बच्चा कैसे पैदा होता है?

Bachcha kaise paida hota hai in hindi

How a baby boy born in hindi


एक नज़र

  • बच्चे को जन्म देने का सबसे आम तरीका योनि से प्रसव है, जिसे नॉर्मल डिलीवरी भी कहते हैं।
  • सिजेरियन डिलीवरी एक प्रकार की सर्जिकल डिलीवरी है, जिसमें मां के पेट और गर्भाशय के माध्यम से एक चीरा द्वारा बच्चे की डिलीवरी होती है।
  • इन-विट्रो-फर्टिलाइज़ेशन और आई.यू.आई महिलाओं को गर्भवती होने में मदद करनेवाली सहायक प्रजनन तकनीक हैं।
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Introduction

Introduction

एक महिला के गर्भधारण करने और शिशु को इस दुनिया में लाने का सफ़र कई उतार-चढ़ाव से भरा होता है। जिन लोगों को गर्भधारण और प्रसव के बारे में पूरी तरह जानकारी नहीं होती, उन्हें हमेशा यह जानने की इच्छा होती है कि बच्चा कैसे पैदा होता है!

इस सवाल के जबाव कई हो सकते हैं, क्योंकि बच्चा पैदा होने की कई प्रक्रिया होती है। नॉर्मल डिलीवरी, सिजेरियन सेक्शन, आईवीएफ, आईयुआई, सरोगेसी आदि के ज़रिये बच्चा पैदा होता है।

बच्चा पैदा करने की हर प्रक्रिया एक-दूसरे से अलग है और विभिन्न स्थितियों के अनुसार की जाती है। बच्चे के पैदा होने की हर प्रक्रिया अपने आप में दिलचस्प और जोखिम भरी होती है।

एक बच्चे को पैदा करने के लिए माँ को कई मानसिक और शारीरिक परेशानियों से गुजरना पड़ता है। आज इस लेख में हम बच्चा कैसे पैदा होता है - इस विषय पर चर्चा करेंगे!

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इस लेख़ में

 

नॉर्मल डिलीवरी से बच्चा कैसे पैदा होता है?

Normal Delivery se bachcha kaise paida hota hai in hindi

How are babies born with normal delivery in hindi

योनि प्रसव (vaginal delivery) से बच्चा कैसे पैदा होता है यह जानना बेहद दिलचस्प हो सकता है क्योंकि यह यह प्रसव का सबसे आम तरीका है। प्रसव प्रक्रिया से बच्चा पैदा होने में तीन चरण होते हैं।

प्रसव से बच्चा पैदा होने के तीन चरण निम्न हैं :

  • गर्भाशय ग्रीवा का छोटा होना और खुलना
  • बच्चे का जन्म
  • नाल की डिलीवरी

पहला चरण आमतौर पर 12 से 19 घंटे, दूसरा चरण 20 मिनट से दो घंटे और तीसरा चरण पांच से 30 मिनट तक रहता है।

पहला चरण ऐंठन, पेट या पीठ दर्द से शुरू होता है जो लगभग आधे मिनट तक रहता है और हर 10 से 30 मिनट में होता है। दर्द समय के साथ बढ़ता जाता है।

दूसरी अवस्था में, संकुचन और बच्चे को धक्के के माध्यम से जन्म देना शामिल है। तीसरे चरण में, गर्भनाल शरीर से बाहर आती है।

अधिकांश शिशुओं का जन्म पहले सिर से होता है; हालाँकि, लगभग 4% मामलों में पैर या नितंब पहले बाहर आते हैं, जिन्हें ब्रीच (breech) के रूप में जाना जाता है। इस तरह से नार्मल डिलीवरी के माध्यम से बच्चा पैदा होता है।

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ऑपरेशन से बच्चा कैसे पैदा होता है?

