गर्भावस्था के पांचवें महीने की सम्पूर्ण जानकारी
All about 5 month of pregnancy in hindi
panchve mahine ke bare mein saari jankari in hindi
एक नज़र
- गर्भावस्था के पांचवे महीने में अत्यधिक थकान महसूस हो सकती है।
- कुछ स्थितियों में महिला को गर्भावस्था के पांचवे महीने में नाक में परेशानी का एहसास भी अधिक हो सकता है।
- अधिकतर गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के पांचवे महीने में शरीर के झुकाव में अंतर महसूस कर सकती हैं।
Introduction
गर्भवस्था का पाँचवाँ महीना (fifth month of pregnancy in hindi), पूरे गर्भकाल के मध्य का पड़ाव माना जाता है।
यहाँ तक आते हुए महिला को अनेक प्रकार के अहसासों, परेशानियों और खुशी भरे पलों से गुजरना होता है।
लेकिन जिंदगी की भांति गर्भकाल के हर माह की विभिन्न जानकारी है जो प्रत्येक गर्भवती स्त्री को होनी चाहिए।
इस लेख में गर्भावस्था का पांचवें महीने (five month of pregnancy in hindi) की सम्पूर्ण जानकारी देने का प्रयास किया जा रहा है।
इस लेख़ में
- 1.गर्भावस्था के पांचवे महीना के लक्षण क्या हो सकते हैं?
- 2.गर्भावस्था के पांचवे महीने में बच्चे का विकास कैसे होता है?
- 3.गर्भावस्था के पांचवे महीने में महिला में शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तन क्या हो
- 4.गर्भावस्था के पांचवे महीने में महिला को क्या खाना चाहिए?
- 5.गर्भावस्था के पांचवे महीने में किन खाद्य पदार्थों से परहेज करें?
- 6.गर्भावस्था के पांचवे महीने में सेक्स कब और कैसे करें?
- 7.गर्भावस्था के पांचवे महीने में डॉक्टर से अपॉइंटमेंट कब लेना चाहिए?
- 8.गर्भावस्था के पांचवे महीने में कब बिना अपॉइंटमेंट डॉक्टर से मिल लेना चाहिए?
- 9.गर्भावस्था के पांचवे महीने के दौरान अल्ट्रासाउंड या अन्य परीक्षण कब और कौन से
- 10.गर्भावस्था के पांचवे महीने में पिता के लिए टिप्स क्या हो सकते हैं?
- 11.गर्भावस्था के पांचवे महीने में आपको क्या-क्या करना चाहिए?
- 12.प्रेग्नेंसी के पांचवे महीने में किस प्रकार की सावधानी रखनी चाहिए?
गर्भावस्था के पांचवे महीना के लक्षण क्या हो सकते हैं?
What are the symptoms of pregnancy in fifth month of pregnancy in hindi
Pregnancy ke paanchve mahine ke lakshan kya ho sakte hain in hindi
गर्भकाल के 17वें हफ्ते से शुरू हुआ पाँचवाँ महीना 20वें हफ्ते तक चलता है।
यह गर्भकाल की दूसरी तिमाही का पड़ाव है, जहां गर्भवती महिला विभिन्न प्रकार के अहसासों से गुजरती है।
सामान्य रूप से गर्भावस्था के पांचवे महीने के लक्षण क्या हो सकते हैं, आइये जानते हैं!
गर्भावस्था के पांचवें महीने के लक्षण निम्न हैं : -
1. शारीरिक वजन में वृद्धि (Increase in body weight in fifth month of pregnancy in hindi)
गर्भावस्था के पांचवे महीने में शारीरिक वजन में वृद्धि हो जाती है।
इस समय आमतौर पर गर्भवती महिला का वज़न 2-4 किलोग्राम के आस-पास बढ़ सकता है।
लेकिन, जिन महिलाओं का वजन पहले से ही कम है, अथार्थ जिनकी बीएमआई (BMI) 25-30 के बीच है, उनका वजन 1-2 किलो ही बढ़ेगा।
इसके अतिरिक्त जिनकी बीएमआई (BMI) 30 से अधिक है, उनका शारीरिक वजन 0-2 किलो तक बढ़ सकता है।
2. अत्यधिक थकान (Feeling of fatigue in fifth month of pregnancy in hindi)
गर्भावस्था के पांचवे महीने में अत्यधिक थकान महसूस हो सकती है।
इसका कारण यह है कि गर्भाशय का आकार इस प्रकार बढ़ता है कि गर्भवती महिला को अपने शरीर के ऊपरी हिस्से में भारीपन महसूस हो सकता है।
इसलिए वह थोड़ा भी काम करके या चलने के बाद थकान महसूस कर सकती है।
3. पाँवों में ऐंठन (Legs cramps in fifth month of pregnancy in hindi)
कभी-कभी महिला को गर्भावस्था के पांचवे महीने में, पाँवों में ऐंठन अधिक महसूस हो सकती है।
इसका कारण शरीर में विटामिन की कमी, वजन का बढ़ना या क्षमता से अधिक काम करना हो सकता है।
इसके अलावा जो महिलाएं इस अवस्था में बहुत ज्यादा आराम करती हैं, उन्हें भी टांगों में ऐंठन महसूस हो सकती है।
4. नाक में परेशानी (Nasal issues in fifth month of pregnancy in hindi)
कुछ स्थितियों में महिला को गर्भावस्था के पांचवे महीने में नाक में परेशानी का एहसास भी अधिक हो सकता है।
