अस्थानिक गर्भावस्था के लक्षण, कारण और उपचार
Symptoms, causes and treatment of Ectopic pregnancy in hindi
Asthanik garbhavastha ke lakshan, karan aur upchar in hindi
Introduction

किसी भी महिला के लिए गर्भावस्था का हर पल बेहद नाज़ुक मगर, ख़ुशियों से भरा होता है।
गर्भावस्था के दौरान महिलाएं विभिन्न प्रकार की परेशानियों का सामना करती हैं। लेकिन, यह संतोषजनक है कि अधिकतर परेशानियों का आधुनिक चिकित्सा पद्धति में इलाज व उपचार संभव है।
गर्भावस्था के दौरान समय रहते हर समस्या का इलाज करवाना न सिर्फ माँ के लिए बल्कि बच्चे के स्वास्थ्य के लिए भी बेहद ज़रुरी है।
गर्भावस्था के दौरान होने वाली ऐसी ही एक परेशानी है एक्टोपिक प्रेग्नेंसी या अस्थानिक गर्भावस्था, जिसका समय पर इलाज कराना बहुत जरूरी होता है।
अधिकतर महिलाओं को इस संबंध में अधिक जानकारी नहीं होती है। आप इस लेख के माध्यम से एक्टोपिक प्रेगेनेंसी की जानकारी विस्तारपूर्वक जान सकती हैं।
इस लेख़ में
- 1.अस्थानिक गर्भावस्था क्या होती है?
- 2.अस्थानिक गर्भावस्था के कारण क्या होते हैं?
- 3.अस्थानिक गर्भावस्था के जोखिम को बढ़ाने वाले कारक क्या हैं?
- 4.अस्थानिक गर्भावस्था के लक्षण क्या हो सकते हैं?
- 5.अस्थानिक गर्भावस्था का निदान कैसे किया जाता है?
- 6.अस्थानिक गर्भावस्था का उपचार कैसे हो सकता है?
- 7.अस्थानिक गर्भावस्था के जोखिम या ख़तरे हो सकता है?
- 8.अस्थानिक गर्भावस्था के बाद क्या मैं गर्भवती हो सकती हैं?
अस्थानिक गर्भावस्था क्या होती है?
What is an ectopic pregnancy in hindi
Ectopic pregnancy kya hoti hai, ectopic pregnancy meaning

सामान्य गर्भावस्था में अंडाणु (egg) शुक्राणु (sperm) के साथ निषेचित (fertile) होकर फैलोपियन ट्यूब्स (fallopian tubes) के माध्यम से गर्भाशय में स्थापित होता है और फिर शिशु के रूप में विकसित होने लगता है।
लेकिन, कभी-कभी निषेचित अंडाणु यानि भ्रूण (embryo) गर्भाशय से बाहर किसी अन्य स्थान पर स्थापित होकर भी विकसित होने लगता है।
यह स्थान फैलोपियन ट्यूब्स (fallopian tubes), अंडाशय (ovaries) पेट या फिर गर्भाशय ग्रीवा (cervix) भी हो सकती है।
इसीलिए, जब निषेचित अंडाणु गर्भाशय की बजाय किसी अन्य स्थान पर विकसित होना शुरू कर देता है तब यह स्थिति अस्थानिक गर्भावस्था कहलाती है।
इस कारण किसी अन्य स्थान पर अंडाणु के विकसित होने के कारण उस स्थान को भी नुकसान पहुँचने का जोखिम उत्पन्न हो जाता है।
इससे गर्भवती महिला को जान का भी जोखिम हो सकता है।
किसी भी रूप में अस्थानिक गर्भावस्था, सामान्य गर्भावस्था के रूप में आगे नहीं बढ़ती है।
अस्थानिक गर्भावस्था के कारण क्या होते हैं?
