आईयूआई उपचार के दौरान निगरानी के 3 मुख्य प्रकार क्या हैं?

What are the three main types of monitoring during IUI treatment? in hindi

IUI upchar ke dauran monitoring ke mukhya prakar kya hai in hindi


एक नज़र

  • गोनैडोट्रोपिन साइकल मॉनिटरिंग (gonadotropin cycle) में डॉक्टर ज्यादा अल्ट्रासाउंड कराते हैं।
  • आईयूआई में एक महिला को कई बार ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड कराते पड़ते हैं।
  • आईयूआई के प्राकृतिक चक्र में मॉनिटरिंग की आवश्यकता अपेक्षाकृत कम पड़ती है।
triangle

Introduction

Monitored_IUI_cycle___Zealthy

आईयूआई प्रक्रिया के दौरान मॉनिटरिंग का बहुत अहम रोल होता है।

डॉक्टर अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट आदि के द्वारा मॉनिटरिंग की प्रक्रिया को पूरा करते हैं।

इसके माध्यम से समय पर इस बात का मूल्यांकन हो जाता है कि इलाज के दौरान रोगी के शरीर में सब कुछ सामान्य है या नहीं।

आईयूआई की प्रक्रिया के दौरान एक महिला को कई बार ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड की एक बड़ी श्रृंखला से गुजरना पड़ता है।

इसका मकसद गर्भ में भ्रूण और अंडों के विकास पर नजर रखना होता है।

मॉनिटरिंग के द्वारा ही डॉक्टर यह देख पाते हैं कि अगर अंडे अपने इच्छित आकार तक नहीं पहुंचे हैं, तो उस स्थिति में अंडे के विकास को बढ़ावा देने के लिए दवा देने की ज़रूरत है या नहीं।

अगर ऐसा होता है तो डॉक्टर इसके लिए सलाह देते हैं।

कई बार जब दवा लेने के बाद भी अंडों का सही तरह से विकास नहीं होता है तो डॉक्टर अन्य उपचार कराने को भी कहते हैं।

कहने का तात्पर्य है कि मॉनिटरिंग के बिना आईयूआई के उपचार के सफल होने की उम्मीद करना बहुत मुश्किल होता है।

आपको बता दें कि आईयूआई उपचार की मॉनिटरिंग मुख्यत: तीन तरह से होती है।

पहली प्राकृतिक मॉनिटरिंग, दूसरी क्लोमिड साइकिल मॉनिटरिंग और तीसरी गोनैडोट्रोपिनसाइकल मॉनिटरिंग।

इस लेख में तीनों प्रकारों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

loading image

इस लेख़ में

 

आईयूआई उपचार के दौरान प्राकृतिक मॉनिटरिंग

Natural Monitoring during IUI in hindi

IUI ki prakritik monitoring in hindi

आईयूआई की प्राकृतिक मॉनिटरिंग में प्राकृतिक और आसान तरीके से मॉनिटरिंग की प्रक्रिया को पूरा किया जाता है।

यानि कि यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दवाओं के उपयोग के बिना ओव्यूलेशन से पहले ही अंडों को परिपक्व किया जाता है।

जब यह अंडे परिपक्व हो जाते हैं तो डॉक्टर जल्द से जल्द वीर्य को गर्भाशय में डालते हैं।

इसलिए, आईयूआई की प्राकृतिक मॉनिटरिंग में नियमित रूप से निगरानी रखने की आवश्यकता होती है ताकि पहले से ही ओवुलेशन के समय का पता चल जाए, या कम से कम डॉक्टरों के हाथ से वह दिन न निकल जाए जो आईयूआई की प्रक्रिया के लिए सबसे सही है।

यदि उचित समय पर आईयूआई चक्र को पूरा न किया जाए तो सफलता मिलने की संभावना नाम मात्र की रह जाती है।

हालांकि यह कहना गलत नहीं होगा कि प्राकृतिक चक्र में मॉनिटरिंग की आवश्यकता कम पड़ती है।

इस मामले में अक्सर डॉक्टर महिलाओं को एक किट दे देते हैं जिससे वह खुद भी अपनी मॉनिटरिंग कर सकती हैं।

loading image
 

आईयूआई उपचार के दौरान क्लोमिड साइकिल मॉनिटरिंग

Clomid cycle monitoring during IUI in hindi

IUI upchar ke dauran clomid cycle monitoring in hindi

जो मरीज़ क्लोमिड जैसी दवा लेकर अपने ओवेल्यूशन को पहले से ही इतना सक्षम बनाना चाहते हैं कि इस दौरान अगर डॉक्टर वीर्य को गर्भ में डालें तो गर्भ के ठहरने की संभावना बढ़ जाए, उन्हें कम से कम 3 से 4 बार मॉनिटरिंग की आवश्यकता पड़ती है।