इसमें नाक का अक्सर बंद होना या नाक से रक्त स्त्राव होना शामिल होता है।
5. सांस फूलना (Shortness of breath in fifth month of pregnancy in hindi)
गर्भवती महिला को गर्भावस्था के पांचवे महीने में सांस फूलना अधिक महसूस हो सकता है।
इसका कारण महिला के गर्भाशय का बढ़ा हुआ वज़न है, जो उसकी सामान्य कार्य क्षमता और जीवन-शैली को प्रभावित कर सकता है।
6. कब्ज़ रहना (Constipation in fifth month of pregnancy in hindi)
अक्सर महिलाओं को गर्भावस्था के पांचवे महीने में कब्ज़ की शिकायत रहती है।
इसका कारण हार्मोनल परिवर्तन के कारण पाचन तंत्र का धीमा होना माना जाता है।
7. सिर में दर्द रहना (Severe headache in fifth month of pregnancy in hindi)
कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के पांचवे महीने में सिर में दर्द भी हो सकता है।
इसका कारण भी शरीर में होने वाले हार्मोनल परिवर्तन को माना जाता है।
8. शरीर के झुकाव में अंतर (Change in body gravity in fifth month of pregnancy in hindi)
अधिकतर गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के पांचवे महीने में शरीर के झुकाव में अंतर महसूस कर सकती हैं।
इसका मुख्य कारण गर्भाशय का बढ़ता आकार है और इसके कारण महिला को अपनी बाईं ओर अधिक वजन महसूस होता है।
परिणामस्वरूप चलते समय या सीढ़ियों का प्रयोग करते समय महिलाएं कुछ परेशानी महसूस कर सकती हैं।
9. ऐसिडिटी बनना (Heartburn in fifth month of pregnancy in hindi)
गर्भावस्था के पांचवे महीने में एसिडिटी होना और इसके परिणामस्वरूप छाती में जलन जैसा महसूस होना एक सामान्य बात होती है।
इसका कारण कब्ज़ रहना माना जाता है।
इसलिए गर्भवती महिला को अधिक से अधिक पानी और तरल पदार्थों का सेवन करते रहना चाहिए।
10. पीठ में दर्द रहना (Backache in fifth month of pregnancy in hindi)
अधिकतर महिलाओं को गर्भावस्था के पांचवे महीने में पीठ में दर्द रहने की शिकायत रहती है।
इसका कारण रीढ़ की हड्डी पर गर्भाशय का भार होना माना जाता है।
इसके कारण कमर के निचले हिस्से में या श्याइटिका नर्व पर दबाव पड़ने से यह दर्द हो सकता है।
11. भूख बढ़ जाना (Increased appetite in fifth month of pregnancy in hindi)
कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के पांचवे महीने में भूख बढ़ जाना जैसा भी महसूस हो सकता है।
इसका कारण यह होता है कि अधिकतर महिलाओं को इस समय तक मॉर्निंग सिकनेस की परेशानी खत्म हो जाती है, जिसके कारण उनके खाने-पीने में परेशानी होती थी।
12. पेशाब के लिए बार-बार जाना (Increased urination in fifth month of pregnancy in hindi)
गर्भावस्था के पांचवे महीने में पेशाब के लिए बार-बार जाना भी लगभग प्रत्येक महिला की परेशानी में शामिल होता है।
इसका कारण मूत्राशय पर गर्भाशय का बढ़ता हुआ भार माना जाता है।
13. मसूड़ों से खून आना (Bleeding gums in fifth month of pregnancy in hindi)
अधिकतर महिलाओं को गर्भावस्था के पांचवे महीने में मसूड़ों से खून आना महसूस हो सकता है।
गर्भकाल के इस समय शरीर में रक्त का संचार और हार्मोनल परिवर्तन तुलनात्मक रूप से अधिक होता है।
इस कारण मसूड़ों से खून आने की परेशानी बढ़ सकती है।
14. शरीर में सूजन (Edema issues in fifth month of pregnancy in hindi)
गर्भावस्था के पांचवे महीने में शरीर में सूजन आने लग सकती है।
इसका कारण इस समय शरीर में पानी की अधिकता होना माना जाता है।
इससे महिला को अपने हाथ-पैर और चेहरे पर पहले की तुलना में सूजन जैसा महसूस हो सकता है।
15. चक्कर आना (Feeling dizziness in fifth month of pregnancy in hindi)
कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के पांचवे महीने में चक्कर आना भी महसूस हो सकता है।
शरीर में होने वाले हार्मोनल परिवर्तन भी इस अवस्था के कारण माने जाते हैं।
इसके अतिरिक्त, इस समय अधिकतर महिलाओं को निम्न परेशानियाँ हो सकती हैं, जैसे - कमर में दर्द, लेटने में परेशानी, सांस फूलना, गैस बनना, बार-बार पेशाब के लिए जाना और टांगों में ऐंठन!
इन सभी परेशानियों के कारण गर्भवती महिला को प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में नींद लेने में भी परेशानी हो सकती है।
गर्भावस्था के पांचवे महीने में बच्चे का विकास कैसे होता है?
