गर्भावस्था के पहले महीने की सम्पूर्ण जानकारी

All about 1 month of pregnancy in hindi

Garbhavastha ka pehla mahina


एक नज़र

  • गर्भावस्था की पूरी अवधि यानि गर्भकाल को तीन त्रैमासिक यानि तीन-तीन महीने के तीन पड़ावों में बांटा गया है
  • गर्भावस्था के पहले महीने में प्रेग्नेंसी हार्मोन बनने शुरू हो जाते हैं, जिसे ह्यूमन कोरयोनिक गोनाडोट्रोपीन या एचसीजी कहते हैं।
  • महिला के गर्भधारण करने के बाद पहले महीने में बच्चे का आंतरिक और शारीरिक विकास होना शुरू हो जाता है।
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Introduction

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इक्कीसवीं सदी को इंटरनेट सदी के नाम से भी जाना जाता है, जहां गूगल के पास हर समस्या और हर प्रश्न का हल मौजूद है।

लेकिन कुछ सवाल ऐसे होते हैं जिनके हल या तो होते नहीं या फिर इतने होते हैं कि आप उनमें से सही का चयन नहीं कर पाती हैं।

यही समस्या आपके सामने उस समय खड़ी होती है जब आप पहली बार माँ बनने का सफर शुरू करने जा रही हैं और इस सफर में आने वाले विभिन्न सवालों और उलझनों का सामना करने वाली हों।

गर्भावस्था का पहला महीना (first month of pregnancy in hindi), गर्भवस्था के पूरे सफ़र में बहुत महत्व रखता है।

इसलिए इस लेख में हम आपको प्रेग्नेंसी का पहला पड़ाव यानि पहले महीने से जुड़ी हर विशेष जानकारी देने का प्रयास कर रहे हैं।

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इस लेख़ में

  1. 1.गर्भावस्था का पहला महीना कब शुरू होता है?
  2. 2.गर्भावस्था के पहले महीने में कौन से लक्षण महसूस हो सकते हैं?
  3. 3.गर्भावस्था के पहले महीने में बच्चे का विकास क्या होता है?
  4. 4.गर्भावस्था के पहले महीने में शारीरिक परिवर्तन क्या हो सकते हैं?
  5. 5.गर्भावस्था के पहले महीने में क्या खाना चाहिए?
  6. 6.गर्भावस्था के पहले महीने में किन खाद्य पदार्थों से परहेज करें?
  7. 7.गर्भावस्था के पहले महीने में सेक्स कब और कैसे करें?
  8. 8.गर्भावस्था के पहले महीने में डॉक्टर से अपॉइंटमेंट कब और क्यों लेना चाहिए?
  9. 9.किन स्थितियों में गर्भावस्था के पहले महीने में डॉक्टर से तुरंत मिलना चाहिए?
  10. 10.गर्भावस्था के पहले में महीने के दौरान अल्ट्रासाउंड या अन्य परीक्षण क्या होते ह
  11. 11.गर्भावस्था के पहले महीने में पिता के लिए टिप्स क्या हो सकते हैं?
 

गर्भावस्था का पहला महीना कब शुरू होता है?

When does the first month of pregnancy start in hindi

Pregnancy ka pehla mahina kab shuru hota hai in hindi

गर्भावस्था की पूरी अवधि यानि गर्भकाल (gestational age in hindi) को तीन त्रैमासिक (3 trimesters) यानि तीन-तीन महीने के तीन पड़ावों में बांटा गया है।

इसमें पहला पड़ाव यानि पहली तिमाही, गर्भावस्था के पहले महीने से शुरू होती है।

यह समय या गर्भकाल की शुरुआत महिला के पिछले मासिक धर्म (last menstrual period - LMP) के पहले दिन से शुरू होती है।

यह समय मूल रूप से महिला के गर्भधारण करने से 3-4 हफ्ते पहले का होता है।

दूसरे शब्दों में कहा जाये तो गर्भावस्था का पहला महीना (first month of pregnancy in hindi) पिछले मासिक धर्म के 3-4 हफ्ते के बाद शुरू होता है।

हो सकता है कि महिला को अपने पिछले मासिक धर्म की सही तिथि का ज्ञान न हो, तब ऐसे में चिकिसक अल्ट्रासाउंड तकनीक से इसका पता लगाया जा सकता है।

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गर्भावस्था के पहले महीने में कौन से लक्षण महसूस हो सकते हैं?

What are the symptoms of pregnancy in first month in hindi

Pregnancy shuru hone ke kya symptoms ho sakte hain in hindi

महिला के तकनीकी रूप से गर्भधारण करने से पहले भी कुछ शुरुआती लक्षण उन्हें गर्भवती होने के संकेत दे सकते हैं।

इन्हें गर्भावस्था के 1 महीने के लक्षण (symptoms of pregnancy in first month in hindi) भी कहा जाता है।

गर्भावस्था के पहले महीने में नज़र आने वाले लक्षण निम्न हैं : -

1. पाँवों में बल पड़ना या हल्का रक्त्स्त्राव होना (Cramping and spotting in first month of pregnancy in hindi)

गर्भावस्था के पहले महीने में महिला के पाँवों में बल पड़ने या हल्का रक्त्स्त्राव होने की परेशानी हो सकती है।

इस समय निषेचित अंडाणु (fertilized egg) हल्का और तरल पदार्थ वाले गोले में बदल जाता है, जो बाद में शिशु के मूल शरीर में परिवर्तित हो जाता है।

