आईवीएफ प्रक्रिया में विटामिन डी का महत्व

Importance of vitamin D in IVF procedure in hindi

IVF prakriya mei vitamin d ka mahatva


एक नज़र

  • विटामिन डी व्यक्ति की प्रजनन क्षमता को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • विटामिन डी के सक्रिय रूप को कैल्सीट्रियोल" (Calcitriol) कहा जाता है।"
  • आईवीएफ के लिए विटामिन डी का स्तर कम से कम 20 ng/ml होना चाहिए।
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Introduction

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आजकल की जीवनशैली और खान-पान ने इनफर्टिलिटी (infertility) की समस्या को और बढ़ा दिया है, जिसके कारण कई दंपत्ति संतान के सुख से वंचित रह जाते हैं। हालांकि जो महिलाएं माँ नहीं बन पाती हैं, उनके लिए आईवीएफ (IVF) उपचार एक कारगर तकनीक साबित तो होती है लेकिन इसमें सफलता पाने के लिए भी बहुत कुछ करना पड़ता है। अगर आप सोचते हैं कि सिर्फ आईवीएफ की मदद से आपको बच्चे का सुख प्राप्त हो ही जायेगा, तो आप गलत हैं। आईवीएफ को सफल बनाने के लिए आपको अपनी जीवनशैली के साथ-साथ खान-पान में बदलाव लाना होगा। दरअसल शोधकर्ताओं ने पाया है कि जिन महिलाओं में विटामिन डी का स्तर पर्याप्त होता है, उन महिलाओं में गर्भवती होने की संभावना अधिक होती है। वहीं जिनके शरीर में विटामिन डी का स्तर कम होता है उनके गर्भवती होने की संभावना कम होती है। विटामिन डी को कई तरह के स्वास्थ्य लाभों से जोड़ा गया है। गर्भधारण की कोशिश कर रही महिलाओं के लिए, यह बेहतर प्रजनन क्षमता के साथ-साथ एक स्वस्थ गर्भावस्था से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है। इन संभावित लाभों के कारण, महिलाओं मे बांझपन की प्रारंभिक जांच प्रक्रिया के हिस्से के रूप में विटामिन डी की कमी के लिए स्क्रीनिंग किया जाता है। ऐसे में आइये इस लेख के ज़रिए जानें कि आईवीएफ और विटामिन-डी में क्या संबंध है और बांझपन किस विटामिन की कमी से होता है कैसे आईवीएफ और अधिक सफल बनाने के लिए विटामिन डी को करें अपने आहार में शामिल।

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इस लेख़ में

  1. 1.विटामिन डी प्रजनन क्षमता को कैसे प्रभावित करता है?
  2. 2.महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य में विटामिन डी की भूमिका
  3. 3.पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य में विटामिन डी की भूमिका
  4. 4.आईवीएफ उपचार के तहत बांझपन के लिए विटामिन डी का सामान्य स्तर क्या होना चाहिए
  5. 5.आईवीएफ के दौरान विटामिन डी की कमी होने से भ्रूण प्रत्यारोपण और भ्रूण विकास पर
  6. 6.आईवीएफ में विटामिन डी की भूमिका के बारे में शोधकर्ताओं ने क्या पाया है?
  7. 7.अगर आप में विटामिन डी की कमी है तो इसके स्तर को कैसे बढ़ाएं?
  8. 8.क्या अधिक मात्रा में विटामिन डी लेने से प्रजनन स्वास्थ्य प्रभावित होता है?
  9. 9.निष्कर्ष
 

विटामिन डी प्रजनन क्षमता को कैसे प्रभावित करता है?

