महिला और पुरुष इनफर्टिलिटी के प्रकार, कारण और उपचार

Types, Causes and Treatment of Infertility among female and male in hindi

Mahila aur purush infertility ke prakar, karan aur upchar in hindi, महिला और पुरुष में बांझपन (प्रजनन क्षमता) में कमी के प्रकार, कारण और उपचार


एक नज़र

  • इनफर्टिलिटी (infertility) तीन प्रकार की होती है।
  • असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART) के जरिये महिला व पुरुष बांझपन का इलाज संभव है।
  • ऐसी इनफर्टिलिटी जिसके कारण को जाना जा सके, एक्सप्लेन्ड इनफर्टिलिटी (explained कहलाती है।
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Introduction

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इनफर्टिलिटी (infertility) या बांझपन रिप्रोडक्टिव सिस्टम (reproductive system) की एक ऐसी स्थिति है जिसकी वजह से महिला या पुरुष प्राकृतिक रूप से गर्भधारण कर पाने में असमर्थ होते हैं। [1]

इनफर्टिलिटी से जूझ रहे जोड़े चाहे जितने एक्यूरेट ओवुलेशन टाइम (acccurate ovulation time) में सेक्स क्यों न कर लें वे गर्भधारण नहीं कर पाते हैं।

देखा जाए तो हर साल लाखों जोड़े गर्भधारण कर पाने में पूरी तरह से असमर्थ होते हैं।

इनफर्टिलिटी आजकल सबसे आम स्वास्थ्य समस्या है, जिसका सामना कई जोड़े कर रहे हैं, क्योंकि वे गर्भधारण करने में असमर्थ हैं। इसके अलावा अगर वे गर्भ धारण करते हैं, तो भी वे गर्भावस्था को जारी रखने में असमर्थ हैं।

बांझपन, यह प्रजनन प्रणाली की ऐसी बीमारी है, जिसमे जोड़े 12 महीने या नियमित असुरक्षित सेक्स के बाद भी गर्भावस्था को प्राप्त करने में विफल हो जाते है।

अधिकतर महिलाओं की बच्चा न होने के कारण आलोचना की जाती है, लेकिन इसके जिम्मेदार महिला और पुरुष दोनों एक समान होते हैं।

कुछ ऐसे भी जोड़े हैं, जिनमें बिना किसी विशेष कारण के बांझपन होता है। इस स्थिति को "इडियोपैथिक इनफर्टिलिटी" (idiopathic infertility) कहा जाता है।

महिला व पुरुष में बांझपन की इस स्थिति का इलाज असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी - आर्ट (assisted reproductive technology - ART) की मदद से किया जा सकता है। [2] हालांकि, इस तकनीक के कुछ जोखिम भी हैं।

आज हम इस लेख में महिला और पुरुष के इनफर्टिलिटी (infertility) के प्रकार, कारण और असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी की मदद से बांझपन के उपचार के बारे में चर्चा करेंगे।

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इस लेख़ में

 

इनफर्टिलिटी के प्रकार

Types of Infertility in hindi

Infertility ke prakar in hindi

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इनफर्टिलिटी तीन प्रकार की होती है :

  • एक्सप्लेन्ड इनफर्टिलिटी (Explained infertility)

ऐसी इनफर्टिलिटी जिसके कारण को जाना जा सके, एक्सप्लेन्ड इनफर्टिलिटी कहलाती है।

अगर महिला और पुरुष इनफर्टिलिटी के कारण का पता चल जाता है, तो वह एक्सप्लेन्ड इनफर्टिलिटी के अंतर्गत आती है।

इस प्रकार की इनफर्टिलिटी के कई सारे लक्षण होते हैं, जो कई कारणों पर निर्भर करते हैं।

ऐसी इनफर्टिलिटी का पता लगाकर डॉक्टर इनका उपचार आसानी से कर सकते हैं।

  • अनएक्सप्लेन्ड इनफर्टिलिटी (Unexplained infertility)

ऐसी इनफर्टिलिटी जिसका कारण कई सारे टेस्ट के बाद भी नहीं पता चलता है, अनएक्सप्लेन्ड इनफर्टिलिटी कहलाती है। [3]

कई एक्सपर्ट्स (experts) यह मानते हैं कि इस तरह की इनफर्टिलिटी के छोटे-मोटे कारण होते हैं जैसे - वजन का कम होना, ज्यादा एक्सरसाइज (exercise) करना इत्यादि।

