प्रसव के बाद योनि में क्या परिवर्तन होता है: वो बातें जो नवप्रसूता को जाननी चाहिए

Changes That Happen in Your Vagina After Childbirth: Things Every New Mom Should Know in hindi

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एक नज़र

  • शिशु-जन्म के बाद शरीर में आने वाले परिवर्तन चिंताजनक नहीं होते हैं;
  • एस्ट्रोजेन हारमोन से योनि में लचिलापन आता है;
  • पेल्विक मांसपेशियों की मजबूती ही योनि के आकार को निर्धारित करती है;
  • प्रसव के बाद कुछ माह बाद ही योनि अपने पुराने आकार में वापस आ पाती है;
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Introduction

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गर्भावस्था के नौ माह बीतने के बाद जब एक नया जीवन माँ के समक्ष आता है, तब वह पल अनमोल होता है।

इन पलों को शब्दों और भावों में व्यक्त करना किसी के लिए भी सरल नहीं होता है।

लेकिन इस पल को वास्तविक रूप में बदलने के लिए जिस प्रक्रिया का सहारा लिया जाता है उसे प्रसव या डिलीवरी कहते हैं।

स्थितिनुसार सामान्य तरीके से प्रसव को या फिर उपकरणों/ऑपरेशन के माध्यम से करवाया जाता है।

प्रसव की विधि कोई भी हो, सबसे बड़ा प्रश्न गर्भवती के मन में यही आता है कि डिलीवरी के बाद योनि में क्या बदलाव होता है?

कई बार महिलाओं के में यह सवाल भी आता है कि डिलीवरी के बाद योनी में ढीलापन आना सामान्य है या इसका वैवाहिक जीवन पर असर तो नहीं पड़ेगा।

इस लेख में आपके इसी प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास किया गया है।

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इस लेख़ में

 

सामान्य प्रसव या नॉर्मल डिलीवरी क्या होती है?

What is Normal Delivery in hindi

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प्रसव या डिलीवरी सामान्य प्रक्रिया से की जाएगी या किसी अन्य विधि से, इसका निर्णय डॉक्टर डिलीवरी के वक़्त माँ और बच्चे की शारीरिक स्थितियों के आधार पर लेते हैं।

अगर सब कुछ सामान्य होता है तब प्रसव सामान्य विधि के द्वारा करवाया जाता है, जिसे नॉर्मल डिलीवरी (normal delivery) कहते हैं।

सामान्य प्रसव को वेजाइनल डिलीवरी या नार्मल डिलीवरी भी कहा जाता है। सामान्य प्रसव प्रक्रिया में बिना किसी दवा या उपकरण की मदद से प्रसव कराया जाता है।

हालांकि, कुछ मामलों में महिला को खास दवाइयाँ देकर प्रसव-पीड़ा (labour pains) शुरू करवाई जा सकती है।

सामान्य प्रसव या नार्मल डिलीवरी के दौरान बच्चे को गर्भाशय ग्रीवा से पुश करके योनी मार्ग से निकला जाता है।

इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए और बच्चे को आसानी से निकलने के लिए गर्भाशय ग्रीवा को चौड़ा होना पड़ता है। अमूमन लेबर के दौरान गर्भाशय ग्रीवा 5 सेंटीमीटर तक चौड़ी हो जाती है।

डिलीवरी या प्रसव के दौरान योनि का ढीलापन, सामान्य है जो माँ की उम्र, होने वाले बच्चे के वेट और पेच्ली प्रसव के प्रकार पर निर्भर करता हैं।

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सामान्य प्रसव के दौरान योनि में आने वाले बदलाव

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सामान्य प्रसव के समय योनि में आने वाले बदलाव भी सामान्य तरीके के होते हैं जिनसे घबराने या परेशान होने की ज़रूरत नहीं होती है।

योनि के माध्यम से होने वाले प्रसव में निम्न प्रक्रिया होती है जिससे योनि में परिवर्तन आता है : -

  • गर्भाशय का मुंह खुलना

नौ महीने का गर्भकाल पूरा होने के बाद जब महिला को प्रसव पीड़ा (labour pain) शुरू होते हैं तब सबसे पहले गर्भाशय का मुंह (cervix) खुल जाता है।

यह मुंह इतने बड़े आकार में खुलता है जिससे नवजात शिशु का शरीर गर्भ से आसानी से बाहर आ सके।

लेबर के दौरान गर्भाशय ग्रीवा का आकार लगभग 10 सेमी. तक बढ़ जाता है।

इसके बाद गर्भवती महिला, चिकित्सक के कहने पर ज़ोर लगाकर अंदर से शिशु को धक्का लगाने का प्रयास करती है जिससे शिशु को गर्भ से बाहर निकलने में आसानी हो सके।

  • योनि का लचीला होना

गर्भाशय के खुलने के साथ ही योनि में भी फैलाव और लचीलापन आना शुरू हो जाता है।

इस दौरान महिला के जोर लगाने से शिशु गर्भ से निकल कर योनी मार्ग से जन्म लेता है। इस दौरान चिकित्सक योनी के मुख पर छोटा चीरा लगा कर बड़ा कर सकते हैं ताकि बच्चे की डिलीवरी में आसानी हो।

शिशु गर्भ से निकल कर योनि मार्ग से जन्म लेने के लिए गर्भवती के शरीर से बाहर आता है।

  • पेल्विक मसल्स की सहायता

योनि को बढ़ने और फैलने में पेल्विक मसल्स (pelvic muscle) का भी योगदान होता है।

पेल्विक मसल्स के बनावट के कारण इसका खिंचाव आसानी से होता है और यह नॉर्मल डिलीवरी में सहयोग करता है।