यह प्रक्रिया गर्भधारण के 1-4 हफ्ते में होती है।

इसके बाद अगले 6-7 दिनों में यह गोला गर्भाशय की परत (endometrium) पर चिपक जाता है, जिसके कारण महिला को हल्का रक्त्स्त्राव हो सकता है, जिसे कुछ महिलाएं हल्के मासिक धर्म के रूप में भी ले सकती हैं।

यह रक्त्स्त्राव निम्न रूप में हो सकता है : -

1. इस स्त्राव का रंग हल्का गुलाबी, लाल या भूरे रंग का हो सकता है।

2. कुछ महिलाओं को यह स्त्राव नियमित मासिक धर्म के समान होता है तब कुछ में यह केवल धब्बे के समान ही हो सकता है।

3. कुछ महिलाएं इस समय मासिक धर्म के समय होने वाले दर्द को भी महसूस कर सकती हैं।

यह दर्द हल्के से अधिक तेज़ भी हो सकता है।

4. अधिकतर यह स्त्राव तीन दिन से अधिक नहीं होता है।

इस अवधि में किए जाने वाले धूम्रपान, मदिरापान या मादक दवाओं के लेने से यह स्त्राव गंभीर भी हो सकता है।

2. गर्भवस्था के पहले महीने में मासिक धर्म का न होना (Missed period during first month of pregnancy in hindi)

गर्भावस्था के पहले महीने में प्रेग्नेंसी हार्मोन बनने शुरू हो जाते हैं, जिसे ह्यूमन कोरयोनिक गोनाडोट्रोपीन या एचसीजी (human chorionic gonadotropin - hCG) कहते हैं।

इसके बाद महिला के अंडाशय (ovaris) से परिपक्व अंडाणु (mature eggs) मासिक धर्म के रूप में निकलना बंद हो जाते हैं।

इस अवस्था को मासिक धर्म का रुकना भी कहा जाता है।

आमतौर पर गर्भधारण करने के 1-4 हफ्ते बाद मासिक धर्म नहीं होता है।

लेकिन अगर मासिक धर्म अनियमित है, तब गर्भधारण को टेस्ट के माध्यम से ही सुनिश्चित किया जा सकता है।

सामान्य रूप से घर में किया जाने वाले प्रेग्नेंसी टेस्ट में एचसीजी हार्मोन के स्तर का पता लगने से गर्भधारण होना या न होना सुनिश्चित किया जा सकता है।

3. शरीर के तापमान में वृद्धि (Raised body temperature in first month of pregnancy in hindi)

प्रेग्नेंसी के पहले महीने में शारीरिक तापमान में भी वृद्धि देखी जाती है।

अधिकतर तापमान में वृद्धि सुबह जागने के बाद आसानी से मापी जा सकती है।

शारीरिक तापमान में होने वाली यह वृद्धि, अंडोत्सर्ग यानि ओवुलेशन (ovulation) के तुरंत बाद शुरू हो सकती है।

इस अवस्था में पानी पीने की मात्रा में वृद्धि करनी चाहिए।

4. थकान बने रहना (Fatigue during early pregnancy in hindi)

वैसे तो गर्भावस्था में हर समय थकान बनी रहती है, लेकिन प्रेग्नेंसी के पहले महीने में महिला कुछ अधिक ही थकान महसूस कर सकती है।

इसका मुख्य कारण शरीर में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन (progesterone levels) का अधिक होना होता है, जिसके कारण महिला को हर समय नींद आने का एहसास बने रहता है।

इस समय अच्छा यही होगा कि महिला को यदि नींद आने का अहसास होता है तब उस समय नींद ले लें।

5. हृदय गति में तीव्रता आ जाना (Increased heart rate during first month of pregnancy)

गर्भावस्था के 1 महीने में हृदय गति में थोड़ी तीव्रता महसूस की जा सकती है।

ऐसा शरीर में होने वाले हार्मोन में अंतर आने के कारण हो सकता है।

लेकिन, यदि गर्भधारण करने वाली महिला को हृदय संबंधी कोई परेशानी है तब उन्हें चिकित्सक से संपर्क करके इसका समुचित प्रबंध करना चाहिए।

6. स्तनों के आकार, बनावट में परिवर्तन (Early changes to breasts in first month of pregnancy in hindi)

महिला जब गर्भधारण कर लेती है, तब गर्भावस्था के 1 महीने में उन्हें अपने स्तनों में थोड़ा कड़ापन और सूज महसूस हो सकता है।

यह परिवर्तन हार्मोनल परिवर्तन के कारण होता है जो समय के साथ ठीक भी हो सकता है।

7. मूड स्विंग होना (Changes in mood during first month of pregnancy in hindi)

गर्भकाल शुरू होते ही महिला के शरीर में एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन के स्तर में वृद्धि होने के कारण, उनके मूड स्विंग होने शुरू हो जाते हैं।

इसके कारण महिला बहुत अधिक संवेदनशील हो जाती है और कभी-कभी बिना कारण प्रतिक्रिया दे सकती हैं।

इसके अलावा बिना किसी कारण के अवसाद, चिड़चिड़ापन, घबराहट हो सकती है।

8. बार-बार पेशाब आना (Incontinence and frequent urination in first month of pregnancy in hindi)

गर्भावस्था के पहले महीने में शरीर में रक्त-संचालन की प्रक्रिया तेज़ हो जाती है।

इसके कारण किडनी को सामान्य से अधिक काम करना पड़ता है, जिसके कारण मूत्राशय में तरल पदार्थ जल्दी और अधिक मात्रा में पहुँच जाता है।

यही कारण है कि महिला को गर्भकाल के पहले महीने में पेशाब करने की जरूरत सामान्य से अधिक होती है।