How Does a Baby Grow During the Fifth Month of Pregnancy in hindi
Pregnancy ke panchve mahine mein baby ka vikas kaise hota hai in hindi
गर्भावस्था के चौथे महीने में शिशु की धड़कन सुनने के बाद महिला को गर्भावस्था के पांचवे महीने में बच्चे के विकास को लेकर उत्सुकता रहती है।
गर्भावस्था के पांचवे महीने में शिशु विकास निम्न रूप में हो सकता है : -
1. शिशु का आकार और वजन (Baby weight in fifth month of pregnancy in hindi)
गर्भावस्था के पांचवे महीने के अंत तक शिशु का आकार और वजन क्रमशः 8-12 इंच के लगभग और वजन एक पाउंड या लगभग 450 ग्राम के बराबर हो जाता है।
आमतौर पर यह वजन उसके पिछले दो हफ्तों के वज़न का दोगुना होता है।
2. शिशु का बाहरी कवच (Vernix in fifth month of pregnancy in hindi)
गर्भावस्था के इस समय शिशु का पूरा शरीर एक सफ़ेद रंग के तरल पदार्थ से ढ़क जाता है जिसे वर्निक्स (vernix) कहा जाता है।
यह तरल पदार्थ शिशु की त्वचा को प्रसव के होने तक गर्भाशय के तरल पदार्थ से अलग रखता है, जिसे अमिनियोटिक फ़्ल्यूड (amniotic fluid) कहते हैं।
इस समय शिशु की सभी हड्डियाँ और मांसपेशियों और शरीर के सभी आंतरिक अंगों का पूर्ण विकास हो जाता है।
यही वह समय है जब शिशु के दाँत भी आंतरिक रूप से विकसित हो जाते हैं।
सिर और पलकों के बाल पूरी तरह से विकसित होकर अपना आकार ले लेते हैं।
3. शिशु की प्रतिक्रियाएँ (Baby’s responses in fifth month of pregnancy in hindi)
गर्भावस्था के पांचवे महीने में शिशु बाहरी वातावरण पर प्रतिक्रिया देने लगता है।
इस समय नन्हा शिशु एक व्यक्ति की भांति अपने हाथ-पैर फैला सकता है।
इसके साथ ही उबासी लेना और बाहरी आवाज़ों और रोशनी पर अपने चेहरे से प्रतिक्रिया देने में व्यस्त हो सकता है।
शिशु द्वारा गर्भ में कभी-कभी लात मारना, करवट लेना आदि भी इस समय की प्रतिक्रियाओं में शामिल होता है।
इसके साथ ही वह स्वाद को पहचान कर उसके लिए भी अपनी पसंद और नापसंद भी बना सकता है।
4. अपनी दिनचर्या का निर्धारन (Daily schedule of baby in fifth month of pregnancy in hindi)
अधिकतर शिशु गर्भावस्था के पांचवे महीने में अपनी दिनचर्या का निर्धारण कर लेते हैं।
इस दिनचर्या में उनके सोने, जागने के समय को निर्धारित करना होता है।
यह सब गर्भवती माँ अपने गर्भ में होने वाली शिशु की हलचल से महसूस कर सकती है।
अधिकतर स्थितियों में शिशु अपनी दिनचर्या माँ की दिनचर्या के अनुसार ही निर्धारित करते हैं।
5. शिशु के जननांग का पूर्ण निर्माण (Formation of genitals of baby in fifth month of pregnancy in hindi)
गर्भावस्था के पांचवे महीने में शिशु के जननांग का पूर्ण निर्माण हो जाता है।
गर्भ में शिशु के लड़का होने की स्थिति में उसका शिश्न (testicles) नीचे की ओर आ जाता है।
इसी प्रकार यदि गर्भ में लड़की हो तब उसके शरीर में गर्भाशय का निर्माण पूर्ण होकर उसकी ओवरी में अंडाणु का निर्माण होने लगता है।
गर्भावस्था के पांचवे महीने में महिला में शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तन क्या हो सकते हैं?
