गर्भकालीन मधुमेह के कारण, लक्षण और उपचार

Gestational diabetes: causes, symptoms and treatment in hindi

Garbh Kalin madhumeh ke karan, lakshan or upchar


Introduction

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एक महिला के लिए गर्भावस्था की यात्रा सबसे सुंदर और यादगार होती है। इससे कोई इनकार नहीं कर सकता, लेकिन कुछ महिलाओं के लिए ये जटिलताओं से भरा हुआ भी होता है। गर्भावस्था के दौरान आपका शरीर अपनी सबसे नाज़ुक स्थिति में होता है।

इस दौरान कई ऐसी समस्या होती हैं, जिससे किसी भी तरह की परेशानी नहीं होती, लेकिन कुछ समस्याएं जोखिमों से भरी साबित हो सकती है। गर्भावस्था की अधिक सामान्य समस्याओं में से एक है गर्भकालीन मधुमेह (gestational diabetes)।

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इस लेख़ में

  1. 1.गर्भकालीन मधुमेह क्या है?
  2. 2.गर्भकालीन मधुमेह के लक्षण क्या हैं?
  3. 3.गर्भकालीन मधुमेह के कारण क्या हैं?
  4. 4.गर्भाकालीन मधुमेह होने का जोखिम किसे होता है?
  5. 5.गर्भकालीन मधुमेह का निदान कैसे किया जा सकता है?
  6. 6.गर्भावधि मधुमेह का इलाज कैसे किया जाता है?
  7. 7.गेस्टेशनल डायबिटीज़ के साथ क्या जटिलताएं जुड़ी हैं?
  8. 8.गर्भकालीन मधुमेह के लिए दृष्टिकोण क्या है?
  9. 9.गर्भकालीन मधुमेह से बचाव कैसे किया जा सकता है?
 

गर्भकालीन मधुमेह क्या है?

What is gestational diabetes? in hindi

Garbhkalin madhumeh kya hai in hindi

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गर्भकालीन मधुमेह, ज्यादातर मामलों में अस्थायी होता है। गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाओं के शरीर में ब्लड शुगर का लेवल बढ़ जाता है तो ये समस्या उत्पन्न होती है। इस स्थिति को गर्भावधि मधुमेह मेलिटस (gestational diabetes mellitus) या गर्भकालीन मधुमेह (gestational diabetes) के रूप में जाना जाता है।

जेस्टेशनल डायबिटीज़ तब होती है, जब आपका शरीर इंसुलिन नामक हार्मोन पर्याप्त मात्रा में पैदा करने में असमर्थ हो जाता है। गर्भावधि मधुमेह गर्भावस्था के दौरान लगभग किसी भी समय हो सकता है, लेकिन यह आमतौर पर 24 से 28 सप्ताह के बीच होता है। इसका पता आमतौर पर टेस्ट होने के बाद ही चलता है।

गर्भकालीन मधुमेह के लिए परीक्षण करवाना प्रसव पूर्व देखभाल (antenatal care) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। गर्भावस्था के दौरान कम से कम एक बार सभी गर्भवती महिलाओं का ये परीक्षण किया जाता है।

अगर गर्भावस्था से पहले आपको मधुमेह नहीं था, तब भी आपको यह हो सकता है जो आपकी प्रेगनेंसी और आपके बच्चे के लिए जोखिम बढ़ा सकता है।

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गर्भकालीन मधुमेह के लक्षण क्या हैं?

What are the symptoms of gestational diabetes? in hindi

Garbhkalin madhumeh ke lakshan kya hain in hindi

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सामान्य तौर पर कई महिलाओं को गर्भकालीन मधुमेह के कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। यूं कहे कि जो लक्षण होते भी हैं तो वो, प्रेगनेंसी के लक्षण के सामान ही होते हैं, जिन्हें अधिकतर महिलाएं नज़रअंदाज़ कर देती हैं या समझ नहीं पाती।

ऐसे में ये जानना आवश्यक है कि गर्भावस्था में मधुमेह के लक्षण किस तरह के होते हैं।

गर्भावस्था में मधुमेह के लक्षण निम्न हैं :

  • थकान महसूस करना (fatigue)
  • धुंधली दृष्टि होना (blurred vision)
  • बहुत ज़्यादा प्यास लगना (excessive thirst
  • पेशाब करने की अधिक आवश्यकता होना (excessive need to urinate)
  • खर्राटे आना (snoring)

अगर आपको ऊपर बताए गए लक्षणों में किसी का भी अनुभव हो तो डॉक्टर से जल्द-से-जल्द बात परामर्श लें।

और पढ़ें:अस्थानिक गर्भावस्था के लक्षण, कारण और उपचार
 

गर्भकालीन मधुमेह के कारण क्या हैं?