यानि कि जिन महिलाओं में बांझपन (infertility) की समस्या होती है डॉक्टर उन्हें सबसे पहले क्लोमीफीन साइट्रेट (clomiphene citrate) दवा लेने की ही सलाह देते हैं।

यह आईयूआई की क्लोमिड मॉनिटरिंग की सबसे अहम दवा मानी जाती है।

क्लोमिड दवा को पीरियड्स के तीसरे और पांचवे दिन लेना होता है।

हालांकि इस दवा को लगातार 5 दिन लिया जाता है।

दवा को लेने के दौरान डॉक्टर लगातार मॉनिटरिंग कराने की सलाह देते हैं, ताकि शरीर में एस्ट्रोजन (estrogen), एलएच (LH) और एफएसएच (FSH) जैसे हार्मोन्स के स्तर की लगातार जांच हो पाए।

इसके अलावा पीरियड्स के दूसरे, तीसरे और चौथे दिन डॉक्टर अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट कराते हैं।

हालांकि इसके बाद भी 3 से 4 दिन में एक बार अल्ट्रासाउंड ज़रुर कराया जाता है ताकि अंडों की सही जानकारी मिल सके।

और पढ़ें:अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान की सफलता को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक
 

आईयूआई उपचार के दौरान गोनैडोट्रोपिन साइकल मॉनिटरिंग

Gonadotropin cycle monitoring during IUI process in hindi

IUI upchar ke dauran gonadotropin cycle monitoring in hindi

इस मॉनिटरिंग के तहत मासिक धर्म चक्र के दूसरे या तीसरे दिन मरीज़ को एक बेसलाइन अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट के लिए भेजा जाता है।

टेस्ट पूरा होने के बाद इंजेक्शन लगाने वाली दवाएं शुरू की जाती हैं।

फिर रोगी के द्वारा या फिर किसी की मदद से त्वचा के नीचे दवा को इंजेक्ट किया जाता है।

इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टर रक्त संचालन पर निगरानी रखने के लिए हर 3 से 4 दिन बाद अल्ट्रासाउंड कराने को कहते हैं।

फिर फर्टिलिटी डॉक्टर मॉनिटरिंग करते हैं कि अंडो का विकास किस तरह हो रहा है।

जब डॉक्टर देख लेते हैं कि कम से कम एक अंडा विकसित हो गया तो वह क्रोनिक गोनैडोट्रोपिन एचसीजी (chronic gonadotropin injection) का एक इंजेक्शन लेने का निर्देश देते हैं।

यह आगे चलकर ओव्यूलेशन का कारण बनता है और फिर उचित मॉनिटरिंग के तहत इंजेक्शन लगने के कम से कम 2 या 3 दिन बाद आईयूआई किया जाता है।

loading image
 

निष्कर्ष

Conclusionin hindi

Nishkarsh

आईयूआई की प्रक्रिया वैसे तो बहुत प्राकृतिक होती है लेकिन इसमें समय-समय पर मॉनिटरिंग की काफी जरूरत होती है।

मॉनिटरिंग के द्वारा डॉक्टर शरीर में रक्त संचालन और हॉर्मोन्स की जांच करने के लिए अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट कराने को कहते हैं।

आईयूआई की प्रक्रिया में यदि डॉक्टर द्वारा बताए गए निर्देशों का पालन न किया जाए तो परिणाम नुक़सानदेह हो सकते हैं।

इसलिए किसी भी चीज को अनदेखा न करें। यदि आपको कहीं पर संदेह हो तो डॉक्टर से खुलकर बात करें।

क्या यह लेख सहायक था? हां कहने के लिए दिल पर क्लिक करें

आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 28 May 2020

हमारे ब्लॉग के भीतर और अधिक अन्वेषण करें

लेटेस्ट

श्रेणियाँ

15 से अधिक सुपर फूड जो स्पर्म काउंट और स्पर्म मोटेलिटी बढ़ा सकते हैं

15 से अधिक सुपर फूड जो स्पर्म काउंट और स्पर्म मोटेलिटी बढ़ा सकते हैं

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज - पीआईडी के लक्षण, कारण और इलाज़

पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज - पीआईडी के लक्षण, कारण और इलाज़

हिस्टेरोसलपिंगोग्राम - बेस्ट फैलोपियन ट्यूब टेस्ट - प्रक्रिया व जोख़िम

हिस्टेरोसलपिंगोग्राम - बेस्ट फैलोपियन ट्यूब टेस्ट - प्रक्रिया व जोख़िम

टेराटोज़ोस्पर्मिया - कारण, प्रकार व उपचार

टेराटोज़ोस्पर्मिया - कारण, प्रकार व उपचार

नक्स वोमिका से पुरुष बांझपन का इलाज़

नक्स वोमिका से पुरुष बांझपन का इलाज़
balance

सम्बंधित आर्टिकल्स

article lazy ad