9. कब्ज़ और गैस बनना (Constipation and bloating in first month of pregnancy in hindi)

अधिकतर महिलाएं गर्भावधि शुरू होते ही कब्ज़ और पेट में गैस बनने की शिकायत करती हैं।

शरीर में होने वाले हार्मोनल परिवर्तन के कारण पाचन तंत्र थोड़ा धीमा हो जाता है।

इस कारण गर्भावस्था के पहले महीने में पाचन तंत्र बिगड़ने की शिकायत महसूस हो सकती है।

इस वजह से कुछ महिलाओं को सीने या छाती में जलन जैसा भी महसूस हो सकता है।

10. सुबह के समय उल्टी महसूस होना (Morning sickness in first month of pregnancy in hindi)

गर्भवस्था के पहले लक्षण पीरियड मिस होने के बाद, गर्भधारण का दूसरा और सबसे आम लक्षण है उल्टी होना!

जहाँ कुछ महिलाओं को गंभीर उल्टी का सामना करना पड़ता है वहीं कुछ महिलाओं को यह बेहद कम स्तर पर महसूस होता है।

इसका कारण भी केवल शरीर में होने वाले हार्मोनल परिवर्तन को ही माना जाता है।

11. हाई ब्लड प्रेशर रहना (High blood pressure in first month of pregnancy in hindi)

अक्सर महिलाओं को गर्भवस्था के पहले महीने में हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है।

मेडिकल दृष्टि से ऐसा केवल मानसिक रूप से चिंतित और घबराहट के कारण होता है।

जिन महिलाओं को पहले से हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है, उनके अतिरिक्त, यह केवल शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों के कारण हो सकता है।

12. खान-पान की पसंद में बदलाव (Change in food habits in first month of pregnancy in hindi)

अधिकतर यह देखा गया है कि गर्भावस्था के पहले महीने में महिलाओं की खाने-पीने की पसंद में भारी बदलाव आ जाता है।

इस समय महिलाएं वो भी खा लेती हैं जो सामान्य स्थिति में उनसे अपेक्षा नहीं की जाती है।

ठीक इसी प्रकार इसका उल्टा भी हो सकता है कि महिला जो ख़ास चीज खाना बेहद पसंद हो वो प्रेगनेंसी के पहले महीने के दौरान बिलकुल पसंद न आये।

13. भूख का अचानक बढ़ जाना (Increased eating craving first month of pregnancy in hindi)

गर्भावस्था के पहले महीने में कुछ महिलाओं की भूख में अत्यधिक वृद्धि भी देखी जा सकती है।

नियत समय के अतिरिक्त भी खाने की इच्छा रखते हुए महिलाएं सामान्य से अधिक भोजन भी कर सकती हैं।

14. पेट में दर्द रहना (Stomach ache in first month of pregnancy in hindi)

प्रेग्नेंसी की शुरुआत में जब निषेचन प्रक्रिया पूरी हो जाती है तब महिला को पेट के निचले हिस्से में दर्द महसूस हो सकता है।

हालाँकि, ऐसा जरुरी नहीं हो कि यह हर महिला महसूस करें।

15. पीठ में दर्द होना (Back Pain in first month of pregnancy in hindi)

कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के पहले महीने में पीठ में दर्द हो सकता है।

यह अस्थायी होता है इसलिए इससे घबराना नहीं चाहिए।

 

गर्भावस्था के पहले महीने में बच्चे का विकास क्या होता है?

Baby growth during first month of pregnancy in hindi

Pregnancy ke pahle mahine mein Baby ki growth kya hoti hai in hindi

महिला के गर्भधारण करने के बाद पहले महीने में बच्चे का आंतरिक और शारीरिक विकास होना शुरू हो जाता है।

महिला के गर्भ में निषेचन (fertilization) के बाद गर्भ के शिशु की शरीर की कोशिकाओं का निर्माण शुरू हो जाता है।

इस समय शिशु के शरीर की आधारभूत संरचना का निर्माण होना शुरू हो जाता है।

इसके साथ ही इस समय शिशु के शरीर के विभिन्न हिस्सों जैसे सिर, छाती, पेट और इनसे जुड़े हिस्सों का बनना भी शुरू हो जाता है।

हाथ-पैरों के रूप में छोटी-छोटी बनावटें उभर आती हैं।

इसके साथ ही शिशु का डाइजेस्टीव सिस्टम, नर्वस सिस्टम और ब्लड सर्क्युलेशन सिस्टम का बनना भी शुरू हो जाता है।

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गर्भावस्था के पहले महीने में शारीरिक परिवर्तन क्या हो सकते हैं?

What are the physical changes in the first month of pregnancy in hindi

Pregnancy ke pahle mahine mein physical change kya hote hain in hindi

महिला के गर्भधारण करने के बाद पहले महीने में शारीरिक बदलाव नज़र आ सकते हैं, हालाँकि, प्रेगनेंसी के पहले महीने में नज़र आने वाले ये बदलाव बेहद कम होते हैं।

गर्भवस्था के पहले महीने में नज़र आने वाले शारीरिक बदलाव निम्न हो सकते हैं : -

1. इस समय महिला को अपनी पीठ पर तनाव महसूस हो सकता है और इसके साथ ही शरीर में पहले की तुलना में अधिक फूलापन महसूस हो सकता है।

2. गर्भधारण करते ही महिला के शरीर में एस्ट्रोजेन हार्मोन (estrogen hormone) के साथ ही ब्रेस्ट की ग्लेंड्स (breast glands) में भी वृद्धि होने लगती है, इन सबके परिणामस्वरूप महिला के ब्रेस्ट के आकार में वृद्धि होने लगती है।

