आईवीएफ और आईसीएसआई के तथ्य और विभिन्नताएं
Facts and differences between IVF and ICSI in hindi
IVF or ICSI ke tathya or vibhintayein
एक नज़र
- आईवीएफ और आईसीएसआई प्रजनन की सहायक तकनीक है।
- आईवीएफ के साथ भी आईसीएसआई की प्रक्रिया की जाती है।
- आईसीएसआई में स्पर्म को सीधे अंडे में इंजेक्ट किया जाता है।
Introduction

आईवीएफ यानि इन-विट्रो-फर्टिलाइजेशन (In vitro-fertilization) और आईसीएसआई यानि इंट्रासाइटोंप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (Intracytoplasmic sperm injection)।
दोनों प्रजनन की सहायक तकनीक है। आईवीएफ और आईसीएसआई के बीच के अंतर उनकी प्रक्रिया, उपचार लागत, समय और सफलता दर पर निर्भर करते हैं।
आईवीएफ की प्रक्रिया में अंडे को शुक्राणु लैब में स्वाभाविक रूप से फर्टिलाइज करता है।
मगर, आईसीएसआई की प्रक्रिया में एक शुक्राणु को सीधे अंडे में इंजेक्ट किया जाता है।
आइए इस लेख के माध्यम से आपको विस्तार से बताते हैं कि आईवीएफ और आईसीएसआई क्या है और क्या हैं इन दोनों से जुड़े तथ्य और विभिन्नताएं।
इस लेख़ में
- 1.इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन और इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन की जानकारी
- 2.प्रक्रिया के आधार पर आईवीएफ और आईसीएसआई में क्या अंतर है?
- 3.लागत के आधार पर आईवीएफ और आईसीएसआई में क्या अंतर है?
- 4.समय के आधार पर आईवीएफ और आईसीएसआई में क्या अंतर है?
- 5.सफलता दर के आधार पर आईवीएफ और आईसीएसआई में क्या अंतर है
- 6.आईसीएसआई और आईवीएफ से जुड़े कुछ तथ्य
- 7.निष्कर्ष
इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन और इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन की जानकारी
Information about In-vitro fertilization and Intracytoplasmic sperm injection in hindi
ivf aur icsi ki janakaari
आईवीएफ और आईसीएसआई असिस्टेड रिप्रोडक्टिव ट्रीटमेंट (assistant reproductive treatment) के रूप हैं, जिसमें शरीर के बाहर शुक्राणु (sperm) के साथ अंडों (eggs) को निषेचित (fertilize) किया जाता है।
आईवीएफ का उपयोग महिला बांझपन (infertility) और अस्पष्टीकृत बांझपन (un explained infertility) के लिए किया जाता है। हालांकि, आईवीएफ का इस्तेमाल पुरुष बांझपन के मामलों में भी किया जा सकता है।
अगर समस्या गंभीर होती है तो डोनर स्पर्म का इस्तेमाल कर आईवीएफ की प्रक्रिया की जा सकती है।
वहीं आईसीएसआई का उपयोग तब किया जाता है जब पुरुष बांझपन (male infertility) की समस्या हो।
आईवीएफ (IVF) में महिला के अंडाशय (ovaries) इंजेक्टेबल फर्टिलिटी ड्रग्स के एक कोर्स से प्रेरित होते हैं। जब अंडे मैच्योर हो जाते हैं तो उन्हें महिला के ओवरीज़ से निकाल लिया जाता है।
आईवीएफ में पुरुष साथी या डोनर (donor) के शुक्राणु को पेट्री डिश (Petri dish) में अंडे के साथ मिलाया जाता है ताकि उन्हें फर्टिलाइज़ किया जा सके।
आईसीएसआई में, एक्सपर्ट एक सिंगल स्पर्म को लेते हैं और फिर एक माइक्रोस्कोपिक सुई की मदद से उसे अंडे में इंजेक्ट कर देते हैं।
फिर भ्रूण को विकसित करने के लिए एग और शुक्राणु को दो से पांच दिनों (क्लिनिक अभ्यास के आधार पर) के लिए प्रयोगशाला में रखा जाता है।
भ्रूण के बनने के बाद उसे महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है ताकि उसका विकास हो सके और वो शिशु के रूप में बढ़ सके।
अगर आईवीएफ (IVF) के दौरान महिला से जुड़ी फर्टिलिटी की समस्या होने के साथ-साथ पुरुष के स्पर्म की गुणवत्ता भी खराब होती है तो उस स्थिति में आईवीएफ के साथ आईसीएसआई (ICSI) की भी ज़रूरत पड़ती है।
प्रक्रिया के आधार पर आईवीएफ और आईसीएसआई में क्या अंतर है?
What is the difference between ivf and icsi on the basis of procedure? in hindi
Prakriya ke aadhar par IVF or ICSI mei kya antar hai
सबसे आम प्रजनन उपचारों में से दो हैं- इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) और इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई)।
आईवीएफ और आईसीएसआई के बीच महत्वपूर्ण अंतर शुक्राणु के अंडे को निषेचित करने की प्रक्रिया है।
आईवीएफ में, अंडे और शुक्राणु को एक पेट्री डिश (Petri dish) में अपने आप निषेचित करने के लिए छोड़ दिया जाता है।
वहीं आईसीएसआई (ICSI) में शुक्राणु को सीधे अंडे में इंजेक्ट किया जाता है।
लागत के आधार पर आईवीएफ और आईसीएसआई में क्या अंतर है?
