गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप के कारण, लक्षण और उपचार
Causes, symptoms and treatment of gestational hypertension in hindi
Pregnancy mein uch raktchap ke karan, lakshan or upchar in hindi
Introduction

गर्भावधि उच्च रक्तचाप या हाई बीपी (high blood pressure), गर्भावस्था के दौरान विकसित होता है।
महिला के यूरीन में प्रोटीन मौजूद न होने पर और गर्भावस्था के 20 हफ़्तों के बाद मापा गया रक्तचाप अगर 140/90 से अधिक हो तो इसे गर्भावधि उच्च रक्तचाप माना जाता है, जिसे दो अलग-अलग मौक़ों पर (6 घंटे के अंतराल पर) मापा गया हो।
प्रेगनेंसी के 20 सप्ताह के बाद गर्भावधि उच्च रक्तचाप की समस्या उत्पन्न होती है और इससे गर्भवस्था के दौरान कोई भी महिला प्रभावित हो सकती है।
जेस्टेशनल हाइपरटेंशन को प्रेगनेंसी-इंड्यूस्ड हाइपरटेंशन (pregnancy-induced hypertension - PIH) के रूप में भी जाना जाता है। गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप लगभग 6-8% गर्भवती महिलाओं को प्रभावित करता है।
गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप एक गंभीर स्थिति को जन्म दे सकती है जिसे प्रीक्लेम्पसिया (preeclampsia) कहा जाता है। प्रीक्लेम्पसिया को टॉक्सिमिया (toxemia) भी कहा जाता है।
इस लेख़ में
- 1.गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप के प्रकार क्या हैं?
- 2.गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप (जेस्टेशनल हाइपरटेंशन) की संभावना को बढ़ाने वाले का
- 3.गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप या गर्भावधि उच्च रक्तचाप के लक्षण क्या हैं?
- 4.गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप से जुड़े जोखिम और जटिलताएं क्या हैं?
- 5.गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप का निदान कैसे किया जाता है?
- 6.गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप का इलाज कैसे किया जाता है?
- 7.गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप या जेस्टेशनल हाइपरटेंशन से कैसे बचाव कर सकते हैं?
गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप के प्रकार क्या हैं?
What are the types of hypertension (high blood pressure) during pregnancy? in hindi
Pregnancy mein high blood pressure ke prakar in hindi

कभी-कभी महिला में गर्भावस्था से पहले भी उच्च रक्तचाप मौजूद होता है।
अन्य मामलों में, प्रेगनेंसी में हाई ब्लड प्रेशर विकसित होता है।
ऐसे में जानते हैं कि प्रेगनेंसी के पहले और बाद के हाई बीपी को किस प्रकार से विभाजित किया जाता है।
इसके साथ ही जानते हैं कि प्रेगनेंसी में हाई ब्लड प्रेशर का हर प्रकार कितना गंभीर साबित हो सकता है और उसका शरीर पर क्या असर पड़ सकता है।
गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) के प्रकार निम्न हैं :
क्रोनिक उच्च रक्तचाप (Chronic hypertension)
क्रोनिक उच्च रक्तचाप, गर्भावस्था के 20 सप्ताह से पहले विकसित हो सकता है या गर्भाधान से पहले भी मौजूद हो सकता है।
इसके अलावा यह प्रसव के बाद भी जारी भी रह सकता है।
कुछ मामलों में, प्रसवपूर्व चेकअप (prenatal checkup) से पहले आपको पता भी नहीं चलेगा कि आपको पहले से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या थी।
क्रोनिक हाइपरटेंशन के साथ सुपरइंपोज़्ड प्रीएक्लेम्सिया (Chronic hypertension with superimposed preeclampsia)
क्रोनिक हाइपरटेंशन के साथ सुपरइंपोज़्ड प्रीएक्लेम्सिया उन महिलाओं में होता है जिनमें गर्भावस्था से पहले क्रोनिक हाइपरटेंशन की स्थिति पाई जाती है और जिनमें गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप और यूरिन में प्रोटीन की मौजूदगी या अन्य स्वास्थ्य जटिलताएं भी होती हैं।
जेस्टेशनल हाइपरटेंशन (Gestational hypertension)
गर्भावधि उच्च रक्तचाप, गर्भावस्था के दौरान विकसित होता है। इस प्रकार के हाइपरटेंशन में गर्भवती महिला के यूरिन में प्रोटीन की मौजूदगी नहीं होती और ना ही इससे लिवर के फंक्शन पर किसी तरह का प्रभाव पड़ता है।
महिलाएं आमतौर पर इस स्थिति का सामना अपनी प्रेगनेंसी की दूसरी छहमाही में या गर्भावस्था के 20 सप्ताह के बाद करती है।
प्रीक्लेम्पसिया (Preeclampsia)
जब क्रोनिक और जेस्टेशनल हाइपरटेंशन का इलाज नहीं किया जाता है, तो इससे प्री-एक्लेम्पसिया हो सकता है। ये यूरिन में प्रोटीन का कारण बनता है और अगर समय रहते इसपर ध्यान नहीं दिया जाता है, तो यह माँ और बच्चे दोनों के लिए जटिलताएँ पैदा कर सकता है ।
गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप (जेस्टेशनल हाइपरटेंशन) की संभावना को बढ़ाने वाले कारक क्या हैं?
What are the risk factors that increases the chances of high blood pressure (gestational hypertension) in pregnancy? in hindi
Pregnancy mein gestational hypertension hone ke karan in hindi

