टेराटोज़ोस्पर्मिया - कारण, प्रकार व उपचार

Teratozoospermia - causes, types and treatments in hindi

kya hota hai teratozoospermia aur kya hai iske kaaran, prakar aur upchaar in hindi


एक नज़र

  • पुरुष बांझपन के कारण स्थायी और अस्थायी हो सकते हैं।
  • जीवनशैली में परिवर्तन के कारण भी स्पर्म में विकार आ सकते हैं।
  • स्पर्म की बनावट में अंतर के कारण गंभीर बीमारी भी हो सकती है।
  • पुरुष बांझपन के अनेक कारणों का पूर्ण उपचार संभव है।
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Introduction

Teratozoospermia_Types_and_Treatment___Zealthy

परिवार में शिशु जन्म प्रत्येक सदस्य के लिए जहां एक ओर खुशी का कारण होता है वहीं इस खुशी में आने वाली बाधा, भावी माता-पिता दोनों के लिए चिंता का भी कारण है।

अनेक बार देखा गया है कि स्त्री द्वारा गर्भधारण न कर पाने के कारणों की जांच करने पर पुरुष बांझपन, (male infertility) सामने आता है।

अधिकतर स्थितियों में पुरुष स्वयं को दोषी मानते हुए इसके प्रारूप, कारण और उपचार के बारे में सोचने का साहस नहीं करते हैं।

कई बार यह देखा गया है कि पुरुष के शरीर में बनने वाले स्पर्म में विकार आ जाने के कारण भी पुरुष बांझपन का शिकार हो जाते हैं।

ऐसे ही एक विकार का नाम है टेराटोज़ोस्पर्मिया जिसका संबंध स्पर्म या शुक्राणु की बनावट से संबंधित होता है।

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इस लेख़ में

 

टेराटोज़ोस्पर्मिया क्या होता है?

What is teratozoospermia? in hindi

Teratozoospermia kya hota hai in hindi

पुरुष बांझपन के कारणों में कई बार स्पर्म संबंधी रोग भी मुख्य कारण बन जाते हैं।

इस स्थिति में जब चिकित्सक शुक्राणु की जांच (sperm tests) करते हैं तब उन्हें किसी कारण से शुक्राणु के आकार में विकृति मिल सकती है।

इस विकृति के कारण शुक्राणु कोशिकाओं (sperm cells) के आकार और बनावट में अंतर आ जाता है।

यह स्थिति टेराटोज़ोस्पर्मिया (teratozoospermia) कहलाती है।

इस स्थिति में एक स्वस्थ पुरुष के शरीर में विकृत शुक्राणुओं की संख्या में असामान्य रूप से वृद्धि हो जाती है।

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सामान्य स्पर्म कैसा होता है?

Morphology of a normal sperm? in hindi

normal sperm ki banavat kaisi hoti hai in hindi

एक सामान्य स्पर्म की संरचना में आए विकार पुरुष बांझपन के कारण बन सकते हैं। एक सामान्य स्पर्म की संरचना में तीन भाग होते हैं जो इस प्रकार होते हैं :-

  • शीर्ष (Head)
    स्पर्म का सबसे ऊपरी हिस्सा दो भागों से मिलकर बनता है जिन्हें एक्रोसोम (acrosome) और न्यूक्लियस (nucleus) कहा जाता है।
    इसमें एक्रोसोम कुल शुक्राणु के शीर्ष को 40-70% प्रतिशत तक ढँकता है।
    न्यूक्लियस स्पर्म का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है जिसमें 23 आनुवंशिक क्रोमोजोम्स होते हैं।
  • मध्य भाग (Body)
    शुक्राणु की बनावट के बीच वाले हिस्से में दो भाग होते हैं जिन्हें गर्दन (neck) और मध्य भाग (body) कहा जाता है।
    इस हिस्से का काम शुक्राणु को वीर्य में तैरने के लिए पर्याप्त ऊर्जा प्रदान करना होता है।
  • पूंछ (Tail)
    स्पर्म के अंतिम भाग की बनावट एक पूंछ के आकार की होती है। इसे फ्लेगलम (flagellum) के नाम से जाना जाता है।
    इसका काम स्पर्म को वीर्य में तैरने के लिए सही गति प्रदान करना होता है।
    इसकी लंबाई लगभग 50 मिमी होती है।
और पढ़ें:अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान की सफलता को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक
 

टेराटोज़ोस्पर्मिया के क्या कारण हो सकते हैं?

Causes of teratozoospermia? in hindi

Teratozoospermia kis karan se ho sakte hain in hindi

अधिकतर यह देखा गया है कि टेराटोज़ोस्पर्मिया होने के कारण अज्ञात होते है।

चिकित्सकों का मानना है की शुक्राणु की बनावट में अंतर मुख्य रूप से स्पर्मजनन (spermatogenesis) की अंतिम अवस्था में हो सकते हैं।

फिर भी स्पर्म की बनावट में अंतर आने के कुछ सामान्य कारण इस प्रकार हो सकते हैं :-

  1. कैंसर के उपचार में की जाने वाली किमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के कारण स्पर्म की बनावट में विकार आ सकता है।
    इसलिए इस ट्रीटमेंट लेने से पहले पुरुषों को अपने स्पर्म को स्टोर करके रखने की सलाह भी दी जा सकती है।
  2. विकिरण के प्रभाव के कारण
  3. डायबिटीज़ और दूसरी गंभीर बीमारियाँ
  4. अंडकोश में लगी कोई चोट
  5. शराब और मादक दवाओं का असर
  6. धूम्रपान
  7. तेज़ बुख़ार और वायरल इन्फेक्शन
  8. अत्यधिक तनाव
  9. अंडकोश में इन्फेक्शन
  10. दिमागी बुख़ार
  11. ऑटोइमम्यून बीमारियाँ जैसे कोयलिक और क्रोन्हन्स बीमारी
  12. वैरिकोल जिसमें अंडकोश में प्रवाहित होने वाले रक्त में बाधा आती है

अगर जांच में इनमें से कोई भी कारण नहीं निकलता है तो इसका अर्थ है की टेराटोज़ोस्पर्मिया के होने का कारण वंशानुगत हो सकता है।

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टेराटोज़ोस्पर्मिया कितने प्रकार के हो सकते हैं?