3. गर्भधारण करने के बाद महिला के स्तनों में वृद्धि होने के साथ ही निप्पल के रंग और बनावट में अंतर आने लगता है।

इस समय से निप्पल अधिक गहरे रंग या काले और बड़े होने लगते हैं।

4. कुछ महिलाओं को गर्भधारण करने के दस दिन के अंदर हल्का रक्त्स्त्राव या स्पॉटिंग भी हो सकती है।

ऐसा होने का कारण गर्भ में भ्रूण का प्रत्यारोपण होना होता है यानि निषेचित भ्रूण गर्भ की दीवार के साथ चिपककर विकसित होना शुरू कर रहा है।

5. कभी-कभी गर्भ के पहले महीने में महिला की योनि से भी स्त्राव हो सकता है।

 

गर्भावस्था के पहले महीने में क्या खाना चाहिए?

Best diet plan in first month of pregnancy in hindi

Pregnancy ke pahle mahine mein kya khana chahiye in hindi

गर्भावस्था का पहला महीना, गर्भधारण करने वाली महिला और गर्भ के शिशु, दोनों के लिए ही बहुत महत्वपूर्ण होता है।

आगे आने वाले नौ महीने की ही नहीं बल्कि जन्म लेने वाले शिशु के सम्पूर्ण जीवन की नींव भी इसी महीने रखी जाती है।

इसलिए गर्भधारण के पहले महीने में गर्भवती महिला को अपने खान-पान का चुनाव बहुत सोच-समझ कर ही करना चाहिए।

गर्भ के पहले महीने में एक अच्छा डाइट प्लान निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए : -

1. साबुत अनाज (Whole grains in first month of pregnancy in hindi)

भोजन में साबुत अनाज पूरी तरह से कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स और विभिन्न प्रकार के खनिज लवण जैसे आयरन, मैग्निशियम व सेलेनियम से भरपूर होते हैं।

यह सभी, गर्भ के शिशु की वृद्धि व सम्पूर्ण विकास के लिए बहुत जरूरी होते हैं।

इसलिए गर्भवती महिला को अपने भोजन में जौ, ब्राउन राइस, कुटटू का आटा, मोटे गेहूं का आटा, बाजरा और जई दलिये अधिक से अधिक शामिल करना चाहिए।

2. डेयरी प्रोडक्ट्स (Dairy products in first month of pregnancy in hindi)

सामान्य रूप से हर प्रकार के डेयरी प्रोडक्ट और विशेषकर फोर्टिफाइड कैल्शियम, विटामिन डी, प्रोटीन, हेल्दी फैट और फोलिक एसिड के अच्छे सोर्स माने जाते हैं।

इसलिए यदि गर्भवती महिला पहले महीने के डाइट प्लान में दही और दूध को शामिल करती हैं, तब वह इन सब गुणों को सरलता से प्राप्त कर सकती हैं।

3. फल (Fruits in first month of pregnancy in hindi)

वैसे तो हर फल में कोई न कोई पोषण तत्व मौजूद होता है, लेकिन प्रेग्नेंसी में कुछ ख़ास फलों का सेवन जरुरी होता है।

खरबूज, एवोकाडो, अनार, केला, अमरूद, संतरा, स्ट्रोबेरी और सेब में विभिन्न प्रकार के विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, इनके सेवन से गर्भ में विकसित हो रहे शिशु के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

4. सब्जियाँ (Vegetables in first month of pregnancy in hindi)

गर्भकाल में अच्छा पोषण प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका है - अपनी खाने की प्लेट में रंग-बिरंगी सब्जियां शामिल करना।

इसलिए गर्भधारण करते ही महिला को कुछ सब्जियों जैसे - ब्रोकली, कद्दू, शकरकंद, टमाटर, पालक, गाजर, शिमला मिर्च, मक्का, ड्रम स्टिक्स, बैंगन और पत्तागोभी का सेवन करना चाहिए।

5. सूखे मेवे (Dry Fruits in first month of pregnancy in hindi)

हर प्रकार का मेवा किसी न किसी पोषक तत्व से भरपूर होता है, इसलिए प्रेग्नेंसी के पहले महीने का डाइट चार्ट बनाते समय दिन में एक बार मिक्स मेवे का हिस्सा ज़रूर रखना चाहिए।

इनमें खजूर और आलूबुख़ारा सबसे अधिक पौष्टिक माने जाते हैं।

लेकिन चुकिं इनमें मीठे की मात्रा काफी होती है, इसलिए दिन में केवल एक ही लेना चाहिए।

6. आयोडिन युक्त नमक (Iodised Salt in first month of pregnancy in hindi)

बिना नमक के किसी भी भोजन में स्वाद नहीं आता है, यह बात सही है!

लेकिन इसके साथ यह भी सही है कि बिना आयोडिन वाले नमक के सेवन से कई रोग होने की संभावना हो सकती है।

इसलिए गर्भवती महिला के डाइट चार्ट में नमक की मात्रा का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।

अगर गर्भवती महिला को मांसाहारी भोजन से परहेज नहीं है तब प्रेग्नेंसी डाइट चार्ट में निम्न वस्तुओं को भी शामिल किया जा सकता है!