यह मसल्स महिला के गर्भाशय (uterus) मूत्राशय (bladder), योनि (vagina)और गुदा (rectum) आदि शारीरिक अंगों से जुड़ी होती हैं।

इन मांसपेशियों की मज़बूती का स्तर भी योनि के फैलने पर निर्भर करता है।

  • पेरिनियम फटना

प्रसव प्रक्रिया में जब शिशु बाहर आने के लिए तैयार होकर योनि के पास पहुँच जाता है तब उसके भार से पेरिनियम (perineum) फट जाता है

पेरिनियम दरअसल महिला की योनि और गुदा के बीच का क्षेत्र होता है।

यदि प्रसव के समय योनि को फैलने में परेशानी होती है तब पेरिनियम में चीरा लगाकर उसे चौड़ा किया जाता है। यह प्रक्रिया एपियोटोमी (episiotomy) कहलाती है।

प्रसव के बाद डॉक्टर चीरे को टांका लगा देते हैं और यह घाव कुछ दिनों मैं आपने आप भर जाता है।

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प्रसव में योनि को लचीला बनाने वाले तत्व

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प्रसव प्रक्रिया में योनि का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। प्रकृति के अनुसार योनि के माध्यम से ही शिशु का सामान्य प्रसव की प्रक्रिया पूरी होती है।

महिलाएं अक्सर यह सोच कर घबरा जाती हैं कि प्रसव के लिए उनका शरीर तैयार कैसे होगा। लेकिन इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं है।

प्रसव की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए महिला का शरीर बहुत पहले से ही तैयारी शुरू कर देता है।

प्रेगनेंसी के दौरान एस्ट्रोजेन और रिलैक्सिन हॉर्मोन की सक्रियता डिलीवरी को सहज बनाती है।

एस्ट्रोजेन हॉर्मोन, जहाँ योनी में खून के बहाव को बाधा उसे लचीला और फैलने में मदद करता है, वहीं रिलैक्सिन हॉर्मोन आपके शरीर को रिलैक्स कर पेल्विक एरिया के लिगामेंट और जोड़ों को फैलने में मदद करता है।

इन हार्मोन के कारण महिला की योनि शिशु के आकार जितनी बड़ी होकर फैल जाती है।

इस पूरी प्रक्रिया से सामान्य प्रसव आसानी से होने मई मदद मिलती है।

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प्रसव के बाद योनि कब सामान्य होती है

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गर्भावस्था से गुज़र रही अधिकतर महिलाओं के मन में यह प्रश्न ज़रुर उठता है कि क्या प्रसव के बाद उनकी योनि वापस पहले जैसे हो जाएगी?

प्रसव की प्रक्रिया कठिन है और इस दौरान महिला का शरीर कई बदलावों से हो कर गुजरता है।

गर्भावस्था के बाद शरीर सामान्य ज़रुर हो जाता है लेकिन पहले जैसे अवस्था में लौटना मुश्किल होता है।

डिलीवरी के बाद योनि में बदलाव के कुछ लक्षणों में योनि का ढीलापन होना आम है।

अधिकतर मामलों में नवप्रसूता में प्रसव के 6 माह बाद तक योनि नार्मल होने लगती है।

यदि एपिस्प्टोमी (episiotomy) की प्रक्रिया की गई है तब इस चीरे की जलन और दर्द को कम होने में भी लगभग 6 हफ्ते का समय लग सकता है।

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प्रसवोत्तर योनि में आने वाला बदलाव सामान्य है

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गर्भवती को नवप्रसूता के रूप में बदलते समय विभिन्न प्रकार के बदलावों का सामना करना पड़ता है।

यह बदलाव अवश्यंभावी होते हैं और इनके लिए स्वयं को मानसिक रूप से तैयार कर लेने पर भावनात्मक परेशानी और कुछ हद तक शारीरिक परेशानी का भी सामना नहीं करना पड़ सकता है।

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प्रसव या डिलीवरी के बाद योनी को सामान्य कैसे बनाएं

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प्रसव के बाद महिला के शरीर में हो रहे बदलावों में सबसे सामान्य प्रसव के बाद होने वाले योनि के बदलाव है।

डिलीवरी के बाद जल्द से जल्द योनि को सामान्य बनाने के लिए आप प्रसव से पहले ही केगेल एक्सरसाइज करने शुरु कर दे।

प्रसव के तुरंत बाद जैसे ही आप स्वस्थ महसूस करने लगे आपको केगेल एक्सरसाइज करना शुरू कर देना चाहिए।

केगेल एक्सरसाइज (Kegel’s exercise) पेल्विक मसल्स को मजबूत बनाती हैं और प्रसव के बाद मूत्र में हो रही तकलीफ़ से भी आराम दिलाती हैं। साथ ही साथ यह योनी को सुडौल बना सम्बन्ध के दौरान चरम सुख प्राप्त करने में भी मदद करती है।

आप यह एक्सरसाइज आपने खाली समय या रोजमर्रा के काम जैसे, बच्चे को दूध पिलाते समय या बैठे हुए भी कर सकती हैं।

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निष्कर्ष

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एक नए जीवन को पृथ्वी पर लाने का सौभाग्य केवल एक महिला को ही प्राप्त होता है।

इस सौभाग्य के भागी बनकर और इस प्रक्रिया में आने वाले परिवर्तनों को सकरात्मक विचारों से स्वीकार करने से शारीरिक और मानसिक तकलीफ़ कम हो सकती है।

प्रसव-प्रक्रिया में योनि में आने वाले परिवर्तन इसी कड़ी का एक हिस्सा होते हैं।

कुछ मिलीमीटर की योनि 10 सेमी तक फैल कर पुनः अपने आकार में वापस आ जाती है।

लेकिन इसमें कभी-कभी छह माह का समय भी लग सकता है।

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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 12 May 2020

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