प्रेगनेंसी रोकने या गर्भ न ठहरने के उपाय
How to Avoid Pregnancy in hindi
Pregnancy rokne ke upay
एक नज़र
- सामान्य रूप से महिलाओं के मासिक चक्र का अंतराल 28-30 दिनों का होता है।
- महिलाओं के लिए सेफ पीरियड का अर्थ होता है वह समय जब संभोग करने के बाद उनके गर्भ धारण करने की संभावना बहुत कम होती है।
- महिलाएं बच्चा न होने के लिए गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन कर सकती हैं।
Introduction

परिवार में बच्चा प्रत्येक सदस्य के लिए खुशी का कारण होता है। लेकिन, कभी-कभी पति-पत्नी इस खुशी को कुछ समय के लिए टालना चाहते हैं। ऐसे में वो अपनी निजी जिंदगी को हंसी-खुशी बिताने के साथ ही गर्भ न ठहरने के उपाय यानि प्रेगनेंसी रोकने के उपाय भी ढूँढना चाहते हैं।
प्रेग्नेंसी रोकने के उपाय कई हैं, और हर उपाय को इस्तेमाल करने का तरीका भी भिन्न है। आइए जानते हैं प्रेग्नेंसी रोकने के उपाय क्या हैं।
इस लेख़ में
सेफ पीरियड़ में संबंध बनाएँ
Sex in safe period in hindi
prgnancy rokne ke liye safe period mein sex kare
गर्भ न ठहरने के उपाय (pregnancy rokne ke upay) के सबसे सरल उपाय है, पति-पत्नी द्वारा सेफ पीरियड में संबंध बनाना। यह सेफ पीरियड वह समय होता है जब महिला का ओव्यूलेशन (ovulation) नहीं होता है।
मेडिकल शब्दों में कहें तो इन दिनों महिला के अंडाशय (ovari) से अंडाणु का (egg) निकासी नहीं होता है। इस समय सेक्स करने पर पुरुष के वीर्य (sperm) का महिला के अंडाणु से मिलन और निषेशन (fertilization) की संभावना न्यूनतम होती है। इसलिए गर्भ न ठहरने की संभावना काफी अधिक होती है।
सेफ पीरियड क्या होता है (What is Safe Period in hindi)
महिलाओं के लिए सेफ पीरियड का अर्थ होता है वह समय जब संभोग करने के बाद उनके गर्भ धारण करने की संभावना बहुत कम होती है। इस समय की गणना उनके मासिक चक्र के आधार पर की जाती है।
सेफ पीरियड की गणना कैसे करें (How to calculate safe Period in hindi)
सामान्य रूप से महिलाओं के मासिक चक्र का अंतराल 28-30 दिनों का होता है। यदि महिला का मासिक चक्र अंतराल 28 दिनों का है तब उसका सेफ पीरियड मासिक धर्म शुरू होने के बाद पहले सात दिनों तक रहता है। उसके बाद 8-19 दिन असुरक्षित माने जा सकते हैं।
इसी प्रकार यदि महिला के मासिक चक्र का अंतराल 30 दिनों का है तब मासिक धर्म शुरू होने के बाद अगले 10 दिन और अगले मासिक शुरू होने से पहले 10 दिन सेफ माने जा सकते हैं।
सेफ पीरियड की गणना करने की विधि क्या है (How to calculate safe period in hindi)
आमतौर पर महिलाएं सेफ पीरियड की गणना करने के लिए ये विधियाँ अपनाती हैं : -
1. कैलेंडर विधि (Calendar method in hindi)
इस विधि के अंतर्गत महिला अपने मासिक धर्म के शुरू होने की तारीख पर निशान लगा कर अगले मासिक धर्म की तारीख पर दूसरा निशान लगा लें। इस तरह दो मासिक चक्रों के बीच के दिनों की गणना हो जाएगी। इस तरह दोनों मासिक चक्रों के बीच का समय सुरक्षित माना जाता है।
अगर अंकों में कहें तो मासिक धर्म के पहले दिन से शुरू करके 7वें दिन और 22-28 दिन तक का समय सेक्स के लिए सुरक्षित माना जाता है। हालांकि, गर्भधारण की दृष्टि से इस विकल्प को चिकित्सक बहुत अधिक सुरक्षित नहीं मानते हैं।
