गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण और पहचान

Very early signs and symptoms of pregnancy in hindi

Pregnancy ke lakshan aur pregnant hone ke karan


Introduction

Garbhavastha_ke_lakshan_aur_pahchan

मां बनना हर स्त्री का सपना होता है और उसके लिए नया एहसास भी। महिलाएँ गर्भधारण को ले कर इतनी उत्सुक होती हैं कि प्रेग्नेंसी की पहचान को लेकर आतुर हो जाती हैं।

ऐसे में कई बार वे आम बीमारियों के लक्षण को भी गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण या गर्भवती होने के लक्षण समझने लगती हैं।

गर्भधारण के बाद और बच्चा होने से पहले, प्रेग्नेंट होने के कारण महिला में कई शारीरिक और मानसिक बदलाव देखने को मिलते हैं।

इनमें गर्भाशय में ऐठन, मासिक धर्म बंद होना, मॉर्निंग सिकनेस (morning sickness), अधिक थकान तथा स्तनों में बदलाव आदि शामिल हैं।

प्रेग्नेंट होने के लिए या गर्भधारण के लिए, कोशिश कर रही हर महिला का प्रेगनेंसी के लक्षण को लेकर उत्साहित रहना स्वाभाविक है।

मगर कई मामलों में, महिलाएं बीमारी के लक्षण और प्रेग्नेंसी की पहचान के बीच फर्क नहीं कर पाती! ऐसी स्थिति में यह बेहद जरुरी है कि अगर आप प्रेग्नेंट होने की कोशिश कर रहीं हैं तो आपको प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण के बारे में पता हो।

इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएँगे कि प्रेग्नेंसी की पहचान कैसे की जा सकती है, गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण या गर्भवती होने के लक्षण क्या होते हैं? आइये जानते हैं कि प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण से प्रेग्नेंसी की पहचान कैसे करें!

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इस लेख़ में

 

गर्भधारण की पुष्टि के लिए गर्भवती होने के संभावित शुरुआती लक्षण

Very early symptoms of pregnancy in hindi

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अगर आप गर्भवती होने की कोशिश कर रहीं हैं तो गर्भावस्था की शुरुआत में आपको नीचे दिये गए लक्षण महसूस हो सकते हैं: [1]

गर्भवती होने के लक्षण या प्रेगनेंसी के लक्षण निम्न हैं :

  • मासिक धर्म का ना होना या मासिक धर्म समय पर नहीं आना (Missed Periods)

मासिक धर्म ना होना या समय पर ना आने को गर्भधारण या प्रेग्नेंट होने के लक्षण में से सबसे पहला लक्षण माना जाता है। लेकिन ऐसा हर बार ज़रूरी नहीं होता।

यदि किसी महिला के पीरियड्स अनियमित होते हैं तो इसे हमेशा गर्भवती होने का लक्षण नहीं माना जा सकता है

लेकिन यदि कोई महिला बच्चा चाहती है और प्रेग्नेंट होने की कोशिश कर रही है और आमतौर पर उसका मासिक धर्म सही समय पर यानि नियमित है और इस दौरान मासिक धर्म का न होना प्रेग्नेंट होने का लक्षण हो सकता है।

  • स्तनों में बदलाव (Breast changes)

यदि आप गर्भधारण करने की कोशिश कर रही हैं और आपको अपने स्तनों में नीचे दिए गए बदलाव दिखें तो ये आपके गर्भवती या प्रेग्नेंट होने के लक्षण हो सकते हैं :

यदि आपको पर्याप्त पोषण लेने के बावजूद बहुत जल्द थकान महसूस होने लगती है और आप किसी बीमारी से ग्रस्त भी नहीं है तो यह लक्षण, प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं।

  • बिना मासिक धर्म के भी योनि से खून आना (Vaginal bleeding or Spotting)

कई बार प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण के रूप में स्पॉटिंग या हल्की ब्लीडिंग (light bleeding or spotting) हो सकती है।

