गर्भावस्था में सुबह जी मिचलाने की परेशानी दूर करने के लिए उपाय
How to deal with morning sickness during pregnancy in hindi
Subah ke samay jee michalne ki pareshani ko door karne ke upay hindi
एक नज़र
- जी मिचलाने को कम करने के लिए आहार से वसा और तैलीय चीज़ों से दूर रखें।
- गर्भवती महिला को शरीर में विटामिन B6 की मात्रा सही रखनी चाहिए।
- अधिक उल्टी या मन ख़राब होने पर डॉक्टर से परामर्श भी लिया जा सकता है।
Introduction

गर्भवती महिलाओं का जी मिचलाना और उल्टी महसूस करना आम बात है।
गर्भ धारण के पहले तीन महीनों में जी मिचलाने की स्थिति अधिक देखी जाती है और समय के साथ कम हो जाती है।
लेकिन कुछ महिलाओं में कभी-कभी यह समस्या बहुत बढ़ जाती है जो नुकसानदायक भी हो सकता है।
इस लेख के माध्यम से ऐसे कुछ तरीके बताएं गए हैं जिससे प्रेगनेनसी में जी मिचलाने की परेशानी को नियंत्रित किया जा सकता है।
इस लेख़ में
- 1.प्रेगनेंसी में जी मिचलाना क्या है?
- 2.प्रेगनेंसी में जी मिचलाने के कारण क्या हैं?
- 3.किन कारणों से मुंह में छाले होते हैं?
- 4.प्रेगनेंसी में जी मिचालने के लक्षण को दूर करने के उपाय क्या हैं?
- 5.प्रेगनेंसी में एमनियोटिक फ्लूइड लीक होना कितना आम है?
- 6.प्रेगनेंसी में जी मिचलाने पर कब लें डॉक्टर से सलाह?
- 7.निष्कर्ष
प्रेगनेंसी में जी मिचलाना क्या है?
What is morning sickness during pregnancy? in hindi
Garbhavastha ke dauran morning sickness kya hota hai in hindi
गर्भावस्था में सुबह के समय स्त्री के जी घबराने, मिचलाने एवं उल्टी आने की परेशानी को ‘मॉर्निंग सिकनेस’ कहा जाता है।
अधिकतर यह परेशानी गर्भवती महिला में सुबह के समय देखने को मिलती है पर यह दिन में किसी भी समय हो सकती है।
ऐसा माना जाता है कि गर्भकाल के वक़्त उल्टी होने से गर्भपात (miscarriage), जन्म के समय बच्चे का वज़न कम रहना, समय पूर्व प्रसव (pre-term labour), प्रसव से पहले शिशु की मृत्यु हो जाने का ख़तरा कम हो जाता है।
मन मिचलाने की परेशानी महिला को गर्भावस्था के 4-16 हफ्ते के बीच अधिक होती है लेकिन कुछ महिलाओं में यह 20 हफ्तों तक देखी जाती है।
प्रेगनेंसी में जी मिचलाने के कारण क्या हैं?
What are the reasons behind morning sickness during pregnancy? in hindi
Garbhavastha mein ji michlaane ke karan kya hain in hindi
गर्भवती महिला का सुबह के समय जी मिचलाना या उल्टी आना एक आम बात है जिसके पीछे शरीर में हो रहे हार्मोनल बदलाव काफी हद तक जिम्मेदार होते हैं।
लेकिन इसके साथ-साथ खान-पान का भी इस पर असर पड़ता है।
अधिक मीठा या तला भुना खाने खाने से, माँसहारी भोजन के अधिक सेवन से और शराब पीने से भी मन मिचलाने की समस्या बढ़ जाती है।
किन कारणों से मुंह में छाले होते हैं?