What would be physical and emotional changes in the fifth month of pregnancy in hindi
Pregnancy ke fifth month mein kyaa physical aur emotional changes ho sakte hain in hindi
महिलाएं गर्भावस्था के पांचवे महीने में निम्न शारीरिक परिवर्तन महसूस कर सकती हैं : -
1. पेट के आकार का बढ़ना (Increasing size of belly in the fifth month of pregnancy in hindi)
गर्भावस्था के पांचवे महीने में गर्भाशय के आकार के बढ़ने के कारण महिला के पेट का आकार बढ़ जाता है।
इसके साथ ही पेट की स्किन में खिंचाव भी स्पष्ट नज़र आता है।
2. स्तनों के आकार का बढ़ना (Increasing size of breast in the fifth month of pregnancy in hindi)
गर्भावस्था के पांचवे महीने में अन्य दूसरे शारीरिक परिवर्तन के साथ स्तनों के आकार में वृद्धि को भी देखी जा सकती है।
3. स्तनों के निप्पल से पीले रंग का स्त्राव होना (Yellow discharge from nipples in the fifth month of pregnancy in hindi)
गर्भावस्था के पांचवे महीने में स्तनों के निप्पल से पीले रंग का स्त्राव होना सबसे प्रमुख परिवर्तन माना जा सकता है।
4. स्ट्रेच निशान (Stretch marks on the abdomen in the fifth month of pregnancy in hindi)
जब महिला गर्भकाल के पांचवे महीने में प्रवेश करती है, तब उसके पेट पर खिंचाव के निशान देखे जा सकते हैं, जिन्हें स्ट्रेच मार्क्स के रूप में जाना जाता है।
5. पेट पर काली रेखा (Linea nigra in the fifth month of pregnancy in hindi)
प्रेग्नेंसी के पांचवे महीने में महिला के पेट के ऊपर बीच में एक काली रेखा उभर आती है, जिसे लाइनिया निग्रा (linea nigra) कहा जाता है।
यह लाइन महिला की नाभि से लेकर नीचे प्युबिक हेयरलाइन तक जाती है।
6. निप्पल का गहरा रंग (Dark colours of nipples in the fifth month of pregnancy in hindi)
जब महिलाएं गर्भ के पाँच महीने में जाती हैं, तब वे अपने स्तनों के निप्पल और उसके आस-पास के क्षेत्र का रंग काला होते हुए भी देख सकती हैं।
महिलाएं गर्भावस्था के पांचवे महीने में निम्न भावनात्मक परिवर्तन महसूस कर सकती हैं : -
1. भूलने की आदत (Pregnancy Brain in fifth month of pregnancy in hindi)
वर्तमान समय में व्यस्त जीवनशैली होने के कारण कुछ महिलाएं गर्भावस्था के पांचवे महीने में भूलने की आदत की शिकार हो सकती हैं।
यह स्थिति प्रेग्नेंसी ब्रेन (pregnancy brain) कहलाती है।
2. मूड स्विंग (Mood swings in fifth month of pregnancy in hindi)
गर्भावस्था के पांचवे महीने में अधिकतर महिलाएं मूड स्विंग का शिकार भी हो जाती हैं।
ऐसे में उन्हें बिना कारण गुस्सा, सिरदर्द और रोने की परेशानी हो सकती है।
यह अधिकतर अस्थाई स्थिति होती है, जो प्रसव के साथ ठीक हो जाती है।
3. प्रेग्नेंसी तनाव (Pregnancy stress in fifth month of pregnancy in hindi)
विश्व में अधिकतर परिवार अब एकल परिवार की श्रेणी में आ चुके हैं।
इसलिए अधिकतर महिलाएं अपने भावी जीवन, में माता-पिता के रूप में की जाने वाली व्यवस्था को लेकर तनाव में आ जाती है।
अधिकतर महिलाओं में ये शारीरिक और मानसिक परिवर्तन प्रसव के साथ ठीक हो जाते हैं।
गर्भावस्था के पांचवे महीने में महिला को क्या खाना चाहिए?
Diet plan in fifth month of pregnancy in hindi
Pregnancy ke paanchve mahine mein lady ko kyaa khana chahiye in hindi
गर्भवती महिला के लिए उसका खान-पान बहुत महत्वपूर्ण होता है।
गर्भावस्था के पांचवे महीने में महिला को क्या खाना चाहिए और उनका आदर्श डाइट प्लान कैसा होना चाहिए, यह नीचे बताया गया है!
गर्भावस्था के पांचवें महीने में गर्भवती महिला को निम्न चीजें खानी चाहिए : -
1. तरल भोजन को बढ़ाएँ (Increase the liquid intake in fifth month of pregnancy in hindi)
पांचवे माह की गर्भवस्था में महिला को तरल पदार्थों का सेवन अधिक से अधिक करना चाहिए।
इसके अंतर्गत पानी के अलावा घर के बने जूस और सूप को प्राथमिकता देनी चाहिए।
महिला अपने खाने में विविधता और पूर्णता लाने के लिए सब्जियों का स्ट्यू (vegetable stew) भी अपने आहार में शामिल कर सकती हैं।
इससे न केवल कब्ज़ की परेशानी में आराम आयेगा बल्कि इस समय होने वाले यूरिन इन्फेक्शन को भी रोका जा सकता है।
गर्भवस्था में शरीर पानी की कमी को रोकने से पैरों की ऐंठन और सूजन को भी रोका जा सकता है।
प्रतिदिन कम से कम 2-3 लीटर पानी और एक से दो गिलास दूध पीना भी बहुत ज़रूरी होता है।
2. अधिक प्रोटीन युक्त भोजन का सेवन (Increase the protein rich diet in fifth month of pregnancy in hindi)
गर्भावस्था के पांचवे महीने में महिला को प्रोटीन युक्त भोजन का सेवन अधिक से अधिक करना चाहिए।
इस समय यह भोजन न केवल गर्भवती स्त्री के लिए बल्कि गर्भ के शिशु के सर्वांगीण विकास के लिए भी जरूरी होता है।
प्रोटीन युक्त भोजन के लिए महिला अपने भोजन में दालें, मेवे, साबुत अनाज और डेयरी प्रोडक्ट्स के साथ सोया आदि को अधिक मात्रा में शामिल कर सकती हैं।
यदि वह मांसाहारी भोजन कर सकती हैं, तब चिकन और अंडे भी ले सकती हैं।
