गर्भावस्था और मेनोपॉज में कैसे करें फ़र्क
How to differentiate between pregnancy and menopause in hindi
Garbhavastha aur menopause mein kaise kare fark
एक नज़र
- गर्भावस्था और मेनोपॉज के लक्षण एक जैसे होते हैं।
- 40 से 50 वर्ष की उम्र महिलाएं इसे लेकर दुविधा में पड़ जाती हैं।
- अल्ट्रासाउंड या ब्लड टेस्ट गर्भावस्था सुनिश्चित करने का सबसे सटीक माध्यम है।
- स्पॉटिंग पर ध्यान देने से आप गर्भावस्था पहचान सकती हैं।
Introduction

उम्र के अर्ध-पराव में एक महिला यह समझने में गलती कर सकती हैं कि वो गर्भवती है या यह मेनोपॉज की अवस्था है।
मेनोपॉज एक महिला के उम्र की वह अवस्था होती है जब उन्हें पीरियड्स आना बंद हो जाते हैं।
13 से 15 वर्ष की आयु एक लड़की को पीरियड्स होना शुरू होते हैं। वहीं पचास वर्ष की आयु में मेनोपॉज की अवस्था आती है।
महिलाओं में मेनोपॉज से पहले पेरीमेनोपॉज की अवस्था आती है। जो चालीस वर्ष की उम्र के बाद शुरू होती है।
इस दौरान पीरियड्स के चक्र में असामान्य बदलाव देखे जाते हैं।
इसके साथ ही ब्लीडिंग की मात्रा में भी बदलाव नज़र आते हैं।
40 से 50 वर्ष तक की उम्र में एक महिला प्रेगनेंसी और मेनोपॉज को लेकर भ्रमित हो सकती है।
यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़िस ऑफ वुमन हेल्थ (United States office of women health) के एक रिसर्च के मुताबिक एक महिला मेनोपॉज की अवस्था में 2 से 8 वर्षों तक रह सकती हैं।
मेनोपॉज के दौरान शरीर में एस्ट्रोजेन (estrogen) और प्रोजेस्टोरोन (progesterone) नामक हार्मोन बनना बंद हो जाते हैं।
गर्भावस्था और मेनोपॉज को लेकर कन्फ्यूज होना स्वाभाविक है क्योंकि मेनोपॉज और गर्भावस्था के बहुत सारे लक्षण एक जैसे लगते हैं।
मगर फिर भी कुछ लक्षणों और उपाय है जिनसे आप गर्भावस्था और मेनोपॉज में फ़र्क कर सकती हैं। आज हम इस लेख में इसी विषय पर चर्चा करेंगे।
इस लेख़ में
पीरियड्स मिस होने की उम्र से करें मेनोपॉज और गर्भावस्था में अंतर
Diagnose menopause and pregnancy by age of missed period in hindi
Periods miss hone ki umr se kare menopause aur garbhavastha mein antar
मेनोपॉज में यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि मेनोपॉज की उम्र 50 वर्ष से शुरू होती है।
कुछ महिलाओं में यह 40 वर्ष की उम्र में भी शुरू हो सकता है। मेनोपॉज़ से पहले पेरीमेनोपॉज की अवस्था आती है।
यह अवस्था 40 वर्ष से शुरू होती है जब आप अपने पीरियड्स के चक्र में असामान्य बदलाव देख सकती हैं।
ऐसे में यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि आप 45 से 50 वर्ष की आयु में मेनोपॉज का ख्याल मन में ला रही हों।
इस उम्र से पहले हो सकता जिसे आप मेनोपॉज समझ रही हैं वो गर्भावस्था हो।
पेरीमेनोपॉज की अवस्था में गर्भधारण संभव है। क्योंकि इस वक़्त एक महीने में आपको पीरियड्स आ सकते हैं वहीं दूसरे महीने में नहीं।
डॉक्टर के अनुसार अगर 12 महीनों तक आपको पीरियड्स नहीं आते हैं तो ही वह अवस्था मेनोपॉज कहलाएगी।
कुछ महीनों के अंतराल पर अगर पीरियड्स आ रहें हैं तो आप कभी भी गर्भवती हो सकती हैं।
स्पॉटिंग से गर्भावस्था और मेनोपॉज में करें अंतर
Diagnose pregnancy and menopause through spotting in hindi
Spotting se garbhavastha aur menopause mein kare antar
गर्भावस्था के दौरान स्पॉटिंग आप आसानी से अनुभव कर सकती हैं।
स्पॉटिंग यानि कि ख़ून की एक दो बूंद का रिसाव।
यह गर्भावस्था के दौरान समय-समय पर हो सकती है।
मगर जब यह मेनोपॉज की अवस्था होती है तब स्पॉटिंग ज़रा भी नहीं होती।
तो अगर आप स्पॉटिंग पर ध्यान दें तो आप मेनोपॉज और गर्भावस्था में आसानी से फ़र्क कर सकती हैं।
प्रेगनेंसी टेस्ट से गर्भावस्था और मेनोपॉज में करें अंतर
Diagnose pregnancy and menopause through pregnancy test in hindi
Pregnancy test se garbhavastha aur menopause mein kare antar
आप गर्भवती हैं या नहीं यह जानने का सबसे अच्छा तरीका है प्रेगनेंसी टेस्ट।
इसके लिए आप घर में इस्तेमाल की जाने वाली प्रेगनेंसी टेस्ट किट का इस्तेमाल कर सकती हैं।
यह किट पेशाब में एचसीजी (HCG) की मात्रा को मापती है। जिससे गर्भावस्था सुनिश्चित होती है।
यह 99 प्रतिशत की कारगर है। इसीलिए 1% मामलों में यह परिणाम गलत भी हो सकते हैं।
अल्ट्रासाउंड व ब्लड टेस्ट से करें गर्भावस्था और मेनोपॉज में अंतर
Diagnose pregnancy and menopause through ultrasound and blood test in hindi
Ultrasound v blood test se kare garbhavastha aur menopause mein antar
घर पर की जाने वाली प्रेग्नेंसी जांच कई बार सटीक परिणाम नहीं देती है।
इस कारणवश आप अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट के द्वारा गर्भावस्था की जांच सबसे सटीक मानी जाती है।
डॉक्टर से मिलकर आप इस जांच के बाद अपनी गर्भावस्था को लेकर कन्फर्म हो सकती हैं।
निष्कर्ष
Conclusionin hindi
Nishkarsh
गर्भावस्था और मेनोपॉज के लक्षण एक जैसे होने के कारण दोनों में फ़र्क कर पाना अक्सर महिलाओं के लिए मुश्किल हो जाता है।
थकान, मूड स्विंग, नींद कम ज्यादा, स्वाद में बदलाव जैसे बहुत सारे लक्षण दोनों अवस्था में एक जैसे ही होते हैं।
प्रेगनेंसी टेस्ट ही दोनों में फ़र्क करने का सटीक तरीका है।
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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 02 Jun 2020
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