What causes cold sores in hindi
Muh ke chhale kin karano se hote hain
मुंह में छाले होने की मुख्य वजह है, हर्पीस सिम्पलेक्स वायरस (herpes simplex virus) ।
एचएसवी-1 और एचएसवी-2 बहुत अधिक संक्रामक वायरस हैं, जो क्लोज़ कांटेक्ट में आने से हो सकता है।
शरीर में इंटर करने के बाद वायरस बहुत समय तक सक्रिय नहीं होता है, लेकिन किसी कारण जब वायरस उत्तेजित हो जाता है, तो मुंह में छाले हो जाते हैं।
हालांकि, ये कब और कितने बार हो सकती है, ये व व्यक्ति-से-व्यक्ति पर निर्भर करता है।
कुछ लोगों को अगर एक बार ये हो जाता है तो फिर दोबारा नहीं होता, वहीं दूसरी और कुछ लोगों को मुंह में छाले साल में दो से तीन बार तक हो सकते हैं।
वहीं कुछ लोगों के शरीर में ये वायरस मौजूद होता है, लेकिन छाले में परिवर्तित नहीं होता है क्योंकि वायरस एक्टिव नहीं होता है।
वहीं एचएसवी-2 (HSV-2) वायरस जेनिटल हर्पीस से ग्रसित व्यक्ति के साथ ओरल सेक्स करने पर हो सकता है।
इसके अलावा कुछ कारक भी होते हैं मुंह के छाले के दोबारा होने कारण बन सकते हैं।
मुंह के छाले फिर से होने के कुछ सामान्य कारकों में शामिल हैं : -
- हार्मोनल असंतुलन, मेंस्ट्रुएशन से संबंधित
- वायरल इन्फेक्शन और बुख़ार
- तनाव
- थकान
- सूरज की अधिक रौशनी या हवा
- कमज़ोर इम्म्यून सिस्टम
- एलर्जी
- ठंड
इतना ही नहीं जिन लोगों का इम्म्यून सिस्टम कमज़ोर होता है, उन्हें वायरस से कम्प्लीकेशन का रिस्क अधिक होता है।
कुछ मेडिकल कंडीशन और ट्रीटमेंट भी जटिलताओं के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
मुंह के छाले के जोखिम को बढ़ाने वाले कारक हैं : -
- एचआईवी/एड्स
- जलने से हुआ घाव
- चिकित्सीय स्थिति जैसे एक्ज़िमा
- केमॉथेरपी जैसे ट्रीटमेंट
- ऑर्गन ट्रांसप्लांट के दौरान दी गयी दवा
- दांत की सर्जरी
- कोस्मेटिक उपचार जैसे होंठ के पास इंजेक्शन या लेज़र पील्स
प्रेगनेंसी में जी मिचालने के लक्षण को दूर करने के उपाय क्या हैं?
What are remedies to treat morning sickness in pregnancy in hindi
Morning sickness ko sahi karne ke liye gharelu upay
प्रेगनेंसी के दौरान जी मिचलाने के लक्षण को दूर करने के उपाय निम्न हैं :
- नींबू का रस (Lemon juice)
गर्भवती महिला को पानी में नींबू का रस मिलाकर पीना चाहिए।
आप चाहें तो इसमें पुदीना भी मिलाकर पी सकती हैं।
इससे मार्निग सिकनेस की समस्या को दूर करने में काफी सहायता मिलती है।
गर्भवती स्त्री को कम से कम दिन में 2-3 बार नींबू पानी बना कर पीना चाहिए।
इसके अलावा कटे हुए नींबू सूंघने और आईस टी (ice tea) में नींबू मिलाकर पीने से भी राहत मिलती है।
- अदरक का प्रयोग (Ginger)
गर्भावस्था के दौरान अदरक को उपयोग करना सही नहीं माना जाता है लेकिन यदि जी मिचलाने की समस्या बनी रहती है तो थोड़ी सी अदरक की चाय पीने से इस समस्या से आराम मिलेगा।
इसके अलावा अदरक को छिलकर उसके छोटे-छोटे टुकड़े करके उसपर नींबू निचोड़ कर चूसने या अदरक की कैंडी का प्रयोग भी उल्टी आने की समस्या को नियंत्रित रखता है।
एक कप गर्म पानी में 1 इंच अदरक कद्दूकस करके डालें और 5 मिनट बाद इसे छानकर पीने से जी मिचलाने की समस्या में आराम मिलता है।
- एप्पल साइडर विनेगर (Apple cider vinegar)
एप्पल साइडर विनेगर को शहद के साथ मिलाकर प्रयोग करने से मार्निग सिकनेस के इलाज में फायदा मिलता है।
- पौष्टिक आहार (Healthy diet)
गर्भवती महिला को दिन में थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ न कुछ खाते रहना चाहिए ताकि पेट खाली न रहे।
इसके साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि लिया जाने वाला आहार पोषक तत्वों से भरपूर हो क्योंकि इससे मार्निग सिकनेस में राहत मिलती है।
