महिलाओं में मूड स्विंग का कारण और इलाज़ क्या है
Causes and treatment of mood swings among femalesin hindi
mahilaon mein mood swings ka karan aur ilaj kya hai
एक नज़र
- 20 प्रतिशत महिलाएं गुजरती है कई तरह के मूड स्विंग से।
- हार्मोनल परिवर्तन के अलावा मानसिक विकार भी एक वजह।
- मूड स्विंग से अवसाद में जाने की आशंका होती है।
Introduction

आपने कई बार महिलाओं में मूड स्विंग होने के बारे में सुना होगा? इसके पीछे के कारणों को जानने की कोशिश भी आपने की होगी?
सबसे पहले तो आप यह जान लें कि मूड स्विंग होना किसी बीमारी के होने के लक्षण नहीं हैं। इसके पीछे कोई एक वजह नहीं होती जिससे महिलाओं में मूड स्विंग की समस्या पाई जाती है बल्कि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं।
मूड स्विंग के दौरान महिलाओं को कभी मन करता है कि बिल्कुल अकेले में रहे तो कभी मन करता है डांस करने लगे। ऐसी स्थिति में उनका व्यवहार बदलने लगता है।
कभी-कभी महिलाएं उग्र हो जाती हैं तो कभी उदास हो जाती हैं। कई बार आपा खोने तक की स्थिति आ जाती है तो कई बार उनकी भावुकता बढ़ जाती है।
सामान्य तौर पर मूड स्विंग की समस्या के लिए हार्मोनल असंतुलन जिम्मेदार होता है लेकिन कई मामलों में इसके पीछे मानसिक विकार भी एक बड़ा कारण होता है।
महिलाओं के मूड स्विंग पर हुए कई शोध हुए, जिसमें यह पाया गया कि समाज में ऐसी 20 प्रतिशत महिलाएं हैं जिन्हें किसी न किसी उम्र में इस समस्या से गुजरना पड़ा है।
इस लेख़ में
मूड स्विंग के मुख्य कारण
Main causes of mood swings among females in hindi
females mein mood swings ke karan
मूड स्विंग के मुख्य कारणों में शामिल है:
हार्मोन का असंतुलन (Hormonal imbalances)
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (Premenstrual syndrome)
प्रीमेन्स्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (Premenstrual dysphoric disorder)
तनाव (Stress)
गर्भावस्था के दौरान (During and after pregnancy)
मानसिक स्वास्थ्य (Altered mental health)
नशीले पदार्थ का उपयोग (Drugs or use of abusive substances)
अन्य स्वास्थ्य संबंधित विकार (Other related diseases)
हार्मोन असंतुलन
Hormonal Imbalancein hindi
hormonal imbalance ke karan ho sakta hai mahilaon mein mood swings
मूड स्विंग की समस्या के लिए सबसे बड़ा कारण हार्मोनल असंतुलन होता है। हार्मोन हमारे स्वास्थ्य, नींद, मेटाबोलिज्म (metabolism), मनोदशा और यौन जीवन के स्तर को अत्यधिक प्रभावित करते हैं।
जब मूड स्विंग का कारण पीएमएस (PMS) से संबंधित होता है तो उसमें एस्ट्रोजन हार्मोन की भूमिका होती है, लेकिन अन्य हार्मोन मूड को भी प्रभावित कर सकते हैं।
हाइपोथायरॉयडिज्म (hypothyroidism) एक ऐसी स्थिति होती है जिसमे थायरॉयड ग्रंथि शरीर में पर्याप्त हार्मोन का उत्पादन नहीं कर पाती जिससे हार्मोन विकार उत्पन्न होता है।
यह मूड को प्रभावित कर अन्य लक्षणों को बढ़ावा देता है।
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम
Premenstrual syndrome (PMS)in hindi
PMS ke karan bhi ho sakta hai females mein mood swing
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के लक्षण महिलाओं में पीरियड्स होने से एक से दो सप्ताह पहले शुरू हो जाते हैं।
पीएमएस के कारण व्यवहार में परिवर्तन के साथ-साथ अधिक थकान होना, भूख में बदलाव होना, तनाव, सूजन और अन्य कई लक्षण दिखाई देते हैं।
इन लक्षणों का कारण एस्ट्रोजन (estrogen) हार्मोन में बदलाव माना गया है हालांकि ये बात स्पष्ट रूप से साबित नहीं हो पाई हैं।