यदि कोई महिला प्रेग्नेंट होने का प्रयास कर रही है और उनका मासिक धर्म अपने समय से नहीं आया है, इसके अलावा उन्हें प्रेगनेंसी के कोई लक्षण नहीं दिखाए दे रहें जैसे - जी मचलना या उल्टी आना! लेकिन अचानक ही महिला की योनि से हल्का खून (spotting) आने लगे और अपने आप बंद भी हो जाये तो यह महिला के गर्भवती होने का लक्षण हो सकता है। लेकिन यह महिला के गर्भधारण का पक्का प्रमाण नहीं होता।

  • शरीर का तापमान बढ़ना (Raised body temperature)

यदि महिला का शरीर अचानक से ही गर्म रहने लगना और बहुत अधिक पसीना आना, गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं।

  • दिल की धड़कन बढ़ना (Faster heart beat)

यदि महिला गर्भवती होने की कोशिश कर रही है और किसी छोटे से काम में भी उसकी दिल की धड़कन तेज़ हो जाए तो यह प्रेगनेंसी का लक्षण हो सकता है।

  • बार-बार पेशाब जाने का मन करना (Frequent urination)

यदि किसी महिला को अचानक ही बार-बार पेशाब जाने का मन करता है जो पहले नहीं होता था और वह प्रेग्नेंट होने की कोशिश भी कर रही हो तो यह लक्षण प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण में से एक हो सकता है। [2]

  • सुबह-सुबह मन मिचलाना (Nausea)

अचानक ही किसी महिला का सुबह-सुबह जी मिचलाने लगना और उल्टी होना, प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण में से एक हो सकता है।

यदि किसी महिला का रक्तचाप (blood pressure) आमतौर से सामान्य रहता था लेकिन कुछ दिनों से बिना किसी कारण ही बढ़ जाता है या बढ़ा हुआ रहता है तो यह गर्भवती होने का लक्षण हो सकता है। [3]

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गर्भधारण से लेकर बच्चे के जन्म तक - प्रेगनेंसी के लक्षण

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गर्भधारण से लेकर बच्चे के पैदा होने तक में 40 हफ़्तों का समय होता है जिसमें माँ के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं। [4] हर एक महीने या हफ्ते से जुड़े कुछ ख़ास लक्षण होते हैं।

40 हफ्ते के सफ़र में प्रेगनेंसी के लक्षण में उतार-चढ़ाव जारी रहता है! लेकिन यह ज़रूरी नहीं होता कि सभी गर्भवती महिलाएं इन लक्षणों का अनुभव करें।

यदि आप इस बात कि पुष्टि कर चुकी हैं कि आप प्रेग्नेंट हैं तो पहले तीन हफ्ते आपको शायद ही खुद के शरीर मे कोई फर्क नज़र आये। गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण बेहद कम होते हैं, आप इन्हें महसूस कर भी सकती हैं और नहीं भी!

हर महिला का शरीर अलग होता है और इस कारण प्रेगनेंसी के लक्षण का सभी महिलाओं में एक जैसा दिखाई देना भी जरूरी नहीं है।

यदि आप गर्भवती होने का प्रयास कर रही हैं और आपकी माहवारी मिस हो जाती है तो ऐसी अवस्था में प्रेगनेंसी के लक्षण का न दिखने का मतलब यह बिलकुल नहीं है कि आप प्रेग्नेंट नहीं है।

हो सकता है कि आप प्रेग्नेंट हो, मगर क्योंकि प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण बेहद कम होते हैं और हर महिला का शरीर गर्भावस्था में अलग तरह से प्रतिक्रिया करता है, इसलिए आप गर्भवती होने के लक्षण महसूस न कर पा रहीं हों!

