अल्फा-फेटोप्रोटीन टेस्ट क्या है और क्यों पड़ती है इसकी ज़रूरत
What is an alpha-fetoprotein test and why is it needed in hindi
Alpha-fetoprotein test kya hai or kyon padti hai iski awashyakta
एक नज़र
- प्रेगनेंसी के दौरान पड़ती है अल्फा-फेटोप्रोटीन ब्लड टेस्ट की आवश्यकता।
- पॉजिटिव टेस्ट आने पर बच्चे में जन्म दोष का पता लगता है।
- पैंतीस से अधिक उम्र की गर्भवती महिला को इस टेस्ट की ज़रूरत पड़ती है।
Introduction

गर्भावस्था के दौरान माँ के गर्भ में पल रहे बच्चे की स्थिति और विकास को देखने के लिए कई तरह के टेस्ट होते हैं। इस दौरान होने वाले टेस्ट की मदद से भ्रूण में मौजूद जन्म दोष (birth defects) या किसी अन्य तरह के दोष का पता लगाया जाता है।
प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले टेस्ट में से एक टेस्ट है अल्फा-फेटोप्रोटीन टेस्ट यानि एएफपी ब्लड टेस्ट। एएफपी ब्लड टेस्ट एक तरह का स्क्रीनिंग टेस्ट होता है, जो गर्भावस्था के दौरान मां के खून में अल्फा-फेटोप्रोटीन के स्तर की जांच करता है।
इस जांच से भ्रूण में दोषों का पता चल सकता है। इस लेख के माध्यम जानते हैं कि अल्फा-फेटोप्रोटीन का स्तर किस तरह से गर्भ में पल रहे भ्रूण को प्रभावित कर सकता है और कैसे एएफपी ब्लड टेस्ट की मदद से भ्रूण के दोषों का पता लगाया जाता है।
इस लेख़ में
- 1.अल्फा-फेटोप्रोटीन (एएफपी) परीक्षण क्या है?
- 2.अल्फा-भ्रूणप्रोटीन परीक्षण की आवश्यकता क्यों होती है?
- 3.अल्फा-भ्रूणप्रोटीन परीक्षण कैसे किया जाता है?
- 4.अल्फा-फेटो प्रोटीन परीक्षण से जुड़े जोखिम क्या हैं?
- 5.एएफपी टेस्ट से क्या पता चलता है?
- 6.गर्भावस्था के दौरान एएफपी टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं?
- 7.असामान्य टेस्ट परिणाम आने पर आपको आगे किस टेस्ट की आवश्यकता होगी?
- 8.निष्कर्ष
अल्फा-फेटोप्रोटीन (एएफपी) परीक्षण क्या है?
What is an alpha-fetoprotein (AFP) test? in hindi
Alpha-Fetoprotein test kya hai
अल्फा-फेटोप्रोटीन (एएफपी) परीक्षण, एक ब्लड टेस्ट है। एएफपी ब्लड टेस्ट के ज़रिये ब्लड में मौजूद एएफपी की मात्रा का पता लगाया जाता है।
यह परीक्षण प्रेगनेंसी के दूसरे ट्राईमेस्टर के दौरान किया जाता है जिसे ट्रिपल स्क्रीन (triple screen) या क्वाड स्क्रीन (quad screen) भी कहा कहते हैं।
अल्फा-फेटोप्रोटीन (एएफपी), फीटल सीरम (fetal serum) और एमनियोटिक फ्ल्यूड (amniotic fluid) दोनों में पाया जाता है।
यह पहले भ्रूण की जर्दी थैली (fetal yolk sac) द्वारा और फिर बाद में लिवर और गैस्ट्रोइंटेस्टिनल ट्रैक्ट (gastrointestinal tract) से गर्भ में उत्पन्न होता है।
जब गर्भावस्था के दौरान बच्चे का विकास हो रहा होता है तो अल्फा-फेटोप्रोटीन प्लेसेंटा से होकर माँ बनने वाली महिला के ब्लड तक पहुँचता है।
अगर माँ के रक्त में एएफपी का स्तर अधिक होता है, तो ये बच्चे में आनुवंशिक विकारों या स्थितियों को इंगित कर सकता है, जिसमें स्पाइना बिफिडा (spaina bifida), एनासेफली (anasefali), कुछ संरचनात्मक दोष या कुछ गुणसूत्र असामान्यताएं शामिल हैं।
वही इसका निम्न स्तर डाउन सिंड्रोम का संकेत हो सकता है। इन्हीं विकारों का पता लगाने के लिए अल्फा-फेटोप्रोटीन टेस्ट किया जाता है।
अल्फा-भ्रूणप्रोटीन परीक्षण की आवश्यकता क्यों होती है?