इसका मुख्य कारण विभिन्न महिलाओं के मासिक चक्र का अंतराल और एक महिला का अलग-अलग समय व परिस्थितिनुसार मासिक चक्र का समय अलग हो सकता है। इसलिए कैलेंडर विधि से सुरक्षित समय की गणना बहुत अधिक विश्वसनीय व सुरक्षित नहीं मानी जा सकती है। इस तरह कर सकती हैं आप ओवउलेशन कैलेंडर का इस्तेमाल।
2. ओव्यूलेशन ट्रैकिंग (Tracking ovulation in hindi)
ओव्यूलेशन ट्रैकिंग वह विधि है जिसके अंतर्गत महिला अपना ओव्यूलेशन होने के समय का पता लगाती है। गर्भधारण की दृष्टि से यह समय बहुत महत्वपूर्ण होता है।
इसलिए यदि इस समय से बच कर सेक्स किया जाये तब गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है। किसी महिला में ओव्यूलेशन के समय नज़दीक आने पर विभिन्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
लेकिन कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार के हो सकते हैं : -
- शरीर के तापमान में परिवर्तन (Change in body temperature during ovulation in hindi)
आमतौर पर यह देखा गया है कि महिला का ओव्यूलेशन समय नज़दीक आने पर उसके शरीर का तापमान सामान्य से अधिक होने लगता है, जिसे बेसल तापमान (basal body temperature) कहते हैं। इसका अर्थ है कि इस समय प्रजनन की दृष्टि से आपका शरीर पूरी तरह से तैयार है।
लेकिन, इस तापमान को लेते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह तापमान सुबह उठते समय का ही होना चाहिए। अगर कुछ दिनों तक इसी प्रकार नियत समय पर बेसल तापमान का चार्ट बनाया जाये तो आप अपने ओव्यूलेशन का सही समय निकाल सकती हैं।
- ग्रीवा के श्लेष्म में अंतर (Changes in Cervical mucus during ovulation in hindi)
ग्रीवा से निकालने वाला श्लेश्म का बदलता रंग और बनावट भी ओयुलेशन के समय का अंदाज़ा दे देता है। ओव्यूलेशन के दिनों में होने वाला यह स्त्राव पारदर्शी, चिकना और लचीला होता है।
- पेट के निचले हिस्से में दर्द (Pain in lower abdomen during ovulation in hindi)
कुछ महिलाओं को ओव्यूलेशन के दिनों में अपने अंडाशय (ovary) के आसपास के हिस्सों में पेट में दर्द या तीखी चुभन जैसी महसूस हो सकती है। कभी-कभी वे कमर के एक हिस्से में तीखा दर्द या फिर कुछ सेन्सेशन भी महसूस कर सकती हैं।
यह अनुभव कुछ मिनट से लेकर कुछ दिनों तक का हो सकता है। अगर यह दर्द हर महीने एक निश्चित तारीख को होता है तब इसे ओव्यूलेशन का इशारा समझ लेना चाहिए।
- सेक्स के प्रति इच्छा जागृत होना (Feel to have sex during ovulation in hindi)
कुछ महिलाएं अपने ओव्यूलेशन समय के नज़दीक आने पर सेक्स के प्रति इच्छा अधिक महसूस करती हैं। वो लोगों से अधिक मिलना-जुलना और मन में भी थोड़ा अच्छा महसूस करती हैं। कुछ महिलाओं की शरीर से सुगंध जैसा भी प्रतीत होने लगता है।
3. विथ्ड्रॉअल विधि (Withdrawal method)
प्रेग्नेंसी रोकने का सबसे सरल उपाय विथ्ड्रॉअल विधि मानी जाती है। इस विधि के अंतर्गत पुरुष सेक्स क्रिया के दौरान वीर्य स्खलन (ejeculation) से पहले लिंग (penis) को महिला योनि (vagina) से बाहर निकाल लेना होता है।
इस प्रकार वीर्य के कण योनि में प्रवेश नहीं कर पाते हैं और महिला के प्रेग्नेंट होने की संभावना कम हो जाती है। लेकिन व्यावहारिक रूप में इस विधि को बहुत अधिक सफल नहीं माना जा सकता है। इसका मुख्य कारण यह है कि कभी-कभी असावधानीवश वीर्य के कुछ कण योनि में रह जाते हैं जो इस प्रयास को असफल कर देते हैं आर महिला प्रेग्नेंट हो जाती है।
महिलाओं के लिए प्रेग्नेंसी रोकने के उपाय