हालाँकि, मांसाहारी भोजन का सेवन पूरी तरह से पका कर ही करना चाहिए, अधपका या कच्चा मांसाहारी भोजन गर्भवती महिला और शिशु दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है।
3. खाने की थाली में साबुत अनाज (Whole grain is essential in fifth month of pregnancy in hindi)
साबुत अनाज की श्रेणी में ओटमील, बाजरा, किनुया, ब्राउन राइस, राई, चावल, जौ, ज्वार आदि को शामिल किया जाता है।
इन सभी प्रकार के भोजन में फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है।
इस कारण पांचवे माह की गर्भावस्था में पेट में दर्द जैसी समस्या नहीं हो सकती है।
4. कैल्शियम युक्त भोजन (Calcium rich food in fifth month of pregnancy in hindi)
महिला गर्भ के पांचवे महीने में कैल्शियम युक्त भोजन के लिए हरी पत्तेदार सब्जी, दूध और दूध से बने प्रोडक्ट जैसे दही, पनीर आदि को अपने दैनिक भोजन में शामिल करना चाहिए।
इससे गर्भवती महिला और गर्भ के शिशु की हड्डियों और दांतों का स्वास्थ्य ठीक बना रहेगा।
5. फाइबर न भूलें (Fibrous food in fifth month of pregnancy in hindi)
गर्भवस्था के 5 महीने में फाइबर युक्त भोजन,पेट में होने वाली परेशानी जैसे कब्ज़ और गर्भवस्था में पेट दर्द आदि से मुक्त रखने में मदद करती हैं।
इसके लिए हरी पत्तेदार सब्जी, मक्का, दालें, सूखे मेवे, गेहूं का आटा, मटर, ओट्स, अलसी आदि का सेवन किया जा सकता है।
6. सलाद को प्राथमिकता दें (Salad is must in fifth month of pregnancy in hindi)
गर्भवती महिला को अपना दिन और रात का खाना शुरू करने से पहले एक बाउल ताज़ी और हरी सब्जियों को मिला कर रंग-बिरंगा सलाद ज़रूर लेना चाहिए।
इसमें सलाद के पत्ते, गाजर, पत्ता गोभी, ब्रोकली, पनीर, मशरूम आदि जैसी सब्जियों का प्रयोग किया जा सकता है।
इससे न केवल फाइबर, कैल्शियम और आयरन सरलता से मिल जाता है, बल्कि इन सब्जियों में एंटी ऑक्सीडेंट भी अच्छी मात्रा में होते हैं, जिससे गर्भवती स्त्री को सभी जरूरी पोषक तत्व सरलता से मिल जाते हैं।
7. रंग-बिरंगे फल (Have different fruits in fifth month of pregnancy in hindi)
फलों का गर्भवती स्त्री के लिए बहुत अधिक महत्व होता है।
सेब, अंगूर, केला, अवकादो, अमरूद, लीची, संतरे, बेरी आदि वो फल हैं, जिनका सेवन मौसम के अनुसार गर्भवती स्त्री को ज़रूर करने चाहिए।
फलों का सेवन ताज़े फलों के सलाद के रूप में या फिर इनका घर में ही जूस बनाकर पिया जा सकता है।
8. हरी-पत्तेदार सब्जी (Include green colour in your diet in fifth month of pregnancy in hindi)
हरी पत्तेदार सब्जियाँ आयरन, कैल्शियम और प्रोटीन का मुख्य स्त्रोत होती हैं।
इसलिए अपने भोजन में मौसम के अनुसार ताज़ी हरी सब्जियाँ जैसे पालक, मेथी, बथुआ, सरसों, ब्रोकली आदि के सेवन से सभी ज़रूरी विटामिन और खनिज भी गर्भस्थ शिशु को सरलता से मिल जाते हैं।
अगर आप चाहे तो इन हरी सब्जियों का भी सूप बनाकर पिया जा सकता है।
गर्भावस्था के पांचवे महीने में किन खाद्य पदार्थों से परहेज करें?
What foods to avoid in the fifth month of pregnancy in hindi
Pregnancy ke Fifth month mein kya nahin khana chahiye in hindi
गर्भवस्था में सामान्य रूप से महिला को पोषण युक्त भोजन ही करना चाहिए।
इसके साथ ही कुछ इस प्रकार के भोजन हैं जिनका सेवन करने से बचना चाहिए।
इसलिए गर्भावस्था के पांचवे महीने में निम्न खाद्य पदार्थों से परहेज करें : -
1. डिब्बाबंद और केन में पैक खाने की वस्तुओं को खाने से बचना चाहिए।
इनके सेवन से कुछ स्थितियों में एलर्जी या अन्य खाने संबंधी परेशानी भी हो सकती है।
2. यदि गर्भवती महिला को ग्लूटन से एलर्जी है, तब ग्लूटन युक्त भोजन जैसे जौ और गेहूं आदि से परहेज करें।
इसके स्थान पर ताज़े फलों का सेवन किया जा सकता है।
3. वैसे तो चाय और काफी शरीर में ताज़गी और फुर्ती लाती है लेकिन गर्भवस्था में प्रतिदिन एक या दो कप से अधिक इनका सेवन नहीं करना चाहिए।
कभी-कभी अधिक कैफीन की मात्रा से गर्भपात भी हो सकता है।
4. अनपैश्चराइज्ड दूध और इससे बना ‘चीज़’ (cheese) का सेवन शरीर में वसा की परत बना कर अनावश्यक रूप से वज़न बढ़ा देता है।
5. जिन गर्भवती महिलाओं को मांसाहार में मछ्ली का सेवन पसंद है, उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे टूना, स्वोर्डफिश, शार्क या कोई भी ऐसी मछ्ली का सेवन न करें, जिसमें मर्करी हो।
ताज़े पानी की मछ्ली का सेवन कम मात्रा में किये जाने पर कभी नुकसान नहीं हो सकता है।
6. बहुत तेल मसाले वाले और एयरटिड ड्रिंक्स का सेवन करने से भी बचना चाहिये, क्योंकि ऐसा करने से पेट में गैस बनने की शिकायत हो सकती है।
7. मदिरापान और धूम्रपान के सेवन को सख्ती से मना किया जाता है, क्योंकि ऐसा करने से गर्भ के शिशु के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
8. गर्भवस्था में फलों का सेवन अच्छा होता है, लेकिन कुछ फल जैसे कच्चा पपीता, पाइनएप्पल का सेवन बहुत कम मात्रा में करना चाहिए।
अधिक मात्रा में खाये गए ये फल गर्भपात का कारण बन सकते हैं।
गर्भावस्था के पांचवे महीने में सेक्स कब और कैसे करें?