प्रेगनेंसी में निम्न नॉन वेज खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल किया जा सकता है : -

  • अंडे व मुर्गी पालन संबंधी प्रोडक्ट (Egg and poultry in first month of pregnancy in hindi)

पोषण की दृष्टि से अंडों व मुर्गा संबंधी प्रोडक्ट्स में विटामिन ए, बी 2, बी5, बी 6, बी 12, डी, ई और के, के साथ ही फोस्फोरस, सेलेनियम, कैल्शियम और ज़िंक आदि खनिज लवण में अच्छी मात्रा में पाये जाते हैं।

इसके अतिरिक्त इन प्रोडक्ट्स को प्रोटीन का भी अच्छा सोर्स माना जाता है।

इसलिए इन्हें भी गर्भवती अपने पहले महीने के डाइट प्लान में शामिल कर सकती हैं।

  • मछ्ली (Fish in first month of pregnancy in hindi)

मांसाहारी खाद्य वस्तुओं में मछ्ली को सबसे अधिक पौष्टिक माना जाता है, क्योंकि इसमें प्रोटीन की मात्रा सबसे अधिक होती है।

इसके अलावा इसमें ओमेगा 3 फ़ैटि एसिड, विटामिन बी 2, डी और ई के साथ विभिन्न खनिज लवण जैसे पोटेशियम, कैल्शियम, ज़िंक, आयोडिन, मेग्नीशियम और फोस्फोरस आदि भी काफी अधिक होते हैं।

गर्भ के शिशु के लिए इनका सेवन लाभदायक हो सकता है।

  • मांस व मांसाहारी भोजन (Mutton and non-veg foods in first month of pregnancy in hindi)

मांसाहारी वस्तुओं में विटामिन बी, प्रोटीन, ज़िंक और आयरन काफी मात्रा में होते हैं और यह सब गर्भ के शिशु के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है।


इसलिए गर्भवस्था के पहले महीने के डाइट प्लान में मांसाहारी भोजन लाभदायक हो सकता है।

  • कॉड लीवर ऑयल (Cod liver oil in first month of pregnancy in hindi)

सामान्य रूप से कॉडलीवर ऑयल का सेवन शारीरिक विकास के साथ मस्तिष्क व आँखों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है।

इसके अलावा इसमें शामिल विटामिन डी भी प्रिक्लेम्पसिया को होने से बचा लेता है।

इसलिए गर्भवती के पहले महीने के डाइट प्लान में ज़रूर शामिल किया जाना चाहिए।

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गर्भावस्था के पहले महीने में किन खाद्य पदार्थों से परहेज करें?

Foods to avoid in the First month of Pregnancy in hindi

Pregnancy ke pahle mahine mein kya nahin khana chahiye in hindi

जहाँ प्रेगनेंसी में खुद के अपने और पाने बच्चे के लिए आपको कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन करना जरुरी होता हैं वहीं इसके विपरीत कुछ खाद्य से दूर रहना भी उतना ही जरुरी होता है।

गर्भावस्था के पहले महीने में निम्न खाद्य पदार्थों से दूर रहे : -

1. सी-फूड (Seafood in first month of pregnancy in hindi)

आमतौर पर समुद्री भोजन में पारे (mercury) की मात्रा बहुत अधिक होती है जो गर्भ में पल रहे भ्रूण के मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है और इसके कारण शिशु का शारीरिक -मानसिक विकास भी धीमा हो सकता है।

इसलिए समुद्री भोजन में विषेश रूप से कांटे वाली मछ्ली, कच्ची शैलफिश के सेवन से बचें और इसके अलावा टूना, सेलमन मेकरिल, सर्डिनेस, ट्राउट और हेरिंग आदि को कम मात्रा में या ना ही लें।

2. कच्चा या अधपका मांसाहार (Raw or half-cooked non-veg in first month of pregnancy in hindi)

कच्चे या अधपके मांसाहार में सालमोनेला और लिस्टेरिया बैक्टीरिया होते हैं जो किसी भी गर्भवती को नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखते हैं।

इसलिए गर्भधारण करने के बाद किसी भी प्रकार के कच्चे या अधपका मांसाहार (अंडे भी) नहीं करना चाहिए।

3. कच्चे फल (Raw Fruits in first month of pregnancy in hindi)

सामान्य रूप में गर्भधारण में फलों का सेवन बहुत अच्छा रहता है।

लेकिन, कुछ कच्चे फल जैसे - पपीता और अन्नानास आदि, गर्भवती महिलाओं को गर्भ धारण के पहले महीने में नहीं खाने चाहिए।

4. चीज़ (Soft Cheese in first month of pregnancy in hindi)

पाश्चराइज्ड दूध को सॉफ्ट चीज़ भी कहा जाता है।

पाश्चराइज्ड दूध से बने चीज़ में नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया होने की संभावना होती है।

इसलिए अधिकतर चिकित्सक, गर्भावस्था के पहले महीने में इसका सेवन करने से परहेज करने की सलाह देते हैं।

5. जंक भोजन (Junk food in first month of pregnancy in hindi)

जंक भोजन में मैदे से बने बर्गर, पिज्जा और इसी प्रकार की संबंधी खाने की चीज़ें शामिल होती हैं।

गर्भधारण करने के बाद विशेष रूप से पहले महीने में महिला को इनके खाने से परहेज करना चाहिए ।

6. धूम्रपान व मदिरापान (Smoking and drinking in first month of pregnancy in hindi)

गर्भधारण करने के बाद पहले महीने में महिला को धूम्रपान और मदिरापन से दूर रहना चाहिए।

7. कैफीन (Kaifin in first month of pregnancy in hindi)

ऐसी खाने की वस्तुएँ जिनमें कैफीन मिली हो जैसे चाय, काफी और चॉकलेट आदि के सेवन को कम कर देना चाहिए।

8. डिब्बाबंद खाने की चीज़ें (Microwave and packaged food in first month of pregnancy in hindi)

गर्भधारण करने के बाद महिला को बाज़ार में मिलने वाली डिब्बाबंद खाने की चीज़ें और माइक्रोवेव में बनी खाने की चीजों के सेवन को न्यूनतम कर देना चाहिए।

 

गर्भावस्था के पहले महीने में सेक्स कब और कैसे करें?