अनएक्सप्लेन्ड इनफर्टिलिटी को इडियोपैथिक इनफर्टिलिटी (idiopathic infertility) भी कहा जाता है।

इनके कोई भी लक्षण नहीं होते हैं।

इसके उपचार के लिए एक्सपर्ट्स, व्यक्ति की जीवनशैली तय करते हैं और दो साल तक प्राकृतिक रूप से गर्भधारण कराने की सलाह देते हैं।

अगर दो साल तक सेक्स (sex) करने के बाद भी गर्भधारण नहीं होता है, तो आईवीएफ़ उपचार (IVF) की सलाह दी जाती है।

  • कॉम्बिनेशन इनफर्टिलिटी (Combination Infertility)

अगर इनफर्टिलिटी महिला और पुरुष दोनों में होती है, तो इसे कॉम्बिनेशन इनफर्टिलिटी कहा जाता है। [4]

इसके अलावा अगर किसी एक पार्टनर में एक से ज्यादा इनफर्टिलिटी के कारण हैं, तो यह स्थिति भी कॉम्बिनेशन इनफर्टिलिटी में ही शामिल होती है।

अन्य मामलों में, इसका कारण प्रतिरक्षात्मक (immunological) या आनुवंशिक (genetic) होने का संदेह है।

कॉम्बिनेशन इनफर्टिलिटी में यह भी हो सकता है कि प्रत्येक पार्टनर स्वतंत्र रूप से फर्टाइल है, लेकिन एक दूसरे साथ में बिना किसी सहायता से गर्भ धारण नहीं कर सकते हैं।

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पुरुषों में इनफर्टिलिटी के कारण

Causes of infertility among males in hindi

purusho me infertility ke kaaran in hindi

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पुरुषों में इंफर्टिलिटी के कारण निम्न हो सकते हैं : -

1. इन्फेक्शन (Infection)

ट्यूब्स में किसी तरह का इन्फेक्शन (infection) हो जाना ट्यूब के ब्लॉक होने का कारण हो सकता है।

कुछ संक्रमण शुक्राणु उत्पादन या शुक्राणु स्वास्थ्य को हानि पहुँचाते है उसके साथ ही स्पर्म के मार्ग को ब्लॉक कर देते हैं।

पुरुषों में संक्रमण(infection) में एपिडीडिमाइटिस (epididymitis) यानि एपिडीडिमिस में सूजन आना, अंडकोष का इन्फेक्शन ऑर्किटिस (orchitis) और अन्य कुछ यौन संचारित संक्रमण शामिल हैं जैसे - एचआईवी (HIV) या गोनोरिया (gonorrhea)।

हालांकि, इन संक्रमणों में स्थायी वृषण (testies) क्षति (damage) हो सकती है, लेकिन अक्सर शुक्राणु को फिर से इलाज से प्राप्त किया जा सकता है।

2. वास डेफेरेंस या एपिडीडिमिस का ब्लॉक हो जाना (Blockage of vas deferens or epididymis)

वास डेफेरेंस (vas deferens) या एपिडीडिमिस (epididymis) ऐसी ट्यूब (tube) है, जो टेस्टिकल (testicle) से जुड़ी होती है और स्पर्म ट्रांसपोर्ट (sperm transport) का काम करती है।

अगर यह ट्यूब किसी कारण से जाम हो जाती है तो इनफर्टिलिटी का सामना करना पड़ता है।

वास डेफेरेंस (vas deferens) या एपिडीडिमिस (epididymis) में आए हुए ब्लाक को खत्म करने के लिए सर्जरी की जाती है।

इसके ब्लॉक (block) होने के ख़ास कारण हो सकते हैं, जैसे : -

  • वैरीकोसेल (Varicocele)

यह एक प्रकार की टेस्टिकल और स्क्रोटम वैन (varicose vein) होती है।

यह प्रजनन से संबंधित समस्याओं का कारण बन सकती है जैसे दर्द, टेस्टिकुलर एट्रोफी (testicular atrophy) आदि।

ऐसा तब होता है जब वेन्स में वाल्व के असफल होने से ब्लड पूल (clotting) हो जाता है और स्क्रोटम में टेस्टिकल द्वारा वैरीकोसेल बन जाते हैं।

  • क्लैमीडिया (Chlamydia)

क्लैमीडिया इन्फेक्शन हो जाने के कारण भी यह समस्या हो सकती है।

यह इन्फेक्शन अक्सर सेक्स के दौरान होता है।

  • स्क्रोटम (Scrotum)