What are the causes an ectopic pregnancy in hindi
Ectopic pregnancy ke karan kya hote hain,ectopic pregnancy kyun hoti hai

अस्थानिक गर्भावस्था का मुख्य कारण है, अंडाणु का गर्भाशय की बजाय किसी अन्य स्थान पर विकसित होना।
इसके अलावा अस्थानिक गर्भावस्था होने के विभिन्न कारण निम्न हैं :
1. ट्यूबल गर्भावस्था (Tubal pregnancy)
अधिकतर स्थितियों में एक्टोपिक प्रेगेनेंसी का मुख्य कारण अंडाणु का गर्भाशय की बजाय फैलोपियन ट्यूब में विकसित होना होता है।
यह स्थिति ट्यूबल गर्भावस्था (tubal pregnancy) की होती है और अत्यंत जोखिम भरी होती है।
इसका समय पर निदान न होने पर फैलोपियन ट्यूब्स के फटने का भी डर बना रहता है, जिससे मृत्यु का ख़तरा भी होता है।
2. फैलोपियन ट्यूब्स में रुकावट या बंद होना
जब फैलोपियन ट्यूब्स में सूजन या इन्फेक्शन हो तब यह आंशिक रूप से या पूरी तरह से बंद हो जाती हैं।
इस स्थिति में एक्टोपिक प्रेगेनेंसी हो सकती है।
ऐसा प्रायः उस समय होता है जब निषेचित अंडाणु फैलोपियन ट्यूब्स से गर्भाशय (uterus) की ओर बढ़ने में असफल रहता है।
3. पेल्विक इन्फ़्लेमेटरी डिजीज़ (Pelvic Inflammatory Diseases)
अगर गर्भवती महिला किसी प्रकार की यौन जनित संक्रमण (Sexually Transmitted Diseases) या पेल्विक इन्फ़्लेमेटरी डिजीज़ जैसे - गानोरिया (gonorrhoea) या क्लैमाइडिया (chlamydia) आदि से प्रभावित होती है, तब भी फैलोपियन ट्यूब्स में रुकावट हो सकती है।
यह स्थिति भी अस्थानिक गर्भावस्था का कारण बन सकती है।
4. शल्य चिकित्सा (Surgery)
यदि महिला के पेट की या फैलोपियन ट्यूब्स की सर्जरी हुई हो तब भी फैलोपियन ट्यूब्स में रुकावट आ सकती है।
5. एन्डोमेट्रोयोसिस (Endometriosis)
एन्डोमेट्रोयोसिस की स्थिति में गर्भाशय की परत (lining of uterus) के कुछ सेल्स (cells), गर्भाशय की बजाय शरीर के किसी अन्य भाग में विकसित होने लगते हैं।
इस अवस्था में भी अस्थानिक गर्भावस्था का जोखिम बना रहता है।
इन कारणों के अतिरिक्त चिकित्सक अस्थानिक गर्भावस्था के लिए निम्न कारणों को भी जिम्मेदार मानते हैं :
1. हार्मोन असंतुलन भी फैलोपियन ट्यूब्स को प्रभावित कर सकते हैं।
2. आनुवंशिक (genetic) असमान्यता के कारण फैलोपियन ट्यूब्स में बाधा हो सकती है।
3. कूल्हे में जन्मजात विकृति (congenital deformity) होना, जिससे निषेचित अंडाणु के आगे बढ़ने में रुकावट आ जाती है।
4. अन्य कोई भी अवस्था जो महिला के प्रजनन अंगों (reproductive system) और फैलोपियन ट्यूब्स के आकार और संरचना को प्रभावित कर रही हो।
अस्थानिक गर्भावस्था के जोखिम को बढ़ाने वाले कारक क्या हैं?
What are the risk factors of an ectopic pregnancy in hindi
Ectopic pregnancy ka risk kise hota hai

निम्न जोखिम कारक एक्टोपिक गर्भावस्था के जोखिम को बढ़ा सकते हैं :
1. 35 वर्ष की आयु से अधिक होने पर गर्भधारण करना;
2. कभी पेल्विक या पेट की सर्जरी हुई हो या फिर एक से अधिक गर्भपात हुए हों;
3. महिला को पहले कभी पेल्विक इन्फ़्लामेटरी डिसिज (PID) हुई हो;
4. एन्डोमेट्रोयोसिस की परेशानी हो चुकी हो;
5. महिला का फैलोपियन ट्यूब्स की सर्जरी (tubal ligation) या गर्भनिरोधक उपकरण (intrauterine device - IUD) के बावजूद भी गर्भधारण हुआ है
6. प्रजनन संबंधी दवाओं या प्रक्रिया के माध्यम से गर्भधारण हुआ हो
7. गर्भवती महिला का नियमित रूप से धूम्रपान करना
8. महिला का पहले भी एक्टोपिक प्रेग्नेंसी हो चुकी हो
9. महिला का गानोरिया या क्लैमाइडिया जैसे यौन जनित संक्रमण बीमारी से ग्रस्त होना
10. महिला की फैलोपियन ट्यूब्स की बनावट में असमान्यता होना, जिससे अंडाणु को गर्भाशय की ओर जाने में रुकावट या कठिनाई हो
अस्थानिक गर्भावस्था के लक्षण क्या हो सकते हैं?