Does sex allowed in fifth month of pregnancy or not in hindi
kya pregnancy ke fifth month mein sex kar sakte hain in hindi
गर्भावस्था में सेक्स करने की इच्छा नैसर्गिक मानी जाती है।
इसलिए अगर गर्भवती महिला को प्रेग्नेंसी डॉक्टर ने ऐसा करने से मना नहीं किया है तब गर्भावस्था के पांचवे महीने में सेक्स करना चाहिए।
बहुत सारे दंपत्ति यह सोचते हैं कि गर्भावस्था के पांचवे महीने में सेक्स किस प्रकार कर सकते हैं तो आपके लिए निम्न टिप्स सहयोगी हो सकते हैं!
गर्भावस्था के पांचवे महीने में निम्न सेक्स पोजीशन अपनाएं जा सकते हैं : -
1. वुमन ऑन टॉप की पोजीशन (Women on top in sex in fifth month of pregnancy in hindi)
गर्भवस्था की पांचवे महीने में अच्छी रहती है।
इस पोजीशन में गर्भवती महिला के पेट पर वज़न नहीं पड़ता है।
2. साइड पोजीशन - स्पून पोजीशन (Spoon position in sex in fifth month of pregnancy in hindi)
साइड पोजीशन जिसे स्पून पोजीशन भी कहते हैं, गर्भावस्था के 5 महीने में सेक्स करने के लिए अच्छी रहती है।
इसमें महिला के पेट को बेड का सहारा मिल जाता है, जिससे उसपर भार नहीं आता है।
3. मिशनरी पोजीशन (Missionary position in sex in fifth month of pregnancy in hindi)
मिशनरी पोजीशन को सेक्स के लिए अपनाने पर पेट पर आने वाले अतिरिक्त वजन का ध्यान रखा जाये तो इसे सफलता पूर्वक अपनाया जा सकता है।
गर्भावस्था के पांचवे महीने में डॉक्टर से अपॉइंटमेंट कब लेना चाहिए?
When should I seek an appointment with a doctor in the fifth month of pregnancy in hindi
Pregnancy ke Fifth mahine mein doctor se kab milna chahiye in hindi
प्रेगनेंसी के दौरान आपकी डॉक्टर से दूसरी विज़िट 14-17 हफ्ते और तीसरी विजिट 18-21 हफ्ते के बीच एक बार होनी चाहिए।
इस समय आपकी डॉक्टर आपके बच्चे के हार्ट रेट (heart rate) की जांच करने के लिए आपके गर्भाशय के ऊपर, एक डॉपलर (doppler) का इस्तेमाल करेंगी।
जिससे आपको अपने बच्चे के दिल की धड़कन सुन सकती हैं।
इसके साथ ही आपके खान-पान को लेकर डॉक्टर आपको कुछ सलाह दे सकती हैं।
डॉक्टर प्रोटीन और शुगर के लेवल का पता लगाने के लिए यूरिन टेस्ट की सिफारिश कर सकती हैं।
वहीं डॉक्टर योनि (vagina), गर्भाशय (uterus), अंडाशय (ovaries) और गर्भाशय ग्रीवा (cervix) की जांच कर सकती हैं।
गर्भावस्था के पांचवे महीने में कब बिना अपॉइंटमेंट डॉक्टर से मिल लेना चाहिए?
When should I meet a doctor without Appointment in the Fifth month of pregnancy in hindi
Pregnancy ke Fifth mahine mein kin situations mein doctor se turant milna chahiye in hindi
कभी-कभी कुछ स्थितियाँ ऐसी हो जाती हैं जब गर्भावस्था के पांचवे महीने में बिना अपॉइंटमेंट डॉक्टर से मिल लेना चाहिए!