स्क्रोटम (scrotum) की नसों में सूजन भी ब्लॉकेज का एक कारण है। अगर ट्यूब्स में किसी प्रकार की चोट लग जाती है तब भी यह समस्या हो जाती है।

  • चोट (Injury)

अगर ट्यूब्स में किसी प्रकार की चोट लग जाती है, तब भी बांझपन की समस्या हो सकती है।

3. स्पर्म से जुड़ी समस्याएं (Problems related to sperm)

अगर पुरुष के स्पर्म (sperm) में कोई कमी है तो वह भी इनफर्टिलिटी (infertility) का कारण बनती है।

स्पर्म से जुड़ी समस्याएँ कुछ इस प्रकार हैं : -

  • स्पर्म काउंट का कम होना [6]

सामान्य स्पर्म काउंट (sperm count) की रेंज 15 मिलियन (million) से 200 मिलियन तक होती है।

अगर किसी पुरुष का स्पर्म काउंट 15 मिलियन से कम होती है तो वह इनफर्टिलिटी का कारण बनती है।

  • स्पर्म की मोटिलिटी कम होना

प्रेगनेंसी के लिए कम से कम 40 प्रतिशत स्पर्म मूविंग फेज (moving phase) होना चाहिए।

अगर स्पर्म मोटिलिटी (sperm motality) 40 % से कम होती है, तो वह इनफर्टिलिटी की वजह बनती है।

  • स्पर्म की असामान्य बनावट

अगर स्पर्म के हेड पार्ट (head part) या टेल पार्ट (tail part) के स्ट्रक्चर (structure) में कोई परिवर्तन आ जाता है, तो उससे भी इनफर्टिलिटी के चांसेस (chances) बढ़ जाते हैं।

  • स्पर्म का फ्रेगमेंटेड डीएनए

अगर स्पर्म का डीएनए स्ट्रक्चर (DNA structure) डैमेज (damage) हो जाता है तो इससे भी कंसीव (conceive) करने में प्रॉब्लम (problem) होती है।

अगर महिला कंसीव कर भी लेती है, तो उसका या तो गर्भपात हो जाता है या फिर होने वाले बच्चे में कोई न कोई दोष होता है।

  • स्पर्म के साथ रिएक्शन हो जाना

कई बार स्पर्म के साथ इम्यून रिएक्शन (immune reaction) हो जाता है।

इस रिएक्शन से एंटी-स्पर्म (anti-sperm) एंटीबाडीज (anti-bodies) का निर्माण हो जाता है।

यह एंटी-बॉडीज स्पर्म को नष्ट कर देते हैं। ऐसे लोगों की तादाद कुल 3 % है, जो स्पर्म रिएक्शन की वजह से इनफर्टिलिटी का कारण बनते हैं।

4. अन्य कारण (Other causes)

पुरुष बांझपन या मेन इनफर्टिलिटी (infertility) के अन्य कारण : -

  • तनाव लेना,
  • नशा करना,
  • वजन का बढ़ जाना,
  • रेडिएशन (radiation),
  • टेस्टिकल्स (testicles) का अधिक गरम होना आदि
 

महिला इनफर्टिलिटी के कारण

Causes of female infertility in hindi

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महिला फर्टिलिटी के कारण कुछ इस प्रकार हैं : [7]

  • एंडोमेट्रिओसिस (Endometriosis)

जब एन्डोमेट्रियल सेल (endometrial cell) का आकार अधिक होता है तो इससे यह सेल फैलोपियन ट्यूब (fallopian) के ऊपर दबाव बनाती है, जिसके कारण फैलोपियन ट्यूब ब्लाक (block) हो जाती है। इसे एंडोमेट्रिओसिस कहते हैं।

फैलोपियन ट्यूब ब्लाक हो जाने के कारण गर्भधारण नहीं हो पाता है और इनफर्टिलिटी का सामना करना पड़ता है।

  • फाइब्रॉयड्स (Fibroids)

कई बार गर्भाशय की दीवार बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, जिसे फाइब्रॉयड्स ग्रोथ कहते हैं।

इससे गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब दोनों पर प्रभाव पड़ता है और फर्टिलिटी नहीं होती है।

लेकिन सभी महिलाओं मे फाइब्रॉइड इनफर्टिलिटी का कारण नहीं होता है।

  • इन्फेक्शन (Infection)