What are ectopic pregnancy symptoms in hindi
Ectopic pregnancy ke symptoms kya ho sakte hain?

अक्सर अस्थानिक गर्भावस्था के लक्षण सामान्य गर्भावस्था के जैसे ही होते हैं और इसीलिए इसे पहचान पाना आसान नहीं होता।
सामान्य गर्भधारण की ही तरह एक्टोपिक प्रेगेनेंसी में भी महिला को गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण के तौर पर, मासिक धर्म का रुक जाना, स्तनों का नरम हो जाना और कभी-कभी उल्टी आदि जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।
गर्भावस्था को सुनिश्चित करने के लिए किये जाने वाले टेस्ट, सामान्य गर्भधारण की तरह अस्थानिक गर्भावस्था की स्थिति में भी पॉज़िटिव रिजल्ट ही देते हैं।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अस्थानिक गर्भावस्था में अंडाणु के फैलोपिन ट्यूब में विकसित होने पर ही लक्षण स्पष्ट प्रतीत होते हैं।
अस्थानिक गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण :
1. पेल्विक क्षेत्र में दर्द महसूस होना
2. कभी-कभी योनि (vagina) से हल्का रक्तस्त्राव होना
फैलोपिन ट्यूब पर दबाव बढ़ने की स्थिति में होने वाले लक्षण :
1. अत्यधिक स्त्राव का होना;
2. पेट में गैस बनने जैसी बैचेनी होना;
3. पेल्विक क्षेत्र में अत्यधिक दर्द और बैचेनी होना;
4. अत्यधिक स्त्राव होने की स्थिति में बांह और पेट में दर्द होना क्योंकि यह लक्षण पेट के निचले हिस्से व पेल्विस क्षेत्र में रक्त पहुँचने के माने जाते हैं
अस्थानिक गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण निम्न कारकों पर निर्भर करते हैं:
1. अंडाणु किस स्थान पर विकसित हो रहा है
2. अंडाणु के विकास के कारण किस स्थान पर रक्त इक्कठा हो रहा है
3. किस नस पर दबाव पड़ रहा है
अस्थानिक गर्भावस्था के चेतावनी लक्षण :
अगर अंडाणु फैलोपिन ट्यूब्स में विकसित हो रहा है तब ट्यूब्स के फटने और क्षतिग्रस्त होने की संभावना बन जाती है।
अगर ऐसा होता है तो इसके कारण पेट में आंतरिक स्त्राव होना शुरू हो जाता है।
यदि इस स्त्राव के साथ चक्कर, बेहोशी होना, पेट में अत्यधिक दर्द और घबराहट जैसे लक्षण भी शुरू हो जाते हैं तब महिला के जीवन को ख़तरा हो सकता है।
चिकित्सक के पास कब जाएँ :
1. गर्भावस्था में पेल्विक क्षेत्र में अत्यधिक दर्द
2. योनि से असामान्य रूप से अत्यधिक रक्त्स्त्राव
3. बहुत अधिक चक्कर आना या बेहोशी
अस्थानिक गर्भावस्था का निदान कैसे किया जाता है?