गर्भावस्था के शुरुआती हफ्ते में आपका शरीर पहले दिन से ही आने वाले बच्चे के लिए तैयारी करने लगता है। गर्भवती होने के साथ ही महिला का शरीर प्रेगनेंसी हॉर्मोन का रिलीज करता है। इस कारण ब्लड प्रेशर का बढ़ना और मूड स्विंग्स आम लक्षण हैं।

गर्भावस्था के दौरान हर हफ्ते में शरीर के लक्षणों में थोड़ा अंतर आ जाता है, जिन्हें प्रेगनेंसी के लक्षण भी कहा जाता है, जो इस प्रकार हैं : [5]

प्रेगनेंसी के लक्षण : 1-4 हफ़्ते के बीच

माँ बनने के दौरान गर्भवती महिला के शरीर में बदलाव निम्न हो सकते हैं : -

  • पीरियड्स का ना होना
  • योनि से बिना मासिक धर्म के भी हल्का खून आना (slight vaginal bleeding or spotting)। भ्रूण इम्प्लांटेशन (implantation) के वक़्त महिलाओं में हल्की ब्लीडिंग या स्पॉटिंग देखी जा सकती है।

प्रेगनेंसी के लक्षण : 4-6 हफ़्ते के बीच

गर्भावस्था के चार से छह हफ्तों के बीच प्रेगनेंसी के लक्षण निम्न हो सकते हैं :-

  • पेट में हल्का दर्द या मरोड़
  • थकान
  • जी मिचलाना
  • शरीर के तापमान में बदलाव
  • स्तनों का कोमल और बड़ा होना
  • बार-बार पेशाब जाना
  • पेट फूलना
  • चक्कर आना
  • मूड स्विंग्स

प्रेगनेंसी के लक्षण : 6-10 हफ़्ते के बीच

गर्भावस्था के छह से दस हफ्तों के बीच प्रेगनेंसी के लक्षण निम्न हो सकते हैं :-

  • उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर
  • थकान और सीने में जलन
  • दिल की धड़कन बढ़ना (palpitation)

प्रेगनेंसी के लक्षण : 10-12 हफ़्ते के बीच

गर्भावस्था के दस से बारह हफ्तों के बीच प्रेगनेंसी के लक्षण निम्न हो सकते हैं : -

  • स्तन और निप्पल में बदलाव
  • वजन बढ़ना
  • अलग-अलग चीज़ें खाने की लालसा (craving)

प्रेगनेंसी के लक्षण : 12-16 हफ़्ते के बीच

गर्भावस्था के बारह से सोलह हफ्तों के बीच प्रेगनेंसी के लक्षण निम्न हो सकते हैं :-

  • चेहरे पर चमक (pregnancy glow),
  • मुहांसे आना,
  • शरीर में ढीलापन महसूस करना,
  • भूख बढ़ना
  • शरीर के कुछ हिस्सों जैसे निप्पल (nipple) के आसपास की त्वचा के रंग का गहरा होना
  • बच्चे की हलचल को महसूस करने लगना

प्रेगनेंसी के लक्षण : 16+ हफ़्ते के बाद

गर्भावस्था के सोलह हफ्तों के बाद प्रेगनेंसी के लक्षण निम्न हो सकते हैं :

  • कमर या पैरों में दर्द
  • हाथ-पैरों में सूजन
  • सोने में तकलीफ़
  • बहुत नींद आना
  • स्तनों से दूध आने लगना
  • स्ट्रेचमार्क्स (stretchmarks) दिखने लगना
और पढ़ें:30 की उम्र के बाद गर्भावस्था के जोखिम क्या हैं ?
 

प्रेग्नेंसी की पहचान के बाद शारीरिक व मानसिक बदलाव व उनके कारण

Physical and emotional changes as early pregnancy symptoms and their reasons in hindi

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अगर आप गर्भवती होने का प्रयास कर रही हैं तो आप प्रेग्नेंसी की पहचान को लेकर उत्सुक होंगी।

आपके गर्भवती होते ही आपका शरीर गर्भावस्था के लिए तैयार होने लगता है और आपको प्रेगनेंसी के शुरूआती लक्षण महसूस होने लगते हैं।