What are the causes of gestational diabetes? in hindi

Gestational diabetes ke karan kya hain in hindi

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गर्भकालीन मधुमेह का सटीक कारण का पता अब तक नहीं चला है, लेकिन हार्मोन इसमें एक भूमिका ज़रूर निभाते हैं। जब आप गर्भवती होती हैं, तो आपके शरीर में कुछ हार्मोनों का स्तर अधिक बढ़ जाता है, जिनमें शामिल हैं।

  • ह्यूमन प्लेसेंटल लेक्टोजेन (human placental lactogen - HPL)
  • हार्मोन जो इंसुलिन को रोकते हैं (hormones that increase insulin resistance)

इन हार्मोनों से प्लेसेंटा (placenta) प्रभावित होता है और आपकी प्रेगनेंसी को बरक़रार रखने में मदद करता है।

जैसे-जैसे प्रेगनेंसी बढ़ती जाती है वैसे-वैसे इन हार्मोनों की मात्रा भी शरीर में बढ़ती जाती है और ये आपके शरीर को इंसुलिन (जो हार्मोन आपके ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है) के लिए प्रतिरोधी बनाना शुरू कर सकते हैं।

इंसुलिन आपके ब्लड से ग्लूकोज को आपकी सेल्स तक पहुंचाने में मदद करता है, जहां इसका उपयोग ऊर्जा के लिए किया जाता है।

गर्भावस्था में, आपका शरीर स्वाभाविक रूप से कुछ हद तक इंसुलिन प्रतिरोधी (insulin resistance) हो जाता है, ताकि शिशु तक पहुंचने के लिए आपके रक्त प्रवाह (blood stream) में अधिक ग्लूकोज उपलब्ध हो।

अगर इंसुलिन प्रतिरोध बहुत मज़बूत हो जाता है, तो आपके ब्लड शुगर का स्तर असामान्य रूप से बढ़ सकता है और ये गर्भावस्था के दौरान मधुमेह या गर्भावधि मधुमेह (gestational diabetes) का कारण बन सकता है।

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गर्भाकालीन मधुमेह होने का जोखिम किसे होता है?

Who is at risk for gestational diabetes? in hindi

Gestational diabetes hone ka jokhim kise hota hai in hindi

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किसी भी गर्भवती महिला को गर्भकालीन मधुमेह हो सकता है। इसलिए डॉक्टर हर गर्भवती महिला का परीक्षण करते हैं। गर्भावस्था में मधुमेह से लगभग 2 से 10 प्रतिशत महिलाएं प्रभावित होती हैं।

कुछ कारक गर्भावस्था में डायबिटीज़ के जोखिम को बढ़ा सकते हैं और आपको पहली प्रसवपूर्व यात्रा के दौरान जांच करवाने की आवश्यकता पड़ सकती है। आपके डॉक्टर बाद में भी कई बार आपका परीक्षण कर सकते हैं।

गर्भकालीन मधुमेह के जोखिम को बढ़ाने वाले कारक निम्न हैं:

  • मोटा होना
  • 25 वर्ष से अधिक उम्र होना
  • मधुमेह का पारिवारिक इतिहास होना
  • पिछली गर्भावस्था के दौरान गर्भकालीन मधुमेह रहा हो
  • प्रेगनेंसी के पहले वज़न का अधिक होना
  • एक से अधिक बच्चों के साथ गर्भवती होना, जैसे की जुड़वा या ट्रिपल
  • पिछली डिलीवरी के समय बच्चे का वज़न 4 किलो से अधिक होना
  • उच्च रक्तचाप होना
  • पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (polycystic ovary syndrome) होना
  • ग्लुकोकोर्टिकोइड्स लेना (glucocorticoids)
और पढ़ें:कोरोना वायरस के बारे में क्या जानना जरुरी है?
 

गर्भकालीन मधुमेह का निदान कैसे किया जा सकता है?