How Vitamin-D affects fertility ?in hindi

Vitamin-D prajnan shamta ko kaise prabhavit karta hai

विटामिन डी (vitamin-D) व्यक्ति की प्रजनन क्षमता को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हमारा शरीर सूरज की रोशनी की उपस्थिति में स्वाभाविक रूप से विटामिन डी का उत्पादन करता है। अगर आपको पर्याप्त धूप नहीं मिलती है, तो आपके शरीर में विटामिन डी की कमी हो सकती है। ऐसी स्थिति में आपको विटामिन डी को सप्लीमेंट (supplement) के रूप में लेने की आवश्यकता होती है। आईवीएफ IVF) / आईसीएसआई (ICSI) प्रक्रिया के बाद महिलाओं मे विटामिन डी की कमी बच्चे की स्टिल बर्थ (still birth) की संभावना के साथ जुड़ा हुआ हो सकता है। तो विटामिन डी की कमी वाले स्तर की महिलाओं को विटामिन डी की आपूर्ति की जानी चाहिए। [1] आईवीएफ उपचार की सफलता के लिए विटामिन डी का डोज़ रोजाना कम से कम 1000-4000 यूनिट (units) होना चाहिए। आमतौर पर, इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (in vitro fertilization) ट्रीटमेंट में सफल होने के लिए एक महिला को 30 से अधिक एनजी / एमएल (ng/ml) के विटामिन डी के स्तर की सलाह दी जाती है। ये साबित हो चुका है कि महिला के शरीर में विटामिन डी के निम्न स्तर से आईवीएफ की विफलता की संभावना बढ़ सकती है। ऐसे में आपको आईवीएफ उपचार के दौरान ये सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी कि आपके शरीर में पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी है। दरअसल उपचार के दौरान विटामिन डी का पर्याप्त स्तर आपके आईवीएफ़ की सफलता दर को बढ़ा सकता है। हालांकि शरीर में विटामिन डी की मात्रा बढ़ाने और इसमें सुधार करने के विभिन्न तरीके हैं। विटामिन डी के स्रोत मुख्य रूप से दूध (milk) और अंडे (eggs) हैं। प्राकृतिक रूप से शरीर में विटामिन डी सूरज की रोशनी के संपर्क में आने से शरीर में उत्पादित होता है। हालांकि सूरज की रोशनी के संपर्क का मतलब यह नहीं है कि आप अपने शरीर में विटामिन डी का उत्पादन करने के लिए अत्यधिक धूप में रहें। अध्ययन में पाया गया है कि अगर आप रोज़ाना सुबह की धूप में कम से कम आधा घंटा बिताते हैं, तो भी आपके शरीर को एक दिन के लिए पर्याप्त विटामिन डी मिल जाता है। ध्यान रखें कि विटामिन डी की कमी आईवीएफ उपचार के लिए प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है। कई शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि महिला के शरीर में विटामिन डी में वृद्धि से आईवीएफ की सफलता दर में काफी सुधार हो सकता है।

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महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य में विटामिन डी की भूमिका

Role of vitamin D in women reproductive health in hindi

Mahilaon mein prajanan swasthya mie vitamin d ki bhumika

विटामिन डी के सक्रिय रूप को "कैल्सीट्रियोल" (calcitriol) कहा जाता है, जो महिला की प्रजनन प्रणाली को दुरुस्त रखने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह कैल्सीट्रियोल जीन को भी कंट्रोल करता है, जो महिला के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन (estrogen hormone) का उत्पादन करते हैं। कई महिलाओं के प्रजनन अंग जैसे - अंडाशय (ovaries) , गर्भाशय (uterus) में विटामिन डी रिसेप्टर्स होते हैं। कैल्सीट्रियोल (calcitriol) एस्ट्रोजन उत्पादन, गर्भाशय की दीवार (uterine wall), भ्रूण आरोपण की प्रतिक्रिया को नियंत्रित करता है। साथ ही यह गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की प्रतिरक्षा को बढ़ाता है। कैल्सीट्रियोल की कमी के कारण, गर्भावस्था से संबंधित उच्च रक्तचाप (hypertension), पूर्व-एक्लम्पसिया (pre-eclampsia), इंट्रायूट्रीन फेटल ग्रोथ रिटार्डेशन (intrauterine fetal growth retardation) और गर्भकालीन मधुमेह (gestational diabetes) जैसी कई गर्भावस्था संबंधी जटिलताएं (complications) महिलाओं में देखी जाती हैं। बांझपन उपचार के दौरान विटामिन डी की कमी के मामले में, विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए विटामिन डी की सप्लीमेंट्स (Supplements) लेने की सलाह दी जाती है, जो पीसीओडी (PCOD) ,इंसुलिन प्रतिरोध (insulin resistance), या कम एंटी-मुलरियन हार्मोन का स्तर (anti-Mullerian hormone levels) से पीड़ित है। [2]

और पढ़ें:अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान की सफलता को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक
 

पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य में विटामिन डी की भूमिका

Role of vitamin D in male reproductive health in hindi

Purushon ke prajanan swasthya mei vitamin d ki bhumika

एक ओर विटामिन डी का स्तर महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य का एक सूचक है, वहीं दूसरी ओर यह पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य का भी एक सूचक (indicator) है। कई शोधों में पाया गया है कि पुरुषों में विटामिन डी की कमी शुक्राणुओं की संख्या (sperm count), मॉर्फोलॉजी (morphology) और स्पर्म के मूवमेंट को प्रभावित करती है। पुरुष प्रजनन क्षमता पर विटामिन डी के लाभकारी प्रभाव से सीमेन की गुणवत्ता में सुधार आता है। [3] यह शोध ऐसे दंपति के लिए बहुत फ़ायदेमंद है जो इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) ट्रीटमेंट की मदद से बच्चे की योजना बना रहे हैं। अगर पुरुषों के शरीर में विटामिन डी का स्तर सामान्य से अधिक है तो इससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि पुरुष साथी का प्रजनन स्वास्थ्य पूरी तरह से ठीक है। ऐसे में आईवीएफ़ से प्रजनन के लिए पर्याप्त विटामिन डी स्तर को बनाए रखना महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

