पहली बार कंसीव करने में मुझे ज्यादा वक़्त नहीं लगा। कुछ महीनों बाद ही हमें पता चला की मैं प्रेग्नेंट हूँ।
लेकिन कुछ दिनों के बाद, हमें यह पता चला की मुझे एक्टोपिक प्रेगनेंसी है, और इस वजह से मुझे गर्भपात करवाना पड़ा और मेरी एक फैलोपियन ट्यूब को भी हटा दिया गया।
उस वक़्त मेरी प्रेगनेंसी का नौंवा हफ्ता चल रहा था। डॉक्टर ने हमें बताया कि सिर्फ एक फॉलोपियन ट्यूब होने की वजह से दोबारा कंसीव करने में मुझे कम से कम 18 महीने लगेंगे।
यह सुन कर हम बहुत परेशान हो गए थे। महीनों बाद जब मैं दोबारा प्रेग्नेंट हुई, तो मुझे फिर से वही दिक्कत आयी, और इस बार सर्जरी से मेरी दूसरी फॉलोपियन ट्यूब भी निकाल दी गयी। उस वक़्त मेरी प्रेगनेंसी के पाँच सप्ताह और छह दिन हो चुके थे।
मुझे लगने लगा की मैं कभी माँ नहीं बन पाउंगी, कभी मुझे वो ख़ुशी नहीं मिलेगी। हम जिस जगह पर रहते है, वहां आई.वी.एफ ट्रीटमेंट की सुविधा भी नहीं थी।
इसलिए हमने कलकत्ता में किसी प्राइवेट क्लिनिक से इलाज करवाने का सोचा, क्योंकि मेट्रो शहर में कलकत्ता ही हमारे जगह से सबसे पास में था, जहाँ हमे ट्रीटमेंट की अच्छी सुविधा प्राप्त हो सकती थी।
Zealthy के क्लिनिक में जब हम फर्टिलटी स्पेशलिस्ट से मिले, तब उन्होंने हमें आई.वी.एफ के बारे में बताया।
हमारे पास आई.वी.एफ के अलावा और कोई चारा नहीं था, क्योंकि मैंने अपने दोनों फॉलोपियन ट्यूब पहले ही खो दिए थे।
हमारे पहले चक्र में सिर्फ एक ही अंडा हमे प्राप्त हुआ पर उसका इम्प्लांटेशन असफल रहा। मगर डॉक्टर ने हमे हौसला दिया।
दूसरी बार के लिए डॉक्टर ने पहले मुझे कुछ दवाइयाँ दी, जिससे ज्यादा से ज्यादा अंडे मिल सके, और जून 2019 में 2 एम्ब्रियो को ट्रांसफर किया गया था।
प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए इंतज़ार करना हमारे लिए बहुत मुश्किल था। हर दिन चिंता में ही बीत रहा था, की ना जाने क्या रिजल्ट आएगा इस बार।
मेरे पीरियड्स होने के एक दिन पहले मैंने ब्लीड करना शुरू कर दिया था, और मुझे लगा कि शायद मेरा फिर मिसकैरेज हो गया है। पर शायद भगवान इस बार हमारे साथ थे , और अगले दिन, हमे हमारे जीवन की सबसे बड़ी ख़ुशी मिली।
मैं अपने प्रेगनेंसी पीरियड को भरपूर जीना चाहती थी क्योंकि मुझे पता था कि यह एक ऐसा समय होगा, जो मुझे शायद दोबारा कभी नहीं मिलेगा। फरवरी 2020 को मेरी नार्मल डिलीवरी हुई और हमें जुड़वाँ बच्चे हुए।