एजूस्पर्मिया के कारण, जांच-विधि और उपचार क्या हैं?

Azoospermia - causes, diagnosis and azoospermia treatment in hindi

Azoospermia ke karan, lakshan aur treatment kya ho sakte hain in hindi


एक नज़र

  • पुरुष वीर्य में शुक्राणु की संख्या भिन्न-भिन्न हो सकती है।
  • पुरुष बांझपन में शुक्राणुहीनता प्रमुख कारण होती है।
  • निर्मित शुक्राणुओं का निर्वहन उपचार के द्वारा संभव हो सकता है।
  • स्पर्म डोनेशन भी आज की आधुनिक तकनीक का नया रूप है।
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Introduction

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तकनीकी क्रांति से पहले तक घर में बच्चे के जन्म लेने या न लेने के लिए एकमात्र स्त्री को ही जिम्मेदार माना जाता था।

इसी प्रकार बांझ शब्द भी केवल महिला के व्यक्तित्व से ही जोड़ा जाता था।

लेकिन तकनीकी क्रांति ने यह सिद्ध कर दिया कि एक शिशु के जन्म के लिए महिला व पुरुष समान रूप से भागीदार होते हैं।

इसी प्रकार यदि महिला गर्भवती नहीं हो पा रही है तब इसका कारण महिला ही नहीं पुरुष भी हो सकता है।

पुरुष बांझपन वह स्थिति होती है जब एक पुरुष प्रजनन प्रणाली में किसी प्रकार की बाधा आ जाती है।

ऐसी ही एक बाधा होती है जब पुरुष के वीर्य में शुक्राणु अनुपस्थित होते हैं। यह परेशानी अशुक्राणुहीनता (azoospermia) कहलाती है।

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इस लेख़ में

 

क्या होता है एजुस्पर्मिया?

What is azoospermia? in hindi

Azoospermia kya hota hai in hindi

जब पुरुष के वीर्य परीक्षण में शुक्राणु अनुपस्थित पाये जाते हैं तब यह स्थिति अशुक्राणुहीनता (azoospermia) कहलाती है।

इस स्थिति में पुरुष प्रजनन अंगों के द्वारा बनाये जाने वाले वीर्य (semen) में वांछित तरलता तो होती है लेकिन इसमें शुक्राणु अनुपस्थित होते हैं।

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एजुस्पर्मिया के क्या कारण होते है?

What are the causes of azoospermia? in hindi

Azoospermia ka kya karan hota hai in hindi

किसी भी बीमारी के कारण जानने से पहले उसके प्रकार को जानना बहुत जरूरी होता है।

इसी प्रकार एजुस्पर्मिया के होने के कारण उसके प्रकार पर निर्भर करते हैं।

चिकित्सकों ने इसके लिए दो प्रकार माने हैं और उनके होने के कारण भी उन्हीं प्रकारों के आधार पर माने जाते हैं जो इस प्रकार हैं :-