गर्भवस्था में उच्च रक्तचाप की समस्या कुछ महिलाओं को ही होती हैं, लेकिन इनके होने के कारणों का पता अब तक नहीं लगाया जा सका है। हालांकि, कुछ कारक प्रेगनेंसी में हाई ब्लड प्रेशर या हाई बीपी होने की संभावना ज़रुर बढ़ा सकते हैं।
प्रेगनेंसी में उच्च रक्तचाप होने के कारक निम्न हैं :
- पहली गर्भावस्था
- जेस्टेशनल हाइपरटेंशन का पारिवारिक इतिहास
- गर्भ में जुड़वाँ या 2 से अधिक भ्रूण हो
- महिला की उम्र 20 से कम या 40 से ऊपर हो
- गर्भावस्था से पहले उच्च रक्तचाप (high blood pressure) या किडनी की बीमारी
- मधुमेह (diabetes)
गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप या गर्भावधि उच्च रक्तचाप के लक्षण क्या हैं?
What are the symptoms of pregnancy-induced hypertension or gestational hypertension? in hindi
Pregnancy induced hypertension or gestational hypertension ke lakshan in hindi

मुख्य तौर पर जेस्टेशनल हाइपरटेंशन से जुड़े कोई लक्षण नहीं होते हैं बल्कि आप उन लक्षणों का ही अनुभव कर सकती हैं जो उच्च रक्तचाप या प्रेगनेंसी इंड्यूस्ड हाइपरटेंशन के दौरान दिखते हैं।
हाई बीपी होने के सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
- अगर ब्लड प्रेशर 140/90 से अधिक हो
- अचानक वज़न बढ़ना
- दृश्य परिवर्तन, जैसे कि डबल या धुंधली दृष्टि
- पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द
- बार-बार सिरदर्द होना
- हथेलियों और तलवों पर अत्यधिक पसीना आना
- चक्कर आना
- कानों में बजने वाली आवाज़
- अनिद्रा
- तेज़ धडकन
गर्भावस्था के दौरान, हर एक प्रसवपूर्व विज़िट के दौरान आपके रक्तचाप की जाँच की जाती है क्योंकि उच्च रक्तचाप से माँ और बच्चे दोनों को ख़तरा होता है।
ऐसे में समय रहते प्रेगनेंसी इंड्यूस्ड हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप की पहचान करने से इसके प्रभाव से बचा जा सकता है।
गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप से जुड़े जोखिम और जटिलताएं क्या हैं?
What are the risks and complications associated with gestational hypertension? in hindi
Gestational hypertension se jude jokhim or jatiltaye in hindi

