सामान्य प्यूबर्टी से कैसे अलग है, अर्ली प्यूबर्टी और डिलेड प्यूबर्टी
How normal puberty is different from early puberty and delayed puberty in hindi
Samanya puberty se kaise alag hai, early puberty aur delay puberty in hindi
एक नज़र
- लड़कियों में बचपन खत्म होते ही शुरू होता है प्यूबर्टी, जिसमें प्रजनन की क्षमता का होता है विकास।
- सामान्यतः यह प्रक्रिया 8 साल से 14 साल की उम्र में होती है।
- प्रिकोशियस प्यूबर्टी यानि वक्त से पहले यौवन का आना, 8 साल से कम की उम्र में आने को मानना जाता है।
- लड़कियों में डिले प्यूबर्टी की परिपक्वता थोड़ी देर से यानि 17वें साल तक होती है।
Introduction

यौवन का आना या जिसे यौवनारंभ भी कहते हैं, यह लड़के और लड़कियों में सामान्य व अनिवार्य प्राकृतिक प्रक्रिया है।
अंग्रेज़ी में प्यूबर्टी कहे जाने वाले इस स्टेज में लड़के और लड़कियों में कुछ शारीरिक बदलाव होते हैं।
एक तरफ जहां लड़कों के चेहरे, छाती, बगल और योनि के आसपास बाल निकल आने के साथ-साथ आवाज़ भारी हो जाती है, उसी तरह लड़कियों में मासिक धर्म की शुरूआत हो जाती है, उनके स्तनों का आकार बढ़ने लगता है।
पर इन सबसे हटकर अगर यही सारी लक्षण 8 साल की उम्र के पहले हो तो यह अर्ली प्यूबर्टी होती है वहीं अगर ये लक्षण 14 साल के बाद शुरू हो तो यह डिले प्यूबर्टी की अवस्था होती है।
प्रिकोशियस प्यूबर्टी
Precocious puberty in hindi
Precocious puberty in hindi
8 साल से कम की उम्र में अगर किसी लड़की के मासिक धर्म शुरू हो जाएं, स्तनों का आकार बढ़ने लगे और बगल में बाल निकल आएं, तो उसका यौवन आरंभ हो चुका है।
यह सामान्य प्यूबर्टी की श्रेणी में नहीं आता। लड़की के शरीर में हॉर्मोनल बदलाव जल्दी शुरू हो जाते हैं जिसकी वजह से उसे इन हालातों का सामना जल्दी करना पड़ता है।
यह किसी तरह की बीमारी नहीं होती, मात्र यह अवस्था लड़कियों में समय से पहले नज़र आने लगती है।
कुछ मामले ऐसे होते हैं जिनमें अर्ली प्यूबर्टी के संकेत मिलने के बाद खास ख्याल की ज़रूरत होती है, जैसे दिमागी परेशानियां, रीढ़ की हड्डी में किसी तरह की कमजोरी या रेडियेशन (radiation) की वजह से शुरू हुई प्यूबर्टी के दौरान।
ऐसी अवस्था में डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी होता है।
एक शोध में यह भी पाया गया कि अर्ली प्यूबर्टी का असर दिमाग पर भी होता है जिसकी वजह से बच्चों का स्कूल में खराब प्रदर्शन और स्वास्थ्य में गिरावट होने लगती है।
वक्त से पहले अपने शरीर में बदलाव और मासिक धर्म देखकर कई लड़कियां दूसरी लड़कियों से तुलना कर लगती हैं, और हीन भावना का शिकार हो जाती हैं।
इससे उनके आत्मविश्वास में कमी आती है।
हॉर्मोन का स्तर जब अपने तय सीमा से ज्यादा या कम होते हैं तो अर्ली प्यूबर्टी होती है।
डॉक्टरी जांच के बाद दवाइयों के ज़रिये इसे काबू में किया जा सकता है या इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।
आधुनिक शहरी परिवेश में भी लड़कियों को प्रिकोशियस प्यूबर्टी का सामना करना पड़ रहा है।
शरीर में ज्यादा फैट, और तनाव भी इसके बड़े कारण हैं।