Types of teratozoospermia? in hindi

Teratozoospermia kitne prakar ke ho sakte hain in hindi

जब शुक्राणु के आकार या प्रकार में कोई अंतर आ जाता है तब वह स्थिति टेराटोज़ोस्पर्मिया की कहलाती है।

इसका पता वीर्य परीक्षण (semen tests) के माध्यम से चल सकता है।

परीक्षण के बाद टेराटोज़ोस्पर्मिया के निम्न रूप पाये जा सकते हैं :-

  • कुछ शुक्राणु के अग्रभाग जिसे शीर्ष या हेड कहा जाता है, दोषपूर्ण हो सकते हैं
    ऐसे में शीर्ष का आकार असामान्य हो सकता है या फिर एक के स्थान पर शुक्राणु के दो शीर्ष भाग भी हो सकते हैं।
    इसके साथ ही स्पर्म के दो भाग जिन्हें एक्रोसोम और न्यूक्लियस कहा जाता है उनके आकार में भी कोई परिवर्तन हो।
  • शुक्राणु के मध्य भाग में विकार जिसमें शुक्राणु की संरचना वाली परत का मोटा या पतला होना हो सकता है।
    इससे पुरुष प्रजनन प्रणाली (male fertility system) के प्रभावित होने का भय हो जाता है।
  • कुछ स्थितियों में शुक्राणु की पुंछ वाले हिस्से में भी विकार हो सकता है।
    इस स्थिति में पुंछ की बनावट बहुत अधिक मोटी, पतली या फिर मुड़ी हुई हो सकती है।

इस प्रकार शुक्राणु की बनावट में कोई भी अंतर होता है तो इसका सीधा प्रभाव पुरुष की प्रजनन क्षमता पर पड़ता है।

इसके कारण वीर्य में विकार या कमी (semen deficiency) की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।

और पढ़ें:आईएमएसआई आईवीएफ क्या है?
 

टेराटोज़ोस्पर्मिया का क्या उपचार है?

Treatment of teratozoospermia? in hindi

Teratozoospermia kitne ka kya treatment ho sakta hai in hindi

पुरुष बांझपन उपचार के लिए यह बहुत जरूरी है कि इसके कारणों का भी सही तरीके से उपचार किया जाये।

यदि इसके कारणों में टेराटोज़ोस्पर्मिया मुख्य कारण माना गया है तो इसका उपचार इस बीमारी के प्रकार पर निर्भर करता है।

इसके लिए पुरुष मरीज़ का उपचार निम्न रूप में किया जा सकता है :-

  1. जीवनशैली में परिवर्तन (Change in lifestyle)
    टेराटोज़ोस्पर्मिया से ग्रस्त मरीज़ को सबसे पहले उसकी जीवनशैली में सुधार लाने की सलाह दी जाती है।
    इसके लिए जो करना होगा वह है :-
  • शराब और सिगरेट या मादक दवाओं का पूरी तरह से त्याग
  • नियमित रूप से व्यायाम करना
  • हेल्दी और पौष्टिक भोजन करना
  • स्पर्म की सेहत के लिए एंटीओक्सीडेंट और अमीनो एसिड युक्त चीजों का सेवन
  • ओमेगा 3 फ़ैटि एसिड युक्त भोजन करना
  1. मेल इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट (Male infertility treatment)
    पुरुष बांझपन के उपचार के रूप में आधुनिक रिप्रोडक्टिव तकनीक के माध्यम से भी पुरुष के टेराटोज़ोस्पर्मिया का उपचार करके उसे पिता बनने का सुख दिया जा सकता है।
    यदि यह बीमारी कम लेवल की है तब इंट्राउट्रिन इन्सेमिनेशन (intrauterine insemination) के द्वारा इसे ठीक किया जा सकता है।
    लेकिन इसके लिए पुरुष के स्पर्म का काउंट और जीवनकाल (motility) सामान्य होना चाहिए।
    इसके साथ ही पुरुष की महिला साथी का भी स्वास्थ्य पूर्ण रूप से उत्तम होना चाहिए।
    यदि पुरुष मध्यम या गंभीर प्रकार के टेराटोज़ोस्पर्मिया से ग्रसित है तब आईवीएफ/आईसीएसआई (IVF/ICSI) के उपचार का चयन किया जा सकता है।
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निष्कर्ष

Conclusionin hindi

Nishkarsh

टेराटोज़ोस्पर्मिया, पुरुष बांझपन का होने वाला वह कारण है जिसमें पुरुष के स्पर्म की बनावट बुरी तरह से प्रभावित हो जाती है।

इसके कारण जीवनशैली में परिवर्तन या किसी गंभीर बीमारी भी हो सकते हैं।

अगर समय पर इसका पता लग जाये तो इसका सही उपचार भी संभव है।

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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 15 Sep 2020

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