Operation se bachcha kaise paida hota haiin hindi

How are babies born with Caesarean Delivery

कई लोगों के मन में यह जानने की उत्सुकता रहती है कि ऑपरेशन से बच्चा कैसे पैदा होता है।

तो आपको बता दें, कि सिजेरियन डिलीवरी में एक चीरे यानि कट की मदद से मां के पेट और गर्भाशय के माध्यम से बच्चे की डिलीवरी की जाती है।

सिजेरियन डिलीवरी में, माँ के पेट के निचले हिस्से और गर्भाशय में एक चीरा (cut) लगाया जाता है। सिजेरियन डिलीवरी को सीजेरियन सेक्शन या सी-सेक्शन भी कहा जाता है।

यह प्रक्रिया तब की जाती है जब यह माँ, बच्चे या दोनों के लिए योनि-प्रसव की तुलना में अधिक सुरक्षित महसूस होती है।

यदि एक महिला योनि से प्रसव करने में असमर्थ है, तो सिजेरियन डिलीवरी कर के बच्चे को सर्जरी द्वारा गर्भ से बाहर निकाला जाता है।

कुछ सिजेरियन प्रसव पूर्व निर्धारित होते हैं, जबकि अन्य प्रसव के दौरान होने वाली समस्याओं के परिणामस्वरूप किए जाते हैं। कई स्थितियां हैं जो सिजेरियन डिलीवरी को और अधिक संभावित बना सकती हैं।

सिजेरियन डिलीवरी की संभावना बढ़ाने वाली स्थितियां निम्न हैं :

  • भ्रूण की असामान्य हृदय गति
  • जन्म के दौरान भ्रूण की असामान्य स्थिति
  • यदि बच्चे का आकार योनि से प्रसव कराने के लिए बहुत बड़ा है
  • प्लेसेन्टा संबंधी जटिलताएं (placental complications), जैसे कि प्लेसेंटा प्रेविया, प्लेसेंटा एक्रिटा
  • कुछ मातृ चिकित्सा स्थितियां- जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप या एच.आई.वी. संक्रमण (HIV infection)
  • माँ की योनि या गर्भाशय ग्रीवा में सक्रिय दाद के घाव (active herpes lesions)
  • जुड़वाँ या मल्टिपल बर्थ (twins or other multiples)
  • पिछले बच्चे का जन्म यदि सिजेरियन डिलीवरी से हुआ हो
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आईवीएफ़ से बच्चा कैसे पैदा होता है?

IVF se bachcha kaise paida hota hai in hindi

How are babies born with IVF treatment in hindi

आजकल आईवीएफ़ शब्द काफी सुनने में आ रहा है। आइये, आपको बताते हैं, आईवीएफ़ से बच्चा कैसे पैदा होता है।

आईवीएफ (ivf) महिलाओं को गर्भवती होने में मदद करने वाली सबसे आम और प्रभावी सहायक प्रजनन तकनीक (assisted reproductive technology) है।

इसमें, शरीर के बाहर, एक प्रयोगशाला डिश में, अंडे को फर्टिलाइज किया जाता है और फिर इसे एक महिला के गर्भाशय में गर्भधारण के लिए डाल दिया जाता है।

अन्य उपचार के असफल होने पर आईवीएफ, गर्भाधारण में मदद कर सकता है। आईवीएफ में एक से अधिक बच्चे के जन्म होने की संभावना अधिक होती है।

आईवीएफ में आमतौर पर निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं : -

1. ओवेरियन स्टिमुलेशन (Ovarian stimulation)

फर्टिलिटी हार्मोन फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (fertility hormone follicle stimulating hormone -FSH) युक्त फर्टिलिटी ड्रग्स महिला को दी जाती है। इससे अंडाशय सामान्य से अधिक अंडे का उत्पादन करता है।

2. अंडे को वापस लेना (Retrieving the eggs)

अंडे को एक छोटी शल्य चिकित्सा प्रक्रिया के माध्यम से एकत्र किया जाता है। योनि के माध्यम से अंडाशय में एक बहुत पतली सुई डाली जाती है।