  1. ऑब्सट्रक्टिव एजूस्पर्मिया (Obstructive azoospermia) के कारण :-
    जब पुरुष के अंडकोश (testicles) के द्वारा शुक्राणु का निर्माण तो होता है लेकिन प्रजनन ट्यूबों में किसी प्रकार की बाधा होने से इनका निर्वहन नहीं हो पाता है।
    इस परेशानी के कारण पुरुष के वीर्य का स्खलन भी कम मात्रा में होता है।
    इस परेशानी के कारण कुछ इस प्रकार के हो सकते हैं :-
  • वासेक्टोमि (Vasectomy)
    यह एक प्रकार की सर्जरी होती है जिसके बाद पुरुष शुक्राणु ले जाने वाली नलियों को बंद कर दिया जाता है।
    आमतौर पर इस सर्जरी का उद्देश्य ही स्खलन के समय शुक्राणु को बाहर निकलने से रोकना होता है।
    इसे गर्भनिरोधक उपायों के रूप में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि इसकी सफलता की दर शत-प्रतिशत होती है।
  • इन्फेक्शन (Infection)
    जब पुरुष के अंडकोश, प्रोस्टेट, प्रजनन अंगों या वेनिरील नसों में इन्फेक्शन हो जाता है तब भी निर्वहन थैली (ejaculatory duct) में बाधा आ सकती है।
    इस कारण भी शुक्राणु का निर्वहन वीर्य में नहीं हो पाता है।
  • सर्जिकल समस्याएँ (Surgical complications)
    अगर किसी समय मूत्राशय या संबंधी अंगों पर कोई सर्जरी की गई हो तब भी निर्वहन थैली में बाधा आ सकती है।
  • जन्मजात विकार (Congenital conditions)
    कुछ पुरुषों में जन्मजात विकार के कारण भी शुक्राणुहीनता की समस्या हो सकती है।
    यह विकार वासडिफरेंस का सही रूप में न बना होना, प्रोस्टेट में सिस्ट या फोड़े आदि के रूप में हो सकता है।
  1. नॉन-ऑब्सट्रक्टिव एजूस्पर्मिया (Non-obstructive azoospermia) के कारण :-
    गैर बाधात्मक एजूस्पर्मिया की स्थिति में प्रजनन अंग तो ठीक होते हैं लेकिन या तो शुक्राणुओं का निर्माण बहुत कम मात्रा में होता है या फिर बिलकुल ही नहीं होता है।
    अधिकतर यह देखा गया है कि शुक्राणु इतने कम स्तर पर बनते हैं कि वो अंडकोश के माध्यम से वीर्य में मिल ही नहीं पाते हैं।
    इसलिए अगर ऐसी स्थिति में सर्जरी करी जाये तो अंडकोश में शुक्राणु मिल सकते हैं।
    अधिकतर यह स्थिति निम्न कारणों से हो सकती है :-
  • वंशानुगत स्थिति (Genetic conditions)
    यह स्थिति आमतौर पर क्रोमोसोम में गड़बड़ी होने के कारण हो सकती है।
    इस परेशानी को एनेयूप्लोयोडी (aneuploidy) के रूप में जाना जाता है। इस परेशानी में गुण सूत्र की संख्या अनिवार्य संख्या के बराबर नहीं होती है।
    इसके अलावा एक दूसरी परेशानी ट्रांसलोकेशन (translocation) के नाम से भी जानी जाती है।
    इसमें क्रोमोसोम के टूटे हुए हिस्सों के स्थान में परिवर्तन हो जाता है।
  • वैरिकोसिल (Varicocele)
    अधिकतर पुरुषों में शुक्राणु की स्थिति वैरिकोसिल नाम की परेशानी के कारण होती है।
    इस परेशानी में पुरुष की वैरिकोस नसें अंडकोश के अंदर या इसके आस-पास के क्षेत्र में होती हैं।
    इस कारण भी शुक्राणु की संख्या में कमी हो सकती है लेकिन अधिकतर पुरुष केवल इसी परेशानी के कारण बांझपन के शिकार हो जाते हैं।
    इसे एक छोटी सर्जरी के द्वारा ठीक किया जा सकता है।
  • हाइपरस्पेर्माटोजेनेसिस (Hypospermatogenesis)
    जब किसी पुरुष के शरीर में अंडकोश में अनिवार्य मात्रा से भी कम मात्रा में शुक्राणु का निर्माण होता है तब यह स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
  • मेच्यूरेशन अरेस्ट (Maturation Arrest)
    कभी-कभी कुछ बालक जब युवावस्था में प्रवेश करते हैं उस समय उनके शरीर में शुक्राणु निर्माण की प्रक्रिया में बाधा आ सकती है।
    इस स्थिति में नवयुवक के अंडकोश में वो सभी शुक्राणु जमा हो जाते हैं जिनका निर्वहन नहीं हो पाता है।
    आमतौर पर यह स्पर्म के मैच्योर होने के समय या होने से पहले उत्पन्न हो सकती है।
  • सेर्टोली-सेल ओनली सिंड्रोम (Sertoli-cell only syndrome {SCO} or germ cell aplasia {GCA})
    इस स्थिति में वो सभी कोशिकाएँ जो विभाजित होने के बाद शुक्राणु में बदल जाती हैं, वास्तव में अंडकोश में अनुपस्थित रहती हैं।
    यह स्थिति किसी भी प्रकार से ठीक होने लायक नहीं होती है।
और पढ़ें:अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान की सफलता को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक
 

एजुस्पर्मिया की जांच कैसे कर सकते हैं?