How can gestational diabetes diagnosed? in hindi

Gestational diabetes ka nidan kaise kiya jata hai in hindi

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जैसा कि हमने पहले बताया है कि गर्भावस्था के दौरान मधुमेह के सामान्य रूप से कोई लक्षण नहीं होते हैं। इसलिए इसका निदान ब्लड टेस्ट की मदद से किया जाता है।

गर्भावधि मधुमेह आमतौर पर तीसरी तिमाही की शुरुआत में शुरू होता है। हालांकि, गर्भावस्था में डायबिटीज़ को बढ़ाने वाले कुछ जोखिम कारकों के होने पर, आपके डॉक्टर पहली तिमाही के अंत में एक प्रारंभिक ग्लूकोज टेस्ट की सिफारिश कर सकते हैं।

ये गर्भावस्था के 24-28 सप्ताह के बीच फिर से किया जाता है। अगर टेस्ट के परिणाम नकारात्मक आते हैं, तो परीक्षण फिर से नहीं किया जाएगा।

स्क्रीनिंग दो तरीकों की होती है और दोनों में से कोई एक की जा सकती है, जो इस प्रकार है:

ग्लूकोज़ चैलेंज टेस्ट (Glucose Challenge test)

इस टेस्ट के लिए, सबसे पहले आपको ग्लूकोज़ का घोल पीने के लिए दिया जाएगा। घोल पीने के एक घंटे बाद, ब्लड शुगर के स्तर की जांच के करने लिए आपके रक्त का परीक्षण (blood test) किया जाएगा। अगर टेस्ट से आपके ब्लड शुगर लेवल का स्तर सामान्य से अधिक होता है, तो आपको गर्भावधि मधुमेह होने की संभावना होती है। ऐसे में 100% निदान प्राप्त करने का एकमात्र तरीका ग्लूकोज़ टॉलरेंस टेस्ट (glucose tolerance test) है।

ग्लूकोज़ टॉलरेंस टेस्ट ( Oral glucose tolerance test)

ये टेस्ट आपके शरीर की ग्लूकोज़ की प्रतिक्रिया को मापता है। इसका उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि खाने के बाद आपका शरीर कितनी अच्छी तरह से ग्लूकोज़ को ऐबजॉर्ब करता है। इस टेस्ट की तैयारी के लिए आपके डॉक्टर आपको रात भर खाली पेट रहने की सलाह देंगे।

सुबह लैब में पहुंचने के बाद लैब स्टाफ सबसे पहले आपके ब्लड का सैंपल लेंगे, जिसकी मदद से आपके ब्लड में बेसलाइन ग्लूकोज़ के स्तर (baseline glucose level) का पता लगाया जाएगा।

इसके बाद आपको ग्लूकोज़ का घोल पीने के लिए दिया जाएगा, जो ग्लूकोज़ चैलेंज टेस्ट में दिए गए घोल से अधिक मीठा होगा। घोल पीने के बाद अगले तीन घंटों तक, प्रति घंटे में एक बार आपके ग्लूकोज़ के स्तर को मापा जाएगा।

अगर दोनों टेस्ट के परिणामों में उच्च रक्त शर्करा (high blood sugar) दिखाई देता है, तो इससे आपके गर्भकालीन मधुमेह होने का पता चलता है।कुछ डॉक्टर ग्लूकोज़ चैलेंज टेस्ट करने की बजाय केवल ग्लूकोज़ टॉलरेंस टेस्ट करते हैं।

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गर्भावधि मधुमेह का इलाज कैसे किया जाता है?

How is gestational diabetes treated? in hindi

Gestational diabetes ka ilaj kaise kiya jata hai

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अगर आपको गर्भावधि मधुमेह का पता चला है, तो आपके गर्भकालीन मधुमेह के उपचार की योजना दिन भर के आपके रक्त शर्करा (blood sugar) के स्तर पर निर्भर करेगी।

कई महिलाएं आहार और व्यायाम के माध्यम से गर्भकालीन मधुमेह का प्रबंधन करने में सक्षम हो जाती हैं, जो रक्त शर्करा के स्तर (blood sugar levels) को कंट्रोल करने में बहुत प्रभावी हो सकता है।

इसके लिए आपको अपने कार्बोहाइड्रेट (carbohydrate) के सेवन और खान-पान पर विशेष तौर पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी।

इसके साथ ही अल्कोहल, प्रोसेस्ड खाद्य-पदार्थ, और स्टार्च जैसे कि सफेद आलू और सफेद चावल सहित कुछ खाद्य पदार्थ और पेय से बचना भी महत्वपूर्ण होगा।

गर्भावस्था में मधुमेह होने पर आप क्या खा सकती हैं और क्या नहीं खा सकती हैं इसको लेकर आपके डॉक्टर मील प्लान (meal plan) तैयार कर सकते हैं और साथ ही एक्सरसाइज़ प्लान (exercise plan) भी रेकमेंड कर सकते हैं।

गर्भावस्था के दौरान मधुमेह के लिए सुरक्षित व्यायामों में शामिल है :

  • पिलेट्स (Pilates)
  • योग (yoga)
  • टहलना (walking)
  • तैरना (swimming)

वहीं आपको ग्लूकोज का स्तर सुनिश्चित करने के लिए अपने ब्लड शुगर के स्तर को मॉनिटर करने की आवश्यकता होगी। अगर डाइट और एक्सरसाइज़ प्रभावी साबित नहीं हो पाते हैं तो डॉक्टर आपको इंसुलिन भी लेने की सलाह दे सकते हैं।

और पढ़ें:गर्भकालीन मधुमेह के कारण, लक्षण और उपचार
 

गेस्टेशनल डायबिटीज़ के साथ क्या जटिलताएं जुड़ी हैं?