Why alpha-fetoprotein test is needed? in hindi
Alpha-fetoprotein ki avashyakta kyon hoti hai in hindi
अल्फा-भ्रूणप्रोटीन परीक्षण एक तरह का सामान्य परीक्षण है, जो गर्भवती महिलाओं में प्रेगनेंसी के 14वें से लेकर 22वें हफ्ते के बीच किया जाता है।
हालांकि, यह परीक्षण प्रेगनेंसी के 16वें से 18वें हफ्ते के बीच करना सबसे सटीक होता है।
आमतौर पर अल्फा-फेटोप्रोटीन टेस्ट, एक क्वाड स्क्रीन टेस्ट (quad screen test) का हिस्सा होता है।
ये एक तरह का ब्लड टेस्ट होता है, जो क्रोमोज़ोम संबंधी विकारों और न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट का पता लगाने के लिए किया जाता है।
इस स्क्रीनिंग से निम्न हार्मोन के स्तर की जानकारी मिलती है :
- ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (human chorionic gonadotropin, HSG), हार्मोन जो प्लेसेंटा द्वारा उत्पादित होता है
- एस्ट्रिओल (estradiol), जो प्लेसेंटा और भ्रूण द्वारा उत्पादित हार्मोन होता है
- इन्हिबिन ए (inhibin A), जो आपके प्लेसेंटा द्वारा उत्पादित हार्मोन होता है
नोट : अगर उपयुक्त हार्मोन के स्तर सामान्य से कम हो जाते हैं तो ये बच्चे में दोष का कारण बन सकते हैं।
आपके डॉक्टर को क्वाड स्क्रीन के परिणामों (quad screen tests) के साथ-साथ आपकी उम्र और पारिवारिक मेडिकल इतिहास के आधार पर ये समझने में मदद मिलेगी कि आपके बच्चे में जेनेटिक डिफेक्ट होने की कितनी संभावना है।
इस तरह की स्क्रीनिंग की मदद से न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट जैसे क्रोमोसोमल असामान्यताएं, डाउन सिंड्रोम या स्पाइना बिफिडा का भी पता लगाया जाता है।
अल्फा-फेटोप्रोटीन के परिणाम के आधार पर आपके डॉक्टर को समझने में मदद मिलेगी कि इन स्थितियों के लिए अन्य टेस्ट की ज़रूरत है या नहीं।
जरूरी नहीं है एक पॉज़िटिव टेस्ट का मतलब यह है कि आपके होने वाले बच्चे में बर्थ डिफेक्ट होगा।
गर्भवती महिलाओं को निम्नलिखित स्थितियों में एएफपी टेस्ट कराने की आवश्यकता पड़ती है :
- जो महिलाएं 35 वर्ष या उससे अधिक उम्र की हैं
- जिन महिलाओं के परिवार में जन्म दोष का इतिहास रहा हो
- जिन्होंने अपनी गर्भावस्था के दौरान नुक़सानदेह दवाओं का इस्तेमाल किया हो
- जिन्हें मधुमेह है
अल्फा-भ्रूणप्रोटीन परीक्षण कैसे किया जाता है?
How is an alpha-fetoprotein test performed? in hindi
Alpha-fetoprotein parikshan kaise kiya jata hai in hindi
एएफपी टेस्ट एक लैब में की जाती है। इस टेस्ट में आपके ब्लड के सैंपल लिए जाएंगे। इसमें महज़ कुछ मिनट का समय लगेगा और दर्द भी नहीं होगा।
एक हेल्थ केयर प्रोफेशनल आपके हाथ के नस से रक्त निकालने के लिए एक छोटी सुई का उपयोग करेंगे। जिसके बाद लेबोरेटरी एक्सपर्ट आपके ब्लड के सैम्पल की जांच करेंगे। आमतौर पर परीक्षण के परिणाम एक से दो सप्ताह के अंदर आ जाते हैं।
अल्फा-फेटो प्रोटीन परीक्षण से जुड़े जोखिम क्या हैं?