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आईवीएफ उपचार के तहत बांझपन के लिए विटामिन डी का सामान्य स्तर क्या होना चाहिए

What should be the normal level of vitamin D for patients under ivf treatment ?in hindi

IVF upchar ke tehat rogiyon ke liye vitamin d ka samanya star kya hona chahiye

निष्कर्षों के अनुसार, विटामिन डी का स्तर 20ng/ml से अधिक और 50ng/ml से कम IVF उपचार के लिए अच्छे परिणाम देता है। शरीर में विटामिन डी का यह स्तर आईवीएफ (IVF) उपचार के लिए सकारात्मक संकेत हो सकता है। यह कम से कम 3 स्वस्थ और अच्छी गुणवत्ता वाले भ्रूण के गठन के लिए अच्छा हो सकता है। इसके साथ ही भ्रूण के सफल स्थानांतरण के लिए भी विटामिन डी का पर्याप्त मात्रा में होना ज़रूरी होता है।

और पढ़ें:आईएमएसआई आईवीएफ क्या है?
 

आईवीएफ के दौरान विटामिन डी की कमी होने से भ्रूण प्रत्यारोपण और भ्रूण विकास पर कैसे असर पड़ता है?

During IVF, how does vitamin D deficiency affect embryo implantation and embryo development in hindi

IVF ke dauran vitamin d ki kami hone se bhrun ke pratyaropan ( Embryo transplant) aur uske vikas par kaise padta hai asar

भ्रूण प्रत्यारोपण का संबंध महिला के कई प्रजनन अंगों से जुड़ा हुआ है। अंडाशय, गर्भाशय, प्लेसेंटा (placenta) और एस्ट्रोजन (estrogen) उत्पादन सहित महिला प्रजनन अंगों का स्वास्थ्य शरीर में विटामिन डी के स्तर से काफी प्रभावित होता है। भ्रूण के गठन में विटामिन डी की भूमिका बहुत अहम होती है। अगर महिला के शरीर में पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी होता है तो भ्रूण के आरोपण की संभावना अधिक हो सकती है। जिन महिलाओं में विटामिन-डी का स्तर 30 एमजी/एमल से अधिक होता है उनमें भ्रूण के आरोपण की बेहतर संभावना होती है। जबकि कम विटामिन D स्तर वाले लोगों में भ्रूण के सफल प्रत्यारोपण की संभावना कम होती है। इतना ही नहीं विटामिन डी की कमी होने से भ्रूण में हड्डियों का विकास सही नहीं होता है और साथ ही होने वाले बच्चे में श्वसन संक्रमण (respiratory infections) की संभावना बढ़ जाती है।

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आईवीएफ में विटामिन डी की भूमिका के बारे में शोधकर्ताओं ने क्या पाया है?

What researchers have found about the role of vitamin D in ivf ?in hindi

IVF mei vitamin d ki bhumika ke bare mei shodhkartaon ne kya paya hai?

शोधकर्ताओं ने पाया है कि जिन महिलाओं में विटामिन डी का स्तर पर्याप्त होता है, उन महिलाओं में गर्भवती होने की संभावना अधिक होती है। वहीं जिनके शरीर में विटामिन डी का स्तर कम होता है उनके गर्भवती होने की संभावना कम होती है। हालांकि आईवीएफ उपचार की सफलता को निर्धारित करने के कई अन्य कारक हैं, लेकिन यह साबित हो चुका है कि आईवीएफ उपचार की सफलता दर विटामिन डी के स्तर से प्रभावित होने की अधिक संभावना होती है। आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान विटामिन डी कमी रहने वाली महिलाओं की तुलना में पर्याप्त स्तर रहने वाली महिलाओं में गर्भावस्था का दर प्रति आईवीएफ चक्र में (52.5%) उच्च पाया है। [4] कई शोधकर्ता यह पता लगाने के लिए काम कर रहे हैं कि विटामिन डी सप्लीमेंट्स आईवीएफ की सफलता में सुधार कैसे कर सकता है। लेकिन आज तक किए गए शोधों से संकेत मिलता है कि बांझपन का एक कारण विटामिन डी की कमी भी है और विटामिन डी के स्तर में सुधार करने से आपको जल्द गर्भ धारण करने में मदद मिल सकती है

और पढ़ें:आईयूआई उपचार की प्रक्रिया दर्दनाक है ?
 

अगर आप में विटामिन डी की कमी है तो इसके स्तर को कैसे बढ़ाएं?