सुई में एक सक्शन डिवाइस (suction device) जुड़ी होती है। इससे अंडे बाहर निकल जाते हैं। यह प्रक्रिया प्रत्येक अंडाशय के लिए दोहराई जाती है। फ़्रोजन या दान किए गए अंडे भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

3. निषेचन और गर्भाधान (Fertilization and Insemination)

एकत्र किए गए अंडों को शुक्राणु के साथ पर्यावरण नियंत्रित कक्ष (environmentally controlled chamber) में रखा जाता है।

कुछ घंटों के बाद, शुक्राणु अंडे में प्रवेश कर जाते हैं। कभी-कभी शुक्राणु को सीधे अंडे में इंजेक्ट (आईसीएसआई) किया जाता है।

फर्टिलाइज़ेशन के बाद एग और स्पर्म मिलकर भ्रूण यानि एम्ब्र्यो (embryo) बन जाता है। इसके बाद एक या दो सबसे अच्छे भ्रूण, स्थानांतरण के लिए चुने जाते हैं।

4. भ्रूण स्थानांतरण (Embryo transfer)

कभी-कभी, गर्भ में एक से अधिक भ्रूण रखे जाते हैं। भ्रूण का स्थानांतरण एक पतली ट्यूब का उपयोग करके किया जाता है।

यह योनि के माध्यम से गर्भ में प्रवेश करता है। जब भ्रूण गर्भ के स्तर से चिपक जाता है, तो स्वस्थ भ्रूण का विकास शुरू हो सकता है।

इन चरणों की सफलता के बाद एक महिला प्रेग्नेंट होती है, और इस तरह से आईवीएफ़ की मदद से बच्चा पैदा होता है।

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आईयूआई से बच्चा कैसे पैदा होता है?

IUI se bachcha kaise paida hai in hindi

How are babies born with IUI treatment in hindi

आईवीएफ़ की ही तरह आईयूआई भी गर्भवती होने में मदद करने वाली प्रभावी सहायक प्रजनन तकनीक है।

यदि आप स्वाभाविक रूप से माँ नहीं बन पा रही हैं, तो आईवीएफ़ से बच्चा कैसे पैदा होता है, जानना भी आपके लिए उपयोगी होगा।

अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (आईयूआई) एक सरल प्रक्रिया है जिसमें शुक्राणु को सीधे आपके गर्भाशय के अंदर इंजेक्ट कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया की मदद से शुक्राणु का अंडे तक पहुँचना आसान हो जाता है।

आईयूआई से बच्चा कैसे पैदा होता है जानें : -

आईयूआई, दाता गर्भाधान, वैकल्पिक गर्भाधान या कृत्रिम गर्भाधान के नाम से भी जाना जाता है।

आईयूआई के तहत शुक्राणु को आपके गर्भाशय में सीधे, उस समय डाला जाता है, जब आप ओवुलेशन के आस-पास होती हैं।

यह शुक्राणु की अंडे तक पहुँचने के समय और दूरी- दोनों कम करता है, जिससे शुक्राणु के लिए आपके अंडे को निषेचित करना आसान हो जाता है।

इन्सेमिनेशन प्रक्रिया (insemination procedure) से पहले आप प्रजनन दवाएं ले सकती हैं जो ओवुलेशन को उत्तेजित करती हैं।

आपके साथी या डोनर से वीर्य (semen) एकत्र किया जाता है। इसके बाद वीर्य, स्पर्म वॉशिंग (sperm washing) नामक एक प्रक्रिया से गुजरता है जो वीर्य से स्वस्थ शुक्राणु को एकत्र करता है।

फिर आपके डॉक्टर शुक्राणु को आपके गर्भाशय में इंजेक्ट कर देते हैं। गर्भावस्था तब होती है जब शुक्राणु आपके अंडे को निषेचित (fertilize) करता है, और निषेचित अंडा आपके गर्भाशय के अस्तर (lining) में होता है।

आईयूआई एक सरल प्रक्रिया है और यह प्रक्रिया अन्य प्रकार के प्रजनन उपचारों की तुलना में कम ख़र्चीली होती है। इससे आपके गर्भधारण की संभावना बढ़ती है। हालांकि, आईयूआई की सफलता दर्द महिला दर महिला भिन्न हो सकती है।

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सेक्स से बच्चा कैसे पैदा होता है?