When you can do Sex in First month of Pregnancy in hindi

Pregnancy ke pahle mahine mein sex kab aur kaise karein in hindi

गर्भवस्था की किसी भी अवस्था में सेक्स संबंध बनाना तब तक सुरक्षित माना जाता है जब तक ऐसा करने को डॉक्टर मना न कर दें।

इसलिए गर्भावस्था के पहले महीने में सेक्स (sex in first month of pregnancy in hindi) करना भी उस समय तक सुरक्षित होता है जब तक निम्न में से कोई एक या एक से अधिक स्थिति उत्पन्न न हो जाये!

निम्न स्थितियों में गर्भावसथा के पहले महीने में में सेक्स न करें : -

1. वर्तमान प्रेग्नेंसी में गर्भपात होने की संभावना हो या फिर इससे पहले किसी कारण से गर्भपात हो चुका हो;

2. गर्भावस्था के पहले महीने में महिला को अत्यधिक उल्टी हो

3. यदि चिकित्सक ने जांच में यह पाया हो कि गर्भावस्था के पहले महीने में गर्भनाल में किसी प्रकार की परेशानी है या वह कमजोर है;इसके अलावा प्रेग्नेंसी की शुरुआत में ही चिकित्सक से सलाह करने के बाद ही सेक्स करने या न करने का निर्णय लेना चाहिए।

गर्भावस्था के पहले महीने में सेक्स कैसे करें (How to do sex in first month of pregnancy)

गर्भावस्था के पहले महीने में सेक्स पोजीशन निम्न हो सकते हैं : -

1. वुमन टॉप पोजीशन (Women on top in sex in first month of pregnancy in hindi)

इस अवस्था में गर्भवती महिला, सेक्स करते समय अपने साथी पुरुष के ऊपर होती है।

इसके लिए महिला पलंग या कुर्सी में से किसी का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। इस अवस्था में गर्भवती महिला के पेट पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं पड़ता है।

2. डोगी पोजीशन (Doggy position in sex in first month of pregnancy in hindi)

इस अवस्था में महिला पलंग पर घुटनों के बल और आगे को झुकी अवस्था में होती है और पुरुष साथी महिला के पीछे के हिस्से को पकड़कर अपना लिंग प्रवेश कर सकता है। इसमें भी महिला के पेट पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं हो सकता है।

3. पलंग/सोफ़े के किनारे (Edge of Bed/Sofa in sex in first month of pregnancy in hindi)

इस पोजीशन को पलंग पर लेटकर या सोफ़े पर बैठकर में से किसी भी अवस्था में सेक्स किया जा सकता है।

दोनों में से किसी भी अवस्था में गर्भवती महिला को किनारे पर इस प्रकार लेटना है या फिर बैठना है कि उसके दोनों पैर नीचे लटककर ज़मीन को छू रहे हों।

इस अवस्था में पुरुष साथी महिला के सामने आकार सेक्स क्रिया को पूरा कर सकता है।

यह एक प्रकार से मिशनरी पोजीशन का ही एक रूप माना जा सकता है जिसमें महिला नीचे और पुरुष उसके ऊपर होता है।

लेकिन इस बदली हुई अवस्था में गर्भवती महिला के पेट पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं पड़ सकता है।

4. पैर ऊपर करना (Toe up in sex in first month of pregnancy in hindi)

इस अवस्था में गर्भवती महिला पलंग पर सीधे लेटककर यानि पीठ के बल लेटकर अपने दोनों पैरों को पुरुष साथी के कंधो पर रख सकती है।

इसमें भी पुरुष, बिना गर्भवती महिला की परेशानी के अपने लिंग को प्रवेश करवाने में सुविधा हो सकती है।

इनमें से किसी भी अवस्था में सेक्स करने से गर्भवती महिला व पुरुष साथी बिना किसी परेशानी के सेक्स का आनंद ले सकते हैं।

 

गर्भावस्था के पहले महीने में डॉक्टर से अपॉइंटमेंट कब और क्यों लेना चाहिए?

When and why you should seek the appointment with a doctor in the first month of pregnancy in hindi

Pregnancy ke pahle mahine mein doctor ke pas kab aur kyon jana chahiye in hindi

सामान्य रूप से गर्भावस्था की शुरुआत, महिला का मासिक धर्म निर्धारित तिथि पर न आने के वक़्त से मानी जाती है।

महिला को अपनी माहवारी न आने के 10-15 दिनों के अंदर डॉक्टर से मिल लेना चाहिए।

यह समय मुख्य रूप से गर्भधारण का चौथा हफ्ता हो जाता है।

इससे पहले यानि गर्भधारण के पहले तीन हफ्तों तक डॉक्टर से मिलने की कोई विशेष ज़रूरत नहीं होती है।

क्योंकि इस समय गर्भवती महिला का शरीर गर्भधारण करने के लिए तैयार हो रहा होता है।

इसके बाद ही महिला के गर्भ धारण करने की पूरी पुष्टि हो पाती है।

इसके बाद महिला यह निश्चित नहीं कर पाती हैं कि उन्हें डॉक्टर से क्यों मिलना चाहिए?