What complications are associated with gestational diabetes?in hindi

Gestational diabetes ke saath kya jatiltayein judi hain

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ज्यादातर महिलाएं जिन्हें गर्भावस्था में मधुमेह होता है, वे स्वस्थ बच्चे को जन्म देती हैं।

हालांकि, अगर गर्भकालीन मधुमेह के उपचार की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है तो अनियंत्रित रक्त शर्करा का स्तर (uncontrolled blood sugar levels) बढ़ सकता है, जो माँ और बच्चे दोनों के लिए समस्याएं पैदा कर सकता है।

ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर प्रसव के लिए सी-सेक्शन की संभावना बढ़ जाती है।

निम्न जटिलताएं आपके बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं :

अत्यधिक वज़न (Excessive birth weight)

आपके रक्त प्रवाह (bloodstream) में अतिरिक्त ग्लूकोज़ प्लेसेंटा को पार कर जाता है, जो अतिरिक्त इंसुलिन बनाने के लिए आपके बच्चे के पैंक्रियाज़ को ट्रिगर करता है।

इससे आपके बच्चा का आकार बढ़ सकता है, जिसे मैक्रोसोमिया (macrosomia) कहा जाता है। बच्चे का वज़न चार किलो या उससे अधिक होने पर बच्चे के बर्थ कैनाल में फंसने की संभावना होती है, जिससे जन्म के समय चोट पहुंच सकती है और जिससे सिजेरियन डिलीवरी की संभावना भी बढ़ जाती है।

प्रारंभिक जन्म और श्वसन संकट सिंड्रोम (Early birth and respiratory distress syndrome)

एक माँ के उच्च रक्त शर्करा के कारण समय से पहले प्रसव का जोखिम बढ़ सकता है और बच्चे का जन्म नियत तारीख (due date) से पहले हो सकता है। कुछ परिस्थितियों में जेस्टेशनल डायबिटीज़ होने पर बच्चे के अधिक वज़न के कारण भी डॉक्टर जल्द प्रसव की सलाह दे सकते हैं।

वहीं समय से पहले पैदा होने वाले शिशुओं को रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम का सामना करना पड़ सकता है। एक ऐसी अवस्था है, जो सांस लेने में संकट पैदा करती है। इस सिंड्रोम वाले शिशुओं को तब तक सांस लेने में परेशानी आ सकती है, जब तक कि उनके फेफड़े परिपक्व (lungs mature) और मज़बूत नहीं हो जाते हैं।

अगर बच्चे का जन्म समय से पहले नहीं भी होता है तब भी गर्भकालीन मधुमेह (gestational diabetes) वाली महिलाओं के शिशुओं को रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम का अनुभव हो सकता है।

निम्न रक्त शर्करा (Low blood sugar - hypoglycemia)

जिन महिलाओं को प्रेगनेंसी में मधुमेह हो जाता है उनके बच्चे के खून में जन्म के तुरंत बाद शर्करा का स्तर कम हो जाता है क्योंकि उनका खुद का इंसुलिन उत्पादन अधिक होता है। हाइपोग्लाइसीमिया (hypoglycemia) की गंभीर स्थिति होने पर बच्चे को दौरे आ सकते हैं।

हालांकि, शीघ्र फीडिंग और कभी-कभी एक इंट्रावेनस (intraveneous) ग्लूकोज़ का घोल देने से बच्चे के रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य किया जा सकता है।

टाइप 2 मधुमेह का ख़तरा (Risk of type 2 diabetes)

जिन शिशुओं की माँ को गर्भवस्था में मधुमेह होता है, उनमें मोटापा (obesity) बढ़ने का ख़तरा अधिक होता है। इसके साथ आगे चलकर टाइप 2 मधुमेह भी हो सकता है। अगर गर्भकालीन मधुमेह के उपचार पर ध्यान नहीं दिया जाता है तो इससे जन्म के पहले या जन्म के तुरंत बाद बच्चे की मृत्यु होने का ख़तरा हो सकता है।

निम्न जटिलताएं जो माँ पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं :

उच्च रक्तचाप और प्रीक्लेम्पसिया (High blood pressure and preeclampsia)

गर्भकालीन मधुमेह उच्च रक्तचाप के साथ-साथ प्रीक्लेम्पसिया के जोखिम को बढ़ाता है। प्रीक्लेम्पसिया, प्रेगनेंसी की एक गंभीर जटिलता है, जो हाई ब्लड प्रेशर और अन्य लक्षणों का कारण बनती है, जिससे मां के साथ-साथ बच्चे के जीवन के लिए ख़तरा हो सकता है।

भविष्य में होने वाला मधुमेह (Future diabetes)

अगर आपको गेस्टेशनल डायबिटीज़ है, तो आपको आगे चलकर भविष्य में प्रेगनेंसी के दौरान इसके दोबारा होने की संभावना है। इसके अलावा उम्र बढ़ने पर आपको टाइप 2 डायबिटीज़ होने की अधिक संभावना होती है। हालांकि, स्वस्थ जीवन शैली के विकल्प जैसे कि स्वस्थ भोजन करना और व्यायाम करना, भविष्य के टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।


और पढ़ें:गर्भपात के लक्षण, कारण और उपचार क्या हैं
 

गर्भकालीन मधुमेह के लिए दृष्टिकोण क्या है?

What is the outlook for gestational diabetes? in hindi

Garbhkalin madhumeh ke liye drishtikon kya hai in hindi

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गर्भ के दौरान होने वाली डायबिटीज़ आमतौर पर बच्चे के जन्म के बाद अपने आप ही चली जाती है। आपके डॉक्टर डिलीवरी के 6 से 12 सप्ताह के बाद आपके ब्लड शुगर लेवल के लिए टेस्ट करेंगे ताकि ये सुनिश्चित करने में मदद मिले कि बच्चे के जन्म के बाद आपके शुगर का स्तर सामान्य हुआ है या नहीं।

अगर डॉक्टर ये टेस्ट नहीं करते हैं, तो ये आपके टाइप 2 डायबिटीज़ होने का कारण बन सकता है। यहां तक ​​कि अगर आपके बच्चे के जन्म के बाद आपका रक्त शर्करा सामान्य नहीं होता है, तो गर्भकालीन मधुमेह आपको आगे चलकर टाइप 2 मधुमेह के विकास के जोखिम में डाल देता है।

आपके रक्त शर्करा का स्तर (blood glucose levels) सामान्य है, ये सुनिश्चित करने के लिए आपको हर 3 साल में परीक्षण करवाना चाहिए। अगर आपको गर्भावस्था के दौरान मधुमेह था, तो आपके बच्चे को आगे चलकर मोटापे या टाइप 2 मधुमेह का सामना करना पड़ सकता है।

आप इस जोखिम को निम्नलिखित तरीकों से कम कर सकते हैं:

  • स्तनपान
  • अपने बच्चे को कम उम्र से स्वस्थ खाने की आदतें सिखाना
  • अपने बच्चे को जीवन भर शारीरिक रूप से सक्रिय रहने के लिए प्रोत्साहित करना
और पढ़ें:गर्भवस्था के दौरान आयरन की कमी (एनीमिया) होने के कारण, लक्षण और उपचार
 

गर्भकालीन मधुमेह से बचाव कैसे किया जा सकता है?

How can you prevent gestational diabetes? in hindi

Garbhkalin madhumeh ko kaise rok sakte hain ya iske prabhav ko kum kar sakte hain in hindi

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गर्भावस्था में मधुमेह होने पर माँ और बच्चे दोनों के जोखिमों को बढ़ा सकता है लेकिन अगर समय से पहले इस ओर ध्यान दें तो इससे बचा जा सकता है। जीवनशैली में बदलाव लाने से गर्भावधि मधुमेह को रोकने या इसके प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है।

गर्भावस्था में डायबिटीज़ को रोकने या इसके प्रभाव को कम करने के लिए टिप्स :

  • गर्भावस्था से पहले वज़न कम रखना
  • गर्भावस्था में बढ़ते वज़न का एक एक लक्ष्य निर्धारित करना
  • उच्च फाइबर (high fiber), कम वसा (low fat) वाले खाद्य पदार्थ खाना
  • व्यायाम करना

गर्भावस्था के दौरान मधुमेह से बचने के लिए व्यायाम :

  • व्यायाम के लिए पैदल चलना, तैरना, और प्रसव पूर्व योग बेहतरीन विकल्प हो सकते हैं।
  • एक नया व्यायाम शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से बात ज़रूर करें।

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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 02 Jun 2020

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