Sex se bachcha kaise paida hota hai in hindi

How are babies born with sex in hindi

कुल मिलाकर, एक महिला अपने प्रजनन वर्षों के दौरान लगभग 400 अंडे जारी रिलीज करती हैं। यह आपकी पहली माहवारी से रिलीज़ होना शुरू होते हैं और रजोनिवृत्ति (आमतौर पर 45 से 55 वर्ष के बीच) के साथ समाप्त होते हैं।

अंडे के रिलीज होने को ही ओव्यूलेशन कहा जाता है। महिला का अंडा, ओव्यूलेशन के 24 घंटे बाद तक ही जीवित रहता है। गर्भाधान के लिए, अंडे का 24 घंटों के अन्दर फर्टिलाइज होना जरुरी होता है।

यदि ओवुलेशन के दौरान, शुक्राणु आपके फैलोपियन ट्यूब में पहले मौजूद होते हैं या पंहुच जाते हैं तो अंडे और शुक्राणु फर्टिलाइज होते हैं और जन्म की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।

एक पुरुष का शरीर लाखों शुक्राणु पैदा करता है, जिसका एकमात्र उद्देश्य एक अंडे को फर्टिलाइज करना होता है। शुक्राणु अंडकोष (testicles) में विकसित होते हैं, जो पुरुष लिंग (penis) के नीचे स्थित होती है।

अंडकोष एक पुरुष के शरीर के बाहर लटके रहते हैं क्योंकि वे तापमान के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं। प्रत्येक स्खलन (ejaculation) के साथ लाखों शुक्राणु उत्पन्न और रिलीज होते हैं।

शुक्राणु महिला के अंडे को फर्टिलाइज करता है, मगर आप, वास्तव में तब तक गर्भवती नहीं होती हैं जब तक कि भ्रूण अपने गर्भाशय की दीवार से नहीं जुड़ता है। इस प्रक्रिया को इम्प्लानटेशन (implantation) कहते हैं।

जन्म के इस अंतिम चरण यानि इम्प्लानटेशन, ओवुलेशन के होने के 9 दिन बाद होता है। क्यूंकि ओवुलेशन के दिन का अनुमान लगाना मुश्किल होता है इस कारण डॉक्टर आपके मासिक धर्म की पहली तारीख से ही गर्भावस्था को कैलकुलेट करते है।

ज़्यादातर, निषेचन (fertilization) आपके अंतिम मासिक धर्म के लगभग दो सप्ताह बाद होता है।

यहाँ यह बात ध्यान देने वाली है की आपका बाचा लड़का होगा या लड़की यह पुरुष शुक्राणु में मौजूद क्रोमोजोम पर निर्भर करता है, यदि एक वाई क्रोमोजोम वाला शुक्राणु अंडे को निषेचित करता है, तो आपका बच्चा एक लड़का होगा; यदि एक एक्स क्रोमोजोम वाला शुक्राणु महिला के अंडे को निषेचित करता है, तो आपका बच्चा एक लड़की होगी।

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माँ के पेट में बच्चा कैसे बनता है?

Maa ke pet me bachcha kaise banta hai in hindi

How a baby develops in the mother's womb in hindi

माँ के पेट में बच्चा कैसे बनता है, यह जानकारी बेहद दिलचस्प है। माँ के गर्भ में बच्चे का विकास निषेचन के ठीक बाद शुरू हो जाता है। नौ महीने के दौरान हर दिन बच्चा विकसित होता जाता है। आइये जानते हैं महीने दर महीने माँ के पेट में बच्चा कैसे बनता है!