कई बार इन्फेक्शन की वजह से गर्भाशय या फैलोपियन ट्यूब में सूजन आ जाती है।

इस वजह से एग ट्रांसपोर्ट (egg transport) सही ढंग से नहीं हो पाता है और महिला कंसीव (conceive) नहीं कर पाती है।

इससे महिलाओं मे इनफर्टिलिटी की समस्या निर्माण हो जाती है।

  • पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Due to Polycystic ovary syndrome - PCOS)

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से ग्रस्त महिलायें जरूरत से अधिक मात्रा में पुरुष हार्मोन का उत्पादन करती हैं।

इस हार्मोनल विकार के कारण अंडाशय का आकार बढ़ जाता है और बाहरी किनारों पर छोटे अल्सर बन जाते है।

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम प्रजनन क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।

इस अवस्था में महिलाएँ हर महीने अंडाशय द्वारा एस्ट्रोजेन के ओवर प्रोडक्शन के कारण अंडे नहीं बना पाती और ना ही ओवुलेट (ovulate) कर पाती हैं।

  • अंडे की गुणवत्ता में कमी (Low quality in egg)

पीसीओएस (PCOS) या अन्य कई कारणों की वजह से अंडे पूरी तरह से मेच्योर (mature) नहीं हो पाते हैं, नष्ट हो जाते हैं या फिर उनके क्रोमोजोम स्ट्रक्चर (chromosome structure) में समस्या होती है।

अगर इनमें से किसी भी वजह से अंडे की गुणवत्ता प्रभावित होती है, तो महिला को इनफर्टिलिटी का सामना करना पड़ सकता है।

  • प्राइमरी ओवरी इन्सुफिसिएन्सी (Primary Ovarian Insufficiency - POI)

पीओआई यानि प्राइमरी ओवरी इन्सफिशन्सी एक ऐसी स्थिति है, जिसमें ओवरी में अंडे का उत्पादन नियमित नहीं होता है।

इस समस्या में अंडे का उत्पादन कभी-कभी होता है।

यह समस्या हार्मोनल डिसबैलेंस (hormonal disbalance) के कारण होती है।

इससे महिलाओं मे बांझपन आ सकता है।

  • ओवुलेशन डिसफंक्शन (Ovulation dysfunction)

ओव्यूलेटरी डिसफंक्शन में महिलाओं मे ओव्यूलेशन होना विफल होता है।

जब ओवरी में किसी प्रकार का हार्मोन प्रभावित होता है तो ओवरी से मेच्योर एग (mature egg) रिलीज (release) नहीं हो पाता।

इस कारण महिलाओं मे एग निषेचित(fertilize) भी नहीं होता इस वजह से महिलाएँ प्रेग्नेंट नहीं हो पाती है और वो बांझपन की स्थिति का सामना करती है।

जब यह समस्या होती है, तो पीरियड्स भी नहीं आते हैं।

  • अन्य कारण (Other reasons)

ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (autoimmune disorder), वजन कम करने के लिए ज्यादा एक्सरसाइज करना, अचानक से वजन का घट जाना या बढ़ जाना, हेल्दी खान-पान न होना, तनाव, थायराइड ग्लैंड (thyroid gland) में कोई समस्या होना आदि कई इनडायरेक्ट (indirect) कारण है जो इनफर्टिलिटी की वजह बनते हैं।

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इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट के लिए असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (आर्ट)

Assisted Reproductive Technology (ART) for infertility treatment in hindi

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असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART) ट्रीटमेंट्स के प्रकार :

  • ओवुलेशन इंडक्शन (Ovulation Induction)

इस ट्रीटमेंट को उन महिलाओं के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जो ओवुलेट (ovulate) नहीं कर पाती हैं।

इस ट्रीटमेंट में इंजेक्शन (injection) या मेडिसीन (medicine) का इस्तेमाल किया जाता है। ये इंजेक्शन या मेडिसीन उन हार्मोन्स के उत्पादन को तेज़ कर देती है, जो फॉलिकल (follicle) का उत्पादन करने में मदद करते हैं।

जब फॉलिकल (follicle) ज्यादा हो जाते हैं तब एग (egg) आसानी से रिलीज (release) होता है। [8]

इस तरह ओवुलेशन इंडक्शन महिलाओं के बांझपन में फ़ायदेमंद साबित होता है।

  • आर्टिफीशियल इन्सेमिनेशन (Artificial Insemination)

