आयुर्वेद की मदद से करें एक्ज़िमा का इलाज
Treat eczema with the help of ayurveda in hindi
Ayurveda ki madad se karein eczema ka ilaj in hindi
एक नज़र
- एक्ज़िमा को आयुर्वेद में विचर्चिका (Vicharchika)के रूप में जाना जाता है।
- आयुर्वेद के ज़रिये भी एक्ज़िमा का उपचार संभव है।
- अलसी के बीज से भी होता है फायदा।
- एक्ज़िमा के लिए करें तुलसी का इस्तेमाल।
Introduction

एक्ज़िमा एक ऐसी बीमारी है जिसमें त्वचा पर लाल चकत्ते (rashess) पड़ जाते हैं।त्वचा में खुजली होती है और जब खरोंच होती है, तो रैशेज़ हो जाती है।
आयुर्वेद में, इस बीमारी को विचर्चिका के रूप में जाना जाता है।
ये तब होता है जब इम्यून सिस्टम असंतुलित हो जाती है।
ऐसे में आयुर्वेद का सहारा लेकर इस स्किन कंडीशन को ठीक किया जा सकता है और इसके इस्तेमाल से किसी भी तरह के साइड-इफेक्ट्स भी नहीं होगा।
एक्ज़िमा के लिए आयुर्वेदिक दवा
Ayurvedic medicines for eczema in hindi
Eczema ke liye ayurvedic dawa in hindi

बबूल (Babool)
बबूल के पेड़ की छाल को कुछ मिनट के लिए पानी में उबालें। प्रभावित क्षेत्रों पर भाप लें। फिर इन पर थोड़ा घी लगाएं।
ब्यूटिया (Butea)
एक्ज़िमा जैसे त्वचा रोगों के उपचार में, ब्यूटिया के पेड़ के बीज उपयोगी होते हैं।
ब्यूटा के बीज को लाइम वाटर के साथ मिलाया जाता है और आवश्यक लाभ प्राप्त करने के लिए प्रभावित क्षेत्रों पर लगाया जाता है।
करंजा (Karanja)
करंजा एक्ज़िमा को ठीक करने में बहुत हद्द तक मददगार साबित हो सकता है।
दरअसल ये है गुणकारी जड़ी बूटी होता है, जो एक्ज़िमा के कारण होने वाले सूजन से राहत दिलाने में मदद करता है।
इसका इस्तेमाल तेल के रूप में भी किया जाता। कई आयुर्वेदिक दवाओं में भी इसका उपयोग होता है।
पलाश (Palasha)
एक्ज़िमा से पीड़ित लोगों को पलाश बहुत फायदा पंहुचा सकता है।
अगर आप खुजली, एक्ज़िमा और दाद जैसे समस्याओं से छुटकारा पाना चाहते हैं तो नींबू के रस के साथ पलाश के बीजों को पीसकर लगाएं।
इतना ही नहीं पलाश के पत्तों को त्वचा के सूजन और छालों पर लगाने से बहुत आराम मिलता है।
तुलसी (Basil)
एंटी-इंफ्लेमेटरी (anti-inflammatory) गुण से समृद्ध तुलसी आपको खुजली, सूजन और दर्द से छुटकारा पाने में मदद कर सकती है।
तुलसी में एंटी-माइक्रोबियल (anti--microbial) गुण भी होता है, जो स्किन को इन्फेक्शन से बचाता है।
ऐसे में एक्ज़िमा से पीड़ित व्यक्ति को नियमित रूप से दो बार तुलसी की चाय का सेवन करना चाहिए।
इसके अलावा आप चाय को ठंडा करके उसमे एक कॉटन कपड़ा कुछ मिनटों के लिए डालकर छोड़ दें।
इसके बाद जहां पर आपको एक्ज़िमा हुआ है वहां पर उस कॉटन कपड़े को 20 मिनटों के लिए रखें और फिर त्वचा साफ़ कर लें।
ऐसा करने से आपको आराम मिलेगा।
अलसी (Flax seed)
ओमेगा-३ फैटी एसिड्स (omega-3 fatty acids) से भरपूर अलसी का बीज एक्ज़िमा के इलाज के लिए बहुत अच्छा माना जाता है।
एक्ज़िमा को ठीक करने के लिए बराबर मात्रा में अलसी के पेस्ट और नींबू के रस को मिलाकर प्रभावित जगह पर लगाने से आराम मिलता है।
इतना ही नहीं अलसी के तेल से प्रभावित क्षेत्र पर मसाज करने से भी राहत मिलता है।
हल्दी (Haldi)
एंटी-बैक्टीरियल (anti-bacterial) और एंटी-इंफ्लेमेटरी (anti-inflammatory) गुणों से समृद्ध हल्दी, सूजन, खुजली और लालिमा जैसी समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकती है।
हल्दी एक्ज़िमा के सिम्पटम्स को कंट्रोल करने वाली जड़ी बूटियों में से एक है।
एक्ज़िमा के इलाज करने के लिए आप हल्दी में गुलाब जल या ठंढा दूध मिलाकर एक अच्छा पेस्ट तैयार कर लें।
अब इस पेस्ट को प्रभावित जगह पर लगाकर 15-20 मिनट तक छोड़ दें और फिर त्वचा धो लें।
ब्राह्मी (Brahmi)
अगर आपको एक्ज़िमा के लिए सबसे अच्छे हर्ब की तलाश है तो वो तलाश आपकी ब्राह्मी तक आकर रूक सकती है।
जी हां, नियमित रूप से इस जड़ी बूटी के इस्तेमाल से खुजली, सूजन और लालिमा से आप निजात पा सकते हैं।
इसका इस्तेमाल करने के लिए आपको ब्राह्मी के पत्तों (तक़रीबन 5 पत्ते) को उबालकर एक पेस्ट तैयार करना होगा।
फिर तैयार किये गए पेस्ट को एक्ज़िमा वाली जगह पर 20 मिनट के लिए कगकर छोड़ दें और फिर त्वचा पानी से साफ़ कर लें।
सेज (Sage)
एक्ज़िमा के कारण होने वाली लालिमा और सूजन को करने में सेज आपकी मदद कर सकता है।
इस जड़ी बूटी का इस्तेमाल करने के लिए आप सेज के पत्तों को तक़रीबन 5 मिनट तक पानी में उबालकर काढ़ा तैयार कर लें।
सूजन और लालिमा से निजात पाने के लिए नियमित रूप से इस काढ़े को दो बार पिएं।
एक्ज़िमा के लिए आयुर्वेदिक उपचार
Ayurvedic treatment for eczema in hindi
Eczema ke liye ayurvedic upchar in hindi