माँ के पेट के भीतर महीने-दर-महीने बच्चे का विकास कुछ इस तरह होता है : -

जैसे-जैसे निषेचित अंडा बढ़ता है, एक पानी की थैली इसके चारों ओर बनने लगती है। इसे एमनियोटिक थैली कहा जाता है और यह बढ़ते हुए भ्रूण को कुशन (cushion) करने यानि सुरक्षित रखने में मदद करती है। इस दौरान प्लेसेन्टा भी विकसित होती है।

इसी महीने शिशु के चेहरे, मुंह, निचले जबड़े और गले का विकास होता है। रक्त कोशिकाएं आकार लेती हैं, और ब्लड सर्कुलेशन शुरू हो जाता है। चौथे सप्ताह के अंत तक बच्चे का "दिल" एक मिनट में 65 बार धड़कता है।

आपके बच्चे के चेहरे की विशेषताओं का विकास जारी रहता है। हाथ और पैर की उंगलियां और आंखें भी बनना चालू रहती हैं।

मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और सेंट्रल नर्वस सिस्टम के ऊतक (tissues) अच्छी तरह से बनते हैं।

पाचन तंत्र और संवेदी (digestive tract and sensory organs) अंगों का विकास शुरू होता है।

आपके बच्चे की भुजाएँ, हाथ, उंगलियाँ, पैर और पैर की उंगलियाँ पूरी तरह से बन चुकी होती हैं।

आपका बच्चा अपनी मुट्ठी और मुंह खोल और बंद कर सकता है। दांतों बनने की शुरुआत भी हो जाती है।

तीसरे महीने के अंत तक, आपका बच्चा पूरी तरह से बन जाता है। सभी अंग मौजूद होते हैं।

चौथे महीने में पलकें, भौहें, नाखून और शरीर पर बाल बनते हैं। दांत और हड्डियाँ सघन (denser) हो जाती हैं।

तंत्रिका तंत्र (nervous system) कार्य करना शुरू करता है। प्रजनन अंग और जननांग अब पूरी तरह से विकसित हो चुके होते हैं।

  • गर्भावस्था का महीना 5 (Fifth Month of pregnancy)आप अपने बच्चे की गतिविधि महसूस कर सकती हैं। बच्चे के सिर पर बाल उगने लगते हैं।

बच्चे को एमनियोटिक द्रव के लंबे संपर्क से बचाने के लिए बच्चे की त्वचा पर एक सफ़ेद कोटिंग (coating) का विकास होता है जो जन्म से ठीक पहले उतर जाती है।

इस वक़्त आपके बच्चे की त्वचा का रंग लाल होता है और बच्चे की पारदर्शी त्वचा के माध्यम से नसें दिखाई देती हैं।

पलकें गिरना शुरू कर देती हैं और आँखें खुल जाती हैं। छठे महीने तक शिशु ध्वनियों के प्रति संवेदनशील हो जाता है।

आपका बच्चा शरीर की वसा (fat) के भंडार को विकसित करना जारी रखेगा। आपके बच्चे की सुनने की शक्ति पूरी तरह से विकसित हो चुकी होती है। सातवें महीने से एमनियोटिक द्रव कम होने लगता है।

इस वक़्त आप महसूस करेंगी कि आपका बच्चा अधिक किक (kick) मार रहा है।

इस समय बच्चे का मस्तिष्क तेजी से विकसित होता है, और आपका शिशु देख और सुन सकता है।

अधिकांश आंतरिक प्रणालियां अच्छी तरह से विकसित होती हैं, लेकिन फेफड़े अभी भी अपरिपक्व हो सकते हैं।

  1. गर्भावस्था का महीना 9 (Ninth Month of pregnancy)

आपका शिशु लगातार बढ़ता और परिपक्व होता है: फेफड़े लगभग पूरी तरह विकसित हो चुके होते हैं।