सामान्य प्यूबर्टी
Normal puberty in hindi
Normal puberty in hindi
सामान्य यौवन के मामले में लड़कियों का शरीर 8 साल से 14 साल तक की उम्र के बीच शारिरिक बदलाव का अनुभव करता है।
यह बदलाव प्यूबर्टी के शुरुआत की अवस्था होती है।
ये शारीरिक बदलाव सामान्य होते हैं और इन्हें किसी तरह के उपचार की ज़रूरत नहीं होती।
लड़कियों में सबसे पहले स्तनों का विकास शुरू होता है।
इसके 2 साल के बाद मासिक धर्म की शुरूआत होती है।
और फिर बगल और योनि के आसपास बाल निकलते हैं।
धीरे-धीरे महीन बाल होठों के उपर, जांघों पर और हाथों पर निकलने लगते हैं।
यौवन प्राप्त करने के बाद ज्यादा पसीने की शिकायत भी लड़कियों में आम है,।
इसकी वजह से त्वचा तैलीय हो जाती है, और चेहरे के साथ पीठ पर भी मुंहासे निकलने लगते हैं।
वजाइना से सफेद या पीले रंग का पानी निकलने लगता है ।
पीरियड के शुरू होने के बाद लड़कियों को एडल्ट एवरेज हाइट(adult avrage height) तक पहुंचने में साल भर का वक्त लगता है, जिसमें वे 2-3 इंच तक लंबी होती हैं।
ज्यादातर लड़कियों का वजन बढ़ जाता है। बाजुओं, जांघों और हिप्स पर फैट जमा हो जातें हैं।
इस दौरान मूड स्विंग्स, चिड़चिड़पान और डिप्रेशन हावी होने लगता है।
डिले प्यूबर्टी
Delayed puberty in hindi
लड़कियों में डिले प्यूबर्टी तब होती है जब 13 साल तक की उम्र तक उनके स्तनों का विकास नहीं होता और 16 साल तक में मासिक धर्म भी शुरू नहीं होते।
अमूमन जब शरीर सेक्स हॉर्मोन बनाना शुरू कर दें, तब प्यूबर्टी की अवस्था शुरू होती है।डिले प्यूबर्टी में 16-17 साल तक की उम्र में शरीर में कोई बदलाव नहीं दिखते।
डिले प्यूबर्टी में शरीर में बदलाव थोड़ी देर से शुरू होते हैं।
एक बार यौवन शुरुआत होने के बाद सब कुछ सामान्य तरीके से ही चलता है।
डिले प्यूबर्टी अनुवांशिक भी हो सकता है।
अगर परिवार की महिलाओं का इतिहास ही देरी के यौवन का रहा है, तो आने वाली पीढ़ी की लड़कियों में इसके बने रहने की संभावना अधिक रहती है।
शरीर में कम फैट रहने से भी प्यूबर्टी देरी से शुरू हो सकती हैं।
बहुत ज्यादा पतले होने से शरीर में ठीक से हॉर्मोन विकसित नहीं होते, और यौवन देरी से आता है।
जो लड़कियां तैराकी करती हों, खेल-कूद में काफी एक्टिव हों, एथलीट हों, या डांसिंग के क्षेत्र से हों, उनकी यौवन अवस्था भी देर से शुरू होती है।
खाने-पीने में अनियमितता, अनदेखी, एनेरोक्सिया या बुलेमिया (Eneroxia, bulemia) भी डिले प्यूबर्टी के कारण हैं।
निष्कर्ष
Conclusion in hindi
Nishkarsh in hindi
सामान्य यौवन और असामयिक यौवन में सिर्फ थोड़े वक्त का अंतर होता है।
इससे होने वाली परेशानियां हर बार बीमारी नहीं होतीं।
अपनी बेटियों को समझाएँ कि डिले प्यूबर्टी या अर्लि प्यूबर्टी भले ही देर से जल्दी शुरू हो सकती है मगर इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं है।
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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 06 Jun 2019
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