गर्भावधि उच्च रक्तचाप आपके रक्त वाहिकाओं को प्रभावित कर सकता है। इसके साथ ही गर्भावधि उच्च रक्तचाप आपके जिगर (liver), गुर्दे (kidneys), मस्तिष्क (brain), गर्भाशय (uterus) और प्लेसेंटा (placenta) में ब्लड फ्लो को कम कर सकता है।
जब नाल को पर्याप्त रक्त नहीं मिल पाता है तो भ्रूण को भी ऑक्सीजन और भोजन कम मिलता है। ये बच्चे में जन्म के समय कम वज़न और अन्य विकास संबंधी समस्याओं को जन्म दे सकता है।
गर्भावधि उच्च रक्तचाप के अन्य जटिलताओं में शामिल हैं :
- एक्लम्पसिया (eclampsia), जिसमें हाई बीपी के साथ-साथ दौरे (seizures) पड़ते हैं
- प्लेसेंटा का टूटना (गर्भाशय से प्लेसेंटा का पहले ही अलग हो जाना)
- अंतर्गर्भाशयी विकास प्रतिबंध (खराब भ्रूण वृद्धि)
- स्टिलबर्थ (stillbirth)
- समय से पहले डिलीवरी (premature delivery)
गर्भावधि उच्च रक्तचाप का जल्द पता लगाया जा सकता है अगर आप नियमित रूप से प्रसवपूर्व जांच के लिए जाती हैं।
अगर समस्या का पता समय रहते चल जाता है तो इसका उपचार भी सही समय पर संभव हो सकता है।
गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप का निदान कैसे किया जाता है?
How is gestational hypertension diagnosed? in hindi
Garbhkalin uch raktchap ka nidan kaise kiya jata hai

जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि प्रेगनेंसी के दौरान, हर प्रसवपूर्व मुलाकात के दौरान आपका बीपी चेक किया जाता है।
रक्तचाप में असामान्य वृद्धि जेस्टेशनल हाइपरटेंशन (gestational hypertension) का संकेत हो सकती है।
अगर आपका बीपी दो या तीन बार लगातार मासिक चेकअप में उच्च (140/90 या उससे ज़्यादा) पाया जाता है, तो आपके डॉक्टर आपको यूरिन टेस्ट कराने की सलाह देंगे।
इसके अलावा प्रीनेटल विज़िट के दौरान, आपके डॉक्टर भविष्य के लिए आपके बीपी, वज़न में बढ़ोत्तरी और यूरिन प्रोटीन को मॉनीटर करेंगे और साथ ही इसका एक चार्ट बना लेंगे।
अगर आप असामान्य रूप से थका हुआ महसूस करती हैं या गर्भकालीन उच्च रक्तचाप के अन्य लक्षणों से पीड़ित हैं, तो चिकित्सक अतिरिक्त परीक्षण निर्धारित करेंगे।
गर्भावस्था में डायबिटीज़ के निदान के लिए आपके डॉक्टर निम्न टेस्ट की सलाह दे सकते हैं :
- एडिमा (edema) का आकलन
- रेटिना में परिवर्तन की जाँच के लिए नेत्र परीक्षण (Eye test)
- ब्लड क्लॉटिंग टेस्ट (Blood clotting test)
- लिवर और किडनी के फंक्शन को देखने के लिए टेस्ट
अगर गर्भवस्था में उच्च रक्तचाप का पता लगता है या यहां तक कि इसके होने का भी संदेह रहता है, तो डॉक्टर आपके बढ़ते बच्चे की निगरानी के लिए एक नॉन-स्ट्रेस टेस्ट (non-stress test) कराने की सलाह देंगे।
डॉक्टर आमतौर पर आपके बच्चे की हृदय गति को रिकॉर्ड करने के लिए एक अल्ट्रासाउंड ट्रांसड्यूसर (ultrasound transducer) का उपयोग करते हैं।
इस परीक्षण में गर्भाशय की गतिविधि को देखने और रिकॉर्ड करने के लिए एक टोको ट्रांसड्यूसर (toco transducer) का भी उपयोग किया जाता है।
जब आपका बच्चा सक्रिय होता है, तो भ्रूण की हृदय गति बढ़ जाती है। ऐसे में, यह परीक्षण आपके बच्चे के विकास को ठीक तरह से समझने में मदद करता है।
गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप का इलाज कैसे किया जाता है?
How is gestational hypertension treated? in hindi
Gestational hypertension ka ilaj kaise kiya jata hai