निम्न स्थितियों में प्रेगनेंसी के 5 महीने में डॉक्टर से जल्द-से-जल्द मिलें : -
1. योनि स्त्राव
2. पेट में, पेल्विक क्षेत्र में या टांगों में बहुत तेज़ ऐंठन
3. कमर के निचले हिस्से में बहुत तेज़ दर्द
4. योनि से रक्त के थक्के, तरल पदार्थ या टिश्यू जैसा निकलना
5. गहरे रंग का पेशाब जैसा पदार्थ का रिसाव
6. पिछले 24 घंटे से अधिक में उल्टी होना
7. 100.4 डिग्री से अधिक बुख़ार का लंबे समय तक रहना
अगर गर्भावस्था के पांचवे महीने में इनमें से कोई भी परेशानी हो तब महिला को डॉक्टर से तुरंत मिलना चाहिए।
इनमें से कोई भी निशानी पांचवे महीने में गर्भपात की संभावना उत्पन्न कर सकती है।
इसके अलावा इनमें से कोई स्थिति पांचवे महीने में मृत शिशु जन्म की स्थिति का इशारा भी कर सकती है।
गर्भावस्था के पांचवे महीने के दौरान अल्ट्रासाउंड या अन्य परीक्षण कब और कौन से होते हैं?
Ultrasound and other tests in fifth month of pregnancy in hindi
Pregnancy ke fifth month mein kis tarah ke tests aur ultrasound ho sakte hain in hindi
अगर सबकुछ सामान्य है तब प्रेग्नेंसी के पांचवे महीने में डॉक्टर आमतौर पर कुछ टेस्ट और परीक्षण कर सकते हैं!
गर्भावस्था के पांचवें महीने में किये जाने टेस्ट निम्न हो सकते हैं : -
1. गर्भवती महिला का शारीरिक वजन
2. प्रेग्नेंट महिला का रक्त चाप
3. गर्भवती महिला के शरीर में प्रोटीन और शुगर के लिए पेशाब की जांच
4. महिला के गर्भाशय का आकार और साइज़
5. गर्भाशय की ऊंचाई
इसके अलावा अल्ट्रासाउंड भी करवाया जाता है।
अल्ट्रासाउंड के द्वारा निम्न बातें मालूम करने का प्रयास किया जाता है : -
1. गर्भ के शिशु की हृदय की धड़कन
2. शिशु का सम्पूर्ण विकास और वृद्धि जिसे सीआरएल (crown-rump length) कहा जाता है।
3. शिशु के शरीर की आंतरिक व बाहरी अंगों की सम्पूर्ण जांच, जिसे एनोमली स्कैन कहा जाता है।
इसके अलावा प्रेग्नेंसी डॉक्टर ठीक समझते हैं तो कुछ और टेस्ट भी करवा सकते हैं जिसमें यह जानने का प्रयास किया जाता है कि शिशु में कहीं क्रोमोसोम विकार तो नहीं है।
इसके अतिरिक्त शिशु के रीढ़ की हड्डी के दोष को जानने के लिए टेस्ट किया जाता है।
स्त्री के रक्त जांच में प्रोटीन और हार्मोन के स्तर की जांच के लिए निम्न टेस्ट भी किए जा सकते हैं : -
1. अल्फा-फेटोप्रोटीन टेस्ट (Alpha-fetoprotein or AFP test in fifth month of pregnancy in hindi)
गर्भवती स्त्री के पांचवे माह के गर्भकाल में किए जाने वाले रक्त जांच में, रक्त में असामान्य प्रोटीन स्तर की जांच की जाती है।
इस टेस्ट के माध्यम से शिशु में होने वाले विकारों का पता लगाने का प्रयास किया जाता है।
ये विकार इस प्रकार है : -
1. डाउन सिंड्रोम (down syndrome)
2. स्पाइना बिफिडा (spina bifida)
3. गर्भस्थ शिशु के पेट की दीवार में कोई विकार
4. किसी अन्य प्रकार की क्रोमोसोम संबंधी विकार
5. गर्भ में एक से अधिक शिशु के होने की संभावना का पता करना
अगर पूरे गर्भकाल में प्रोटीन के स्तर में उतार-चढ़ाव रहते हैं, तब प्रसव की सही तिथि की गणना करना थोड़ा कठिन हो जाता है।
2. प्लेसेंटा के द्वारा बनाए जाने विभिन्न हार्मोन के स्तर की जांच (Test of various hormones level produced by the placenta)
गर्भवस्था के पांचवें महीने में प्लेसेंटा के द्वारा बनाए जाने विभिन्न हार्मोन के स्तर की जांच भी की जाती है।
इस तरह के जांच में शामिल है -
- ह्यूमन क्रोनिक गोनाडोट्रोपीन हार्मोन या एचसीजी टेस्ट (HCG test)
- एस्ट्रिओल (Estriol)
- इनहीबीं (Inhibin)
3. एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट(Amniocentesis test)
अगर ऊपर बताए गए किसी जांच के परिणाम संतोषजनक नहीं आते हैं, तब प्रेग्नेंसी डॉक्टर आगे की जांच के लिए एम्नियोसेंटेसिस टेस्ट का सुझाव दे सकते हैं।
इस टेस्ट के द्वारा इस बात की जांच की जाती है कि कहीं गर्भस्थ शिशु को रीढ़ की हड्डी के विकार जैसे बिफिडा (spina bifida) या फिर डाउन सिंड्रोम (down syndrome) आदि तो नहीं है।
इस टेस्ट के समय अगर गर्भ में एक से अधिक शिशु होते हैं, तब प्रत्येक शिशु के अमिनियोटिक फ्ल्यूड का अलग-अलग टेस्ट किया जाता है।
गर्भावस्था के पांचवे महीने में पिता के लिए टिप्स क्या हो सकते हैं?