एक्ज़िमा के लिए आयुर्वेदिक उपचार रोग की जड़ को ठीक करने के लिए रक्त को शुद्ध करने के लिए एक विस्तृत प्रक्रिया अपनाता है, जो इस प्रकार है।
स्नेहना (Snehana)
ये एक औलिएशन थेरेपी (oleation therapy) है जो स्किन को स्मूथ बनाता है।
स्नेहना त्वचा सम्बन्धी रोग पर अपना असर दिखती है। बाह्य स्नेहना (Bahya snehana) और अभ्यन्तर स्नेह (Abhyantara snehana), ये दोनों स्नेहना के प्रकार हैं।
बाह्या में ghrita (घी), taila (तेल), वासा (muscle fat) या मज्जा (marrow) तेल बाहरी रूप से शरीर पर लगाया जाता है। अभ्यन्तर में तेलों को आंतरिक रूप में इस्तेमाल किया जाता है। रोगी द्वारा इसका सेवन किया जाता है।
स्वेदाना (Swedana) :
स्वेदना श्रोतोअवरोधा (srotovarodha) को हटाती है, जिसे स्नेहन द्वारा ढीला किया जाता है।
ये एक फ़ोमेंटेशन थेरेपी (fomentation therapy) है, जिसमें खून से अतिरिक्त विषाक्त (toxins) पदार्थों को बाहर निकाला जाता है।
ये व्यायाम द्वारा, या सॉना (sauna) के माध्यम से किया जा सकता है।
स्वेदना के दो मुख्य प्रकार हैं (जैसे अग्नि की सहायता से किया गया) और अनाग्नि स्वेद (अग्नि के बिना किया गया)।
पंचकर्म (Panchakarma) :
ये प्रक्रिया प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और उचित आहार द्वारा उत्तेजित दोषों को शांत करती है।
पंचकर्म एक ब्लड प्यूरीफिकेशन (blood purification) प्रोसेस है जिसमें पांच प्रक्रियाएँ शामिल हैं जैसे वामन (Vaman), विरेचन (Virechan), बस्ती (Basti), नास्य (Nasya) और रक्तामोक्ष (Raktmokshan)।
निष्कर्ष
Conclusion in hindi
Nishkarsh in hindi
इन उपायों के अलावा अपने खान-पान पर भी ध्यान दें।
जिन सब्जियों में एंटीऑक्सिडेंट और विटामिन की उच्च मात्रा होती है, वे एक्जिमा को ठीक करने में उपयोगी होती हैं।
टमाटर, पालक, गाजर, हल्दी और पालक का रस इसके कुछ उदाहरण हैं।
वहीं एक्जिमा वाले लोगों को खीरा, अदरक, मूली और प्याज खाने से बचना चाहिए और साथ ही खट्टे पदार्थ खाने से भी दूरी बनानी चाहिए।
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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 06 Jun 2019
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