क्या दंपत्ति को गर्भ धारण से पूर्व डॉक्टर से मिलना चाहिए?
Should a couple visit a doctor before trying to conceive in hindi
Kya couple ko garbhdharan se pahle doctor se milna chahiye in hindi
एक नज़र
- प्रेग्नेंसी का निर्णय जीवन को बदलने वाला निर्णय होता है।
- परिवार आगे बढ़ाने से पहले डॉक्टर से मिलना जरूरी होता है।
- गर्भकाल और स्वस्थ शिशु जन्म के लिए कई सावधानियाँ बरतनी होती हैं।
Introduction

परिवार में एक संतान का जन्म लेना हमेशा खुशी का कारण होता है।
लेकिन कुछ स्थितियों में शिशु-जन्म से पूर्व, गर्भकाल में भावी माता को या गर्भस्थ शिशु को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
इसके अतिरिक्त यह भी सही है कि भावी शिशु के पिता आमतौर पर इन परेशानियों से अनजान होते हैं।
इसी कारणवश दंपत्ति को डॉक्टर से मिलकर परामर्श लेना आवश्यक होता है।
इस स्थिति में जब पति-पत्नी प्रेग्नेंसी का निर्णय लेने से पहले डॉक्टर के पास जाते हैं तब प्रेग्नेंसी डॉक्टर उनकी निश्चय ही सहायता कर सकती है।
डॉक्टर के परामर्श के आधार पर आप अपनी प्रेग्नेंसी को सुरक्षित रखकर एक स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकती हैं।
गर्भधारण करने से पहले पति-पत्नी को डॉक्टर के पास क्यों जाना चाहिए
Why husband-wife should meet a doctor before conceiving in hindi
Garbh dharan karne se pahle pati-patni ko doctor ke pass kyon jana chahiye in hindi
एक महिला गर्भधारण से लेकर शिशु के जन्म तक बल्कि कहें तो उसके बाद भी अनेक प्रकार की परिस्थितियों से गुज़रती है।
ऐसे में यदि भावी शिशु के माता-पिता दोनों ही इन अवस्थाओं के बारे में सही और संपूर्ण जानकारी रखेंगे तो एक स्वस्थ शिशु का जन्म सरलता से संभव हो सकेगा।
इसलिए गर्भधारण करने से पूर्व डॉक्टर के पास जाने से माँ शिशु को होने वाले भावी परेशानियों से से बचाने का प्रबंध कर सकती हैं।
कौन सी जानकारियाँ हैं महत्वपूर्ण आइये समझें :
- आनुवांशिक जानकारी (Genetic information) : बच्चे के जन्म से पूर्व डॉक्टर इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि कहीं भावी माता-पिता के परिवार में किसी प्रकार की आनुवंशिक बीमारी तो नहीं है जिसका प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर हो सकता है।
इस बात का पता लगाने के लिए डॉक्टर पति-पत्नी के परिवार में किसी भी प्रकार की होने वाली शारीरिक या मानसिक विसंगति और उनके कारणों के बारे में मालूम करना चाहते हैं।
अगर किसी प्रकार की आनुवंशिक बीमारी का पता लगता है तब गर्भधारण से पहले समुचित उपाय करने व भरपूर सावधानी रखने का प्रयास भी किया जाता है।
कुछ बीमारीयां जैसे थैलेसिमिया (thalassemia), सिकल सेल एनीमिया (Sickle cell anemia) और सिस्टिक फायब्रोसिस (cystic fibrosis) आदि आनुवंशिक बीमारियों की श्रेणी में रखी जा सकती हैं
अगर परिवार में कभी किसी सदस्य को इनमें से कोई या इसी प्रकार की कोई और बीमारी हुई होती है तब इसका दुष्प्रभाव जन्म लेने वाले शिशु पर भी हो सकता है।
इसलिए गर्भधारण का निर्णय लेने से पहले दंपत्ति को डॉक्टर के पास ज़रुर जाना चाहिए। - चिकित्सकीय जानकारी (Medical Information) : गर्भधारण का निर्णय लेने से पूर्व डॉक्टर से आपको अपनी मेडिकल हिस्ट्री भी साझा करनी चाहिए।
