टेस्टिकुलर बायोप्सी : लक्षण, प्रक्रिया, जोखिम और परिणाम

Testicular Biopsy : indications, procedures, risks and results in hindi

jaaniye testicular biopsy ke kya Lakshan, procedure aur jokhim ho sakte hain in hindi


एक नज़र

  • पुरुष बांझपन के विभिन्न कारण हो सकते हैं।
  • शुक्राणुहीनता का उपचार किया जा सकता है।
  • टेस्टीकुलर बायोप्सी करने का तरीका अलग-अलग हो सकता है।
  • इस बायोप्सी के परिणाम सामान्य व असामान्य हो सकते हैं।
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Introduction

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पुरातनपंथी विचारधारा संतान न होने के लिए केवल महिलाओं में ही कमी एकमात्र कारण मानती चली आ रही हैं।

लेकिन चिकित्सा जगत में होने वाले क्रांतिकारी परिवर्तनों में यह सिद्ध हो गया है कि संतान न होने के पीछे पुरुष बांझपन की शिकायत भी एक कारण है।

कुछ समय पहले तक यह एक अछूता विषय था।

लेकिन वर्तमान समय में नए इलाज की तकनीकों के माध्यम से इस परेशानी को भी दूर किया जाना संभव हो पा रहा है।

ऐसी ही इलाज की एक तकनीक है टेस्टीकुलर बायोप्सी (testicular biopsy)।

आइये इसके बारे में विस्तार में जानते हैं इस लेख में।

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इस लेख़ में

 

क्या होती है टेस्टीकुलर बायोप्सी?

What is testicular biopsy? in hindi

Testicular biopsy kya hoti hai in hindi

पुरुष जननांग में अंडकोशों (testicles) को प्रमुख अंग माना जाता है।

इनके माध्यम से ही पुरुष के शरीर में शुक्राणु (sperm) और प्रजनन हार्मोन टेस्टोस्टेरोन (testosterone) का निर्माण होता है।

यह मांस और उत्तकों से बनी हुई थैली (scrotum) में लिंग (penis) के नीचे स्थित होते हैं।

लेकिन जब पुरुष बांझपन की शिकायत से परेशान होते हैं तब डॉक्टर टेस्टीकुलर बायोप्सी (testicular biopsy) के विकल्प का प्रयोग कर सकते हैं।

दरअसल टेस्टीकुलर बायोप्सी एक प्रकार की सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें पुरुष के अंडकोश में से छोटा टिश्यू का टुकड़ा नमूने के तौर पर लिया जाता है।

इस नमूने के आधार पर पुरुष बांझपन के मूल कारण को जानने का प्रयास किया जाता है।

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क्यों होती है टेस्टीकुलर बायोप्सी?

Why testicular biopsy is performed? in hindi

Testicular biopsy kyon hoti hai in hindi

अलावा निम्न कारणों की जांच के लिए की भी इस प्रक्रिया का प्रयोग क्या जाता है।

जैसे :-

  • अंडकोश में स्पर्म की उपस्थिति मालूम करने के लिए
  • अंडकोशों में सूजन की स्थिति और मूल जगह को मालूम करने के लिए
  • पुरुष बांझपन के मूल कारण को मालूम करने के लिए
  • यह मालूम करने के लिए कि क्या आईवीएफ, आईसीएसआई या आईयूआई के लिए स्पर्म लिए जा सकते हैं अथार्थ क्या भविष्य में स्पर्म को इनमें से किसी भी प्रक्रिया के लिए सुरक्षित किया जा सकता है।
और पढ़ें:अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान की सफलता को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक
 

टेस्टीकुलर बायोप्सी कब जरूरी होती है?

When testicular biopsy is required in hindi

testicular biopsy kyon hoti hai in hindi

टेस्टीलुलर बायोप्सी भले ही पुरुष बांझपन के नैदानिक प्रक्रिया का हिस्सा हो मगर ज्यादातर टेस्टीलुलर बायोप्सी से पुरुष बांझपन के मूल कारण का पता नहीं लगाया जा सकता है।

यह स्पर्म के उत्पादन या बनावट में किसी तरह की असामान्यता, लो स्पर्म काउंट या एलिवेटेड एफ़एसएच (elevated FSH) को सुनिश्चित करता है।

दरअसल टेस्टीलुलर बायोप्सी को एज़ोस्पर्मिया (azoospermia) के उपचार के रूप में किया जाता है।

एज़ोस्पर्मिया वह स्थिति होती है जब पुरुष के वीर्य (semen) में शुक्राणु (sperm) की संख्या नाममात्र की होती है या बिलकुल नहीं होती है।

