिस बी के लिए प्रेग्नेंट महिला की जाँच जरुरी हैं : -

1. प्रत्येक गर्भवती महिला जिसे पहले हेपेटाईटिस बी का संक्रमण हुआ हो और उसके उपचार के लिए उचित टीकाकरण हो चुका हो;

2. अस्पताल में प्रसव के लिए भर्ती वो सभी महिलाएं जिनका गर्भकाल में हेपेटाईटिस संक्रमण के लिए पहले ब्लड टेस्ट नहीं हुआ हो;

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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 25 Mar 2020

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