Tips for Father in Fifth month of Pregnancy in hindi
Pregnancy ke Fifth month mein father ke liye kya tips ho sakte hain in hindi
गर्भावस्था का पाँचवाँ महीना, पूरे गर्भकाल का आधे सफ़र के समान होता है।
इस समय तक आते हुए महिला के अंदर शारीरिक और मानसिक भावनात्मक परिवर्तन आने लगते हैं।
इसलिए एक पिता के रूप में आप कुछ बातों का ध्यान रखते हुए गर्भवती स्त्री का साथ दे सकते हैं!
प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में पिता के लिए टिप्स : -
1. गर्भावस्था के पांचवे महीने में शारीरिक परिवर्तनों के कारण जीवन को सामान्य रूप से जीने में थोड़ी कठिनाई महसूस हो सकती है।
इसलिए आप जहां तक हो सके महिला का घर के कामों में हाथ बाँट कर उनका साथ दे सकते हैं।
2. इस समय महिला के शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द होने लगता है।
ऐसे में हल्के और मुलायम हाथों से महिला के पैरों और गर्दन की मालिश करके आप उन्हें आराम पहुंचा सकते हैं।
3. इस समय अपने साथी की देखभाल करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप उन्हें समय पर डॉक्टर के पास चेकअप के लिए ले कर जाएँ।
इससे न केवल गर्भवती महिला को मानसिक सहारा मिलेगा बल्कि आप भी गर्भवती महिला की परेशानियों और ज़रूरतों को अच्छी तरह समझ सकेंगे।
4. घर में हंसी-खुशी का माहौल बना कर आप गर्भवती महिला को प्रेग्नेंसी तनाव में थोड़ी राहत पहुंचा कर मदद कर सकते हैं।
5. इस समय आप पत्नी के साथ मिलकर आने वाले बच्चे संबंधी बातें जैसे उसका नाम, उसकी ज़रूरी चीजों की लिस्टें बनाना आदि का काम कर सकते हैं।
गर्भावस्था के पांचवे महीने में आपको क्या-क्या करना चाहिए?
What you can do in fifth month of pregnancy in hindi
Pregnancy ke Fifth month mein main kya kar sakti hoon in hindi
गर्भावस्था का पाँचवाँ महीना वह समय है जब आपका शिशु अपना पूर्ण आकार ले चुका होता है।
इस समय आपको कुछ काम ऐसे होते हैं जो जरूरी रूप में करने चाहिए।
प्रेगनेंसी के पांचवें महीने में की निम्न चीजें करनी चाहिए : -
1. पांचवे माह की गर्भावस्था में आपको पूर्ण पोषण मिले, इसलिए डॉक्टर आपको कुछ अनुपूरक या सपलीमेंट्स बता सकती हैं।
आपको इनके सेवन में कोई भूल या गलती नहीं करनी होगी।
2. इस समय पेट और स्तन का आकार बढ़ने के कारण बैठने और चलने में परेशानी हो रही होगी।
लेकिन, जहां तक संभव हो बैठने के लिए सही पोश्चर को ही अपनाएँ।
बैठते समय कमर को सहारा देने के लिए पीछे कोई तकिया और पैरों को किसी छोटे स्टूल पर रख कर आराम दें।
3. अगर आपकी स्किन पर बहुत अधिक रेशेस हैं और मौसम भी गर्मी का हो, तब आप संभव होने पर एक से अधिक बार ठंडे पानी से स्नान कर सकती हैं।
4. रात को सोते समय बाएँ करवट सोएँ जिससे पेट को पलंग पर बिछे गद्दे का सहारा मिल जाये।
5. इस समय आपको पैरों में आरामदायक फुटवियर पहनने चाहिए।
हो सके तो बिना हिल वाले जूते-चप्पल पहनें।
प्रेग्नेंसी के पांचवे महीने में किस प्रकार की सावधानी रखनी चाहिए?
What you should not do in Fifth month of Pregnancy in hindi
Pregnancy ke fifth month mein mujhe kya nahi karna chahiye in hindi
वैसे तो गर्भकाल का पूरा है समय सावधानी बरतने वाला होता है, लेकिन फिर भी गर्भवती स्त्री को गर्भकाल के पांचवे माह में कुछ सावधानी रखनी चाहिए।
प्रेगनेंसी के के 5 महीने में रखी जाने वाली सावधानियां निम्न हैं : -
1. इस माह में और इसके बाद भी अधिक देर तक खड़े रहकर काम न करें।
2. जंक फूड और डिब्बा बंद खाने को न खाएं।
3. धूम्रपान और मदिरापान न करें, क्योंकि इससे शिशु के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
4. कभी भी पैरों को आपसे में क्रॉस करके न बैठें, इससे पेट पर ज़ोर पड़ता है।
5. पेशाब करने की इच्छा को अधिक देर तक न रोकें, क्योंकि इससे यूरिन इन्फेक्शन होने का डर रहता है।
6. अचानक लगने वाले धक्के और झटकों से सावधान रहें।
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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 02 Jun 2020
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