यह प्रायः दो प्रकार से हो सकती है :-

  • ऑब्सट्रक्टिव एजूस्पर्मिया (Obstructive azoospermia)
    जब पुरुष के अंडकोश में शुक्राणु का निर्माण तो हो मगर उन्हें बाहर प्रवाहित करने वाली नसों में किसी प्रकार की रुकावट जाए और जिसके कारण स्खलन के समय पुरुष के वीर्य में शुक्राणु की उपस्थिति नहीं पाई जाती है।
    यह परेशानी ऑब्सट्रक्टिव एजूस्पर्मिया (Obstructive azoospermia) कहलाती है।
  • नॉन-ऑब्सट्रक्टिव एजूस्पर्मिया (Non-obstructive azoospermia)
    जब पुरुष के जननांग में शुक्राणु प्रवाहित करने वाली ट्यूब यानि वास डेफ्रेंस में किसी प्रकार का अवरोध नहीं है, लेकिन शुक्राणु का निर्माण ही नहीं हो रहा है या फिर बने हुए शुक्राणुओं की गुणवत्ता बहुत खराब है।
    इसके अलावा यह शुक्राणु इतने कमजोर हैं कि वे अंडकोश में बन तो जाते हैं लेकिन वे बाहर आने लायक स्वस्थ व पुष्ट नहीं है।
    इनमें से किसी भी स्थिति होने पर सेक्स प्रक्रिया में वीर्य स्खलित नहीं हो पाता है।
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टेस्टीकुलर बायोप्सी कैसे होती है?

What is the procedure of testicular biopsy in hindi

testicular biopsy kaise hoti hai in hindi

जब कोई पुरुष बाधित अशुक्राणुता या ऑब्सट्रक्टिव एजूस्पर्मिया (obstructive azoospermia) जैसी परेशानी से ग्रसित होता है तब डॉक्टर उन्हें टेस्टीकुलर बायोप्सी करवाने की सलाह देते हैं।

यह प्रक्रिया दो प्रकार से हो सकती है :-

  • ओपन बायोप्सी (Open Biopsy)
    इस प्रक्रिया में सर्जरी के माध्यम से स्पर्म या शुक्राणु बाहर खींचे जाते हैं।
    इसके बाद यह स्पर्म आईवीएफ लैब में असिस्टेड रीप्रोडक्टिव तकनीक (assisted reproductive technology) के अंतर्गत आईवीएफ प्रक्रिया को पूरा करने के लिए भेजे जाते हैं।
    इसके बाद टेस्टीकुलर बायोप्सी प्रक्रिया (Testicular Biopsy) निम्न रूप से पूरा किया जाता है :-
    अंडकोश के ऊपर की स्किन को एंटीसेप्टिक या विषाणु नाशक दवा से साफ किया जाता है। एक साफ कपड़े से अंडकोश के आस-पास की जगह को ढँक दिया जाता है। अब लोकल एनेस्थीशिया से प्रभावित जगह को सुन्न कर दिया जाता है जिससे मरीज़ को चीरा लगने का दर्द न हो।
    अब प्रभावित जगह पर एक छोटा चीरा लगाया जाता है।
    इफर्टिलिटी विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार अंडकोश की स्किन का एक छोटा सा टुकड़ा परीक्षण के लिए निकाल लिया जाता है।
    इसके बाद लगाए हुए चीरे और खुले हुए अंडकोश के भाग को एक टांके की सहायता से बंद कर दिया जाता है।
    अगर ज़रूरी होता है तब यही प्रक्रिया दूसरे अंडकोश पर भी दोहराई जाती है।
  • सुई बायोप्सी (Needle Biopsy)
    सुई बायोप्सी या पीटीबीएक्स (percutaneous testicular biopsy) में सर्जरी के स्थान पर एक सुई में माध्यम से बायोप्सी की जाती है।
    यह प्रक्रिया बिल्कुल ओपन बायोप्सी की तरह ही होती है।
    केवल अंतर इसमें इस बात का है की अंडकोश के टिश्यू का टुकड़ा, चीरे के माध्यम से नहीं बल्कि एक विशेष प्रकार की सुई के माध्यम से निकाला जाता है।
    डॉक्टर के द्वारा मरीज़ की स्थिति की जांच के बाद ही बायोप्सी के प्रकार का निर्णय लिया जाता है।
    आमतौर पर यह प्रक्रिया बहुत कम समय में पूरी हो जाती है और इसके बाद मरीज़ को उसी दिन घर वापस भेज दिया जा सकता है।
    इसके बाद मरीज़ को कुछ दवाइयों के सेवन और लगभग एक हफ्ते तक कोई भारी काम न करने की हिदायत भी दी जाती है।
और पढ़ें:आईएमएसआई आईवीएफ क्या है?
 