प्रेग्नेंसी के पहले महीने में डॉक्टर से अपॉइंटमेंट निम्न कारणों से जरुरी होती है : -

1. गर्भावस्था के पहले महीने में डॉक्टर से संपर्क करके महिला अपने व गर्भ के शिशु के स्वास्थ्य के प्रति आश्वस्त हो सकती है।

2. गर्भावस्था के नौ महीने में महिला को कब और किस जांच या चेकअप अथवा परीक्षण के लिए आना है, यह भी इसी समय पता लग सकता है।

3. प्रेग्नेंसी डॉक्टर गर्भवती महिला की जीवनशैली के अनुसार उसके लिए सही खान-पान और व्यायाम के बारे में सलाह और निर्देश दे सकते हैं।

4. अगर प्रारंभिक जांच में जटिल गर्भावस्था (complicated pregnancy) जैसे एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (ectopic pregnancy) का आभास होता है, तब तुरंत इस संबंध में उपलब्ध विकल्पों की जानकारी गर्भवती महिला को दी जा सकती है।

5. अगर गर्भधान से पहले महिला किसी प्रकार की मेडिकल परेशानी के लिए कोई दवा ले रही हैं तब डॉक्टर उस समय अगर ठीक समझते हैं, तब दवा में या उसकी ली जाने वाली मात्रा में कोई परिवर्तन कर सकते हैं।

6. गर्भधारण करने के बाद सबसे पहली बार मिलने पर डॉक्टर पिछली माहवारी की तारीख जानना चाहते हैं, क्योंकि इसके आधार पर ही प्रसव की अनुमानित तारीख निकाली जाती है।

7. यदि महिला का यह दूसरा या उसके बाद वाला प्रसव है तब डॉक्टर इस समय पहले गर्भ धारण और प्रसव संबंधी सारी जानकारी लेने का प्रयास भी करते हैं।

8. यदि गर्भवती महिला के परिवार में या फिर पुरुष साथी के परिवार में किसी आनुवंशिक रोग का इतिहास है तब उसकी भी पूरी जानकारी इसी समय ली जाती है।

9. गर्भधारण करने वाली महिला की जीवनशैली, उसके काम करने के तरीके आदि के बारे में विस्तार से जानकारी लेने का भी यही सही समय है।

10. इसके साथ डॉक्टर यह भी जानना चाहेंगी कि क्या महिला ने गर्भधारण के लिए किसी उपचार या दवा का सहारा लिया है या फिर गर्भ धारण से पूर्व गर्भनिरोधक दवाओं का प्रयोग तो नहीं किया है?

 

किन स्थितियों में गर्भावस्था के पहले महीने में डॉक्टर से तुरंत मिलना चाहिए?

What symptoms raise an alarm to meet your doctor immediately in the first month of pregnancy in hindi

Pregnancy ke pahle mahine mein kin sthitiyon mein doctor se turant milna chahiye in hindi

प्रत्येक महिला के लिए गर्भावस्था का पहला महीना बहुत सावधानियों (precaustion in first month of pregnancy in hindi) से भरा होता है।

वैसे तो गर्भ धारण करते ही महिला डॉक्टर के पास जाकर चेकअप भी करवाती हैं और आगे आने वाले समय के लिए समय भी निश्चित कर लेती हैं।

लेकिन कभी-कभी कुछ स्थितियाँ ऐसी हो जाती हैं जब गर्भवती महिला को तुरंत डॉक्टर के पास चेकअप के लिए जाना चाहिए।

निम्न स्थितियों में गर्भावस्था के पहले महीने में डॉक्टर से तुरंत अपॉइंटमेंट लें : -

1. रक्त के धब्बे आना (Spotting in First month of Pregnancy in hindi)

अगर गर्भधारण करने के एक माह के अंदर ही महिला को अपने अन्तःवस्त्रों में रक्त के धब्बे दिखाई दें तब इसका कारण इनमें से कोई भी हो सकता है:

  • वेजाइना में इन्फेक्शन
  • प्लेसेन्टा के पास से रक्त्स्त्राव होना जो सबक्रोनिक हेमरेज की निशानी हो सकती है
  • प्लेसेन्टा की असामान्य विकास होना जो मोलर प्रेग्नेंसी के कारण हो सकती है
  • इसलिए अगर गर्भावस्था के पहले महीने में रक्त के धब्बे दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

2. बड़ी मात्रा में रक्तस्त्राव (Severe bleeding in first month of pregnancy in hindi)

अगर पहले माह की गर्भावस्था में वेजाइना से बड़ी मात्रा में रक्तस्ताव होता है तब यह एक असामान्य स्थिति हो सकती है।

इसके कारण निम्न में से कुछ भी परिणाम हो सकता है : -

  • गर्भपात (miscarriage)
  • एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (ectopic Pregnancy)
  • प्लेसेन्टा प्रिविया (placenta Previa)

इसलिए अगर गर्भावस्था के पहले महीने में रक्त्स्त्रव हो तब अविलंब डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

3. सिर में बहुत तेज़ दर्द होना (Severe headache in first month of pregnancy in hindi)

महिला द्वारा गर्भ धारण करने के बाद थोड़ा सिर में दर्द होना एक सामान्य बात है।

लेकिन कभी-कभी यह दर्द बहुत तेज़ होता है और इसके साथ कुछ अन्य लक्षण भी दिखाई देते हैं या महसूस हो सकते हैं।