How to treat vitamin D deficiency ?in hindi

Agar aap mei vitamin d ki kami hai to iske str ko kaise badhaye

विटामिन डी एक आवश्यक पोषक तत्व है जो आपके शरीर को मजबूत हड्डियों के निर्माण और रखरखाव सहित कई महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक है। आपके विटामिन डी के स्तर को बढ़ाने के निम्न उपाय कर सकते है - [5]

  • विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत सुबह की धूप है।
  • स्वस्थ और पौष्टिक आहार और सुबह की सैर विटामिन डी के स्तर को बढ़ाने के लिए पर्याप्त हैं।
  • विटामिन डी के स्तर में सुधार करने का एक और तरीका है कि आप विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थों जैसे खट्टे फल (citrus fruits), पनीर (paneer), अंडे की जर्दी (egg yolk) और मछली (fish) जैसे ट्यूना (tuna) और सालमोन (salmon) का नियमित सेवन करें।
  • बाज़ार में अब विभिन्न विटामिन डी सप्लीमेंट भी उपलब्ध हैं। हालांकि पूरी तरह केवल विटामिन डी के सप्लीमेंट पर निर्भर होने के अलावा आप मल्टीविटामिन का भी विकल्प चुन सकते हैं। ऐसा करने से आप सभी विटामिन प्राप्त कर सकते हैं।

अपने चिकित्सक से परामर्श के बिना विटामिन डी की खुराक लेने से कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसलिए, विटामिन डी के स्तर को बढ़ाने के लिए किसी भी विटामिन डी सप्लीमेंट का उपभोग करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श ज़रूर लें।

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क्या अधिक मात्रा में विटामिन डी लेने से प्रजनन स्वास्थ्य प्रभावित होता है?

Do excessive consumption of vitamin D affect reproductive health ?in hindi

Kya adhik matra mei vitamin-d lene se prajanan swasthya prabhavit hota hai</strong>

फर्टाइल व्यक्ति के स्वास्थ्य को निर्धारित करने के लिए न सिर्फ विटामिन डी की कमी बल्कि अधिक मात्रा में इसका होना भी प्रभाव डालता है। जिस तरह विटामिन डी की कमी से आईवीएफ की प्रक्रिया प्रभावित होती है, ठीक उसी तरह विटामिन डी का अधिक मात्रा में भी होना महिलाओं में आईवीएफ उपचार को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। इसके अलावा बहुत अधिक मात्रा में विटामिन डी लेना, दुर्लभ मामलों में विषाक्त हो सकता है। यह हायपरकैल्सीमिआ (Hypercalcemia) का कारण बन सकता है, एक ऐसी स्थिति जिसमें रक्त में बहुत अधिक कैल्शियम बनता है, धमनियों या नरम ऊतकों में संभावित रूप से जमा होता है। यह महिलाओं को दर्दनाक किडनी स्टोन (kidney stone ) का भी शिकार कर सकता है।

और पढ़ें:आईयूआई के बाद सावधानी और इंप्लानटेशन (भ्रूण प्रत्यारोपण) के लक्षण
 

निष्कर्ष

Conclusionin hindi

Nishkarsh

विटामिन डी का स्तर इन विट्रो निषेचन प्रक्रिया की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर इन विट्रो फर्टिलाइजेशन ट्रीटमेंट के गर्भ धारण करने में मुश्किल आ रही है, तो आपको विटामिन डी के स्तर की अच्छी तरह से जांच और निगरानी करवाने की ज़रूरत है

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references

संदर्भ की सूचीछिपाएँ

1 .

Zhao J, Huang X, Xu B, Yan Y, et al. “Whether vitamin D was associated with clinical outcome after IVF/ICSI: a systematic review and meta-analysis”. Reprod Biol Endocrinol. 2018;16(1):13. Published 2018 Feb 9, PMID: 29426322.

2 .

Arslan S, Akdevelioğlu Y. “The Relationship Between Female Reproductive Functions and Vitamin D”. J Am Coll Nutr. 2018;37(6):546-551, PMID: 29533153.

3 .

de Angelis C, Galdiero M, Pivonello C, et al. “The role of vitamin D in male fertility: A focus on the testis”. Rev Endocr Metab Disord. 2017;18(3):285-305, PMID: 28667465.

4 .

Garbedian K, Boggild M, et al. “Effect of vitamin D status on clinical pregnancy rates following in vitro fertilization”. CMAJ Open. 2013;1(2):E77-E82. Published 2013 Jun 28, PMID: 25077107.

5 .

Khan QJ, Fabian CJ. “How I treat vitamin d deficiency”. J Oncol Pract. 2010;6(2):97-101, PMID: 20592785.

आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 16 Jul 2020

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