How is an ectopic pregnancy diagnosed in hindi
ectopic pregnancy ka ilaj

गर्भावस्था के समय महिला को यदि किसी भी प्रकार के लक्षण से एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने का संदेह होता है तब उन्हें इसके लिए तुरंत अपने चिकिसक से संपर्क करना चाहिए।
चिकित्सक भी गर्भवती महिला के ऊपरी निरीक्षण से अस्थानिक गर्भावस्था के होने को सुनिश्चित नहीं कर सकते हैं।
यह संदेह दूर करने के लिए उन्हें निम्न जांच व परीक्षण करने की आवश्यकता हो सकती है :
1. अल्ट्रासाउंड (Ultrasound)
सबसे पहले अस्थानिक गर्भावस्था के निदान के लिए ट्रांस वेजाइनल (trans-vaginal) यानि योनि के आंतरिक भागों का निरीक्षण करने के लिए अल्ट्रासाउंड किया जाता है।
इसके अंतर्गत एक छड़ी जैसे उपकरण को योनि में प्रवेश करवाया जाता है, जिससे चिकिसक यह जानने की कोशिश करते हैं कि अंडाणु गर्भाशय में विकसित हो रहा है या नहीं।
2. रक्त जांच (Blood test)
दरअसल, गर्भावस्था शुरू होने पर महिला के शरीर में विशेष प्रकार के हार्मोन -ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोपीन - एचसीजी (Human Chorionic Gonadotropin - HCG) और प्रोजेस्ट्रोन (progesterone) का निर्माण शुरु हो जाता है।
चिकिसक रक्त जांच के माध्यम से एचसीजी हार्मोन और प्रोजेस्ट्रोन के लेवल की जांच करते हैं।
यदि इन दोनों जाँच में चिकित्सक को अच्छे परिणाम नहीं मिलते हैं तो अस्थानिक गर्भावस्था का पता चल पाता है :
- गर्भाशय में अंडाणु के कोई चिन्ह न मिलना
- प्रेग्नेंसी हार्मोन्स के लेवल में या तो कमी होना या कुछ दिन बाद भी इनके स्तर में कोई परिवर्तन न आना
इन दोनों जाँचों के परिणाम के आधार पर चिकिसक एक्टोपिक प्रेगेनेंसी का निदान कर पाते हैं।
लेकिन यदि महिला के पेट के निचले हिस्से या पेल्विक क्षेत्र में अत्यधिक दर्द और तीव्र रक्त्स्त्राव हो रहा है तब चिकिसक इसे आपात स्थिति मानकर इन जाँच में समय नहीं लगाते हैं।
चिकित्सकों का मानना है कि अत्यधिक रक्त्स्त्राव, फैलोपिन ट्यूब्स के फटने के कारण हो सकता है।
इस स्थिति में चिकित्सक तुरंत सर्जरी का निर्णय ले सकते हैं।
अस्थानिक गर्भावस्था का उपचार कैसे हो सकता है?
How is an ectopic pregnancy treated in hindi
Ectopic pregnancy ka treatment,ectopic pregnancy ke baad kya kare

अस्थानिक गर्भावस्था के उपचार की प्रकृति बहुत हद तक महिला की शारीरिक और स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करती है।
इसके साथ ही अस्थानिक गर्भावस्था में गलत स्थान पर बढ़ रहे भ्रूण का आकार और स्थिति भी उपचार की प्रकृति को निर्धारित करती है।
सामान्य रूप से इस अवस्था में चिकित्सक दवाओं के द्वारा या सर्जरी के द्वारा इस समस्या का उपचार करते हैं।
दवाओं के द्वारा उपचार (Treatment with medicine)
जब गर्भावस्था में एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का पता जल्द चल जाता है तब इसका उपचार दवाओं के माध्यम से करना आसान हो जाता है।
यदि गर्भवती महिला के शरीर में प्रेन्नेंसी हार्मोन (एचसीजी और प्रोजेस्ट्रोन) का स्तर कम होता है तब इसका अर्थ है कि वह गर्भवती है, इसके साथ ही न तो फैलोपिन ट्यूब को कोई नुकसान हुआ और न ही होने की कोई संभावना है।
इस स्थिति में चिकित्सक ‘मिथोट्रेक्सेट’ (methotrexate) नाम के इंजेक्शन से उपचार कर सकते हैं।
इस इंजेक्शन से गर्भ के बाहर विकसित हो रहा अंडाणु प्रभावित हो जाता है।
इस इंजेक्शन से अंडाणु के विकास प्रक्रिया में कोशिकाओं के विभाजन की प्रक्रिया रुक जाती है, जिसके बाद एक्टोपिक प्रेगेनेंसी समाप्त हो जाती है।
इस इंजेक्शन के बाद कुछ महिलाओं को कुछ दिन तक अस्पताल में रहना पड़ सकता है।
इसके कुछ समय बाद चिकित्सक महिला का रक्त जांच करते हैं जिससे दी गई दवा के असर को देखा जा सके।
इस इंजेक्शन को देने के बाद महिला को कुछ साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं जैसे:
1. सिर चकराना
2. उल्टी होना
3. पेट में दर्द और दस्त होना
सामान्य रूप से यदि दवा का असर अनुकूल होता है तब महिला को गर्भपात के निम्न लक्षण महसूस हो सकते हैं:
1. पैरों में दर्द और गांठें पड़ना
2. योनि से रक्तस्त्राव होना
3. रक्तस्त्राव में रक्त के साथ थक्के भी निकलना
कुछ स्थितियों में चिकित्सक यदि उपयुक्त समझते हैं तब दूसरा इंजेक्शन भी दे सकते हैं।
इस इंजेक्शन का महिला की फैलोपिन ट्यूब्स पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है लेकिन सावधानी के रूप में महिला को अगले कुछ माह तक गर्भधारण न करने का सुझाव दिया जा सकता है।
सर्जरी के द्वारा उपचार (Treatment with surgery)
यदि अस्थानिक गर्भावस्था उपचार के रूप में दिया गया मिथोट्रेक्सेट इंजेक्शन अप्रभावित रहता है तब चिकित्सक सर्जरी के द्वारा इस प्रेग्नेंसी को रोकने का निर्णय लेते हैं।
यह सर्जरी लेज़र तकनीक से की जाती है इसलिए इसे लेप्रोस्कोपिक सर्जरी (laproscopic surgery) भी कहा जाता है।
इस सर्जरी में नाभि के आस-पास या उसके अंदर ही एक छोटा सा छेद करने के बाद एक पतली ट्यूब में कैमरा व लाइट लगा कर उसे अंदर डाला जाता है।
इस प्रक्रिया के माध्यम से फैलोपिन ट्यूब्स क्षेत्र को अच्छी तरह से देखा जाता है।
इस सर्जरी के माध्यम से अस्थानिक गर्भवस्था को समाप्त करके फैलोपिन ट्यूब्स के नुकसान का उपचार किया जाता है।
आपातकालीन सर्जरी (Emergency Surgery)
यदि महिला को रक्तस्ताव अत्यधिक मात्रा में हो रहा है तब चिकित्सक तुरंत सर्जरी कर देते हैं जिसमें पेट के निचले हिस्से में कट लगाया जाता है।
सर्जरी कोई भी हो यदि फैलोपिन ट्यूब्स को नुकसान अत्यधिक मात्रा में हुआ है तब इन्हें भी निकाल दिया जाता है।
अस्थानिक गर्भावस्था के जोखिम या ख़तरे हो सकता है?
What are the complications of ectopic pregnancy in hindi
Ectopic pregnancy mein kya risk ho sakta hai, ectopic pregnancy se bachne ke upay

अस्थानिक गर्भावस्था का निदान सामान्य रूप से गर्भावस्था की पहली तिमाही में ही हो जाता है।
इस स्थिति का पता लगने पर गर्भवती महिला के लिए निम्न ख़तरे हो सकते हैं :
1. फैलोपिन ट्यूब्स में भ्रूण के विकसित होने पर अन्तःस्त्राव (internal bleeding) हो सकता है जिससे इन नलिकाओं के फटने का डर हो जाता है।
2. कुछ स्थितियों में अत्यधिक रक्त स्त्राव होने के कारण महिला के जीवन पर भी संकट आ जाता है।
3. अस्थानिक गर्भावस्था के उपचार के लिए की गई सर्जरी के दौरान आस-पास के अंगों जैसे मलाशय (bowl), मूत्राशय (bladder) या/और मूत्रवाहिनियों (ureters) को नुकसान हो सकता है।
अस्थानिक गर्भावस्था के बाद क्या मैं गर्भवती हो सकती हैं?
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एक बार अस्थानिक गर्भावस्था का निदान होने के बाद जब उपचार हो जाता है तब प्रभावित महिला के मन में कई प्रश्न आ सकते हैं जैसे - क्या एक्टोपिक प्रेगनेंसी के बाद भी प्रेग्नेंट हो सकते है? क्या यह परेशानी दोबारा भी हो सकती है? चिकित्सकों की मानें तो दोनों ही सवालों का जबाव हां है।
पहली बार अस्थानिक गर्भावस्था के बाद, दूसरी बार गर्भधारण करने में भी एक्टोपिक प्रेगेनेंसी की संभावना काफी अधिक होती है।
लेकिन इसके साथ ही चिकित्सकों का यह मानना है कि एक बार अस्थानिक गर्भावस्था के बाद दूसरे गर्भ के समय इस स्थिति के होने के केवल 10% ही संभावना होती है।
इसके अतिरिक्त यदि महिला या पुरुष का बांझपन इलाज किया गया है तब भी एक्टोपिक प्रेगेनेंसी के दोबारा होने की संभावना अधिक होती है।
इस संबंध में दूसरी बार गर्भवती होते समय अपने पहले गर्भकाल का पूरा मेडिकल रिकॉर्ड को डॉक्टर को पहले ही दिखा दें।
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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 09 Sep 2020
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