यदि आपका मासिक धर्म नहीं आया है और आपने प्रेगनेंसी टेस्ट या डॉक्टर से चेकअप कराकर इस बात की पुष्टि कर ली है कि आप गर्भवती या प्रेग्नेंट हैं तो तैयार हो जाइये क्योंकि आपके शरीर और जीवन में कई बदलाव आने वाले हैं।

यूँ कहें तो सकारात्मक प्रेग्नेंसी की पहचान के बाद, गर्भवती महिला में कई शारीरिक व मानसिक बदलाव आते हैं।

प्रेग्नेंसी की पहचान के बाद शारीरिक व मानसिक बदलाव व उनके कारण निम्न हैं :

  • स्तनों में बदलाव (Changes in breast)

प्रेग्नेंट होने के कारण आपके स्तनों का आकार बड़ा होने लगता है, स्तन नरम हो जाते हैं और कई बार दर्द भी महसूस होता है।

यह सब शरीर में हो रहे हार्मोनल बदलाव (hormonal changes) के कारण होता है जो समय के साथ खुद ही कम हो जाता है। [6]

  • योनि से थोड़ा सा खून आना (Vaginal bleeding or spotting)

प्रेगनेंसी के कारण योनि से मासिक धर्म की तरह ही हल्का खून आ सकता है जो गर्भाशय (uterus) में फर्टिलाइजड अंडे (fertilized egg) के प्रत्यारोपित (implant) होने की वजह से आता है।

गर्भधारण (conceive) करने के 10-14 दिन के बाद ऐसा हो सकता है। लेकिन ऐसा हर गर्भवती महिला के साथ नहीं होता। [7] कभी - कभी हल्की ब्लीडिंग (spotting) भी अर्ली प्रेग्नेंसी की पहचान होती है।

  • मॉर्निंग सिकनेस (Morning sickness)

गर्भावस्था के लक्षण के तौर पर जी मचलना या उल्टी आना सबसे प्रचलित लक्षणों में से है। जी मचलने को मॉर्निंग सिकनेस (morning sickness) भी कहा जाता है।

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में सुबह-सुबह जी मिचलाने जैसे लक्षण देखे जाते हैं। इस, प्रेगनेंसी के लक्षण को इसी कारण से मॉर्निंग सिकनेस भी कहा जाता है।

हालाँकि, मॉर्निंग सिकनेस यह दिन या रात किसी भी समय हो सकती है जिसके पीछे का कारण हार्मोन में आने वाले बदलाव होते हैं।

यह आमतौर पर गर्भ के छठे हफ्ते के बाद से होती है। आने वाले महीनों में मौर्निंग सिकनेस खुदबखुद ही ठीक हो जाती है। [8]

  • बार-बार पेशाब आना (Frequent Urination)

गर्भावस्था के दौरान शरीर में खून के स्तर में बढ़ोत्तरी होने के कारण किडनी को अधिक काम करना पड़ता है, जिसके कारण सामान्य से अधिक मूत्र (urine) बनता है। इसलिए बार-बार गर्भवती महिला को शौचालाय जाने की इच्छा होती है।

  • थकान (Tiredness)

शरीर में प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन (progesterone hormone) का स्तर बढ़ने के कारण गर्भवती महिला का थका हुआ महसूस करना एक आम बात है।

इसके साथ ही गर्भावस्था में माँ का शरीर बच्चे की मांग यानि ज़रूरतों को भी पूरा कर रहा होता है, जिसके कारण भी थकान हो जाती है।

  • मूड स्विंग्स (Mood swings)

गर्भवती महिला के शरीर में हॉर्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव होता रहता है, जिसके कारण उनके मूड और व्यवहार में भी बदलाव आता रहता है। मूड और व्यवहार में बदलाव को आम भाषा में मूड स्विंग्स कहा जाता है।

  • सीने में जलन (Heartburn)

शरीर में प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन (progesterone hormone) का स्तर बढ़ने के कारण एसोफैगल स्फिंकटर (esophageal sphincter) और अधिक खुल जाता है जिसके कारण गैसट्रिक जूस (gastric juices) ऊपर की ओर आने लगते हैं जिससे सीने में जलन महसूस होती है। [9]