आपके बच्चा नौवें महीने तक पलकें झपका सकता है, आँखें बंद कर सकता है, सिर घूमा सकता है, और ध्वनियों, प्रकाश और स्पर्श का जवाब (response) दे सकता है। आपका बेबी दुनिया में प्रवेश करने के लिए तैयार हो चुका होता है।

इस वक़्त आप पाएँगी कि आपका बच्चा तंग जगह के कारण कम गतिविधि करता है।

आपके बच्चे की स्थिति खुद को प्रसव के लिए तैयार करने के लिए बदल जाती है। बच्चा आपके श्रोणि (pelvis) में गिरता है। आमतौर पर, बच्चे का सिर जन्म नहर (birth canal) की ओर नीचे होता है।

और पढ़ें:कैसे करें गर्भावस्था किट का प्रयोग ?
 

गोरा बच्चा कैसे पैदा होता है?

Gora bachcha kaise paida hota hai in hindi

How is a fair baby born in hindi

गोरा बच्चा कैसे पैदा होता है, यह जानने कि इच्छा बहुत से माता-पिता में रहती है। हालाँकि, आपका यह जानना बेहद जरुरी है कि गोरा बच्चा पैदा करने के उपाय कुछ नहीं हैं।

अगर आपको कोई भी गोरा बच्चा पैदा करने के सुझाव या किसी तरह की दवा लेने की सलाह देता है तो ध्यान न दें।

बच्चे का रंग पूरी तरह से आनुवंशिक कारणों पर निर्भर करता है यानि आपके बच्चे का रंग कैसा होगा यह शिशु के माता-पिता की रंगत पर निर्भर करता है।

मगर आज भी भारत में गोरा बच्चा पैदा करने के उपाय की तलाश की जाती है! सबसे पहले आपका यह जानना जरुरी है कि रंगत से कोई फर्क नहीं, ज़रूरी यह है कि आपका बच्चा मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ हो!

आइये देखते हैं उन मिथक को जो भारतीय समाज में गोरा बच्चा पैदा करने के उपाय के तौर पर प्रचलित है।

भारतीय समाज में गोरा बच्चा पैदा करने के उपाय के रूप में निम्न मिथक प्रचलित हैं :

  • मिथक - गोरा बच्चा पैदा करने के लिए केसर वाला दूध

केसर वाला दूध गर्भावस्था के दौरान पीना बेहद फायदेमंद माना जाता है। केसर वाला दूध स्वास्थ्यवर्धक भी होता है लेकिन प्रेगनेंसी में केसर वाला दूध पीना गोरा बच्चा पैदा करने का उपाय है, इसका कोई प्रमाण नहीं है।

  • मिथक - गोरा बच्चे पैदा करने के लिए नारियल

भारतीय समाज में मान्यता है कि गर्भावस्था के दौरान नारियल खाने से बच्चे का रंग भी निखर सकता है।

वैसे तो नारियल में कई पौष्टिक गुण होते हैं, मगर गर्भावस्था के दौरान इसे खाने से बच्चे की रंगत पर प्रभाव पड़ता है इसका कोई प्रमाण नहीं है।

  • मिथक - गोरा बच्चा पैदा करने के लिए दूध

आपने कई लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि प्रेगनेंसी में सफ़ेद चीज़ें खाने से b अच्छा भी सफ़ेद यानि गोरा होता है। सफ़ेद रंग के खाद्य पदार्थ बच्चे का रंग निखारने में मदद करते हैं, यह कहीं भी सिद्ध नहीं हुआ है।

  • मिथक - गोरा बच्चा पैदा करने के लिए घी

गर्भावस्था के दौरान, डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को घी खाने की सलाह देते हैं। लेकिन, घी खाने से आपके बच्चे का रंग गोरा होगा इसकी कोई गारंटी नहीं है।