Diagnosis of azoospermia? in hindi

Azoospermia ko diagnosis kaise karte hain in hindi

यदि किसी पुरुष को बांझपन के लक्षण दिखाई देते हैं तब उन्हें वीर्य-परीक्षण जांच अवश्य करवानी चाहिए।

इसके अंतर्गत डॉक्टर एजुस्पार्मिया की जांच के लिए निम्न प्रकार से पता कर सकते हैं :-

  1. मरीज़ की प्रजनन इतिहास की जांच
  2. बचपन में घटी बुरी घटनाएँ
  3. प्रजनन क्षेत्र में लगी चोट या सर्जरी
  4. मूत्राशय या निर्वहन क्षेत्र में हुए इन्फेक्शन
  5. जीवन में कभी किमोथेरेपी या रेडिएशन के संपर्क में आना
  6. यौन जनित संक्रमित बीमारियाँ
  7. तेज़ बुख़ार या तेज़ गर्मी से संपर्क
  8. मादक दवाएं या शराब का अत्याधिक सेवन
  9. कुछ विशेष दवाओं का पहले या वर्तमान समय में सेवन
  10. जन्मजात विकारों का पारिवारिक इतिहास

इसके अलावा यदि कोई पुरुष एजुस्पार्मिया से ग्रसित माना जाता है तब डॉक्टर निम्न टेस्ट भी करवाना ठीक समझते हैं :-

  1. हार्मोन लेवल की जांच - इससे टेस्टोस्टेरोन और फोलिक्ली बनाने वाले हार्मोन का लेवल पता किया जा सकता है।
  2. हाइपोथेलेमस और पीयूष ग्रंथि के विकार का पता करने के लिए ब्रेन इमेजिंग
  3. आनुवांशिक परीक्षण
  4. वीर्य निर्वहन थैली में ब्लोकेज पता करने के लिए एक्सरे या अल्ट्रा साउंड
  5. एजुस्पार्मिया के प्रकार की जांच के लिए बायोप्सी
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एजुस्पर्मिया का उपचार कैसे हो सकता है?

What is the treatment of azoospermia? in hindi

Azoospermia ka kya treatment hota hai in hindi

एजुस्पार्मिया हालांकि पुरुष बांझपन का मुख्य कारण माना जाता है, लेकिन आधुनिक तकनीक के माध्यम से इसका इलाज अब संभव हो सकता है।

कुछ समय पहले तक पुरुष बांझपन का समुचित इलाज न होने के कारण महिला को गर्भधारण के लिए स्पर्म बैंक या स्पर्म डोनेशन पर निर्भर रहना पड़ता था।

लेकिन अब विज्ञान ने बांझपन उपचार विकल्प ढूंढ लिए हैं और इसी कड़ी में एजुस्पार्मिया का भी इलाज विभिन्न विकल्पों के रूप में उपलब्ध है।