सिर दर्द के अलावा महसूस होने वाले लक्षण निम्न हैं : -

  • सिर में तेज़ चक्कर महसूस होने के कारण खड़ा न हो पाना
  • धुँधला दिखाई देना
  • हाथ-पैरों में अजीब सनसनाहट के साथ बोलने में परेशानी होना
  • गर्भ के ऊपरी हिस्से में पेट में दर्द होना
  • पेशाब का अनियंत्रित होना
  • शारीरिक वजन का तेज़ी से बढ़ना और हाथ पैरों में कमज़ोरी महसूस होना

इनमें से किसी भी स्थिति में गर्भवती महिला को डॉक्टर से मिलने के लिए देर नहीं करनी चाहिए।

4. यूरिन इन्फेक्शन होना (Urine Infection in first month of pregnancy in hindi)

महिला द्वारा गर्भ धारण करने के बाद यूरिन की मात्रा में थोड़ी-बहुत वृद्धि होना एक आम बात है।

लेकिन, अगर इसके साथ यूरिन पास करते समय पेशाब वाली जगह में दर्द या जलन होती है तब इसे यूरिन इन्फेक्शन का संकेत माना जाता है।

इसे मामूली बात न मानकर तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए नहीं तो इसके कारण गर्भ के शिशु को परेशानी भी हो सकती है।

5. पेल्विक एरिया में ऐंठन होना (Cramp in pelvic areas in first month of pregnancy in hindi)

गर्भधारण करने के बाद महिला के पेल्विक एरिया में थोड़ा-बहुत दर्द होता है।

लेकिन अगर गर्भ के पहले महीने में इस क्षेत्र में दर्द के साथ तेज़ ऐंठन होना या रक्तस्त्राव अधिक समय तक होता है तब इसको हल्के में नहीं लेना चाहिए और डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।

6. तेज़ बुखार (High Fever in first month of pregnancy in hindi)

अगर महिला को गर्भावस्था के पहले महीने में 100 से अधिक बुख़ार होता है तब डॉक्टर से तुरंत मिलें।

7. अचानक गिर जाना (Sudden injury in first month of pregnancy in hindi)

अगर असावधानी-वश एक महीने की गर्भवती महिला पेट या कमर के बल गिर जाती है तब तुरंत डॉक्टर के पास जाकर चेकअप करवाना चाहिए।

8. अधिक मात्रा में उल्टी होना (Severe vomiting in first month of pregnancy in hindi)

गर्भवती महिला का पहले माह में उल्टी करना, उसके गर्भधारण करने का लक्षण माना जाता है।

लेकिन अगर यह स्थिति गंभीर हो जाती है तब डॉक्टर से बिना देर किए संपर्क करना चाहिए

 

गर्भावस्था के पहले में महीने के दौरान अल्ट्रासाउंड या अन्य परीक्षण क्या होते हैं?

What are the Ultrasound and other tests in first month of pregnancy in hindi

Pregnancy ke pahle mahine mein kya aur kaunse test hote hain in hindi

सामान्य रूप से गर्भावस्था के पहले महीने में यानि चौथे हफ्ते तक किसी भी प्रकार के टेस्ट या परीक्षण नहीं किए जाते हैं।

किसी भी प्रकार के परीक्षण या अल्ट्रासाउंड की ज़रूरत गर्भावस्था के नौवें हफ्ते अथार्थ दूसरे महीने से शुरू होती है।

 

गर्भावस्था के पहले महीने में पिता के लिए टिप्स क्या हो सकते हैं?

Tips for Father in First month of Pregnancy in hindi

Pregnancy ke pahle mahine mein pitaa ke liye tips kya ho sakte hain in hindi

गर्भावस्था का समय जहां महिला के लिए महत्वपूर्ण होता है, वहीं गर्भस्थ शिशु के पिता के लिए भी यह समय उतना ही महत्वपूर्ण होता है।

इस अर्थ में गर्भ में पलने वाला शिशु जहां महिला को माता का नाम देता है वहीं पुरुष साथी को पिता का नाम देता है।

पुरुष के लिए यह नया नाम कुछ खुशी और कुछ जिम्मेदारियाँ साथ लाता है।

गर्भावस्था के पहले महीने में पिता के लिए टिप्स : -

1. एक महिला जब गर्भधारण करती है तब नौ महीने या 270 दिनों का पूरा समय विभिन्न शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक परिवर्तनों के साथ बिताती है।

गर्भवती माँ का इस समय साथ देने के लिए एक पिता के रूप में यदि आप गर्भावस्था संबंधी विस्तृत जानकारी ले लेते हैं तब यह काम आपके लिए सरल हो सकता है।

2. गर्भवती महिला के गर्भधारण समय में विभिन्न प्रकार के मेडिकल रिकॉर्ड बनाए जाते हैं।

एक पिता के रूप में पुरुष साथी को इन सभी रिकोर्ड्स को संभालने और व्यवस्थित करने की ज़िम्मेदारी उठानी चाहिए।

इससे इन रिकोर्ड्स का समय पर बिना देर किए उपयोग करना सरल हो सकता है।

3. वैसे तो किसी भी रिश्ते को अच्छी तरह से निभाने के लिए संयम की ज़रूरत होती है, लेकिन इस गुण का एक पिता के रूप में महिला के गर्भ काल की प्रारंभिक अवस्था में होना बहुत जरूरी होता है।

गर्भावस्था शुरू होते ही महिला के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं जिनके कारण मूड स्विंग होना एक आम बात होती है।

इस बात को समझकर पिता के रूप में आपको संयम और धैर्य से आपको गर्भवती महिला का साथ देना चाहिए।

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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 02 Jun 2020

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