  • मिथक - गोरा बच्चा पैदा करने के लिए संतरे

संतरे को भी भारतीय समाज में गोरा बच्चा पैदा करने का तरीका माना जाता है। संतरे में विटामिन सी की प्रचूर मात्रा होती है, यह आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। लेकिन, ध्यान दें कि इसके सेवन से गोरा बच्चा पैदा होने की कोई संभावना नहीं होती है।

यह न भूलें कि गर्भावस्था बेहद नाज़ुक समय होता है। इस समय किसी भी गलत खाद्य का सेवन आपको और आपके शिशु को ख़तरे में डाल सकता है। बिना जानकारी और बिना डॉक्टर की सलाह लिए गोरा बच्चा पैदा करने के उपाय न आज़माए। हम फिर दोहरा रहे हैं कि गोरा बच्चा पैदा करने के उपाय मात्र मिथक होते हैं।

और पढ़ें:कैसे सर्विकल म्यूकस को ट्रैक कर आप जल्दी गर्भवती हो सकती हैं?
 

जुड़वा बच्चा कैसे पैदा होता है?

Judwa bachcha kaise paida hota hai in hindi

How are twins born in hindi

जुड़वा बच्चा कैसे पैदा होता है, इसके बारे में जानना आपके लिए काफी रोचक होगा।

जुड़वाँ बच्चे दो तरीकों से होते हैं : -

  1. जब एक इकलौता निषेचित अंडाणु (single fertilized egg) दो अलग-अलग भ्रूणों (embryos) में विभाजित हो जाता है, तो आइडेंटिकल ट्विन्स (Identical twins) होते हैं। ये दो भ्रूण तब दो अलग-अलग शिशुओं में विकसित होते हैं। आइडेंटिकल ट्विन्स लगभग एक जैसे दिखते हैं।
  2. फ्रेटरनल ट्विन्स या नॉन-आइडेंटिकल ट्विन्स (Fraternal twins or non-identical twins) तब होते हैं जब दो अलग अंडे दो अलग शुक्राणु द्वारा निषेचित होते हैं।

कुछ महिलाओं में दूसरों की तुलना में जुड़वा बच्चों को जन्म देने की अधिक संभावना होती है।

जुड़वाँ बच्चे की संभावना को बढ़ाने वाले कारकों में शामिल हैं:

  • मां की बढ़ती उम्र - 30 और 40 के दशक की महिलाओं में, सेक्स हार्मोन, एस्ट्रोजन का स्तर कम उम्र की महिलाओं की तुलना में अधिक होता है, जिससे उनके अंडाशय एक समय में एक से अधिक अंडे का उत्पादन करते हैं और जुड़वा होने के मौके बढ़ जाते हैं।
  • रेस - अश्वेत अफ्रीकी महिलाओं में सबसे ज्यादा जुड़वाँ बच्चे होते हैं, जबकि एशियाई महिलाओं में सबसे कम।
  • सहायक प्रजनन तकनीक - सहायक प्रजनन तकनीक (assisted reproductive techniques), अधिक गर्भधारण (number of previous pregnancies), आनुवंशिकता (Heredity) आदि कारणों से भी जुड़वा बच्चों को जन्म देने की संभावना बढ़ जाती है।
और पढ़ें:कोरियोनिक विली सैंपलिंग/सीवीएस टेस्ट की प्रक्रिया, लाभ व जोखिम
 

निष्कर्ष

Conclusionin hindi

Nishkarsh </strong>

प्रसव का सबसे आम तरीका योनि प्रसव है, जिसे नॉर्मल डिलीवरी भी कहते हैं। सिजेरियन डिलीवरी एक प्रकार की सर्जिकल डिलीवरी है।

यह प्रक्रिया तब की जाती है जब यह योनि-प्रसव की तुलना में अधिक सुरक्षित महसूस होती है। इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन और आईयूआई, महिलाओं को गर्भवती होने में मदद करने वाली सहायक प्रजनन तकनीक हैं।

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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 16 Jun 2020

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