मुख्य रूप से एजुस्पार्मिया का उपचार भी इसके प्रकार पर ही निर्भर करता है।

इसलिए हर पुरुष का उपचार निम्न रूप में भिन्न हो सकता है :-

  1. ऑब्सट्रक्टिव एजूस्पर्मिया (Obstructive azoospermia) के उपचार :-
    जब पुरुष की वीर्य निर्वहन थैली (ejaculation ducts) में बाधा आती है तब इसके उपचार के रूप में इस बाधा को दूर करना और स्पर्म का पुनः निर्माण करना होता है।
    इसके लिए डॉक्टर निम्न उपाय अपना सकते हैं :-
  • सर्जिकल उपचार (Surgical treatment)
    इस सर्जरी में वासडेफ्रेंस को सर्जरी के द्वारा ठीक करने का प्रयास किया जाता है।
    लेकिन यदि निर्वहन थैली में रुकावट है तब बायोप्सी या ट्रांसुरीथ्रेल रिसेक्षन (transurethral resection) के द्वारा इसे ठीक करने का प्रयास किया जाता है।
    इसके अलावा स्पर्म निकालने के लिए अन्य जिन तकनीकों का प्रयोग किया जाता है वो हैं :
    माइक्रोसार्जिकल एपिडीमल स्पर्म एस्पिरेशन (Microsurgical Epididymal Sperm Aspiration (MESA))
    पेर्क्युएनिओयूस एपिडीमल स्पर्म एस्पिरेशन (Percutaneous Epididymal Sperm Aspiration (PESA)
    टेस्टीक्युलर स्पर्म एक्स्ट्रेक्षन (Testicular sperm extraction (TESE)
    टेस्टीक्युलर एपिडीमल स्पर्म एस्पिरेशन (Testicular Epididymal Sperm Aspiration (TESA)
  • स्पर्म रिट्रीवल तकनीक (Sperm retrieval techniques)
    इस तकनीक के द्वारा पुरुष के अंडकोश से स्पर्म निकालने का प्रयास किया जाता है।
    इस प्रकार से निकाले गए स्पर्म का गर्भधारण के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
    इस तकनीक में गर्भधारण आईवीएफ/ इंट्रासिक्टोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (intracytoplasmic sperm injection - IVF/ICSI) का प्रयोग किया जाता है।
    नॉन-ऑब्सट्रक्टिव एजूस्पर्मिया(Non-obstructive) के उपचार :-
    अगर पुरुष में एजूस्पर्मिया का कारण कोई शारीरिक बाधा नहीं है तब इसका उपचार सर्जरी के साथ ही दवाओं के माध्यम से भी किया जा सकता है।
    इसके लिए एक बहुत छोटी सर्जरी एफएनए मैपिंग (FNA mapping) के माध्यम से अंडकोश में से स्पर्म निकाले जा सकते हैं।
    इस सर्जरी के माध्यम से पहले अंडकोश में उस स्थान का पता लगाया जाता है जहां स्पर्म की संख्या अधिकतम होती है।
    तब सर्जरी के जरिये वहाँ से स्पर्म निकाले जा सकते हैं।
    इस सर्जरी को माइक्रो टेस्टीकुलर स्पर्म एक्स्ट्रेक्षन कहा जाता है।
    इसके अलावा मरीज़ को निम्न उपाय भी बताए जा सकते हैं :-
    अगर हार्मोनल परिवर्तन के कारण शुक्राणु नहीं बन रहे हैं तब इसके लिए दवाएं और सप्लिमेंट्स देकर इसका हल निकाला जा सकता है।
    वैरिकोसिल्स को भी सर्जरी के द्वारा ठीक किया जा सकता है।
    आनुवंशिक विकारों की स्थिति में स्पर्म डोनर की मदद ली जा सकती है।
और पढ़ें:आईएमएसआई आईवीएफ क्या है?
 

निष्कर्ष

Conclusionin hindi

Nishkarsh

इस प्रकार कहा जा सकता है कि यदि किसी पुरुष के बांझपन का कारण शुक्राणुहीनता या एजूस्पर्मिया पाया जाता है तब सबसे पहले उसके प्रकार का पता लगाया जाता है।

उस प्रकार के आधार पर ही इस बीमारी का कारण और उपचार संभव हो पाता है।

यदि शरीर में शुक्राणु बन रहे हैं लेकिन निर्वहन नहीं हो रहे तब इसका उपचार संभव होता है।

लेकिन अगर शुक्राणु बनते ही नहीं हैं तब महिला साथी के गर्भधारण के लिए शुक्राणु दान ही अंतिम विकल्प माना जाता है।

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आर्टिकल की आख़िरी अपडेट तिथि: : 03 Jun 2020

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