What risks are associated with an alpha-fetoprotein test? in hindi
Alpha-fetoprotein se kya jokhim jude hain in hindi
एएफपी परीक्षण से जुड़े जोखिम बेहद कम हैं। एएफपी परीक्षण के लिए ब्लड सैम्पल लेने के दौरान आपको थोड़ा बेहोशीपन सा महसूस हो सकता या फिर ब्लड निकालते वक़्त सूई के कारण हल्की चुभन या दर्द महसूस हो सकता है।
हालांकि, अगर आपकी त्वचा के नीचे रक्त जमा होता है तो अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है। वहीं इस प्रक्रिया में संक्रमण का जोखिम भी बहुत कम होता है।
एएफपी टेस्ट से क्या पता चलता है?
What does the AFP test says? in hindi
AFP test se kya pta chalta hai
एएफपी टेस्ट से निम्न जानकरी मिलती है :
- अगर आप गर्भवती हैं और आपके शरीर में एएफपी का स्तर सामान्य से अधिक है, तो यह गर्भ में बढ़ रहे शिशु में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट (neural tube defects) का संकेत दे सकता है।
- वहीं अगर गर्भावस्था के दौरान प्रेग्नेंट महिला का एएफपी लेवल सामान्य से बहुत कम है, तो यह शिशु में डाउन सिंड्रोम (down syndrome) या एडवर्ड्स सिंड्रोम (edwards syndrome) जैसे क्रोमोसोमल असामान्यता (chromosonal defects) का संकेत हो सकता है।
- गर्भ में पल रहे एक से अधिक बच्चे के कारण भी आपके एएफपी का स्तर असामान्य हो सकता है। असामान्य एएफपी के स्तर का होना बच्चे की मृत्यु का कारण भी हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान एएफपी टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं?
What do AFP test results indicate during pregnancy? in hindi
Garbhavastha ke dauran AFP test ke parinam ke kya matlab hote hain
अमेरिकन प्रेग्नेंसी एसोसिएशन (American Pregnancy Association) के अनुसार, प्रत्येक 1,000 गर्भवती महिलाओं में से 25 से 50 महिलाओं के एएफपी टेस्ट के परिणाम असामान्य होते हैं।
हालांकि, असामान्य परिणाम में केवल 16 महिलाओं में से एक बच्चे में वास्तव में जन्म दोष होता है।
अगर आपके टेस्ट के परिणाम असामान्य हैं, तो इसका मतलब ये नहीं है कि आपके बच्चे में जन्म दोष होगा। टेस्ट के परिणाम असामान्य आने पर, इसके निदान के लिए डॉक्टर अधिक परीक्षण कर सकते हैं।
आपके डॉक्टर एक और एएफपी परीक्षण कर सकते हैं, जो गर्भ में बढ़ रहे भ्रूण की छवियों को रिकॉर्ड करने के लिए अल्ट्रासाउंड द्वारा किया जाता है।
असामान्य टेस्ट परिणाम आने पर आपको आगे किस टेस्ट की आवश्यकता होगी?
Which test will you need in case of abnormal test results? in hindi
Asamanya test parinam aane pr aapko kis test ko kraane ki awashyakta hogi
अगर एक और एएफपी टेस्ट के बाद भी परिणाम सामान्य नहीं आते हैं, तो डॉक्टर कई और टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं, जैसे कि एम्नियोसेंटेसिस (amniocentesis)।
इस टेस्ट के अंतर्गत आपके डॉक्टर एक सूई की मदद से भ्रूण के चारों तरफ मौजूद एमनियोटिक फ्लूड (amniotic fluid) का सैम्पल लेंगे और फिर उसे जांच के लिए लैब में भेजेंगे।
अगर टेस्ट के परिणाम से बच्चे में बर्थ डिफेक्ट या अन्य किसी तरह की समस्या का पता चलता है तो आपके डॉक्टर इसके लिए विशेष निर्णय ले सकते हैं।
ऐसे में इस ओर आगे बढ़ने से पहले स्पेशलिस्ट से सलाह लें ताकि आप अपने और अपने बच्चे के लिए अच्छे विकल्प का चयन कर सके।
निष्कर्ष
conclusionin hindi
Nishkarsh
गर्भावस्था के दौरान बच्चे में दोष का पता लगाने के लिए कई तरह के टेस्ट किये जाते हैं, एएफपी टेस्ट भी उसी में से एक है।
ये एक साधारण रक्त परीक्षण होता है, जो आपके रक्त में अल्फा-फेटोप्रोटीन की मात्रा को मापता है। ये टेस्ट पूरी तरह सुरक्षित होता है और इससे माँ या बच्चे को किसी भी तरह का ख़तरा नहीं होता है।
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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 02 Jun 2020
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