स्त्री को प्रोटीन (protein) से भरपूर भोजन ज़्यादा और वसा युक्त खाने का सेवन कम करना चाहिए।
गर्भवती महिला को ऐसा खान-पान रखना चाहिए जिसमें उच्च मात्रा में कार्बोहाइड्रेट (carbohydrate) हो जैसे, ब्राउन ब्रेड (brown bread) व दालें आदि।
साथ ही अपने आहार में फल जैसे कीवी, केला, तरबूज व सेब आदि को जोड़ें।
फाइबर की मात्रा बढ़ाने के लिए हरी सब्जी व सूखे मेवों को अपनी डाइट (diet) में शामिल करें।
गर्भावस्था में चटपटा एवं स्वादिष्ट भोजन खाने का मन होता है लेकिन मॉर्निंग सिकनेस से बचने के लिए तैलीय पदार्थों (oily food) और अधिक मीठे पदार्थों से दूर रहें।
- उठने के बाद लें आहार (Eat after you wake up)
सुबह के समय गर्भवती महिला का जी अधिक ख़राब होता है और उल्टी करने की प्रवृति बनी रहती है इसलिए सुबह-सुबह इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए स्त्री को उठते ही कुछ न कुछ खा लेना चाहिए, जैसे हल्का-फुल्का स्नैक, रस्क या टोस्ट, बिस्कुट आदि लेकिन खाली पेट चाय बिलकुल नहीं लेनी चाहिए।
ऐसी हल्का आहार महिला को अपने पास ही रखना चाहिए ताकि जब भी मन हो वह आसानी से खा सकें।
- अरोमाथेरेपी का प्रयास करें (Try aromatherapy)
मॉर्निंग सिकनेस को अच्छी और सही गंध को सूंघने से भी कम किया जा सकता है जैसे नींबू , पुदीना, पेपरमिंट ऑरेंज (peppermint orange), अदरक आदि।
इसके अलावा तेल या सेंट (perfume) की कुछ बूँदे रुमाल पर डालकर सूंघने से भी स्त्री को राहत मिलती है।
साथ ही पुदीने के ताजे पत्तों को पीस कर उन्हें भी सूंघा जा सकता है।
- दवाई एक समय पर लें (Take medicines on time)
गर्भावस्था के दौरान लिए जा रहे सप्लीमेंट्स (supplements) यानि विटामिन (vitamin) या आयरन (iron) गोलियों से भी जी मिचलने की समस्या बढ़ सकती है।
इसलिए इन्हें एक समय पर खाने के साथ लें या सोने के तुरंत पहले लें और साथ में ज्यादा पानी पिएँ।
इसके साथ ही यदि दवाइयों के चलते किसी भी तरह की परेशानी हो रही हो तो डॉक्टर से परामर्श अवश्य लेना चाहिए।
- सांस लेने वाले व्यायाम करें (Do breathing exercises)
चिकित्सकों द्वारा यह कहा जाता है कि नियंत्रित गहरी सांस लेने से मॉर्निंग सिकनेस से राहत मिल सकती है।
इसके लिए पहले एक से तीन गिनती गिनने तक नाक से सांस लें और एक से तीन की गिनती गिनने तक सांस रोके रखें, फिर एक से तीन तक गिनकर साँस छोड़ें।
थोड़ी राहत महसूस होने पर इस क्रम को रोक सकते हैं।
- खाना खाने के बीच में पानी न पीयें (Don't drink while eating)
शरीर में पानी की कमी न हो इसलिए दिन में आठ से दस गिलास पानी जरूर पीना चाहिए लेकिन खाना खाने के बीच में और खाना खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए।
खाना खाने के एक घंटे बाद पानी पिएं।
खाना चबा-चबाकर एक बार में थोड़ा खाना चाहिए और ज़रुरत से अधिक नही खाना चाहिए।
पेट को हल्का ही रखना चाहिए।
- विटामिन बी युक्त चीजों का सेवन करें (Consume vitamin B rich foods)
कैल्शियम और विटामिन बी, मुख्य रूप से विटामिन बी-6 सही मात्रा में लेने से मितली को कम करने में काफी मदद मिलती है।
इसके लिए विटामिन बी से युक्त खाद्य पदार्थ जैसे केला, एवोकैडो, चिकन, और सोया का सेवन करना चाहिए।
इसके साथ साथ प्री-नेटल विटामिन (pre-natal vitamin) लेने से भी काफी फ़ायदा होता है।
- जूस पिएँ (Fruit juice)
खाना बनाने की गंध या पकाये गये खाने से भी कुछ गर्भवती महिलाओं को मॉर्निंग सिक्नेस या उल्टी हो सकती है।
इसलिए ऐसे समय में अधिक ठंडे खाद्य पदार्थ जैसे सलाद, सैंडविच, फल और फल के रस से बना बर्फ आदि लेना फायदेमंद साबित होता है।
यह सभी खाद्य पदार्थ पोषण भी देते हैं और पेट को हल्का भी रखते हैं।