उपचार का मुख्य लक्ष्य जेस्टेशनल हाइपरटेंशन की स्थिति को खराब होने और अन्य समस्याओं का कारण बनने से रोकना है।
उपचार आपके लक्षणों, प्रेगनेंसी और सामान्य स्वास्थ्य पर निर्भर करेगा। यह इस पर भी निर्भर करेगा कि हालत कितनी गंभीर है।
गर्भावधि उच्च रक्तचाप उपचार में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं :
- अस्पताल में या घर में बेड रेस्ट
- रक्तचाप के स्तर की निगरानी
- मैग्नीशियम सल्फेट (magnesium sulphate) जैसे - एंटीहाइपरटेंसिव (antihypertensive) दवाएं
निम्नलिखित तरीकों के माध्यम से भ्रूण के स्वास्थ्य की निगरानी की जा सकती है :
- भ्रूण की किक और मूवमेंट्स में परिवर्तन इंगित करता है कि बच्चा तनाव में है
- नॉन-स्ट्रेस टेस्ट - भ्रूण के मूवमेंट्स के संबंध में भ्रूण की हृदय गति को मापता है
- बायोफिज़िकल प्रोफ़ाइल (biophysical profile) - अल्ट्रासाउंड और नॉन-स्ट्रेस टेस्ट का कॉम्बिनेशन- भ्रूण की वृद्धि, विकास और मूवमेंट्स का निरीक्षण करने के लिए
- डॉपलर फ्लो स्टडी (doppler flow studies) - एक अल्ट्रासाउंड परीक्षण जो भ्रूण के ब्लड सर्कुलेशन (fetal blood circulation) को मापने के लिए साउंड वेव्स (sound waves) का इस्तेमाल करता है
- असामान्य परिवर्तनों को ट्रैक करने के लिए निरंतर यूरिन और ब्लड टेस्ट
- बच्चे में फेफड़ों के विकास को गति देने के लिए - कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (corticosteroids)
- डिलीवरी - अगर अन्य उपचार काम नहीं करते हैं और मां या भ्रूण को उच्च जोखिम में पाया जाता है
इसके साथ ही आपको भी अपनी देखभाल के उपाय करने चाहिए, जो उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
जेस्टेशनल हाइपरटेंशन के उपचार के लिए आप निम्न उपाय कर सकते हैं :
- पर्याप्त आराम करें और प्रमुख रक्त वाहिकाओं से दबाव को हटाने के लिए अपनी बाईं ओर लेटें।
इस तरह, भ्रूण को अधिकतम मात्रा में रक्त और पोषक तत्व पहुँचाए जाते हैं। - नमक का कम सेवन करें।
- पर्याप्त पानी पिएं।
- नियमित प्रसव पूर्व जांच के लिए जाएं।
गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप या जेस्टेशनल हाइपरटेंशन से कैसे बचाव कर सकते हैं?
How to prevent gestational hypertension? in hindi
Gestational hypertension ko kaise roke

गर्भावस्था की शुरुआत में ही जेस्टेशनल हाइपरटेंशन की पहचान, रोग की कुछ जटिलताओं को रोकने में मदद कर सकती है।
ऐसे में इसके लक्षणों की जानकारी होना आवश्यक है क्योंकि लक्षण की जानकारी होने से रोग की पहचान जल्दी हो जाती है और समय रहते इसके बचने के उपायों की ओर ध्यान दिया जा सकता है।
हालांकि, अगर महिला प्रेगनेंसी के पहले कुछ सावधानी बरतें तो इस स्थिति को होने से रोका जा सकता है।
गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप से बचाव के लिए आप निम्न उपाय आज़मा सकते हैं :
- हर दिन लगभग दस गिलास पानी का सेवन करें
- प्रोटीन का सेवन बढ़ाएं और जंक फूड खाना छोड़ दें
- हर दिन लगभग आधे घंटे, कम प्रभाव वाले व्यायाम करें (अपने डॉक्टर से चर्चा करने के बाद)
- स्थिर वजन बढ़ाने के लिए स्वास्थ्यवर्धक खाना खाएं
- कैफीन का सेवन सीमित करें
- अपने बीपी के स्तर की नियमित जांच कराए
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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 02 Jun 2020
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