Way to avoid pregnancy for women in hindi
Mahilaon ke liye Garbh na thaharne ke upay in hindi
प्रेग्नेंसी को रोकने के लिए महिलाएं विभिन्न प्रकार के उपाय अपना सकती हैं : -
1. गर्भनिरोधक गोलियां (Contraceptive Pills in hindi)
महिलाएं बच्चा न होने के लिए गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन कर सकती हैं। इन गोलियों में हार्मोन इस तरह व्यवस्थित होते हैं जो महिला को गर्भवती होने से रोक देते हैं।
सामान्य रूप से इन गोलियों में या तो एस्ट्रोजेन हार्मोन होते हैं या फिर प्रोजेस्टीन हार्मोन होते हैं। कुछ गोलियों में दोनों प्रकार के हार्मोन भी होते हैं और ऐसी गोलियों को कोंबिनेशन पिल (combination pill) कहा जाता है। इन गोलियों को लेने से पहले डॉक्टर से मिलकर चेकअप करवाना बहुत ज़रूरी होता है।
ऐसी महिलाएं जिन्हें इनमें से कोई परेशानी हो, उन्हें डॉक्टर इन गोलियों से परहेज करने की सलाह दे सकते हैं : -
- हाई ब्लडप्रेशर
- हृदय संबंधी कोई परेशानी
- लीवर में कोई खराबी
- रक्त के थक्के जमने की परेशानी
इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह के गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन नहीं करना चाहिए।
2. गर्भनिरोधक प्रत्यारोपण (Birth Control Implant in hindi)
आधुनिक तकनीक के चलते अब महिलाएं गर्भनिरोधक प्रत्यारोपण के इस्तेमाल से चार साल तक की अवधि के लिए अपनी प्रेग्नेंसी को रोक सकती हैं। यह प्रत्यारोपण एक छोटे आकार की पतली सलाई होती है जिसे महिला के हाथ में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह सलाई महिला के शरीर में वो हार्मोन प्रवाहित कर देती है जिसके कारण महिला गर्भधारण नहीं कर पाती है।
इस सलाई के शरीर में लगने से होने वाले साइड इफेक्ट इस प्रकार हो सकते हैं : -
1. प्रत्यारोपण के बाद लगभग 6-12 महीने तक अनियमित रक्त्स्त्राव की परेशानी हो सकती है;
2. इस प्रत्यारोपण से एसटीडी से रोकथाम नहीं होती है
3. शरीर के कुछ भाग जैसे सिर और स्तनों में दर्द होना
4. शारीरिक वजन बढ़ना
5. बिना किसी कारण जी-मिचलाना
6. ओवरी में सिस्ट की परेशानी होना
इसको अपनी इच्छा से डॉक्टर की मदद से निकलवा भी सकते हैं।
3. इंट्रायूट्रिन डिवाइस (Intrauterine Device in hindi)
इंट्रायूट्रिन डिवाइस या आईयूडी, महिलाओं के गर्भाशय में डाली जाने वाली एक डिवाइस होती है जो गर्भनिरोधक उपायों के रूप में अधिक सफल मानी जाती है।
यह दो प्रकार की होती है : -
- कॉपर आईयूडी (Copper IUD) - जिसे महिला 5-10 सालों तक इस्तेमाल कर सकती है।
- हार्मोनल आईयूडी (Hormonal IUD) - इसकी प्रभावशीलता 5 सालों तक रहती है।
4. कोंट्रासेप्टिव इंजेक्शन (Contraceptive Shots in hindi)
यह एक प्रकार का प्रोजेस्टीन हार्मोन युक्त इंजेक्शन होता है जिसे डॉक्टर की सहायता से महिला को हर तीन माह में लगाना होता है। यह हार्मोन ओव्यूलेशन की प्रक्रिया को रोककर गर्भधारण की संभावना को कम कर देता है।
5. बर्थकंट्रोल पैच (Birth control Patch in hindi)
गर्भनिरोधक के रूप में एक पैच में एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन मिला दिये जाते हैं और इस पैच को महिला अपने पेट, बांह के ऊपरी हिस्से, पीठ या कूल्हे में कहीं भी लगा सकती है।
इस पैच में मिले हुए हार्मोन शरीर में जाकर ओव्यूलेशन की प्रक्रिया को रोक देते हैं। इस प्रकार के पैच का प्रभाव लगभग 3 हफ्ते तक रहता है।