- तनाव से बचें (Don't take stress)
थकान और तनाव के कारण भी जी मचल सकता है इसलिए गर्भवती महिला को अपने मनपसंद काम करके खुद को तनाव रहित रखना चाहिए।
साथ ही थोड़ी भी थकान महसूस होने पर आराम करना चाहिए ताकि शरीर और मस्तिष्क शांत हो सके।
- लक्षणों को ट्रैक करें (Track your symptoms)
कई बार महिलाओं में उल्टी आने का कोई नियमित क्रम नहीं होता है जिससे महिला काफी परेशान हो जाती है।
ऐसा होने पर भावी माँ को चाहिए कि वह मॉर्निंग सिकनेस के बारे में जानकारी लिखें जैसे कब हुई, किस समय पर अधिक होती है, किस कारण से होती है, किस चीज़ से आपको राहत मिलती है आदि।
इस जानकारी से महिला डॉक्टर से परामर्श भी ले सकती है और खुद भी इससे निपट सकती है।
लेकिन महिला जो यह ध्यान रखना चाहिए कि मॉर्निंग सिकनेस अधिक होना हाइपरमेसिस ग्रेवीडेरम (hypermesis gravidarum) का संकेत हो सकता है जो हानिकारक साबित हो सकता है इसलिए अधिक परेशानी होने पर डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।
- अक्यूप्रेशर थेरेपी (Acupressure therapy)
कलाई को दबाने या कलाई पर कॉटन (cotton) से बने एक्यूप्रेशर बैंड (acupressure band) बाँधने से मॉर्निंग सिकनेस में आराम मिलता है।
- व्यायाम करें (Exercise)
मॉर्निंग सिकनेस में राहत के लिए घर के खिड़की-दरवाज़े खुले रखने चाहिए और ताजी हवा में सुबह और शाम टहलना चाहिए।
इससे पेट भी हल्का रहता है और पाचन सही होता है।
इसके साथ ही गर्भावस्था में किये जाने वाले हल्के व्यायाम और योगासन करने से भी गर्भवती स्त्री को काफी आराम मिलता है।
- अजवाइन (Celery)
जी मिचलाने में अजवाइन राहत देती है।
इसके अलावा सौंफ को भूनकर उसमें थोड़े तिल, अजवाइन मिलाकर खाने से भी राहत मिलती है।
प्रेगनेंसी में एमनियोटिक फ्लूइड लीक होना कितना आम है?
How common is leaking amniotic fluid during pregnancy in hindi
Pregnancy mein premature rupture of membranes hona kitna common hai

लेबर में जाने से पहले वॉटर का ब्रेक होना आम बात नहीं है। प्रेगनेंसी में एमनियोटिक फ्लूइड का लीक होना 37 सप्ताह के बाद होता है, जो लगभग 8-15 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं के साथ होता है।
प्रेगनेंसी में जी मिचलाने पर कब लें डॉक्टर से सलाह?
When to see a doctor for morning sickness during pregnancy? in hindi
Garbhavastha mein morning sickness ke liye kab jaye doctor ke pass
गर्भावस्था में यदि महिला को लगातार उल्टी या बेहोशी हो रही हो तो उसे चिकित्सा की आवश्यकता है।
यह हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम (hyperemesis gravidarum) का संकेत हो सकता है, जो एक गंभीर बीमारी है।
इस दौरान निम्नलिखित संकेतों का ध्यान रखना ज़रूरी है:
- दिन में कई बार उल्टी होना
- 12 घंटे या अधिक समय तक कुछ भी खाने या पीने में सक्षम नहीं होना
- गहरे रंग का पेशाब
- चक्कर आना
निष्कर्ष
Conclusionin hindi
Nishkarsh
गर्भावस्था में महिला के शरीर में काफी सारे बदलाव आते हैं जिसके चलते कई तरह की परेशानियाँ होती हैं।
इस दौरान उल्टी आना या जी मिचलाना आम है लेकिन इससे महिला को कमज़ोरी भी महसूस हो सकती है।
दिनचर्या और खान-पान में कुछ बदलाव करके मॉर्निंग सिकनेस से राहत मिल सकती है।
साथ ही इसके लिए प्राकृतिक उपचारों के साथ-साथ डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए ताकि गर्भकाल में कम से कम परेशानी का सामना करना पड़े।
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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 30 Oct 2019
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