आर्टिफीशियल इन्सेमिनेशन तकनीक को तब इस्तेमाल किया जाता है, जब महिला सामान्य तरीके से गर्भधारण नहीं कर पाती है।

इस तकनीक में डॉक्टर पुरुष स्पर्म को एक प्रकार के उपकरण की मदद से ओवुलेशन टाइम (ovulation time) के दौरान महिला के गर्भाशय में इंजेक्ट करते हैं। [9]

आर्टिफीशियल इन्सेमिनेशन (artificial insemination) का सबसे आम और ज्यादा काम में आने वाला प्रकार है इंट्रा यूटेरियन इनसेमिनेशन (intra uterian insemination) है।

  • डोनर कन्सेप्शन (Donor conception)

डोनर कन्सेप्शन (donor conception) में किसी दूसरे पुरुष के स्पर्म या दूसरी महिला के एग को इस्तेमाल में लाया जाता है।

अगर पुरुष के स्पर्म में कोई समस्या है तो दूसरे पुरुष का स्पर्म लेकर, आर्टिफीशियल इन्सेमिनेशन (artificial insemination) तकनीक के माध्यम से महिला के योनि में प्रवेश कराया जाता है।

अगर महिला के अंडे में समस्या है तो किसी दूसरी महिला के अंडाशय से अंडे को निकाला जाता है और उसे पुरुष के स्पर्म से निषेचित कराया जाता है।

इसके बाद इस अंडे को अनुकूलित जगह पर रख दिया जाता है ताकि एम्ब्रयो डेवलपमेंट (embryo development) हो सके।

जब एम्ब्रयो डेवलपमेंट हो चुका होता है तो एम्ब्रयो को महिला के गर्भाशय में इंप्लांट कर दिया जाता है।

  • इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन - आईवीएफ (In-vitro Fertilization - IVF)

यह तकनीक तब इस्तेमाल में लाई जाती है जब महिला की फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज या कोई अन्य कारण की वजह से ख़राब हो चुकी होती है।

इस प्रोसेस (process) में महिला के अंडे को इकट्ठा किया जाता है और स्पर्म के साथ इसे कल्चर डिश लेबोरेटरी (culture dish laboratory) में फर्टिलाइज किया जाता है।

जब एग फर्टिलाइज हो चुका होता है और एम्ब्रयो का निर्माण भी हो चुका होता है तो इसे को महिला के गर्भाशय में इंप्लांट कर दिया जाता है।

इस पूरी प्रोसेस को इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन यानि कि आईवीएफ कहते हैं। [10]

  • जेमेट इंट्राफैलोपियन ट्रान्सफर - गिफ्ट (Gamete Intrafallopian Transfer - GIFT) [11]

जेमेट इंट्राफैलोपियन ट्रान्सफर यानि गिफ्ट एक तरह की गर्भधारण करने की नेचुरल प्रक्रिया है।

इस प्रक्रिया में महिला के ओवरी (ovary) से एग निकाल लिया जाता है और इस एग को पुरुष स्पर्म के साथ फॉलोपियन ट्यूब रख दिया जाता है।

इसके बाद इसको अपने आप फर्टीलाइज़ होने के लिए छोड़ दिया जाता है।

  • इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन - आईसीएसआई (Intracytoplasmic Sperm Injection - ICSI) [12]

इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन - आईसीएसआई की पूरी प्रक्रिया आईवीएफ़ तकनीक की प्रक्रिया की तरह है।

फर्क बस इतना है कि इस प्रक्रिया में स्पर्म के दोष को दूर करने की कोशिश की जाती है।

इसलिए इस प्रक्रिया में हर एक स्पर्म को अलग-अलग अंडे से फर्टिलाइज़ करवाया जाता है।

जब कोई भी एग फर्टिलाइज (fertilize) हो जाता है तो उसे गर्भाशय में इंप्लांट कर दिया जाता है।

  • प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस - पीजीडी (Preimplantation Genetic Diagnosis - PGD) [13]

प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस यानि पीजीडी तकनीक को तब इस्तेमाल में लाया जाता है, जब महिला या पुरुष को कोई जेनेटिक बीमारी हो।

इस प्रक्रिया में आईवीऍफ़ (IVF) या आईसीएसआई (ICSI) तकनीक से एम्ब्रयो (embryo) का निर्माण किया जाता है।