6. बर्थकंट्रोल रिंग (Birth Control Ring in hindi)
प्रेग्नेंसी रोकने के लिए कुछ महिलाएं बर्थ कंट्रोल रिंग का भी इस्तेमाल करती हैं। इस रिंग को महिला की योनि में रखा जाता है और इस रिंग में मिले हुए हार्मोन गर्भधारण की प्रक्रिया को रोक देते हैं। लेकिन यह रिंग महिला को हर माह बदलना पड़ता है।
7. ट्यूबेक्टोमी - महिला नसबंदी (Tubectomy in hindi)
महिला गर्भधारण का यह सबसे अधिक प्रभावशाली तरीका माना जाता है। इस विधि में महिला की फैलोपिन ट्यूब को दो स्थानों से बांध देते हैं जिसके कारण स्पर्म और अंडाणु का मिलन नहीं हो पता है।
यह विधि बच्चा न होने की स्थायी विधि भी मानी जाती है। लेकिन इस सर्जरी के लगभग 3 माह बाद ही गर्भनिरोधक प्रक्रिया काम करती है। इसलिए तब तक गर्भनिरोधक के रूप में किसी और विधि का इस्तेमाल किया जा सकता है।
8. डायाफ्राम (Diaphragm in hindi)
यह एक प्रकार का महिला कंडोम होता है जिसे महिला सेक्स के समय अपनी योनि में रख लेती हैं। इसका आकार एक कप के समान होता है। लेकिन इस उपाय की प्रभावशीलता 88% मानी जाती है। इस कप के कारण सेक्स के समय पुरुष का वीर्य योनि में अंदर प्रवेश नहीं कर पाता है।
9. ओव्यूलेशन ट्रैकिंग (Ovulation in hindi)
यह उपाय एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक उपाय माना जाता है। इस विधि के अंतर्गत महिला अपने ओव्यूलेशन के समय का सही तरीके से पता लगा कर उसके अनुसार ही सेक्स क्रिया में शामिल होती है।
पुरुषों के प्रेग्नेंसी रोकने के उपाय
Way to avoid pregnancy for men in hindi
Purushon ke liye Garbh na thaharne ke upay in hindi
महिलाओं के साथ ही गर्भनिरोध संबंधी कुछ उपाय पुरुषों द्वारा भी अपनाए जाते हैं, जो इस प्रकार हैं : -
1. कंडोम (Male Condom in hindi)
सेक्स क्रिया में महिला को गर्भधारण करने से बचाने के लिए अधिकतर पुरुष जिस उपाय का सहारा लेते हैं, वह है कंडोम। यह एक प्रकार का लचीले रबड़ जिसे लेटेक्स कहते हैं, से बना उपकरण होता है जिसे पुरुष अपने लिंग पर पहन लेते हैं।
इससे सेक्स क्रिया के समय उनका वीर्य इसी कंडोम में इकठ्ठा हो जाता है और महिला को गर्भधारण करने का भय नहीं होता है। लेकिन कभी-कभी कंडोम के अपने स्थान से सरक जाने या फिर उसमें छेद हो जाने से इसके प्रयोग का उद्देश्य सफल नहीं हो पाता है।
2. पुलआउट (Pull-out in hindi)
सेक्स क्रिया में चरमबिन्दु पर पहुँचते ही पुरुष द्वारा अपने लिंग को योनि से बाहर निकाल लेने की क्रिया पुलआउट या विदड्राल करना कहलाती है। इस क्रिया में पुरुष का वीर्य महिला की योनि में प्रवेश करने से पहले ही बाहर निकाल लिया जाता है।
हालांकि, यह क्रिया सैद्धांतिक रूप से अच्छी मानी जाती है, लेकिन व्यावहारिक रूप से यह बहुत सफल नहीं होती है।
3. नसबंदी (Vasectomy in hindi)
पुरुष नसबंदी या वेस्क्टोमी गर्भनिरोधक का स्थायी व सबसे सरल उपाय माना जाता है। इसके अंतर्गत एक छोटी सी सर्जरी के माध्यम से पुरुष की शुक्राणुवाहिका नलिकाएँ स्थायी रूप से बंद कर दी जाती हैं।
4. आउटरकोर्स (Outercourse in hindi)
जब पुरुष व महिला बिना योनि संबंध के सेक्स क्रिया करते हैं तब इस विधि को आउटरकोर्स कहा जाता है। इस क्रिया में पुरुष का लिंग महिला की योनि में प्रवेश नहीं करता है।
इस क्रिया का अर्थ निम्न कार्यों से भी लिया जा सकता है : -