टेस्टीकुलर बायोप्सी के जोखिम

Testicular biopsy risks in hindi

testicular biopsy ke jokhim kya hain in hindi

पुरुष हो महिला, वन्ध्यता की परेशानी शारीरिक के साथ ही मानसिक परेशानी भी बढ़ा देती है।

लेकिन आधुनिक चिकित्सा तकनीकों ने इन परेशानियों को कम करने का प्रयास किया है।

लेकिन फिर भी एक जागरूक मरीज़ को किसी भी तकनीक से जुड़े जोखिमों और उस उपचार से होने वाली साइड इफेक्ट का ज्ञान होना चाहिए, तभी किसी तकनीक के उपचार का सहारा लेना चाहिए।

इस अर्थ में टेस्टीकुलर बायोप्सी से जुड़े जोखिम और साइड इफेक्ट इस प्रकार हैं :-

  • बायोप्सी वाले स्थान पर असहनीय दर्द या सूजन हो सकती है।
  • सर्जरी के बाद थोड़ा रक्त्स्त्राव स्वाभाविक होता है, लेकिन कभी-कभी यह रक्त्स्त्राव अधिक भी हो सकता है।
  • चीरा जिस जगह लगाया गया है वहाँ इन्फेक्शन हो सकता है।
  • अंडकोश की थैली के मूल रंग में परिवर्तन आ सकता है।
  • इसलिए उचित यही हो सकता है कि अंडकोश संबंधी बायोप्सी करवाने से पूर्व किसी अच्छे फर्टिलिटी विशेषज्ञ से सलाह करके ही अंतिम निर्णय लेना चाहिए।
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टेस्टीकुलर बायोप्सी के परिणाम

Testicular biopsy results in hindi

testicular biopsy ke result kya ho sakte hain in hindi

टेस्टीकुलर बायोप्सी में अंडकोश की थैली में से मांस का एक टुकड़ा लेकर माइक्रोस्कोप विश्लेषण के भेज दिया जाता है।

लैब में बायोप्सी के माध्यम से लिए गए टिश्यू में स्पर्म के निर्माण और उनकी उपस्थिति का जायज़ा लिया जाता है।

इस परीक्षण के परिणाम सामान्य और असामान्य दोनों रूप में आ सकते हैं।

और पढ़ें:आईयूआई उपचार की प्रक्रिया दर्दनाक है ?
 

टेस्टीकुलर बायोप्सी के सामान्य परिणाम

Normal results of testicular biopsy in hindi

Testicular biopsy ke samanye parinam

सामान्य परिणाम के रूप में यह पता लग सकता है कि अंडकोश में शुक्राणु का निर्माण सामान्य है।

यदि इसके पूर्व शुक्राणु की संख्या शून्य के निकट है तब इसका अर्थ है कि आपके जननांग में किसी प्रकार कि रुकावट या बाधा है।

इस बाधा के कारण ही शुक्राणु का प्रवाह नहीं हो पाता है।

यह बाधा वास डेफ़्रांस में रुकावट के रूप में हो सकती है।

क्योंकि वास डेफ़्रांस वही ट्यूब का जोड़ा होता है जो शुक्राणु को अंडकोश से लिंग में निर्वहन के लिए ले कर जाती हैं।

इस बाधा को एक सामान्य से सर्जरी के माध्यम से ठीक किया जा सकता है।

और पढ़ें:आईयूआई उपचार के दौरान निगरानी के 3 मुख्य प्रकार क्या हैं?
 

टेस्टीकुलर बायोप्सी के असामान्य परिणाम

Abnormal results of testicular biopsy in hindi

Testicular Biopsy ke asamanye parinam

टेस्टीकुलर बायोप्सी के असामान्य परिणाम के रूप में यह पता लगता है कि परेशानी या तो शुक्राणु में है या फिर हार्मोनल फंक्शन में है।

इसके अतिरिक्त जो परिणाम सामान्य नहीं हो सकते वो हैं :-

  • अंडकोश में मृत स्पर्म सेल्स और तरल पदार्थ से भरी हुई सिस्ट जैसी बनावट
  • अंडकोश की सूजन जिसे ओर्किटिस भी कहा जा सकता है
  • .अंडकोश का कैंसर (testicular cancer)

कारण कुछ भी हो, फर्टिलिटी विशेषज्ञ आपको परिणाम की सही जानकारी देकर आपको सही इलाज करने में सलाह दे सकता है।

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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 03 Jun 2020

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