अगर आप या आपके पति किसी प्रकार की बीमारी के लिए दवा ले रहे हैं तो इसकी जानकारी डॉक्टर को देनी होगी।
कुछ स्थितियों में महिला डिप्रेशन के इलाज की दवा ले रही होती हैं या फिर अस्थमा या डाइबिटिक जैसी परेशानी से ग्रस्त होती है तब इन बीमारियों की दवा का असर गर्भ के शिशु पर हो सकता है।
इस स्थिति में पति-पत्नी द्वारा अपने चिकित्सक को संपूर्ण जानकारी देना ज़रूरी होता है। - टीकाकरण जानकारी (Immunization Information) : गर्भ के शिशु को खसरा, चेचक और रूबेला जैसी बीमारियों से बचाने के लिए जरूरी है कि गर्भवती स्त्री ने इन रोगों से बचाव के लिए उपयुक्त टीकाकरण करवा रखा हो।
यदि ऐसा नहीं है तो चिकित्सक को इस संबंध में जानकारी दें और गर्भधारण करने से पूर्व यह टीकाकरण होना अनिवार्य है।
गर्भवती स्त्री द्वारा इन टीकों की सुरक्षा न होने की स्थिति में गर्भ के शिशु को यह सभी बीमारियाँ होने का ख़तरा हो सकता है। - जीवनशैली जानकारी (Lifestyle information) : गर्भकाल में शिशु के स्वास्थ्य पर भावी माता-पिता की जीवन शैली का भी अच्छा और बुरा प्रभाव हो सकता है।
यदि पति-पत्नी की जीवन शैली स्वास्थ्यकारी न होकर अत्यधिक व्यस्त व तनाव से भरी हो तब इसका सबसे अधिक बुरा प्रभाव गर्भ में पलने वाले शिशु पर होता है।
यदि काम की व्यस्तता के कारण नींद का पूरा न होना, धूम्रपान-मदिरापन आदि का नियमित सेवन आदि से गर्भ के शिशु पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।
इसके अतिरिक्त व्यायाम न करने के कारण अत्यधिक शारीरिक वज़न से भी रक्तचाप या अन्य लाइफस्टाइल संबंधी बीमारीयां हो सकती हैं।
इसलिए जब आप गर्भधारण का निर्णय लें तब चिकित्सक को इस संबंध में पूरी जानकारी देकर स्वस्थ जीवनशैली को अपनाएँ और एक स्वस्थ गर्भकाल की योजना की शुरुआत करें। - शारीरिक व अन्य जांच (Physical and Medical Tests) : कुछ महिलाएं एक बार के प्रसव के बाद दूसरी बार गर्भधारण करने का निर्णय लेती हैं।
इस स्थिति में भी यदि उन्हें पहले प्रसव में किसी प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ा हो तब इसकी जानकारी भी अपने डॉक्टर को देनी चाहिए।
इसके अतिरिक्त यदि पहले प्रसव के बाद किसी प्रकार की गर्भाशय या जननांग संबंधी परेशानी हो गई हो तब भी इसकी जानकारी डॉक्टर को देनी ज़रूरी होती है।
डॉक्टर इस समय पति-पत्नी दोनों का शारीरिक परीक्षण करके किसी भी प्रकार की सेक्स जनित रोग के होने की संभावना को भी दूर करने का प्रयास करती है।
इसके लिए एड्स व अन्य सेक्सयूली संक्रमित रोग का पता लगाने का भी प्रयास करके उसका इलाज करने का प्रबंध कर सकती है।
निष्कर्ष
Conclusion in hindi
Nishkarsh in hindi
स्वस्थ गर्भकाल व एक स्वस्थ शिशु के जन्म के लिए कुछ सावधानियों का रखना ज़रूरी होता है।
यह सावधानियाँ न केवल गर्भधारण करने वाली स्त्री बल्कि भावी शिशु के पिता के द्वारा भी समान रूप से बरतनी चाहिए।
इसलिए गर्भधारण से पहले अपने पति के साथ डॉक्टर के साथ मिलने से न केवल माता बल्कि भावी पिता भी अपना सक्रिय योगदान महसूस कर सकती हैं।
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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 26 May 2020
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