पीरियड्स के आखिरी सप्ताह में एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में फ्लक्चुएशन (fluctuation) होते हैं। यह बदलाव मूड और व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं।
प्रीमेन्स्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर
Premenstrual dysphoric disorder (PMDD)in hindi
PMDD ke karan mahilaon mein mood swings
प्रीमेन्स्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (PMDD) भी एक प्रकार का PMS है लेकिन इसके परिणाम अधिक गंभीर होते हैं। पीएमडीडी के लक्षणों में शामिल है :
व्यवहार में गंभीर बदलाव आना
अत्यधिक तनावग्रस्त
अत्यधिक चिड़चिड़ापन
पीएमडीडी (PMDD) के लक्षणों को जीवनशैली में बदलाव करने से सही नहीं किया जा सकता इसके लिए किसी डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
तनाव
Stressin hindi
tanav ke karan bhi ho sakti hai mahilaon mein mood swings
तनाव वो स्थिति होती है जो आपकी मनोस्थिति और परिस्थिति के बीच असंतुलन एवं असामंजस्य के कारण उत्पन्न होता है।
तनाव और चिंता हमारे शरीर को कई तरह से प्रभावित करती है जिसका असर हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। तनाव के कारण मुख्य रूप से हमारे मूड में बदलाव होता है।
तनाव का असर शरीर और दिमाग दोनों पर बुरी तरह पड़ता है जिससे हमारे मूड और मनोदशा में बदलाव आ जाता है।
गर्भावस्था
Pregnancyin hindi
pregnant hone ke karan bhi ho sakta hai mahilaon mein mood swings
गर्भावस्था के दौरान और गर्भावस्था के बाद हार्मोन के स्तर में बदलाव आने से आपकी मनोदशा में परिवर्तन आता है। इसके कारण आपको मूड स्विंग भी होते हैं।
गर्भवती महिलाओं को अक्सर शारीरिक बदलाव आने से तनाव होता है और वो भावनात्मक रूप से कमज़ोर हो जाती है जिसके कारण मूड स्विंग होते हैं।
मूड स्विंग के लक्षण हर महिला में भिन्न हो सकते है लेकिन इनका अनुभव हर महिला के जीवन का एक हिस्सा होता है।
अगर आप भी इसको अनुभव कर रहे है या कर चुके है तो सामान्य महसूस करने के लिए आपको अपनी जीवन शैली में बदलाव लाने की आवश्यकता हो सकती है।
मूड स्विंग पर नियंत्रण के उपाय
Control measures for mood swings among females in hindi
mahilaon mein mood swings ko control karne ke upay
मूड स्विंग के लक्षण हर महिला में भिन्न हो सकते है लेकिन इनका अनुभव हर महिला के जीवन का एक हिस्सा होता है।
अगर आप भी इसको अनुभव कर रहे है या कर चुके है तो सामान्य महसूस करने के लिए आपको अपनी जीवन शैली में बदलाव लाने की आवश्यकता हो सकती है, जिनसे तनाव दूर होता है।
आप संतुलित डाइट जैसे फल, सलाद और हरी सब्जियों को अपनी डाइट में शामिल करें,
चाय या कॉफी की बजाय ग्रीन टी का सेवन करें,
नियमित रुप से एक्सरसाइज और योगा करें
अपनी दिनचर्या का खास ख्याल रखें
कम से कम 07 - 08 घंटे की नींद लें
अधिक से अधिक पानी पीकर शरीर की ऊर्जा तो बनाये रखें
रोजाना पंद्रह मिनट सूर्य की रोशनी में बैठने से सकारात्मक विचार पैदा होते हैं और नकारात्मक दूर होते हैं
निष्कर्ष
Conclusionin hindi
महिलाएं अपने जीवन में किसी ना किसी मोड़ पर मूड स्विंग की समस्या का शिकार होती हैं। मूड स्विंग की समस्या वैसे तो गम्भीर नहीं होती लेकिन ध्यान ना देने पर ये गंभीरता का रूप ले सकती हैं।
ऐसी स्थिति में महिलाएं अपनी जीवनशैली में बदलाव कर और समय-समय पर चिकित्सक की मदद लेकर मूड स्विंग की समस्या से निजात पा सकती हैं।
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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 07 Jun 2019