  • पेट फूलना (Bloating)

शरीर में प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन (progesterone hormone) की मात्रा बढ़ जाने से पाचन शक्ति कम हो जाती है जिसके कारण पेट हमेशा भारी और भरा लगता है। [10]

  • मुहांसे (Acne-pimples)

हॉर्मोन स्तर बढ़ने की वजह से एण्ड्रोजन स्तर (androgen level) बढ़ जाता है जिसके कारण सिबेसियस ग्लैंड (sebaceous gland) अधिक मात्रा में तेल उत्पादित करने लगते हैं जिसके कारण त्वचा के छिद्र बंद हो जाते हैं और मुहांसे की समस्या उत्पन्न जो जाती है। [11]

  • कब्ज (Constipation)

पाचन शक्ति के कम हो जाने के कारण खाना देर से पचता है जिसके कारण शौच में समस्या आने लगती है और कब्ज की शिकायत रहती है। [12]

  • सिरदर्द और चक्कर आना (Headache)

शरीर में खून और हॉर्मोन के स्तर में बदलाव आने के कारण चक्कर आना और सिरदर्द होना एक आम लक्षण है।

इसके साथ रक्त में शुगर (sugar) के स्तर में कमी, डिहाईड्रेशन (dehydration) आदि भी हो सकते हैं। [13]

  • स्वाद में बदलाव (Taste changes)

शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण महिलाओं को किसी ख़ास चीज़ को खाने का मन करता है और तो कभी किसी चीज़ से मन ख़राब हो जाता है।

प्रेग्नेंट होने के कारण हॉर्मोन के स्तर में बदलाव होता है जिसके कारण स्वाद भी बदल जाता है जैसे धातु के जैसा स्वाद (metallic taste) आना आदि। जब हॉर्मोन के स्तर नियंत्रित हो जाते हैं तो स्वाद खुद सही हो जाता है।

  • नाक बंद होना (Blocked Nose)

रक्त का स्तर बढ़ जाने के कारण नाक के अंदर की त्वचा फूल जाती है जिसके कारण नाक बंद होने की समस्या होने लगती है।

  • कमर के निचले हिस्से में दर्द (Back pain)

गर्भधारण के शुरुआती दिनों में महिलाओं में कमर के नीचे के हिस्से में दर्द होने की समस्या देखने को मिलती है। [14]

  • दिल की धड़कन बढ़ जाना (Faster heart beat)

शरीर को गर्भ में पल रहें बच्चे की ऑक्सीजन (oxygen) और अन्य तत्वों की मांग को पूरा करना होता है जिसके लिए दिल को अधिक काम करना पड़ता जिस वजह से दिल की धड़कन बढ़ जाती है।

  • चेहरे पर चमक (Pregnancy glow)

हॉर्मोन के बढ़े हुए स्तर के कारण शरीर में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है और त्वचा में तेल की मात्रा भी बढ़ जाती है जिसके कारण त्वचा पर चमक दिखने लगती है।

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क्या गर्भवती नहीं होने पर भी प्रेगनेंसी के लक्षण देखे जा सकते हैं?

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गर्भवती नहीं होने पर भी नज़र आने वाले लक्षण को कुछ इस तरह से समझा जा सकता है :

  • गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में मासिक चक्र का न होना सबसे अधिक सटीक लक्षण माना जाता है। लेकिन, यह बात यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि मासिक धर्म का ना आना हर बार प्रेग्नेंट होने का संकेत नहीं होता है। महिलाओं में कई मेडिकल कारणों की वजह से भी माहवारी मिस हो जाती है, जैसे अत्यधिक चिंता या तनाव, PCOS की समस्या, हॉर्मोन स्तर में बदलाव आदि। इसलिए यदि आप गर्भवती नहीं हैं या प्रेग्नेंट होने का प्रयास नहीं कर रही हैं, लेकिन आपकी माहवारी के चक्र में कोई भी बदलाव आया है तो डॉक्टर या स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श ज़रूर लें।
  • गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के स्तनों में कई तरह के बदलाव आते हैं और सीने में दर्द होना भी एक आम लक्षण है लेकिन यह लक्षण मासिक धर्म के आस-पास भी होने लगते हैं, जो माहवारी के बाद ठीक हो जाता है। [15] इसके अलावा अत्यधिक व्यायाम के कारण भी कई बार सीने में दर्द होने लगता है।
  • सुबह-सुबह जी मिचलाना या दिन में बार-बार उल्टी आने की स्थिति को गर्भधारण से जोड़ा जाना एक सामान्य सी बात है। लेकिन यह ज़रूरी नहीं है कि गर्भधारण ही इसका एक कारण हो। पेट संबंधी समस्या, ज्यादा तनाव या चिंता, किसी प्रकार की दवाई या पेट के इन्फेक्शन के कारण भी मन ख़राब हो सकता है जिसके कारण बार-बार उल्टी करने का मन कर सकता है।
  • गर्भवती महिला को थकान महसूस होना आम बात है लेकिन यदि आपको बिना कारण ही थकान लगती रहती है या अत्यधिक थकान के कारण दैनिक कार्य मुश्किल लगते है, तो इसके लिए डॉक्टर से परामर्श लेना ज़रूरी है। इसके पीछे कुछ आम कारण जैसे रक्तचाप का गिरना, मधुमेह, ज़रुरत से ज्यादा शारीरिक एक्सरसाइज आदि भी हो सकते हैं।
  • मूड स्विंग्स सिर्फ गर्भावस्था के लक्षण नहीं होते हैं, बल्कि यह हर महीने, हर महिला को उसकी माहवारी के आसपास झेलना पड़ता है। उसके साथ चिंता, तनाव, दुःख, या डाइट (diet) पर होने के कारण भी महिलाओ के व्यवहार में उतार चढ़ाव देखे जा सकते हैं।
  • पेट फूलने (blotting) के पीछे का कारण सिर्फ गर्भधारण या माहवारी नहीं होता बल्कि गैस की समस्या, पाचन में दिक्कत, किसी दवाई का साइड इफ़ेक्ट (side effect of medicine), जल्दी- जल्दी खा लेना आदि भी हो सकते हैं।
  • इसके अलावा कब्ज, पीठ में दर्द, शरीर में सूजन आदि भी सिर्फ गर्भवती महिला में देखे जाने वाले लक्षण नहीं हैं बल्कि इनका कारण जीवनशैली या और कोई स्वास्थ्य विकार भी हो सकता है।
और पढ़ें:अल्फा-फेटोप्रोटीन टेस्ट क्या है और क्यों पड़ती है इसकी ज़रूरत
 

निष्कर्ष

Conclusionin hindi

Nishkarsh

माँ बनना हर महिला के लिए खुशी की बात होती है। अगर आप माँ बनने के बारे मे सोच रही है या माँ बनने का प्रयास कर रही हैं तो आपके मन में जरुर यह प्रश्न उठता होगा की आप प्रेगनेंसी के शुरूआती लक्षण को कैसे पहचानें।

प्रेगनेंसी के शुरूआती लक्षणों को जल्दी समझ लेने पर माँ और उसके बच्चे दोनों के स्वास्थ्य की देखभाल समय से हो सकेगी जिससे आगे जाकर डिलीवरी के समय किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी।

यदि गर्भधारण के सामान्य लक्षणों के अतिरिक्त कोई बड़ा बदलाव दिखाई देता है तो डॉक्टर से मिलें तथा आप गर्भवती हैं इस बात के साबित होते ही अपने खान-पान और स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें।

प्रेग्नेंसी की पहचान के लिए वैसे तो हमारे घर के बड़े-बुजुर्ग अपने अनुभव आसानी से पता लगा सकते हैं। मगर किसी तरह का कोई संदेह न रहे इसके लिए बेहद जरुरी है कि आप प्रेग्नेंसी की पहचान के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।

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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 12 May 2020

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