इसके बाद उसकी एक या दो कोशिका निकाल कर जांच की जाती है कि एम्ब्रयो (embryo) में जेनेटिक (genetic) बीमारी ट्रान्सफर (transfer) हुई है या नहीं।

जो एम्ब्रयो स्वस्थ होता है उसे महिला के गर्भाशय में इंप्लांट कर दिया जाता है।

इन सभी उपचारों का और तकनीकियों का इस्तेमाल महिलाओं मे बांझपन के मेडिकल ट्रीटमेंट जब फ़ैल हो जाती है, तब किया जाता है। इसे डॉक्टर के परामर्श से करे आपको जरूर बांझपन से छुटकारा मिलने में मदद होगी।

 

इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट के लिए असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (आर्ट) के रिस्क

Risks of Assisted Reproductive Technology (ART) in hindi

Assisted Reproductive Technology (ART) ke risk

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इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट के लिए असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (आर्ट) के रिस्क इस प्रकार है :

अगर आईवीएफ (IVF), गिफ्ट (GIFT), आईसीएसआई (ICSI) तकनीक के जरिये इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट होती है, तो इससे जुड़वा बच्चे की संभावना बन जाती है। हालांकि, ऐसे मामले बहुत कम होते हैं।

1. बच्चे के जन्म के बाद उसमें कोई दोष हो सकता है।

2. समय के पहले ही बच्चे का जन्म हो सकता है और बच्चे का वजन भी कम हो सकता है।

3. इस तकनीक के जरिये पैदा हुए बच्चों की मानसिक और फिजिकल शारीरिक विकास में समस्या हो सकती है।

4. कई बार गर्भपात भी हो जाता है।

5. इस तकनीक से गर्भधान के बाद महिला को तनाव का भी सामना करना पड़ सकता है।

6. एक से ज्यादा गर्भ (multiple pregnancy) ठहर ने की जोखिम होती है।

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निष्कर्ष

Conclusionin hindi

Nishkarsh

अब इनफर्टिलिटी का इलाज करना कोई बड़ी बात नहीं रह गई है।

असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी - आर्ट तकनीक की मदद से महिला आसानी से गर्भधारण कर सकती है।

हालांकि, यह तकनीक अच्छी है लेकिन, इसके कुछ रिस्क भी होते हैं। इन जोखिम को ध्यान में रखते हुए सावधानी बरती जानी चाहिए।

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references

संदर्भ की सूचीछिपाएँ

1 .

World Health Organization. “Infertility definitions and terminology”. Accessed 20 Feb 2020.

2 .

Centers for Disease Control and Prevention. “What is Assisted Reproductive Technology”. 8 Oct. 2019.

3 .

NCBI. "Unexplained infertility". NCBI, NICE Clinical Guidelines, No. 156. National Collaborating Centre for Women’s and Children’s Health (UK). London: Royal College of Obstetricians & Gynaecologists; 2013 Feb.

4 .

Mayo Clinic, “Infertility”. Mayo Clinic, 25 July 2019.

5 .

Sana karamolahi, Reza Salman Yazdi, et al. "Impact of hepatitis B virus and hepatitis C virus infection on sperm parameters of infertile men". Int J Reprod Biomed (Yazd). 2019 Aug; 17(8): 551–556. Published online 2019 Sep 3. PMID: 31583372.

6 .

Mayo Clinic, “Female infertility”. Mayo Clinic, 25 July 2019.

7 .

Katherine McKnight, M.D. and Laurie Jane McKenzie, M.D. "Evaluation of Infertility, Ovulation Induction and Assisted Reproduction". Feingold KR, Anawalt B, Boyce A, et al., editors. South Dartmouth (MA): MDText.com, Inc.; 2000-,PMID: 25905247.

8 .

WebMD. "Infertility and Artificial Insemination". WebMD, 24 July 2019.

9 .

Mayo Clinic, “In vitro fertilization (IVF)”. Mayo Clinic, 22 June 2019.

10 .

AmericanPregnancyAssociation. "Gamete Intrafallopian Transfer: GIFT". AmericanPregnancyAssociation, Accessed 20 Feb 2020.

11 .

AmericanPregnancyAssociation. "Intracytoplasmic Sperm Injection: ICSI". AmericanPregnancyAssociation, Accessed 20 Feb 2020.

12 .

AmericanPregnancyAssociation. "Preimplantation Genetic Diagnosis: PGD". AmericanPregnancyAssociation, Accessed 20 Feb 2020.

आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 09 Sep 2020

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