What is the difference between ivf and icsi on the basis of Cost? in hindi
Prakriya ke aadhar par IVF or ICSI upchar mei kya antar hai
भारत में आईसीएसआई की लागत 2,30,000 से रुपए से लेकर 2,60,000 रुपए के बीच है लेकिन यह लागत आईवीएफ के साथ मिलाकर है।
जबकि अलग से सिर्फ आईवीएफ की लागत इससे थोड़ी कम होती है। हालांकि, उपचार की लागत क्लिनिक, स्थान, रेटिंग और सफलता दर जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है।
समय के आधार पर आईवीएफ और आईसीएसआई में क्या अंतर है?
What is difference between ivf and icsi on the basis of time? in hindi
Samay ke aadhar par IVF or ICSI ilaj mei kya antar hai
एक आईवीएफ साइकिल को पूरा होने में लगभग चार हफ्ते का समय लगता है, जिसमें टेस्ट के बाद का समय भी शामिल है।
हालांकि, इसके बाद प्रेगनेंसी कन्फर्म होने में भी दस दिन से लेकर दो हफ्ते तक लग सकते हैं।
वहीं आईसीएसआई के पहले चक्र को आईवीएफ उपचार के साथ पूरा करने में लगभग चार से छह हफ्ते का समय लगता है।
सफलता दर के आधार पर आईवीएफ और आईसीएसआई में क्या अंतर है
What is the difference between ivf and icsi on the basis of ivf and icsi? in hindi
Success rate ke aadhar par IVF or ICSI mei kya antar hai
आईवीएफ उपचार (IVF treatment) की सफलता दर उम्र के साथ घटती जाती है।
जो महिलाएं 35 वर्ष से अधिक वर्ष की होती हैं, उनकी सफलता दर 40.7% है और जिन महिलाओं की उम्र 42 वर्ष से अधिक होती हैं उनकी सफलता दर 3.9% तक घट जाती है।
इसके अलावा, सफलता दर अन्य कारकों जैसे - प्रजनन इतिहास (reproductive history), बांझपन का कारण (causes of infertility) और जीवनशैली (lifestyle) पर भी निर्भर करती है।
आईसीएसआई (ICSI) की सफलता दर भी उम्र पर निर्भर करती है। उम्र जितनी कम होती है आईसीएसआई उपचार के सफल होने की संभावना उतनी ही अधिक हो जाती है।
अगर आपकी उम्र18 से 35 वर्ष के बीच है तो सफलता दर 44% तक हो सकती है। वहीं अगर आपकी उम्र 43 से 45 वर्ष के बीच हैं तो सफलता दर में गिरावट आ सकती है और ये महज़ 11% रह जाती है।
आईसीएसआई और आईवीएफ से जुड़े कुछ तथ्य
Facts about ICSI and IVF in hindi
ICSI or IVF se jude kuchh tathya
पुरुष बांझपन के मामले में या तो आप डोनर स्पर्म के विकल्प के साथ आईवीएफ का चयन कर सकते हैं या फिर सीधे आईसीएसआई का रूख कर सकते हैं।
अगर आप आईसीएसआई या आईवीएफ उपचार के लिए जा रहे हैं तो आपको इन बातों को जानना आवश्यक है :
एक गलत धारणा है कि आईवीएफ उपचार के माध्यम से आपको एक से अधिक बच्चे होने की संभावना अब कम हो गई है।
ऐसा बिल्कुल नहीं है, बल्कि तमाम सहायक प्रजनन तकनीकों (assistant reproductive technology) की तुलना में एक से अधिक बच्चे होने की संभावना सबसे ज़्यादा आईवीएफ प्रक्रिया में होती है।
शोध के अनुसार, आईवीएफ (IVF) आईसीएसआई (ICSI) के माध्यम से केवल 21% गर्भधारण के परिणामस्वरूप जुड़वां गर्भधारण (multiple pregnancy) होते हैं।
दो से अधिक या ट्रिप्लेट होने की संभावना केवल एक प्रतिशत होती है। ऐसा इसलिए होता क्योंकि गर्भावस्था की संभावना को बढ़ाने के लिए कई भ्रूण को महिला के गर्भाशय में रख दिया जाता है।
कुछ क्लीनिक हैं जो अपने मरीज़ों को आईसीएसआई (ICSI) करने से रोकते हैं। वे मानते हैं कि ऐसा करने से अंडे को नुकसान पहुँचता है क्योंकि शुक्राणु को मैकेनिकल रूप (mechanically) से अंडे में डाला जाता है।
हालांकि, यह सच नहीं है, जब तक कि क्लिनिक में एक अच्छा एम्ब्र्योलॉजिस्ट (embryologist) न हो।
आईसीएसआई (ICSI) उपचार के बाद जन्म दोष (birth defects) के जोखिम (risk) में कोई वृद्धि नहीं होती है।
आईसीएसआई प्रक्रिया किसी भी प्रकार की आनुवंशिक समस्याओं (genetic problems) का कारण नहीं होती है।
निष्कर्ष
Conclusionin hindi
Nishkarsh
इनफर्टिलिटी की समस्या को दूर करने में जहां आईवीएफ मदद करता है। वहीं इस दौरान अगर पुरुष के स्पर्म की क्वालिटी अच्छी नहीं होती है तो आईसीएसआई का इस्तेमाल कर आप आईवीएफ को सफल बनाने की संभावना को ज़रूर बढ़ा सकते हैं।
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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 03 Jun 2020
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