- चुंबन
- गहन आलिंगन
- हस्तमैथुन
- मुखमैथुन
- गुदामैथुन
हालांकि, इनमें से किसी भी कार्य में पुरुष का वीर्य महिला की योनि में प्रवेश नहीं करता है और इस कारण महिला के गर्भधारण की संभावना नहीं होती है, लेकिन इनमें से कुछ में पुरुष को अपने स्वास्थ्य और स्वच्छता का पूर्ण ध्यान रखना ज़रूरी होता है।
अनचाहे गर्भ से निपटने के लिए गर्भपात
Abortion for unwanted pregnancy in hindi
Anchahe garbh se nipatne ke liye Abortion in hindi dubbed
कभी-कभी सुरक्षित तरीके से किए गए सेक्स के बावजूद महिला गर्भवती हो जाती है। इस स्थिति में यदि पति-पत्नी बच्चा नहीं चाहते हैं तब इस अनचाहे गर्भ से निपटने के लिए गर्भपात ही एक उपाय रह जाता है।
समय से पूर्व गर्भ को समाप्त करने की प्रक्रिया गर्भपात कहलाती है। लेकिन यह तभी संभव और भारत में कानूनी रूप से वैध माना जाता है जब गर्भ 8-12 सप्ताह से अधिक का न हो।
सामान्य रूप से गर्भपात को निम्न दो प्रकार से किया जा सकता है : -
1. दवा के माध्यम से (Abortion by pill in hindi)
यदि महिला का गर्भ 12 सप्ताह से अधिक का नहीं है और उसमें किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं है तब वह इसे गर्भपात करवाने वाली दवा से भी समाप्त कर सकती है। भारतीय बाज़ारों में यह दवाएं विभिन्न नामों से मिलती हैं जिन्हें डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बाद लिया जा सकता है।
2. चिकित्सकीय माध्यम से (In uced Abortion in hindi)
चिकित्सीय माध्यम से गर्भपात में आमतौर पर डॉक्टर गर्भपात के लिए दो विधियों का सहारा ले सकते हैं : -
- इंजेक्शन से गर्भपात (Abortion by Injection in hindi)
इस विधि के अंतर्गत चिकित्सक एक सलाइन या फिर पोटेशियम क्लोराइड का इंजेक्शन गर्भाशय में लगा देते हैं। इसे कृत्रिम प्रसव शुरू होकर गर्भपात हो जाता है। यह विधि बहुत सुरक्षित नहीं मानी जाती है।
इस विधि के द्वारा गर्भपात करने से महिला के आंतरिक और जननांगों को नुकसान पहुँच सकता है। इसके अलावा अत्यधिक रक्त्स्त्राव की स्थिति भी बन सकती है।
- सर्जिकल गर्भपात (Surgical Abortion in hindi)
जब चिकित्सक की सहायता से ऑपरेशन थियेटर में विभिन्न उपकरणों की सहायता से गर्भपात किया जाता है तब इसे सर्जिकल गर्भपात कहा जाता है।इस विधि में भी चिकित्सक महिला व उसके गर्भ की स्थिति के आधार पर गर्भपात की प्रक्रिया का निर्धारण करते हैं।
इनमें विधि कोई भी हो, लेकिन इसमें मूल प्रक्रिया में पहले गर्भ के भ्रूण की हृदय धड़कन रोककर फिर मृत शिशु के रूप में प्रसव करवाया जाता है।
निष्कर्ष
Conclusionin hindi
Nishkarsh
किसी भी परिवार में बच्चे के जन्म लेने के सही समय का निर्धारण पति-पत्नी आपसी समझबूझ और निर्णय के द्वारा ही होता है। इसलिए यदि अभी बच्चा न करने का निर्णय हो तब केवल प्राकृतिक उपाय ही सर्वश्रेष्ठ उपाय माने जाते हैं।
अगर असावधानीवश गर्भ ठहर जाता है तब उस गर्भ को जारी रखने या न रखने का निर्णय भी सोच समझ कर और बिना किसी दबाव के ही लेना चाहिए। गर्भपात करवाने का निर्णय लेने के बाद यह काम केवल चिकित्सीय देख-रेख में ही करना अच्छा रहता है।
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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 24 Jul 2020
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