निप्पल में पैगेट की बीमारी
Paget's disease of nipple in hindi
nipple me paget ki bimari
एक नज़र
- निप्पल में पैगेट की बीमारी एक दुर्लभ बीमारी है।
- सिर्फ 5 प्रतिशत महिलाओं में ये बीमारी पायी जाती है।
- इस बीमारी में निप्पल और उसके आस-पास के कोशिकाएं प्रभावित होती हैं।
- इसका इलाज सर्जरी और अन्य विधियों से संभव है।
Introduction

निप्पल में पैगेट की बीमारी दरअसल, स्तन कैंसर का ही एक दुर्लभ रूप है।
ये बीमारी बहुत ही कम पायी जाती है। आंकड़ों के अनुसार करीब 5 प्रतिशत महिलाएं इस बीमारी से ग्रसित हैं।
यह देखने में एक्जिमा जैसा ही दिखाई देता है। इस बीमारी में कैंसर की कोशिकाएं (cells) निप्पल के अंदर या उसके चारों तरफ फैलती हैं।
निप्पल के त्वचा की बायोप्सी (biopsy) कर इस तरह के कैंसर का पता लगाया जा सकता है।
इस लेख़ में
निप्पल में पैगेट बीमारी के लक्षण
Symptoms of Paget's disease of nipplein hindi
nipple me paget ki bimari ke lakshan
निप्पल में खुजली।
निप्पल और उसके आस पास की त्वचा का लाल हो जाना।
निप्पल या उसके आस पास की त्वचा का फड़कना, पपड़ीदार हो जाना और त्वचा का मोटा हो जाना।
निप्पल से पीले रंग का या ख़ून डिस्चार्ज होना।
स्तन में गाँठ होना।
उपरोक्त लक्षणों में से अगर आपको कोई भी एक लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
निप्पल में पैगेट को बीमारी के कारण
Cause of Paget's disease of nipple in hindi
nipple me paget ki bimari ke karan
निप्पल में पैगेट की बीमारी का कारण अभी तक अज्ञात है।
लेकिन जो सबसे अधिक स्वीकृत सिद्धांत है उसके अनुसार यह रोग एक अन्तर्निहित डक्टल कैंसर (Intra-ductal cancer) से उत्पन्न होता है।
मूल ट्यूमर से कैंसर की कोशिकाएं (cancer cells) मिल्क डक्ट (milk ducts) से होते हुए निप्पल और उसके आस-पास की त्वचा तक जाती है।
एक और सिद्धांत के अनुसार निप्पल में पैगेट की बिमारी स्वतंत्र रूप से विकसित हो सकती है।
निप्पल के पैगेट रोग का खतरा
Risk of Paget's disease of nipple in hindi
nipple me paget rog ka khatra
पैगेट बीमारी को बढ़ावा देने में कई कारक काम कर सकते हैं:
उम्र बढ़ने के साथ इस बीमारी का खतरा भी बढ़ता है।
स्तन से जुडी बीमारियां अगर पहले से हो।
स्तन कैंसर का कोई व्यक्तिगत इतिहास रहा हो तो।
अगर स्तन कैंसर का कोई पारवारिक इतिहास रहा हो तो।
घनी स्तन कोशिकाएं।
मोटापा
मेनोपॉज़ के बाद संयोजन एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टीन हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी ( Combination estrogen and progestin harmone replacement therapy) का उपयोग करने से भी खतरा बढ़ता है।
निप्पल में पैगेट की बीमारी का इलाज़
Treatment of Paget's disease of nipple in hindi
nipple me paget ki bimari ka ilaj
निप्पल के पैगेट की बीमारी का इलाज आमतौर पर सर्जरी से शुरू होता है।
सर्जरी (Surgery)
कैंसर के प्रभाव और प्रसार निर्भर करता है कि किस प्रकार की सर्जरी की गयी है।
इसके अनुसार प्रभावित उत्तकों (tissues) को हटाने के लिए की गयी सर्जरी में या तो स्तन बख्शने यानी की स्तन को छोड़ा जाने की तकनीक या पूरे स्तन को हटाना भी शामिल हो सकता है।
लैम्पेक्टोमी (Lumptecomy)
लैम्पेक्टोमी में प्राकृतिक स्तन उत्तकों (tissues) का अधिक से अधिक संरक्षण करते हुए प्रभावित उत्तकों को हटाया जाता है।
लैम्पेक्टोमी को आमतौर पर रेडिएशन थेरेपी (radiation therapy) के साथ किया जाता है।
मास्टेक्टॉमी (Mastecomy)
कुछ रोगियों के लिए मास्टेक्टॉमी एक बेहतर प्रक्रिया होती है जिसमे स्तन के सभी उत्तकों को हटा दिया जाता है।
मास्टेक्टॉमी सर्जरी के विभिन्न प्रकार होते हैं जिसमे निप्पल स्पेयरिंग (Nipple sparing) और स्किन स्पेयरिंग (skin sparing) विकल्प शामिल है।
अंडरआर्म्स से लिम्फ नोड्स हटाना (Removal of axillary lymph nodes)
अंडर आर्म्स से लिम्फ नोड्स हटाने की भी आवश्यकता हो सकती है।
यह लिम्फ नोड बायोप्सी (lymph nodes biopsy) या एक्सिलरी लिम्फ नोड विच्छेदन (axillary lymph nodes dissection) के रूप में किया जा सकता है।
रेडिएशन थेरेपी (Radiation therapy)
अतिरिक्त उपचार में रेडिएशन थेरेपी की भी जरूरत पड़ सकती है।
रेडिएशन थेरेपी कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए उपयोग की जाती है। ये थेरेपी बहारी रूप से भी दी जा सकती है या ब्रैस्ट इम्प्लांट से भी दी जा सकती है।
कीमोथेरपी (Chemotherapy)
कीमोथेरपी में कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है।
हार्मोन थेरेपी (Hormone Therapy)
एस्ट्रोजन स्तन कैंसर से जुड़ा हुआ है। इसलिए कुछ रोगियों में हार्मोन थेरेपी का उपयोग कैंसर को रोकने के लिए किया जाता है।
इस विधि में एस्ट्रोजन को स्तन के उत्तकों तक पहुँचने से रोका जाता है।
निष्कर्ष
Conclusionin hindi
निप्पल की पैगेट बीमारी के उपचार है। पर वक़्त रहते ही डॉक्टर की सलाह अति आवश्यक है। इसके लक्षणों को गंभीरता से लेना चाहिए ताकि आप किसी गंभीर बीमारी के चपेट में ना आ जाएँ।
इसका इलाज संभव है पर अगर बीमारी का पता वक़्त रहते लग गया तो। इसलिए लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क किया जाना चाहिए। ताकि बीमारी को फैलने से पहले ही रोका जा सके।
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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 31 May 2019
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